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🔥 राजु कुमार चौधरी — कलम से किस्मत बदलने वाला एक नाम ✍️
📍 प्रसौनी, पर्सा (नेपाल) से निकली आवाज, जो दिलों तक पहुँचती है।

यहाँ सिर्फ कहानी नहीं मिलती – यहाँ मिलती है रूह की आवाज़, दिल की धड़कन, और सपनों की दुनिया।

🌙 क्या आपने कभी भूत से बात की है?
❤️ क्या आपको भी मोहब्बत ने रुलाया है?
💔 क्या जिंदगी की ठोकरों से लड़ने की ताकत चाहिए?

तो जनाब, आप सही जगह पर हैं!

👉 यहाँ मिलेंगी:
🔮 जादुई कहानियाँ
💘 टूटे दिलों की मोहब्बत
🕯️ संघर्ष की चिंगारी से जलती उम्मीदें
🧩 रहस्य, रोमांच और रूहानी सफर


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🎯 हर कहानी एक नया अनुभव, हर पंक्ति एक नई दुनिया।
📢 Follow करिए और शब्दों की इस अद्भुत यात्रा में साथी बनिए।
क्योंकि – "यहाँ कहानियाँ नहीं, ज़िंदगियाँ जीती जाती हैं..." 🌟

📬 आपका साथ ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है।
श्रापित राजा की कथा – “वानर विवाह”

भाग 1: जंगल की गलती
बहुत समय पहले की बात है।
एक प्रतापी राजा शिकार के लिए जंगल गया था। वहाँ उसने अनजाने में एक तपस्वी की गहरी साधना में विघ्न डाल दिया।
तपस्वी ने आँखें खोलीं, गुस्से से लाल हुए और बोले –
"हे मूर्ख राजा! तूने मेरी तपस्या भंग की है। अब तुझे श्राप देता हूँ – तू वानर (बाँदर) बन जाएगा!"

राजा तुुरंत ही एक वानर में बदल गया।

राजा गिड़गिड़ाया:
"मुझे माफ कीजिए, मुनिवर! मुझसे भूल हुई है।"

तपस्वी थोड़ा शांत हुए और बोले –
"इस श्राप से तुझे मुक्ति तब मिलेगी, जब तू एक सुंदर कन्या से विवाह करेगा और एक बालक उत्पन्न होगा। लेकिन याद रखना, वह बालक भी वानर ही होगा!"


---

भाग 2: अप्सरा जैसी कन्या
वर्षों बीत गए। राजा अब जंगल में ही रहता, लेकिन उसके मन में अब भी मानवता थी।

एक दिन, वर्षा के मौसम में, एक सुंदर युवती – जो किसी अप्सरा से कम न लगती थी – जंगल में भटकती हुई वहाँ पहुँची। उसका नाम था अनुप्रिया। वह एक साध्वी थी, पर नियति उसे वहाँ खींच लाई थी।

राजा जो अब बाँदर बन चुका था, लेकिन उसमें अब भी राजा का भाव था — उसने अनुप्रिया की रक्षा की, सेवा की। धीरे-धीरे अनुप्रिया को उस वानर में कुछ खास दिखने लगा।

एक रात:
एक सपना आया — जिसमें स्वयं देवताओं ने अनुप्रिया को कहा,
"यह वानर कोई साधारण जीव नहीं, एक श्रापित राजा है। विवाह से उसका उद्धार हो सकता है।"

अनुप्रिया ने उसकी सच्चाई जान ली और विवाह स्वीकार किया।


---

भाग 3: वानर पुत्र और शेष यात्रा
विवाह के एक वर्ष बाद, एक पुत्र उत्पन्न हुआ – लेकिन वह भी वानर था।
अनुप्रिया दुखी थी — वह सोचती थी कि अब क्या यह भी श्रापित रहेगा?

राजा (वानर) ने कहा,
"यह श्राप का भाग है, पर जैसे जैसे समय गुज़रेगा, सत्य प्रकट होगा।"

12 साल की आयु में, जब पुत्र का नामकरण संस्कार हुआ — तभी आकाश से एक दिव्य प्रकाश उतरा।
तपस्वी फिर से प्रकट हुए।
"राजा, तेरा श्राप अब समाप्त हुआ। तू अब मानव रूप में लौट सकता है।"

राजा फिर से अपने वास्तविक रूप में लौट आया। और उसका पुत्र भी एक सुंदर, तेजस्वी बालक बन गया।


---

अंतिम भाग: नया युग

राजा, अनुप्रिया और उनका पुत्र फिर से अपने राज्य लौटे।
लोगों ने उनकी कहानी सुनी और उन्हें "वानर-राज" की उपाधि दी।

कहानी का संदेश:

> जो श्राप होता है, उसमें भी भविष्य की कोई छुपी योजना होती है। प्रेम, धैर्य और विश्वास से हर शाप भी वरदान बन सकता है।

📚 राजु कुमार चौधरी
✍️ लेखक | कवि | कहानीकार
📍प्रसौनी, पर्सा, नेपाल

"हर शब्द में जादू, हर कहानी में रहस्य"
यहाँ आपको मिलेंगी —
🌀 जादुई कथाएँ
💔 दिल छू लेने वाली प्रेम कहानियाँ
👻 रहस्यमयी घटनाएँ
🔥 संघर्ष और प्रेरणा की अनसुनी दास्तानें

📖 अगर आपको कहानी में खो जाने का शौक है, तो आप सही जगह आए हैं।
हर दिन कुछ नया, कुछ अनदेखा... सिर्फ आपके लिए।

🙏 पढ़ें, पसंद करें, टिप्पणी करें — और मेरी रचनात्मक यात्रा में साथी बनें।
📬 सुझाव और विचारों का स्वागत है
📚✨ "वो पहली बारिश – भाग 10: उसकी अपनी कहानी"

(जब सिया ने खुद अपनी कलम उठाई… और इश्क़ को नया नाम दिया)


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🪔 बीते कुछ महीने...

