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किसी ने पूछा तुम पत्नियों के लिए ही क्यों लिखती हो क्योंकि मैने अच्छी और सच्ची पत्नियों के साथ गलत होते देखा है उनको फूट-फूट कर रोते देखा है और सच बता दूं ,तो एक पहले पत्नी से पहले मैं एक स्वयं स्त्री हूं। - archana
“सहनशील पत्नी” पत्नी ने तो पति की गलतियाँ भी सह लीं, उसकी बेरुख़ी भी, उसके झूठ भी, यहाँ तक कि उसके जीवन में आई दूसरी औरत को भी सह लिया। वो जानती थी — अब उसका हक़ कोई और बाँट रहा है, पर उसने झगड़ा नहीं किया, सवाल नहीं उठाया… बस अपने हिस्से की चुप्पी ओढ़ ली। पर जब कभी उसके दिल का लावा फूट पड़ा, पति ने कहा — “अब तो तू क्लेश करने लगी है।” जिसने वर्षों तक सहेजकर घर को बचाया, उसी को दोषिनी बना दिया गया। सच है, औरत जब तक सहती है, सब उसे आदर्श कहते हैं, पर जब बोलती है — वही आदर्श एक पल में “क्लेश” बन जाता है।
गाने में छिपा ताना गाँव की शादी का जश्न पूरे शबाब पर था। औरतों का झुंड दालान में बैठा था, हाथों में ढोलक, तालियाँ और गाने की गूँज। कोई लोकगीत छेड़ता तो सब ठहाकों में डूब जातीं। हंसी-ठिठोली, मजाक और मस्ती—यही तो महिला संगीत की असली जान होती है। भीड़ में से तभी एक बहू उठी। जवान थी, स्वर में मिठास थी। सबने तालियाँ बजाईं—“वाह, अब तो मजा आ जाएगा!” उसने देहाती गाना शुरू किया। ढोलक की थाप पर उसकी आवाज़ गूँजी— “सास तो बड़ी करारी, बहू तो है हमारी प्यारी…” गाने में आगे बढ़ते ही शब्दों का रुख बदल गया। गीत की धुन में उसने “गाली शब्द” जोड़ दिए। परंपरा का हिस्सा मानकर बाकी औरतें खिलखिला कर हँस पड़ीं। हर ताली, हर ठहाका, उस गीत को और ऊँचा कर रहा था। लेकिन भीड़ के बीच एक चेहरा चुप था। वह थी—सास। वह सिर झुकाए बैठी रहीं। उनकी आँखों में गहरी उदासी थी। शायद वे समझ नहीं पा रही थीं कि यह गीत मजाक है या अपमान। बहू की आवाज़ जितनी ऊँची उठती, उनके दिल की चुप्पी उतनी गहरी होती जाती। कुछ कह भी तो नहीं सकती थीं। सब कह देते—“अरे, ये तो रस्म है, परंपरा है, मजाक है।” पर उनके लिए यह मजाक नहीं था। यह रिश्तों के सम्मान पर एक चोट थी। मैंने सोचा—सच में, यह घोर कलयुग है। जहाँ बहू-बेटियाँ गीतों में सास को गालियाँ देकर हँसी का सामान बना देती हैं, वहाँ रिश्तों की पवित्रता कहाँ रह जाती है? जहाँ शब्दों की मिठास की जगह कटुता और तानों ने ले ली है, वहाँ प्रेम और आदर की नींव कितनी कमजोर हो जाएगी? असल में, सब एक जैसे नहीं होते। कुछ पति अच्छे होते हैं, कुछ बुरे। कुछ पत्नी त्यागमयी होती हैं, कुछ स्वार्थी। कुछ प्रेमी सच्चे, कुछ धोखेबाज़। प्रेमिका अच्छी बुरी अच्छाई और बुराई दोनों हर जगह हैं। लेकिन जब अच्छाई का सम्मान न हो और बुराई हँसी का कारण बन जाए—तभी तो लगता है कि कलयुग सचमुच हमारे बीच उतर आया है।
