कभी ख़्वाबों का जहाँ था मेरे दिल के पास,
आज उन ख्वाबों का सिरा भी नहीं है मेरे हाथ में
रिश्तों की डोर थी मज़बूत कभी,
अब वो भी टूट कर बिखर चुकी है सभी...
कितने अरमान सजाए थे इस दिल में मैंने,
हर एक खुशी का एक मुकाम था मेरे सपनों में..
पर अब वो अरमान सिर्फ़ ख़ामोशी में खो कर रह जायेंगे,
जैसे हर याद किसी धुंधली परछाई में सो जायेंगे।
कभी मेरे पास जो अपने थे,
अब बस उनकी यादें ही रह गई हैं मेरे साथ में
वो मुस्कान जो कभी मेरी थी,
आज सिर्फ आंसुओं की परछाई है मेरे साथ में......
शायद यही है ज़िंदगी की हक़ीक़त,
हर खुशी के बाद होता है एक नया दर्द का सफर
मगर मैं फिर भी जिंदा रहूंगी इस उम्मीद में,
कि शायद कल फिर से मिले हम यहां
और जीने का एक नया सफर हो पास में .....
Manshi K