आरव ने खुद को पीछे कर लिया —
अब वो सिर्फ घर संभाल रहा है,
कभी अरण्या के बाल बाँधता है, कभी खाना बनाता है।
और सिया?
अब वो लिख रही है। दिन-रात।


---

📝 सिया की किताब: “मैं सिर्फ उसकी नहीं हूँ”

> ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसे सबने "किसी की" बनाकर देखा —
लेकिन वो खुद को "अपनी" बनाना चाहती थी।



प्रकाशक ने जब पढ़ी तो कहा —
"मैम, ये सिर्फ किताब नहीं — आंदोलन है!"


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🎉 बुक लॉन्च डे

बड़ी स्टेज, मीडिया, रौशनी...
सिया, साड़ी में, आत्मविश्वास से भरी।

लोग सवाल कर रहे हैं —
“ये कहानी आपकी है?”
वो मुस्कराकर कहती है —
"हाँ, मेरी है।
लेकिन इसमें सिर्फ मैं नहीं — वो भी है जो हर मोड़ पर मेरे साथ खड़ा रहा,
बिना इस उम्मीद के कि मैं उसे हमेशा शुक्रिया कहूँ..."

और तभी, पीछे से एक आवाज़ आती है:
"अब तो शुक्रिया कह ही दो..." 😉
(आरव मंच पर आता है, अरण्या के साथ। तालियाँ बज उठती हैं।)


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🎥 क्लाइमेक्स सीन:

बारिश फिर से हो रही है...
लेकिन इस बार सिया छाते के नीचे खड़ी है,
आरव भी है, और अरण्या छाते के बाहर, बारिश में नाच रही है।

सिया कहती है —
“अब मेरी कहानी पूरी हो गई।”

आरव जवाब देता है —
“नहीं... अब दूसरी बारिश शुरू हो रही है।”
वो पहली बारिश – भाग 2: फिर वही बरसात

5 साल बाद...
आरव अब एक मशहूर लेखक बन चुका है। उसकी हर किताब में एक लड़की का नाम होता है — "सिया"
लेकिन वो किसी को बताता नहीं कि सिया असल में कोई थी, या सिर्फ उसकी कल्पना।

फिर एक दिन...
दिल्ली के बुक फेयर में आरव की किताब "बारिश की आखिरी चिट्ठी" लॉन्च हो रही थी।
स्टेज पर उसकी आँखें भीड़ में किसी को तलाश रही थीं।
और तभी... एक जानी-पहचानी खुशबू हवा में घुली।
वो पलटा —
सामने सिया खड़ी थी, साड़ी में, आँखों में पुरानी चमक लिए।

आरव कुछ कहता उससे पहले ही, सिया मुस्करा दी —
"तुम्हारी किताबों ने मुझे यहाँ तक खींच लाया।"


---

आरव (धीरे से):
"शादी हो गई?"

सिया (हलक़ी सी हँसी के साथ):
"हाँ... लेकिन रिश्ते शादी से नहीं, समझ से चलते हैं। और कुछ रिश्ते... समझ से परे होते हैं।"


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दोनों पास के कैफ़े में बैठते हैं।
चाय ठंडी होती जाती है, पर बातों की गर्माहट वैसी ही है।

सिया कहती है:
"मैं अपने पति से अलग रह रही हूँ। सिर्फ़ इसलिए नहीं कि वो गलत था,
बल्कि इसलिए क्योंकि मैंने किसी और को अब तक दिल से निकाला नहीं।"

आरव आँखें झुका कर बोलता है:
"काश मैंने उस दिन बारिश में तुम्हें रोक लिया होता..."

सिया मुस्कराकर जवाब देती है:
"काश तुमने उस चिट्ठी का जवाब दिया होता।
❤️‍🔥 "वो पहली बारिश – भाग 6: एक नई सुबह" ☀️🌧️

पिछली बारिश के बाद...
सिया और आरव फिर एक-दूजे के करीब आ चुके थे।
लेकिन मोहब्बत जब सालों के इंतज़ार के बाद मिलती है,
तो सवाल सिर्फ “प्यार” का नहीं होता —
साथ निभाने का, घर बसाने का, दुनिया को जवाब देने का होता है।


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नई शुरुआत...

आरव अब चाहता है कि सिया उसके साथ ज़िंदगी की किताब लिखे —
सिर्फ पन्नों में नहीं, असल ज़िंदगी में।

आरव:
“चलो एक नया शहर बसाते हैं… जहाँ कोई हमारा अतीत नहीं पूछेगा।”

सिया:
“और अगर मैं कहूँ कि मैं अपने पुराने शहर में, अपने पुराने रिश्तों के बीच तुम्हें स्वीकार करना चाहती हूँ?”


