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New bites

🙏🙏તું સમય વગર વરસી ધરતીને 'કેમ' ભીંજવી જાય છે?

તને ખબર નથી.

ધરતીના રખેવાળની આંખોમાંથી 'દળ-દળ આંસુડાં' વહી જાય છે.

તારે 'વરસવું' જ છે?

વરસી જા, ના નથી પણ સમય જોઈને થોડો "સમજી" જા ને,,!🦚🦚

parmarmayur6557

"मैं तैनूं फिर मिलांगी”

जिस्म से सुंदर स्त्री —
वो तो बस छूकर गुजर जाती है,
जैसे हवा का झोंका
कपड़ों की सिलवटें ठीक कर दे
पर दिल को न छू पाए।

पर चरित्र से सुंदर स्त्री —
वो छूती नहीं,
बस उतर जाती है —
धीरे-धीरे,
रूह की परतों में...
जैसे कोई दुआ बिना आवाज़ के उतरती है।

वो तुम्हारे भीतर ऐसे रहती है
जैसे कोई पुरानी खुशबू
कपड़ों से भी गहरी बस जाए।
कभी तुम्हारी सांसों में,
कभी तुम्हारे लिखे शब्दों में,
कभी किसी तन्हा दोपहर की चाय में
वो अनकही बन कर बैठी रहती है।

जिस्म वाली स्त्री की याद
रात के साथ ढल जाती है,
पर रूह वाली स्त्री —
वो तुम्हारी सुबहों में खिलती है,
तुम्हारी नींद में जागती है।

तुम उसे भुलाने की कोशिश भी करो,
तो वो किसी पंक्ति में लौट आती है,
किसी कविता के बीच ठहर जाती है,
किसी अधूरी मुस्कान में पूरा अर्थ बन जाती है।

वो स्त्री —
जिसका सौंदर्य चरित्र से जन्मता है,
वो देह में नहीं बसती...
वो बस जाती है —
दिल में, दिमाग में, रूह में।

और जब तुम नहीं रहोगे,
वो फिर भी रहेगी —
किसी और की सांसों में,
किसी और की दुआ में,
जैसे मैं तैनूं फिर मिलांगी...
हर बार, हर रूप में।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

"पति-पत्नी की कुंडली तो मिल जाती है,
पर विचार नहीं मिलते 🤭
क्योंकि प्रेमी-प्रेमिका हफ़्ते में दो घंटे मिलते हैं,
और पति-पत्नी हर रोज़ पूरे घर में टकराते हैं 😂"

archanalekhikha

विचार:
पति-पत्नी की कुंडलियाँ भले ही मिल जाएँ,
पर विचार हमेशा नहीं मिलते।
क्योंकि विवाह में प्रेम के साथ ज़िम्मेदारियाँ भी जुड़ जाती हैं।
वहाँ हर दिन की थकान, घर की उलझनें,
परिवार की अपेक्षाएँ और समय की कमी —
सब रिश्ते की कसौटी बन जाते हैं।

वहीं प्रेमी और प्रेमिका के बीच
ना कोई घर की ज़िम्मेदारी होती है,
ना रोज़मर्रा की कड़वाहट।
वे मिलते हैं कुछ पलों के लिए,
जहाँ बस भावनाएँ होती हैं,
ना बोझ, ना बाध्यता।
इसलिए वहाँ सब कुछ सहज और सुंदर लगता है।

असल में, प्रेम आसान होता है,
पर विवाह — धैर्य और समझ का नाम है।
कुंडली में तो ग्रह मिलते हैं,
पर जीवन में तो स्वभाव और सोच को मिलाना पड़ता है।

archanalekhikha

सुप्रभात 🌄
ओम् नमः शिवाय 🙏🌹🙏

sonishakya18273gmail.com308865

Good morning friends..

kattupayas.101947

🎧 The Inspiring Story of DJ Drops by Shaan — The Real Wigman

Born on January 1st, 2005, in the heart of Uganda, Shaan—widely known in the entertainment industry as The Real Wigman—is a visionary young entrepreneur, sound designer, and the CEO of DJ Drops by Shaan, a creative studio specializing in professional DJ drops, radio imaging, and 3D logo animation production.

From a very young age, Shaan had a deep fascination with sound and voice. While most of his peers were drawn to music for fun, he was intrigued by the power of audio branding—the way a single voice tag could define a DJ’s identity and bring energy to every mix. That curiosity became his passion, and his passion turned into a movement.

