Quotes by Abbas khan in Bitesapp read free

Abbas khan

Abbas khan

@arandhanpura24gmailc


सजी थी महफिल ख्वाबों की
पर हसरत
नीलाम हो गई

तुने क्या देखा मुझे इक नज़र
मेरी रुह भी तेरी
गुलाम हो गई...@

क्या ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से
लगे बैठे हैं आप
साफ़ छुपते भी नहीं सामने
आते भी नहीं,,,@

कतरा कतरा मेरे हलक
(गला) को तर करती है,

मेरी रग रग में तेरी मोहब्बत
सफ़र करती है,,,@

दर्द पुराने लिखूं या.... ताजे
जख्म लिखूँ.....
या जिसने दिए जिक्र उसका
लिखूँ
लब है खामोश.. चुप है
कलम.. तुम ही कहो,,
अब कैसे हाल ये दिल
लिखूँ,,@

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रोज़ जलते है इसमें......
मगर खाक नहीं होते....
अजीब है ये इश्क़ ...बुझ
कर भी राख नही होते..@

ना पा सके, ना भुला सके,
ना बता सके, ना जता सके
तू क्या है मेरे लिए, ना खुद
समझ सके, ना तुझे समझा
सके..@

किसी को गीता में ज्ञान ना
मिला
किसी को कुरान में ईमान
ना मिला उस
बन्दे को आसमान में
क्या रब मिलेगा जिसे इंसान
में
इंसान ना मिला,,@

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हक़ीक़त ना सही मगर तुम
ख़्वाब बन कर
मिला करो,
भटके हुए मुसाफिर को
चांदनी रात बनकर
मिला करो,,,@

जहा मे तेरे जैसा नूर हैं कहां
सितारे,, पागल और चांद
भी
खफा ही खफा,,
तेरी जुल्फों की कैद हे ऐसी
कि अब तो रिहाई भी
लगती सजा ही सजा,,,, @

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लफ्जो के रास्ते आप मेरे
दिल में उतर गये
बंदा-नवाज़ आप तो हद से
गुज़र गये,,,@