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⚔️ सामाजिक टकराव...

सिया के परिवार को अब सच्चाई मालूम चल चुकी थी।
और शुरू हुआ सवालों का तूफ़ान:

“जिस आदमी से तलाक हुआ, उसकी जगह किसी पुराने आशिक़ को लाई हो?”

“किताबों वाला लड़का अब क्या घर चलाएगा?”

“प्यार से पेट भरता है क्या?”


लेकिन इस बार... सिया चुप नहीं रही।

सिया (डटकर):
“हाँ, प्यार से पेट नहीं भरता —
लेकिन जिस आदमी ने मुझे अपनी किताबों में ज़िंदा रखा,
उससे बेहतर साथी मुझे पूरी दुनिया में नहीं मिल सकता।”


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💍 फैसला...

आरव और सिया ने एक छोटा सा रजिस्टर मैरिज किया।
कोई बैंड-बाजा नहीं, कोई शोर नहीं —
बस गवाह बनी वो डायरी…
जिसमें इश्क़ लिखा गया था, आँसूओं और उम्मीदों की स्याही से।


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🌄 अंतिम दृश्य:

दोनों एक छोटे से घर की बालकनी में बैठकर चाय पी रहे हैं।
बारिश फिर से शुरू होती है।
आरव मुस्कराकर कहता है:
“अब डर नहीं लगता बारिश से...”

सिया:
“क्यों?”
आरव:
“क्योंकि अब भीगने के लिए तुम्हारा कंधा है।”


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✨ *"कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर याद बनती हैं...

और कुछ पूरी होकर इतिहास..."*
“वो पहली बारिश” अब इतिहास बन चुकी है। 📖❤
वो पहली बारिश

(एक भावुक प्रेम कथा)

पात्र:

आरव — एक शांत, किताबों में डूबा रहने वाला लड़का।

सिया — बेबाक, मुस्कराहट में जादू बिखेरने वाली लड़की।



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कहानी शुरू होती है...
कॉलेज का पहला दिन था। आरव क्लास के सबसे आखिरी बेंच पर बैठा था, और सिया दरवाज़ा खोलते ही मानो पूरी क्लास की रौशनी बन गई।
उसके गीले बालों से टपकती बारिश की बूँदें, और हाथ में भीगा हुआ उपन्यास देखकर आरव ने पहली बार किसी लड़की को "कहानी के पन्नों जैसा खूबसूरत" पाया।

दोनो की दोस्ती हुई... धीरे-धीरे किताबों के आदान-प्रदान से दिलों का लेन-देन शुरू हो गया।


---

एक दिन की बात है...
बारिश हो रही थी। कॉलेज कैंपस में सब भाग रहे थे, लेकिन आरव और सिया पेड़ के नीचे खड़े थे।

सिया ने कहा,
"तुम हमेशा चुप क्यों रहते हो?"

आरव मुस्कराया,
"क्योंकि तुम बोलती हो, और मैं सुनना पसंद करता हूँ।"

उस दिन आरव की आँखों में कुछ ऐसा था जो सिया समझ गई — इश्क़ लफ़्ज़ों का मोहताज नहीं होता।


---

फिर आया इम्तहान का मौसम... और जुदाई की हवा।
कॉलेज खत्म हुआ, सिया को शहर छोड़ना पड़ा।
विदा के दिन उसने आरव को एक चिट्ठी दी:

> "अगर कभी बारिश में अकेले भीग रहे हो और मेरी हँसी की गूंज सुनाई दे, तो समझ लेना — मैं कहीं पास ही हूँ।"



आरव आज भी हर बारिश में बिना छाते के निकलता है।
कभी भीगते हुए मुस्कराता है,
कभी आसमान की ओर देखकर कहता है —
"तुम अब भी मेरी किताब की सबसे प्यारी कविता हो, सिया..." 🌧️📖❤
"तुम्हारी मुस्कान तो जैसे मेरे दिल की धड़कन बन गई है,
तुम हो तो हर दिन एक नयी कहानी लगती है।
नज़रों से नहीं, दिल से चाहता हूँ तुम्हें —
क्योंकि वहाँ तुम रोज़ मुस्कराती हो। ❤️🌸

rajukumarchaudhary502010

🔥 राजु कुमार चौधरी — कलम से किस्मत बदलने वाला एक नाम ✍️
📍 प्रसौनी, पर्सा (नेपाल) से निकली आवाज, जो दिलों तक पहुँचती है।

यहाँ सिर्फ कहानी नहीं मिलती – यहाँ मिलती है रूह की आवाज़, दिल की धड़कन, और सपनों की दुनिया।

🌙 क्या आपने कभी भूत से बात की है?
❤️ क्या आपको भी मोहब्बत ने रुलाया है?
💔 क्या जिंदगी की ठोकरों से लड़ने की ताकत चाहिए?

तो जनाब, आप सही जगह पर हैं!