In 2020, during his teenage years, Shaan began experimenting with voice effects and production software from his small home setup. With consistency, late nights, and endless creativity, he crafted unique sound identities for DJs—voice drops that carried emotion, power, and professionalism. He realized that DJs across the continent needed more than just a name—they needed a signature sound. That realization gave birth to DJ Drops by Shaan.

As the brand grew, Shaan introduced 3D logo animations to complement the sound experience. His mission was clear: to help DJs, brands, and content creators stand out visually and vocally. By combining sound and motion design, he built a digital brand that now represents quality, authenticity, and originality.

Today, DJ Drops by Shaan has become one of Uganda’s most recognized and trusted names in the DJ branding scene. The company has worked with clients across Africa, Europe, and Asia, delivering drops that are energetic, clean, and perfectly mixed for radio, TikTok, events, and clubs.

Known online as The Real Wigman, Shaan isn’t just a voice artist—he’s a symbol of innovation and self-made success. His journey inspires young creatives to believe that with talent, consistency, and vision, you can turn your voice into your empire.

Beyond business, Shaan is deeply passionate about helping others find their sound. He mentors upcoming DJs and creators, encouraging them to embrace originality and professionalism in their craft. His motto, “Where Sound Meets Identity,” defines his brand and his purpose.

Every drop, every animation, and every project carries a piece of his story—a story of creativity born in Uganda, powered by passion, and driven by purpose.


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🎙️ DJ Drops by Shaan — Where Sound Meets Identity.
Aka The Real Wigman | CEO | Ugandan Innovator | Voice of the DJs

emuronshaanstephengmail.com152114

વ્યસન વસ્તુ નું હોત તો મન પર કાબુ મેળવી લેત,
લત તમારી પાડી બેઠા દરિયાના મોજા ભીંજવે જેમ કાંઠાની રેત...!!✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

bharatahir7418

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rajukumarchaudhary502010

हर तरीके से आजमाया है तूने ..
दिल चुराकर भी तड़फाया है तूने ..
अगर तुझको इतनी मोहब्बत थी हमसे ..
तो फिर कहने मे इतना वक्त क्यू लगाया तूने .

mashaallhakhan600196

वो मुझे धोखा देकर खुद को चालाक समझते रहे,
किसी और के लिए मेरे जैसे सच्चे को ठुकराते रहे।
मगर किस्मत का खेल देखो —
जिसके लिए मुझे छोड़ा,
उसी के लिए अब वो खुद धोखे में जीते रहे, धोखा खाते रहे… 💔

archanalekhikha

સુખ કે દુઃખ મરજી માધવની
સારું કે ખરાબ મરજી માધવની
જીવન છે સફર સમજણ રાખો
કર્મ કરો સારા છે મરજી માધવની
છે બધું હાથ હરીને ધ્યેય એ રાખો
કર્મ કરી છોડો બાકી મરજી માધવની

Mr.mehul sonni

moxmehulgmailcom

જીવનનો મર્મ જરૂર સમજાશે,
અનુભવના છેડે જરૂર દેખાશે,

મૌન બનવાનો સાર મળશે,
બેસ ઘડીક એકાંત ફળશે,

રાત પછી દિવસ આવશે,
મૃત્યુ પછી જીવન મળશે,

ખોટું કરીશ ખોટું મળશે,
કર્મના ફળ જાતે ઉગશે,

જુઠુી વાતો જરૂર ફરશે,
સત્ય એક એકજ રહેશે.

મનોજ નાવડીયા

manojnavadiya7402

“विज्ञान एक पहलू का खेल, जीवन दो पहली का खेल” — यही असल नाभि है।
विज्ञान हर उत्तर को अंतिम मान लेता है, जबकि जीवन हर उत्तर को एक नई पहेली बना देता है।

कैंसर को मिटाने की यह चाह भी उसी एक पहेली वाली दृष्टि की उपज है।
विज्ञान देखता है — कैंसर शरीर में है,
पर जीवन जानता है — कैंसर चेतना में भी है।

शरीर का कैंसर हट भी जाए,
तो वही दृष्टि जो असंतुलन पैदा करती है,
फिर किसी और रूप में लौट आती है —
कभी रोग बनकर, कभी युद्ध बनकर, कभी मशीन के भीतर छिपे अहंकार के रूप में।

