मैं इतनी सहनशील होना चाहती हूं जितना होता है एक पेड़ हर मौसम में....
मैं इतनी सुंदर होना चाहती हू जितना की एक कोरा कागज़ ....
मैं इतनी दयालु होना चाहती हूं जितनी होती है एक मां अपने बच्चे के प्रति ......
मैं इतना अपना होना चाहती हू जितना होता है एक भक्त अपने भगवान के.....
मैं इतना मेहनत करना चाहती हू जितना मेंहनत करती है एक चींटी....
मैं इतनी बेफ़िक्री होना चाहती हूं जितना होता है एक नन्हा मुन्ना बच्चा अपने मां बाप के साए में .....
मैं इतना सुरक्षित महसूस करना चाहती हूं ख़ुद को जितना सुरक्षित महसूस करती है एक बेटी ,एक बहन अपने पिता और भाई के साए में ....
मैं जीवन में इतना मौन होना चाहती हूं जितना होती है प्रकृति ....
**Rjritu**