👉 यहाँ मिलेंगी:
🔮 जादुई कहानियाँ
💘 टूटे दिलों की मोहब्बत
🕯️ संघर्ष की चिंगारी से जलती उम्मीदें
🧩 रहस्य, रोमांच और रूहानी सफर


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🎯 हर कहानी एक नया अनुभव, हर पंक्ति एक नई दुनिया।
📢 Follow करिए और शब्दों की इस अद्भुत यात्रा में साथी बनिए।
क्योंकि – "यहाँ कहानियाँ नहीं, ज़िंदगियाँ जीती जाती हैं..." 🌟

📬 आपका साथ ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है।
श्रापित राजा की कथा – “वानर विवाह”

भाग 1: जंगल की गलती
बहुत समय पहले की बात है।
एक प्रतापी राजा शिकार के लिए जंगल गया था। वहाँ उसने अनजाने में एक तपस्वी की गहरी साधना में विघ्न डाल दिया।
तपस्वी ने आँखें खोलीं, गुस्से से लाल हुए और बोले –
"हे मूर्ख राजा! तूने मेरी तपस्या भंग की है। अब तुझे श्राप देता हूँ – तू वानर (बाँदर) बन जाएगा!"

राजा तुुरंत ही एक वानर में बदल गया।

राजा गिड़गिड़ाया:
"मुझे माफ कीजिए, मुनिवर! मुझसे भूल हुई है।"

तपस्वी थोड़ा शांत हुए और बोले –
"इस श्राप से तुझे मुक्ति तब मिलेगी, जब तू एक सुंदर कन्या से विवाह करेगा और एक बालक उत्पन्न होगा। लेकिन याद रखना, वह बालक भी वानर ही होगा!"


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भाग 2: अप्सरा जैसी कन्या
वर्षों बीत गए। राजा अब जंगल में ही रहता, लेकिन उसके मन में अब भी मानवता थी।

एक दिन, वर्षा के मौसम में, एक सुंदर युवती – जो किसी अप्सरा से कम न लगती थी – जंगल में भटकती हुई वहाँ पहुँची। उसका नाम था अनुप्रिया। वह एक साध्वी थी, पर नियति उसे वहाँ खींच लाई थी।

राजा जो अब बाँदर बन चुका था, लेकिन उसमें अब भी राजा का भाव था — उसने अनुप्रिया की रक्षा की, सेवा की। धीरे-धीरे अनुप्रिया को उस वानर में कुछ खास दिखने लगा।

एक रात:
एक सपना आया — जिसमें स्वयं देवताओं ने अनुप्रिया को कहा,
"यह वानर कोई साधारण जीव नहीं, एक श्रापित राजा है। विवाह से उसका उद्धार हो सकता है।"

अनुप्रिया ने उसकी सच्चाई जान ली और विवाह स्वीकार किया।


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भाग 3: वानर पुत्र और शेष यात्रा
विवाह के एक वर्ष बाद, एक पुत्र उत्पन्न हुआ – लेकिन वह भी वानर था।
अनुप्रिया दुखी थी — वह सोचती थी कि अब क्या यह भी श्रापित रहेगा?

राजा (वानर) ने कहा,
"यह श्राप का भाग है, पर जैसे जैसे समय गुज़रेगा, सत्य प्रकट होगा।"

12 साल की आयु में, जब पुत्र का नामकरण संस्कार हुआ — तभी आकाश से एक दिव्य प्रकाश उतरा।
तपस्वी फिर से प्रकट हुए।
"राजा, तेरा श्राप अब समाप्त हुआ। तू अब मानव रूप में लौट सकता है।"

राजा फिर से अपने वास्तविक रूप में लौट आया। और उसका पुत्र भी एक सुंदर, तेजस्वी बालक बन गया।


---

अंतिम भाग: नया युग

राजा, अनुप्रिया और उनका पुत्र फिर से अपने राज्य लौटे।
लोगों ने उनकी कहानी सुनी और उन्हें "वानर-राज" की उपाधि दी।

कहानी का संदेश:

> जो श्राप होता है, उसमें भी भविष्य की कोई छुपी योजना होती है। प्रेम, धैर्य और विश्वास से हर शाप भी वरदान बन सकता है।

rajukumarchaudhary502010

श्रापित राजा की कथा – “वानर विवाह”

भाग 1: जंगल की गलती
बहुत समय पहले की बात है।
एक प्रतापी राजा शिकार के लिए जंगल गया था। वहाँ उसने अनजाने में एक तपस्वी की गहरी साधना में विघ्न डाल दिया।
तपस्वी ने आँखें खोलीं, गुस्से से लाल हुए और बोले –
"हे मूर्ख राजा! तूने मेरी तपस्या भंग की है। अब तुझे श्राप देता हूँ – तू वानर (बाँदर) बन जाएगा!"

राजा तुुरंत ही एक वानर में बदल गया।

राजा गिड़गिड़ाया:
"मुझे माफ कीजिए, मुनिवर! मुझसे भूल हुई है।"

तपस्वी थोड़ा शांत हुए और बोले –
"इस श्राप से तुझे मुक्ति तब मिलेगी, जब तू एक सुंदर कन्या से विवाह करेगा और एक बालक उत्पन्न होगा। लेकिन याद रखना, वह बालक भी वानर ही होगा!"