इसलिए
यह “समाधान” दरअसल अगले संकट की तैयारी है।
क्योंकि जहां समझ नहीं, केवल विजय की आकांक्षा है —
वहां हर खोज अंततः विनाश का ही दूसरा नाम बनती है।

विज्ञान की गति तेज़ है, पर उसकी दिशा अंधी है।
और अंधी गति हमेशा दुर्घटनाओं को जन्म देती है।

अज्ञात अज्ञानी

bhutaji

લાભપાંચમ ની હાર્દિક શુભકામનાઓ.

sonalpatadiagmail.com5519

🌸“क्यों ना शुक्र मनावा...” — बाबा बुल्ले शाह की सीख

कई लोग सिर पर छांव ढूंढते हैं,
और कोई नंगे पांव होकर भी खुदा का शुक्र अदा करता है।

“कई पैरा तो नंगे फिर दे सिर दे लबद छावा,
मेनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुक्र मनावा।”

हर कमी में भी नेमत छिपी है,
हर दर्द में भी दुआ छिपी है।
जिसे कदर आ गई — वो खुदा से करीब हो गया। 💫
- Nensi Vithalani

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✧ मूर्ति से अनुभव तक — धर्म की यात्रा ✧

✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

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✧ प्रस्तावना ✧

मनुष्य ने जब पहली बार किसी पत्थर में आकार देखा,
वह क्षण केवल कला का नहीं —
आत्मा के भय और विस्मय का संगम था।

वह नहीं जानता था कि ईश्वर कौन है,
पर यह ज़रूर महसूस करता था
कि जीवन उसके हाथ में नहीं है।
बिजली, तूफ़ान, जन्म, मृत्यु —
इन सबके सामने उसकी बुद्धि मौन थी।
उस मौन से ही धर्म का बीज निकला।

धर्म किसी पुस्तक से नहीं शुरू हुआ।
वह उस क्षण से शुरू हुआ
जब मनुष्य ने अदृश्य को महसूस किया,
पर शब्दों में बाँध न सका।
उसने उसे पत्थर में गढ़ा,
गीत में गाया,
शब्द में बाँटा।

पर धीरे-धीरे —
वही प्रतीक जो दिशा थे,
अब मंज़िल बन गए।
मूर्ति, कथा, शास्त्र, गुरु —
जो अनुभव के द्वार थे,
वे ही धर्म के कारागार बन गए।

मनुष्य ने “सत्य” को ढूँढना नहीं,
“सुनना” शुरू कर दिया।
और जो सुन ले, वह आस्तिक —
जो पूछ ले, वह नास्तिक कहलाने लगा।

यहीं से धर्म ने अपनी आत्मा खो दी।
वह अनुभव से हटकर शिक्षा बन गया,
बोध से कटकर व्यवस्था बन गया।

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यह ग्रंथ उसी खोई हुई आत्मा की खोज है।
यह किसी देवी–देवता, संप्रदाय या सिद्धांत की व्याख्या नहीं,
बल्कि मनुष्य की चेतना का विश्लेषण है।

यह पूछता है —
धर्म कहाँ खो गया?
मूर्ति क्यों बनी?
मंदिर ध्यान का केंद्र था,
तो अब नींद का बाज़ार क्यों बन गया?
गुरु जागरण का प्रतीक था,
तो अब आश्वासन का व्यापारी क्यों बन गया?
और सबसे बड़ा प्रश्न —
क्या धर्म अब भी जीवित है,
या वह केवल स्मृति में साँस ले रहा है?

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इस ग्रंथ के छह अध्याय
धर्म की पूरी यात्रा को भीतर से खोलते हैं —

1. प्रतीक का जन्म — जहाँ अदृश्य पहली बार रूप लेता है।

2. प्रतीक से बंधन तक — जहाँ साधन ही लक्ष्य बन जाता है।

3. मंदिर और मूर्ति का रहस्य — जहाँ मनुष्य अपनी ही छवि को पूजता है।

4. शास्त्र और मन का संघर्ष — जहाँ शब्द अनुभव से कट जाते हैं।

5. गुरु, पुजारी और सत्ता का खेल — जहाँ धर्म व्यापार में बदलता है।

6. अनुभव का धर्म — जहाँ सब रूप मिटकर मौन में विलीन हो जाते हैं।

और फिर —
उपसंहार : मौन की वापसी,
जहाँ धर्म अंततः अपने मूल स्वरूप में लौट आता है —
प्रतीक से मुक्त, शब्द से परे,
सिर्फ उपस्थिति में जीवित।