क्यों पत्नी बुरी है ha, पत्नी बुरी है, जब पति की प्रेयसी की ओर धुरी है पत्नी बुरी है, माता-पिता अपने लाल की गलती छुपाकर कहते कि हमारी सेवा नहीं करती है पत्नी बुरी है, प्रेमिका सोचती, “पत्नी भी कभी किसी की प्रेमिका रह चुकी है। पत्नी बुरी है, रिश्तेदार कहते, “जमीन और स्वार्थ के लिए झगड़ा कर रही है।” पत्नी बुरी है, क्योंकि परिवार ने, समाज में उसकी सारी छवि खुद गढ़ी है। इसलिए पत्नी बुरी है। ---
अब देखिए – किसी महान आत्मा ने AI का कमाल दिखाया: अजय देवगन पतले से, पीठ पर मोटी-सी काजोल को बिठाकर उड़ रहे हैं आसमान में। दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि बेचारे अजय देवगन की तो हवा निकल रही है, और काजोल रानी जी आराम से सिंहासन जमाए बैठी हैं। सच कहें तो, ये सीन “प्यार की शक्ति” कम और “रीढ़ की हड्डी की मजबूरी” ज़्यादा लग रहा था। 😂
लेकिन मैं सभी लड़कियों के बारे में नहीं कहूंगी बहुत अच्छी लड़कियां भी है। दिल पर नहीं ले जो है उनके बारे में कहा है
यादें ❤️
यदि किसी लड़के या लड़की ने विवाह से पूर्व किसी अन्य व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध निभाया है, तो अक्सर उनके भावनात्मक अनुभव और मानसिक लगाव उस पुराने रिश्ते की छाया लिए रहते हैं। ऐसे व्यक्ति पूरी तरह से अपने होने वाले पति या पत्नी के प्रति समर्पित होने में असमर्थ हो सकते हैं, क्योंकि दिल का एक हिस्सा अभी भी पिछले प्रेम में बँधा होता है। हालांकि, विवाह एक नई जिम्मेदारी और नया जीवन है, लेकिन पुराने प्रेम के अनुभव और आदतें अक्सर नए रिश्ते में भी प्रभावित करती हैं। यही कारण है कि विवाह से पूर्व प्रेम में रहे लोग अक्सर भावनात्मक रूप से पूरी तरह समर्पित नहीं हो पाते। साथ ही, यह सोच आजकल समाज में भी देखने को मिलती है
आजकल कॉलेज में क्लास से ज़्यादा क्लासमेट्स के रिश्ते चलते हैं। पहले एग्ज़ाम की टेंशन होती थी, अब लड़के-लड़कियाँ पेपर से ज़्यादा एक-दूसरे की शकलें निहारते हैं! --- एक दिन का किस्सा सुनो... एग्ज़ाम हॉल में एक लड़का बैठा था, बगल वाली लड़की तीन दिन से उस पर “प्रेम की नकल” उतरवा रही थी। लड़के को लग रहा था – “यार, अब तो पक्की मेरी लाइफ सेट है… पेपर भी पास, प्यार भी पास।” 😎 --- लेकिन फाइनल पेपर वाले दिन, लड़की गायब! कुर्सी खाली... लड़का बोला – “हे भगवान, ये तो सीधा हार्ट अटैक वाला पेपर है।” तभी दोस्त आया और बोला – “अरे भाई, तेरी वाली तो नहीं आई... मतलब एग्ज़ाम छोड़कर, तुझे भी छोड़ गई!” 😂 --- लड़के ने रोनी सूरत बनाई – “अब कभी नहीं मिलेगी क्या?” दोस्त बोला – “अरे पगले… ये कॉलेज है, कोई कुम्भ का मेला थोड़ी है! एक गई तो दूसरी आ जाएगी। ये लड़कियाँ चाँद हैं... और भाई तू खगोलशास्त्री! एक चाँद डूबेगा, तो दूसरा टेलिस्कोप में दिख ही जाएगा!” 🌙🤣 --- तो दोस्तों... नतीजा ये है – लड़कियों, इतना मत इतराओ। ये लड़के तुम्हारे गायब होने का नहीं, बस अगली आने का इंतज़ार करते हैं। 🤭😂 ---
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