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भाग 2: अप्सरा जैसी कन्या
वर्षों बीत गए। राजा अब जंगल में ही रहता, लेकिन उसके मन में अब भी मानवता थी।

एक दिन, वर्षा के मौसम में, एक सुंदर युवती – जो किसी अप्सरा से कम न लगती थी – जंगल में भटकती हुई वहाँ पहुँची। उसका नाम था अनुप्रिया। वह एक साध्वी थी, पर नियति उसे वहाँ खींच लाई थी।

राजा जो अब बाँदर बन चुका था, लेकिन उसमें अब भी राजा का भाव था — उसने अनुप्रिया की रक्षा की, सेवा की। धीरे-धीरे अनुप्रिया को उस वानर में कुछ खास दिखने लगा।

एक रात:
एक सपना आया — जिसमें स्वयं देवताओं ने अनुप्रिया को कहा,
"यह वानर कोई साधारण जीव नहीं, एक श्रापित राजा है। विवाह से उसका उद्धार हो सकता है।"

अनुप्रिया ने उसकी सच्चाई जान ली और विवाह स्वीकार किया।


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भाग 3: वानर पुत्र और शेष यात्रा
विवाह के एक वर्ष बाद, एक पुत्र उत्पन्न हुआ – लेकिन वह भी वानर था।
अनुप्रिया दुखी थी — वह सोचती थी कि अब क्या यह भी श्रापित रहेगा?

राजा (वानर) ने कहा,
"यह श्राप का भाग है, पर जैसे जैसे समय गुज़रेगा, सत्य प्रकट होगा।"

12 साल की आयु में, जब पुत्र का नामकरण संस्कार हुआ — तभी आकाश से एक दिव्य प्रकाश उतरा।
तपस्वी फिर से प्रकट हुए।
"राजा, तेरा श्राप अब समाप्त हुआ। तू अब मानव रूप में लौट सकता है।"

राजा फिर से अपने वास्तविक रूप में लौट आया। और उसका पुत्र भी एक सुंदर, तेजस्वी बालक बन गया।


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अंतिम भाग: नया युग

राजा, अनुप्रिया और उनका पुत्र फिर से अपने राज्य लौटे।
लोगों ने उनकी कहानी सुनी और उन्हें "वानर-राज" की उपाधि दी।

कहानी का संदेश:

> जो श्राप होता है, उसमें भी भविष्य की कोई छुपी योजना होती है। प्रेम, धैर्य और विश्वास से हर शाप भी वरदान बन सकता है।

rajukumarchaudhary502010

पंजाबीयों की शान है खड़ा साब

singhpams231034

पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य।
https://www.matrubharti.com/novels/37856/purnjanm-ek-dhruv-satya-by-praveen-kumrawat

प्रवीण कुमरावत प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/praveenkumrawat012852

bapparawal418006

सम्राट ललितादित्य मुक्तपीड का संक्षिप्त परिचय।
https://www.matrubharti.com/book/19953603/emperor-lalitaditya-muktapeed

Mohan Dhama प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/mohandhama175046

bapparawal418006

सम्राट कृष्णदेव राय संक्षिप्त परिचय 🚩
https://www.matrubharti.com/book/19948787/samrat-krishnadeva-raya

Mohan Dhama प्रोफ़ाइल लिंक— https://www.matrubharti.com/mohandhama175046

bapparawal418006

The image displays a decorative frame with a floral design, featuring pink and purple flowers with teal leaves. Inside the frame, there's a block of text in a blue, handwritten-style font.
Textual Content Analysis:
The text presents an analogy:
* Analogy 1: "even bigger boulders can broke into tiny pieces when a waterfall strongly hits like a sharp crowbar"
* This part suggests that even seemingly strong and immovable objects (boulders) can be broken down by persistent and forceful impact (waterfall acting like a crowbar).
* Analogy 2 (connected): "likewise hearing harsh words causes to burst one's mind as a volcano."
* This draws a parallel between the physical breaking of boulders and the emotional/mental impact of harsh words. It equates the mind bursting to a volcano, implying a destructive and explosive reaction.
* Conclusion/Message: "hence our utterance should bring dawn of joy but not darkness of anger note it my dear, deer eyed cutie"
* This is the core message derived from the analogies. It advocates for speaking words that bring joy and light ("dawn of joy") rather than anger and negativity ("darkness of anger").
* The closing phrase "note it my dear, deer eyed cutie" is an affectionate and personal address, suggesting the message is directed towards a loved one or someone the author cares deeply about.
Overall Message and Interpretation:
The central theme of the text is the power of words and the importance of mindful communication. It uses vivid imagery to emphasize how negative words can be as destructive to a person's mind as a crowbar breaking a boulder or a volcano erupting. Conversely, it promotes the idea that words should be used to uplift and spread positivity. The affectionate closing adds a layer of personal concern and warmth to the didactic message.
Visuals and Their Contribution:
* Floral Frame: The soft, natural, and aesthetically pleasing floral design (pink/purple flowers, teal leaves) creates a gentle and inviting visual backdrop. This contrasts somewhat with the strong, slightly harsh analogies within the text (boulders, crowbars, volcanoes), perhaps softening the delivery of a serious message. It might suggest that the message, though about avoiding harshness, is delivered with care and beauty.
* Golden Border: The golden border around the text box adds a touch of elegance and highlights the importance of the message contained within.
* Handwritten Font: The blue, handwritten-style font contributes to the personal and heartfelt nature of the message, reinforcing the affectionate tone of the concluding line.
Synthesis of Visuals and Text:
The image effectively combines a visually appealing and gentle aesthetic with a profound message about the impact of words. The beauty of the frame and font choices subtly enhance the delivery of a strong warning against negativity and an encouragement towards positive communication, especially when addressed to someone dear. It's a gentle reminder to speak kindly, wrapped in a beautiful package.