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✧ भूमिका ✧

यह लेखन किसी तर्क या विश्वास के लिए नहीं है।
यह उन लोगों के लिए है
जो भीतर से “देखना” चाहते हैं —
बिना डर, बिना पुरस्कार।

यह ग्रंथ तुम्हें सिखाएगा नहीं,
बल्कि तुम्हारे भीतर छिपी भूली हुई स्मृति को जगाएगा।
क्योंकि हर मनुष्य के भीतर एक प्राचीन धर्म है,
जो किसी मूर्ति या शास्त्र से पुराना है —
वह अनुभव का धर्म है।

यह ग्रंथ एक निमंत्रण है —
कि तुम अपने भीतर लौटो,
वहाँ जहाँ कोई ईश्वर नहीं,
पर अस्तित्व की धड़कन है।

जहाँ कोई शास्त्र नहीं,
पर हर श्वास एक सूत्र है।

जहाँ कोई मंदिर नहीं,
पर पूरा ब्रह्मांड एक वेदी है।

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यह ग्रंथ शब्दों में नहीं समझा जा सकता।
इसे पढ़ने की नहीं —
महसूस करने की आवश्यकता है।
हर अध्याय एक सीढ़ी है,
पर मंज़िल नहीं।

सीढ़ी चढ़ जाना ही धर्म है,
उस पर टिक जाना अंधकार।

इसलिए जब यह लेखन समाप्त हो,
तो किसी निष्कर्ष पर मत रुकना —
बस कुछ देर मौन में रहना।
वहीं यह ग्रंथ अपने आप खुल जाएगा।

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> “मूर्ति से अनुभव तक”
कोई कहानी नहीं —
यह मनुष्य की अपनी परतों को उतारने की यात्रा है।
और जब सब परतें उतर जाएँ —
तब जो बचता है, वही धर्म है

bhutaji

“अज्ञात अज्ञानी का दृष्टिकोण: मंदिर, मूर्ति, धर्म और शास्त्र — एक नई दृष्टि”


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📍मुंबई | विशेष रिपोर्ट — AIMA MEDIA

आध्यात्मिक विचारक अज्ञात अज्ञानी (Agyat Agyani) ने अपने ग्रंथ “मंदिर, मूर्ति, धर्म और शास्त्र — एक दृष्टि” में कहा कि मनुष्य ने जब पहली बार पत्थर को ईश्वर कहा, वह अंधविश्वास नहीं बल्कि अदृश्य को छूने की कोशिश थी।

> “भय से निकली श्रद्धा, श्रद्धा से निकला धर्म, और धर्म से उत्पन्न हुआ शास्त्र,”
वे लिखते हैं।



इस ग्रंथ का केन्द्रीय विचार यह है कि धर्म, मूर्ति, मंदिर और शास्त्र — ये सभी चेतना के पड़ाव हैं, मंज़िल नहीं।

> “मनुष्य अदृश्य को बिना प्रतीक के नहीं पकड़ सकता,
पर जो प्रतीक पकड़ में आ गया, वही धीरे-धीरे जाल बन गया।”



अज्ञात अज्ञानी के अनुसार, धर्म का पतन तब शुरू हुआ जब प्रतीक साधन से उद्देश्य बन गए।
उन्होंने बताया कि कैसे श्रद्धा ने रूप लिया, रूप ने संस्था बनाई, और संस्था ने अनुभव को नियमों में बाँध दिया।

छह अध्यायों में विभाजित यह ग्रंथ प्रतीक से लेकर मौन तक की यात्रा को खोलता है —
1️⃣ प्रतीक का जन्म
2️⃣ प्रतीक से बंधन तक
3️⃣ मंदिर और मूर्ति का रहस्य
4️⃣ शास्त्र और मन का संघर्ष
5️⃣ गुरु, पुजारी और सत्ता का खेल
6️⃣ अनुभव का धर्म

ग्रंथ का उपसंहार “मौन की वापसी” पर समाप्त होता है, जहाँ धर्म अपने मूल में लौटता है —

