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Deepak Bundela Arymoulik

Deepak Bundela Arymoulik Matrubharti Verified

@deepakbundela7179
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जो कहना था
वो कहा नहीं गया
जो न कहना था
वह कह दिया गया
ओर फिर क्या
भई फिर क्या
बखेड़ा खड़ा होना था
सो हो गया
जो नहीं होना था
वो हो गया
अब हमारे चार बच्चे हैं
वे सब सेटल हैं
यही मोहब्बत की
दस्ता हैं..!

आर्यमौलिक

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सोचा था
कुछ कविताओं को
लिखने से
समाज में जागृति आएगी
लेकिन यहां
सब की कविताएं
अपनी अपनी
कहानिया कहती हैं
वो कविताएं जो
दर्द दिलों के कहती हैं
जागृति सिर्फ
शब्दों में रहती हैं...

आर्यमौलिक

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मैं देश से प्रेम करता हूं

मैं देशप्रेमी हूं — ये मेरे कर्मों में झलकता है,
संबिधान का हर अनुच्छेद मेरे दिल में धड़कता है।

महंगाई की मार झेल कर भी मुस्कुराता हूं,
क्योंकि वतन की मिट्टी से ही अपना नाता है।

मुफ्त की रेवड़ियों से मैं खुद को बचाता हूं,
मेहनत की रोटी खाकर गर्व से जीता जाता हूं।

आरक्षण विहीन हूं, पर परिश्रम मेरा सहारा है,
पसीने की हर बूंद मेरे राष्ट्र का इशारा है।

समय पर टैक्स भरता हूं, यही मेरी पूजा है,
ईमानदारी की राह पर चलना ही मेरी दूजा है।

महंगी बिजली के नीचे बच्चों को पढ़ाता हूं,
क्योंकि भविष्य का भारत मैं उनमें देख पाता हूं।

देशभक्ति मेरे शब्दों में नहीं, जीवन में बसी है,
भारत मेरी आत्मा है, और ये धरती मेरी हंसी है।

आर्यमौलिक

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न होगा दीवाना कोई तेरी इस तस्वीर पे…

न होगा दीवाना कोई तेरी इस तस्वीर पे,
न मर मिटेंगे यहाँ लोग तेरी तक़दीर पे।
यहाँ तो चाहत भी सौदों में तौल दी जाती है,
कौन दिल हार दे अब किसी की बेवफ़ा तासीर पे।

मोहब्बतें अब किताबों के किस्सों में सिमट गईं,
लोग इश्क़ ढूँढते हैं बस चेहरे की चमक-नज़ीर पे।
तू समझता है कि दुनिया तेरे हुस्न पर मर जाएगी,
अब मरते हैं लोग बस दौलत और ज़मीर की ख़ैर पे।

कभी तो कोई था जो जागता था तेरे ख़्वाबों के लिए,
आज सब सोए पड़े हैं अपनी-अपनी तक़रीर पे।
दिलों में जज़्बात की बारिश नहीं होती अब,
हर कोई चलता है बस सूखे हुए ज़मीर पे।

अगर इश्क़ सच्चा हो, तो तस्वीरे नहीं बोलती,
वो धड़कनें उतर आती हैं इबादत की तदबीर पे।
जो तुझे पा के भी रख न सके दिल से, ऐ सनम,
वो आँसू बहाएगा उम्रभर, तेरी एक तसवीर पे…

आर्यमौलिक

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रोज-रोज समझाने से कोई सुधरता नहीं,
जिसे बदलना ही न हो, उसे बदलता नहीं।

हज़ार किताबें पढ़ ले कोई,
अगर मन बंद है—तो ज्ञान उतरता नहीं।

आईने में चेहरा साफ हो सकता है,
पर स्वभाव का दाग यूँ ही धुलता नहीं।

उपदेश, सलाह, अनुभव—all बेअसर,
जब तक इंसान खुद सुधरना नहीं चाहता—सुधरता नहीं।

पर आशा छोड़ना भी समाधान नहीं,
क्योंकि एक ही चिंगारी कई दिलों में प्रकाश भर देती है कहीं न कहीं।