bkswanandlotustranslators

❄️ “कभी कुछ दिखता नहीं, पर बहुत कुछ महसूस होता है…”
यही भाव है ‘बर्फ़ के पीछे कोई था?’ — धीरेन्द्र सिंह बिष्ट द्वारा लिखित एक ऐसी किताब, जो सिर्फ पढ़ी नहीं जाती, महसूस की जाती है।

हर शब्द, हर पंक्ति, और हर कहानी एक ऐसा आईना है, जो बाहर की नहीं — अंदर की परतें उघाड़ता है।
कभी हम खुद से सवाल करते हैं, तो कभी दूसरों की खामोशियों को सुनने की कोशिश करते हैं।

📘 यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो संवेदनाओं को समझते हैं, जो रिश्तों की गहराई में उतरना चाहते हैं, और जो उन अनकहे एहसासों को पकड़ना जानते हैं, जो अक्सर शब्दों से परे होते हैं।

👉 इस किताब में सिर्फ कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि टूटे सपनों, अधूरी मोहब्बतों, समाज की सच्चाइयों और आत्मसंघर्ष की झलक है।
हर अध्याय आपको सोचने पर मजबूर करेगा —
“क्या हम वाकई सामने वाले को समझ पाते हैं, या सिर्फ उसके चेहरे की बर्फ़ देखते हैं?”

🌟 पोस्टर पर छपी यह पंक्ति,
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વિશ્વ યોગ દિવસ,तन तंदुरुस्त,मन मस्त अगर हम योग जीवन में व्यस्त ।

drbhattdamayntih1903

“अगर इंसान खुद को पहचानने लगे,
तो दूसरों की बातें उसे तोड़ नहीं सकतीं…”

हम अक्सर दूसरों की अफ़वाहों से विचलित हो जाते हैं, क्योंकि हमें खुद की काबिलियत पर भरोसा नहीं होता। यह पंक्ति —
“खुद की काबिलियत को परखने का हुनर होता,
तो शायद अफ़वाहों का असर आज लोगों में कम होता…”
— सिर्फ एक कथन नहीं, बल्कि आत्मविश्लेषण की पुकार है।

📘 यह विचार मेरे पुस्तक ‘अग्निपथ – हर मोड़ एक कहानी’ की आत्मा को दर्शाता है।
यह किताब उन लोगों के लिए है जो ज़िंदगी के हर मोड़ पर जूझते हैं, लड़ते हैं और खुद को साबित करते हैं।
हर पृष्ठ पर एक संघर्ष है, एक सीख है, और सबसे अहम — खुद को खोजने की यात्रा है।

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આંખમાં આંસુ ને હોઠે મૌન, એ સંગાથ છે મિત્રતાનો.
જીવનના વળાંકે સથવારો, એ સંગાથ છે મિત્રતાનો.

દુઃખમાં ઢાળે ખભો, સુખમાં વેંહેંચે ખુશી,
હર પળે જે સાથ દે, એ સંગાથ છે મિત્રતાનો.

શબ્દોની જરૂર નથી, સમજે અનકહી વાત,
હૃદયથી જે જોડાય, એ સંગાથ છે મિત્રતાનો.

ભૂલોને માફ કરે, ગુણ પારખે ને પ્રોત્સાહે,
નિષ્ફળતામાં પણ હિંમત દે, એ સંગાથ છે મિત્રતાનો.

સંબંધોની દુનિયામાં, આત્માનો અરીસો,
જીવનભર જે રહે અકબંધ, એ સંગાથ છે મિત્રતાનો.

palewaleawantikagmail.com200557

— এক অদ্ভুত রাতে ঘটে যাওয়া এক বিস্ময়কর অভিজ্ঞতা

কলেজ জীবনের সেই দিনগুলোর কথা আজও স্মৃতিতে ভেসে ওঠে। বাড়ি থেকে কলেজ যাওয়ার পথটা ছিল দীর্ঘ — প্রায় ঘণ্টাখানেক ট্রেন যাত্রা। সপ্তাহের তিন দিন ক্লাস শেষে টিউশন পড়ে বাড়ি ফিরতাম, তখন রাত হয়ে যেত। প্রতিদিনের মতোই এক সন্ধ্যা। তবে সেই রাতে সবকিছু যেন অচেনা ঠেকছিল।

কলেজ থেকে বেরোতেই টিউশনে কিছুটা দেরি হয়ে গেল। টিউশন শেষে স্টেশনে পৌঁছে দেখি, প্ল্যাটফর্ম টা প্রায় ফাঁকা। মিটমিট করে কয়েকটা লাইট জ্বলছে। মনে হচ্ছিল, আমার ট্রেনটা বুঝি চলে গেছে। আকাশে তখন চাঁদ লুকোচুরি খেলছে মেঘের সাথে, আর বাতাসে একটা অজানা কাঁপুনি।

ঠিক তখনই মাইকে ঘোষণা — “চার নম্বর প্ল্যাটফর্মে ট্রেন আসছে।” হঠাৎ যেন বুকের ভার হালকা হয়ে গেল।