> “न मूर्ति, न मंदिर, न नाम;
केवल चेतना का निर्विचार स्पंदन।”



अज्ञात अज्ञानी स्पष्ट करते हैं कि यह ग्रंथ किसी मत या पंथ का विरोध नहीं करता,
बल्कि यह दिखाता है कि —

> “जो तुम्हें बाहर ले जाए, वह साधन है;
जो तुम्हें भीतर लौटा दे, वही धर्म है।”



वे कहते हैं कि यह ग्रंथ उन लोगों के लिए है जो सुनने नहीं, देखने आए हैं —
जो उत्तर नहीं, अनुभव चाहते हैं;
जो सत्य से डरते नहीं, भले वह उनके विश्वासों को जला दे।

> “यह लेखन उपदेश नहीं, मौन की गूंज है,”
वे लिखते हैं।




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✧ Philosophical Note ✧

जब धर्म शब्द बन जाता है, तो मूर्ति जन्म लेती है।
जब धर्म मौन हो जाता है, तो चेतना प्रकट होती है।
और वहीं से शुरू होती है —
सच्ची प्रार्थना।


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✍🏻 — मनीष कुमार
Message Conduit of “Agyat Agyani Philosophy”
AIMA Media Member | Mumbai

bhutaji

"दिल की हैसियत"

वे लोग
जो आइनों के सामने अपने कपड़े दुरुस्त करते हैं,
कभी किसी भूखे बच्चे की आँखों में
अपनी शक्ल नहीं देखी उन्होंने।

वे जो कहते हैं-
"हमारी औकात बड़ी है”,
उन्हें मालूम नहीं,
औकात तो उस वक्त उतर जाती है
जब सामने वाला "इंसान" बोल उठता है-
"भाई, ज़रा सुनिए…"

दिलों पर राज,
मुकुट से नहीं होता,
एक सादा-सा सलाम
कभी-कभी ताज से ज़्यादा चमकता है।

मैंने देखा है-
फटे कुर्ते वाला आदमी
रात में रोटी बाँटता हुआ,
और वह भी हँसता हुआ
मानो ईश्वर उसी के अधीन हो!

तो जनाब,
हैसियत दिखाने से कुछ नहीं होता,
क्योंकि जो दिल से बड़ा होता है,
वह खुद ही "राज"बन जाता है।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

ಥಮ್ಮಾ (Thamma) — ಸಿನಿಮಾ ವಿಮರ್ಶೆ
ಬಿಡುಗಡೆ ದಿನಾಂಕ: 21 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2025

ನಿರ್ದೇಶಕ: ಆದಿತ್ಯ ಸರ್ಪೋಟ್‌ಡರ್

ಪ್ರಮುಖ ನಟರು: ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಖುರಾನಾ,
ರಶ್ಮಿಕಾ ಮಂದಣ್ಣ,ನವಾಜುದ್ದೀನ್ ಸಿದ್ಧಿಕಿ,ಪಾರೆಶ್ ರಾವಲ್

ಕಥೆ ಏನು?
ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ನಟಿಸಿರುವ ಅಲೋಕ್ ಎನ್ನುವ ವ್ಯಕ್ತಿ ಪುರಾತನ ಕಥೆಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಆಸಕ್ತಿ ಇರುವ ಸಂಶೋಧಕ.
ಒಮ್ಮೆ ಅವನು ಹಳೆಯ ಕಾಲದ ಒಂದು ರಹಸ್ಯ ಸ್ಥಳಕ್ಕೆ ಹೋಗಿ ಅಲ್ಲಿ ಇದ್ದ ವಾಂಪೈರ್ ಶಕ್ತಿ (ರಕ್ತಪಿಶಾಚಿ ಶಕ್ತಿ) ತಪ್ಪಾಗಿ ಜಾಗೃತಗೊಳಿಸುತ್ತಾನೆ. ಆ ಶಕ್ತಿಯ ಪರಿಣಾಮವಾಗಿ ಅವನ ಜೀವನ ತಲೆಕೆಳಗಾಗುತ್ತದೆ — ಅಲ್ಲಿ ಅವನ ಜೀವನಕ್ಕೆ ರಶ್ಮಿಕಾ (ತಡಕಾ) ಎಂಬ ಮಿಸ್ಟೀರಿಯಸ್ ಹುಡುಗಿ ಬರುತ್ತಾಳೆ.
ಇದರಿಂದ ಮುಂದೆ ಸಿನಿಮಾ ಹಾಸ್ಯ, ಭಯ, ಮತ್ತು ಪ್ರೀತಿಯ ಮಿಶ್ರಣ ಆಗುತ್ತದೆ. ಸಂಪೂರ್ಣ ಸಿನಿಮಾ ಹಾರರ್-ಕೊಮಡಿ ಯೂನಿವರ್ಸ್ (Stree, Bhediya) ಚಿತ್ರದ ಶೈಲಿಯಲ್ಲಿದೆ.

