"भ्रमों का बुलबुला (Bubble of Illusions) !
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कभी-कभी लोग इसलिए सच नहीं सुनना चाहते -क्योंकि वे अपने भ्रमc को टूटने नहीं देना चाहते !
[Friedrich Nietzsche/फ्रेडरिक नित्शे (ऑक्टोबर 1844 - अगस्त 1900) : विख्यात जर्मन दार्शनिक, निबंधकार, सांस्कृतिक आलोचक और भाषाशास्त्री)
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