ব্রিজ থেকে নেমে প্ল্যাটফর্মে পৌঁছাতেই গার্ড সাহেব আমায় ডেকে বললেন, — “এতো রাতে কোথা ফিরছো? এতো দেরি কেন?” আমি একটু হেসে উত্তর দিলাম, “টিউশন শেষ করতে দেরি হয়েছে তাই,আজকে একটু দেরি হল।” তিনি বললেন, “ ঠিক আছে, কিন্তু ভবিষ্যতে দেরি হলে এই ট্রেনে উঠো না। দরকার হলে রাতটা এখানে কারোর বাড়িতে কাটিয়ে। ভোরের ট্রেনে চলে যাবে।” তারপর সস্নেহে বললেন, — “গাড়ীতে উঠে ভালো করে দরজা জানলা লাগিয়ে দেবে।”

আমি মাঝের ফাঁকা বগিটা তে উঠলাম। পুরো ট্রেনটাতে যেন নিঃসঙ্গতা গা ছমছমে বাতাসে মিশে আছে। দরজা জানলা বন্ধ করে আমি সিটে গা এলিয়ে দিলাম। সারাদিনের ক্লান্তিতে চোখ বুজতেই ঘুম চলে এল।



ঘটনার শুরু — সেই অদ্ভুত শব্দ...

হঠাৎ তীব্র এক আওয়াজে ঘুম ভেঙে গেল। আমি চমকে উঠলাম। চারপাশ নিস্তব্ধ, ট্রেন চলেছে নিজের গতিতে। সিট থেকে উঠে দেখলাম, ট্রেনের বগি ফাঁকা। কোথাও কেউ নেই। দরজাগুলো আমি নিজেই তো বন্ধ করেছিলাম... তাহলে এই শব্দ?

আবার সেই বিকট ধাক্কা! যেন কেউ ট্রেনের দরজায় ঘুষি মারছে, জোরে জোরে... বারবার...

আমি ভয়ে জিজ্ঞেস করলাম, — “কে?” কোনো উত্তর নেই।

আবার সেই ধাক্কা! এত জোরে যে মনে হচ্ছিল, দরজাটা এখনই খুলে যাবে!

বগির বাতি তখন হালকা ম্লান হয়ে এসেছে। বাইরে কালো অন্ধকারে কিছুই দেখা যাচ্ছে না, শুধু ট্রেনের চাকা ঘর্ষণের আওয়াজ আর সেই আতঙ্কঘন নীরবতা।

আমি চুপচাপ বসে ঈশ্বরের নাম নিতে থাকলাম। মিনিট কয়েক পর আওয়াজ থেমে গেল। ট্রেনের গতি কমতে লাগল। সাহস করে দরজার কাছে গিয়ে খুলে দেখলাম — বাইরে কেউ নেই। ট্রেন চলছে, কিন্তু কোথায় যাচ্ছি জানি না।



কে ছিল সেই রাতে?

ভেবে দেখলাম — যদি চোর হতো, ট্রেন থেকে নেমে যাওয়ার উপায় নেই। ট্রেন তো চলছিল ঝড়ের গতিতে!

আর যদি কোনো আত্মা...?

এরপর আর কোনো দিন দেরি হলে আর সেই ট্রেনে উঠিনি। বন্ধুদের বাড়িতে রাত কাটিয়ে ফিরেছি সকালে। আজও মাঝে মাঝে ঘুম ভেঙে ঐ বিকট শব্দটা কানে বাজে — ধড়াম... ধড়াম...

সেই ট্রেন, সেই বগি, সেই রাত — একটা ছায়া হয়ে আজও আমার সঙ্গে থেকে গেছে.।

bubai5115

જન્મ માયા કરાવે છે, લગ્ન માયા કરાવે છે ને મરણ પણ માયા કરાવે છે. પણ આમાં શરત એટલી કે સામ્રાજ્ય માયાનું નથી. સામ્રાજ્ય તમારું છે. તમારી ઈચ્છા વગર ના થાય. તમે ગયા અવતારે જે સહી કરી આપો છો, તેનું ફળ માયા આપે છે. - દાદા ભગવાન

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dadabhagwan1150

અષાઢી વરસાદનો માહોલ
સર્જાય
મેઘધનુષીરંગો આભેથી
છલકાય…
-કામિની

kamini6601

નથી છોડી શકાતું કઈ,
અને વાતું કરે બહું મોટી,

માનું છું અજાણ છે,
ભૂલ્યો છે એ,
કયાંક તો અટવાયો છે,

જીવની માયા મોટી છે,
જાળમાં ફસાયો છે,

રસ્તો કોઈ દેખાડે,
જાતે મનને સમજાવે,
કપરા દુઃખ સહન કરે,

તો સાકડો મારગ મળે છે,
પ્રયત્ન થકીજ બહાર નીકળે છે.