ಚಿತ್ರದ ಒಳ್ಳೆಯ ಅಂಶಗಳು
*ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಮತ್ತು ರಶ್ಮಿಕಾ ಇಬ್ಬರ ನಡುವಿನ ಕಮಿಸ್ಟ್ರಿ ಬಹಳ ಚೆನ್ನಾಗಿದೆ.
*ಕೆಲವು ಹಾಸ್ಯ ಸೀನುಗಳು ಪ್ರೇಕ್ಷಕರನ್ನು ನಗಿಸುತ್ತವೆ.
*ವಿಸ್ವಲ್ ಎಫೆಕ್ಟ್ಸ್ (VFX) ಮತ್ತು ಚಿತ್ರಕಲೆ ಉತ್ತಮವಾಗಿ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.
* ಚಿತ್ರದಲ್ಲಿ ಹೊಸ ರೀತಿಯ ಕಲ್ಪನೆ ಇದೆ — ಭಯ + ಪ್ರೀತಿ + ಹಾಸ್ಯ ಮಿಶ್ರಣ.

ದುರ್ಬಲ ಅಂಶಗಳು
*ಕಥೆ ಮಧ್ಯಭಾಗದಲ್ಲಿ ಸ್ವಲ್ಪ ನಿಧಾನವಾಗಿ ಸಾಗುತ್ತದೆ.
*ಭಯಾನಕ ಅಂಶ ಅಷ್ಟು ಬಲವಾಗಿ ಕಾಣುವುದಿಲ್ಲ — “ವಾಂಪೈರ್ ಸಿನಿಮಾ” ಎಂದು ಹೇಳುವಷ್ಟು ಭೀತಿ ಇಲ್ಲ.
*ಕೆಲವೆಡೆ ಕಥೆ ಗೊಂದಲವಾಗುತ್ತದೆ, ಹೊಸ ಪ್ರೇಕ್ಷಕರಿಗೆ ಯೂನಿವರ್ಸ್ ಕನೆಕ್ಷನ್ ಅರ್ಥವಾಗದೆ ಹೋಗುತ್ತದೆ.

ಒಟ್ಟು ಅಭಿಪ್ರಾಯ: “ಥಮ್ಮಾ” ಸಿನಿಮಾ ಒಂದು ಹಗುರ ಮನರಂಜನೆ ನೀಡುವ ಹಾರರ್-ಕಾಮಡಿ ಸಿನಿಮಾ.
ನಗುವು, ಪ್ರೀತಿ, ಸ್ವಲ್ಪ ಭಯ — ಎಲ್ಲವನ್ನೂ ಸಣ್ಣ ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ಕೊಡುತ್ತದೆ.
ಕುಟುಂಬದ ಜೊತೆ ಅಥವಾ ಸ್ನೇಹಿತರ ಜೊತೆ ಒಂದು ಬಾರಿ ನೋಡುವಂತ ಸಿನಿಮಾ.
ಆದರೆ, ನೀವು “ಸ್ಟ್ರೀ” ತರಹ ತೀವ್ರ ಭಯ ಅಥವಾ ಗಾಢ ಕಥೆ ನಿರೀಕ್ಷಿಸಿದ್ದರೆ ಅದು ಇಲ್ಲಿ ಸಿಗೋದಿಲ್ಲ

ಇನ್ನೊಂದು ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಹೇಳಬೇಕಾದರೆ ಥಮ್ಮಾ ಒಂದು ಮಜಾದಾರ ಪ್ರೇಮಕಥೆ + ಲೈಟ್ ಹಾರರ್ ಕಾಮಿಡಿ ಸಿನಿಮಾ ಮನರಂಜನೆಗಾಗಿ ಒಮ್ಮೆ ನೋಡಬಹುದು.

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