आर्यमौलिक

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*हार ही मेरी जीत*

मैं जानबूझ कर हारता हूँ,
हर बाज़ी यूँ ही छोड़ देता हूँ,
कि कल की सुबह जब उगे—
तो मैं खुद को शांति से जोड़ लेता हूँ।

आज की छोटी जीत मुझे
क्षणिक सुख दे सकती है,
पर आने वाले कल की यात्रा में
वो मेरे कदम थाम न सकेगी।

मैं हारता हूँ—कायर बनकर नहीं,
बल्कि समझदार होकर।
क्योंकि जो आज झुकना सीख ले,
वही कल पर्वत बनकर खड़ा होता है।

मेरी हारें मेरी तैयारी हैं,
मेरे भीतर की गहराई हैं,
मैं समझ गया हूँ—
जीवन की असली लड़ाई
तालियों से नहीं, व्यक्तित्व से जीती जाती है।

जन्म से जारी है ये सिलसिला—
त्याग की राह, धैर्य की थाली,
कभी खुद को रोक लेना ही
सबसे बड़ी जीत होती है— मन की।

लोग पूछते हैं—
“क्यों यूँ हार मान जाते हो?”
काश, वो समझ पाते—
मैं हार नहीं रहा…
मैं भविष्य के बीज बो रहा हूँ।

गमलों में उगने वाले पौधे
आसानी से खिलते हैं,
पर जंगल का वृक्ष—
तूफानों से संघर्ष कर विशाल बनता है।

यही सोचकर मैं हारता हूँ—
ताकि कल जीतूँ…
और वो जीत सिर्फ मेरी नहीं,
मेरे अस्तित्व की हो।

आज का त्याग, कल की विजय,
आज की हार, कल का “मैं” बनाए—
मैं हारकर भी जीत रहा हूँ,
क्योंकि मैं समय को अपने पक्ष में
धीरे-धीरे मोड़ रहा हूँ।

आर्यमौलिक

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किसी का सब कुछ बर्वाद करने से पहले
अपने जीवन के अंत के बारे में जरूर सोच
लेना क्योंकि कर्म का फल मरण से पहले
मिलता जरूर हैं, फिर भगवान को दोष
मत देना क्योंकि उस समय तुम्हारे रुतवे के
शागिर्द, तुम्हारा अहंकार, धन ऐशो आराम
या तुम्हे चाहने वाला विश्व जन शेलाब भी मौत
के आगे असहाय और बोना हो जायेगा.

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दिल से बच्चा

दिल से बच्चा होना मतलब—
ज़िंदगी की धूल भरी राहों में
अब भी तितलियाँ ढूँढ लेना।

बड़ों के शिकायती चेहरे के बीच
छोटी-सी मुस्कान में
अपना पूरा आसमान बसाना।

मतलब—
हर गिरावट को खेल मानकर
ज़िद से फिर उठ जाना,
और हार को भी हँसकर
जीत का पहला पायदान बना लेना।

दिल से बच्चा होना मतलब—
नफ़रत की किताब से अनपढ़ रहना,
प्यार की भाषा में
सबसे धाराप्रवाह बोलना।

मतलब—
लक्ष्यों से बड़ी
खुशियाँ मानना,
और समय की कठोर घड़ी में भी
आशा की धुनें सुन लेना।

दिल से बच्चा होना मतलब—
दुनिया की चालाकियों के बीच
सच्चाई की रोटी खाना,
शक से मुक्त होकर
हर चेहरे में दोस्त ढूँढ लेना।

मतलब—
फूल को फूल समझना,
और मनुष्य को मनुष्य—
बिना किसी छाँट-छूट के।

दिल से बच्चा होना
उम्र की गलती नहीं—
यह दिल की जीत है,
जहाँ हम अभी भी
ईश्वर के सबसे नज़दीक होते हैं।

आर्यमौलिक

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