મનોજ નાવડીયા

manojnavadiya7402

💔 imran 💔

imaranagariya1797

जिंदगी भी प्रकृति की ही तरह हसीन है उसे हम अपनी आदतों से खराब कर देतें हैं, इसलिए आदतों को ख़त्म कीजिए, जिंदगी को नहीं.
-डॉ अनामिका-

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thought 💭

kiranjoshi2493

“हर बार कुछ कहना पड़ता है, तो शायद सुनने वाला नहीं रहा… और तब शब्द बोझ बन जाते हैं।”
शब्दों का बोझ — एक ऐसी कहानी जो नहीं सुनी गई, पर फिर भी कह दी गई।

✍🏻 धीरेन्द्र सिंह बिष्ट, लेखक – “मन की हार, ज़िंदगी की जीत”
अब एक नई आत्मिक रचना के साथ —
“शब्दों का बोझ”

📖 जब संवाद थमते हैं, तो आत्मा बोलती है।
📘 अब उपलब्ध है — Amazon | Flipkart | Notion Press

👇 कैप्शन पढ़ें। शब्द नहीं, एहसास रखे हैं इसमें।

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“सच को समझने से ज़्यादा ज़रूरी है उसे अपनाना,
क्योंकि समझ सिर्फ़ सोच बदलती है — अपनाना ज़िंदगी।”
— धीर (धीरेन्द्र)

कई बार हम सच को सुनते हैं, समझते हैं… लेकिन उसे जीने से डरते हैं।
क्योंकि सच अपनाने में हिम्मत लगती है, और वही हिम्मत हमारी असली पहचान बनती है।

यह पंक्तियाँ लेखक धीरेन्द्र सिंह बिष्ट की किताब “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” से प्रेरित हैं — एक ऐसी पुस्तक जो न सिर्फ़ आपको प्रेरित करती है, बल्कि अंदर झांकने की ताक़त भी देती है।

अगर आप जीवन में कभी टूटा महसूस करते हैं, या आत्मविश्वास की तलाश में हैं — ये किताब आपके भीतर फिर से रोशनी जगा सकती है।

📚 Now Available On:
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📌 Read it. Feel it. Live it.

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The image claims that regularly consuming a spoonful of fennel (saunf) and rock sugar (mishri) powder with water increases eyesight.
Here's a fact check:
* Ayurvedic Tradition: The combination of fennel seeds (saunf) and rock sugar (mishri), often along with almonds, is a traditional Ayurvedic remedy believed to support eye health and improve vision. Fennel seeds are rich in antioxidants and Vitamin A, which are beneficial for the eyes. Mishri is a natural sweetener that is often included to enhance the efficacy and taste of the mixture.
* Scientific Evidence: While these ingredients have nutritional benefits and are traditionally associated with eye health in Ayurveda, there is limited scientific evidence to conclusively prove that this mixture can significantly improve eyesight or eliminate the need for corrective lenses.
* What it can do: The ingredients in this mixture can contribute to overall eye health due to their antioxidant content and vitamins. They may help reduce eye strain and provide some nourishment.
* What it cannot do: This mixture is generally not accepted by modern medicine as a treatment for correcting refractive errors (like myopia or hyperopia) or structural issues of the eye that require glasses or surgery. Spectacle numbers are related to the physical shape and length of the eye, which diet alone cannot change.
* Dosage and Method: Traditional Ayurvedic recommendations often involve grinding almonds, fennel, and mishri into a powder and consuming a teaspoon with warm milk, usually before bed. Some traditions suggest specific ratios and avoiding water for a period after consumption.
Conclusion:
The claim that consuming fennel and rock sugar powder increases eyesight is partially true in the context of traditional Ayurvedic beliefs about supporting overall eye health. However, it is false to claim that it can significantly improve vision or eliminate the need for glasses based on scientific evidence. While it might offer some general benefits for eye health, it should not be considered a substitute for professional medical advice or prescribed corrective measures for vision problems. If you have concerns about your eyesight, it's always best to consult with an ophthalmologist.

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🔥 “अग्निपथ” सिर्फ़ एक किताब नहीं, एक सोच है — अपने रास्ते खुद बनाने की।

“मैं अपनी शुरुआत अपनी सोच से करूँगा,
क्योंकि नक़ल करने वाले कभी इतिहास नहीं बनाते।
मैं जैसा हूँ, वैसा ही सबसे खास हूँ —
मंज़िल मेरी है, और रास्ता भी मैं ही तय करूँगा।”
– धीरेंद्र सिंह बिष्ट, अग्निपथ

इस पुस्तक की हर पंक्ति एक आवाज़ है — जो कहती है कि अगर दुनिया तुम्हें समझ न पाए, तो परेशान मत हो। अपने भीतर की आग को पहचानो, अपनी राह खुद बनाओ, क्योंकि असली अग्निपथ वहीं से शुरू होता है जहाँ सबकी हिम्मत ख़त्म हो जाती है।

“अग्निपथ” उन सभी के लिए है जो जीवन से समझौता नहीं, संघर्ष करना जानते हैं।
यह किताब पढ़ने वालों को सिर्फ़ शब्द नहीं, सोच देती है — और सोच ही बदलाव की पहली सीढ़ी है।

अगर आपने अभी तक नहीं पढ़ा, तो अभी Amazon पर सर्च करें:
“Agnipath by Dhirendra Singh Bisht”
और जानिए अपने भीतर की अग्नि को कैसे जगा सकते हैं।

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"जहाँ तू है, वहीं मेरा जहाँ है,
तेरे बिना आशियाना वीरान सा है।

वादा, प्यार, ख्वाब — सब अधूरे से,
दिल एक दरिया, आंखें सूनी, सपने बेसबब।

आज़ाद परिंदा हूँ, पर तुझमें ही बसा,
इत्तेफ़ाक था या तक़दीर का फ़साना!"
_Mohiniwrites

neelamshah6821