तू हैं ..............................
तू दूर भी है तू पास भी,
तुझसे जुड़ें एहसास कई,
तू मेरे इंतज़ार का कुछ यूँ इम्तिहान लेता हैं,
वादा करता है आने का और दूसरे पल ही झुठला देता हैं .................................
तू रेत में पानी के भ्रम जैसा हो गया हैं,
तू दूर चाँद के जैसा हो गया हैं,
इत्तेफाक देखों तू दोनों ही सूरतों में लाजवाब हैं,
तू मेरे लिए भगवान जैसा हो गया हैं ......................................
तेरी याद जाती नहीं तू सामने आता नहीं,
कोई खेल तो खेल रहा है तू,
जो मेरी समझ में आता नहीं,
नादान हूँ तभी तो हर बार कोशिश करती हूँ,
तुझसे मिलने की दुआएं करती हूँ ................................
स्वरचित
राशी शर्मा