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ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़

@loveguruaashiq.661810


✤┈SuNo ┤_★_🦋
न कोई ग़म है अब, न  कोई
       शिकवा ज़माने से,

बस एक आस  बंधी है, तेरे
         आशियाने से,

तू  दिखा  चाहे ज़ितने भी
     नख़रे, मैं उठा लूँगा,

हर  मुश्किल  तेरी  राहों की
       खुद में समा लूँगा,

ये  क़दम  न रुकेंगे कभी, ये
        हौसला न टूटेगा,

हर  इम्तिहां  तेरी  ख़ातिर मैं
    हंसकर पार कर लूँगा,

जलते अंगारे हों, या तूफानों
       का शोर भी आए,

तेरी मंज़िल तक पहुँचने को
     हर क़तरा बहा दूँगा,

ये दिल है तेरा, धड़कनें तेरी,
       और रूह भी तेरी,

तेरी  रज़ा  ही  होगी,  जो तू
     चाहेगा, वो कर दूँगा,

न  कोई  अफ़सोस  होगा न
     कोई आह निकलेगी,

तेरी  खुशी  की  ख़ातिर,  मैं
      खुद को मिटा लूँगा,

ये दुनिया लाख समझाए, मैं
       न समझ पाऊँगा,

मेरा इश्क़ है ऐसा कि मैं बस
        तुझे ही चाहूँगा,

गर  मौत  भी  आ जाए तेरी
     चौखट पर 'ऐ हमदम'

लगा  कर  गले  मैं  उसे  भी
  इस्तक़बाल कर लूँगा..❤️
╭─❀🥺⊰╯ 
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
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✤┈SuNo न┤_★_🦋
प्रिये.तुम बनो मेरी गौरा, मैं तुम्हारा
          महादेव बन जाता हूँ,

मेरी आत्मा की हर धड़कन में तुम्हारा
          ही नाम गुनगुनाता हूँ,

"तुम शांत झील सी, "मैं  पहाड़ सा
अडिग" तुमसे मिलकर ही पूर्ण हो
                 जाता हूँ,

ये जीवन एक तपस्या है मेरी, जिसमें
      तुम्हें ही सिद्ध कर पाता हूँ,

तुम बनो चंदन की शीतल सी खुशबू
मैं उस पर लिपटा साँप बन जाता हूँ,

डमरू की हर थाप पर मेरी, तुम्हें ही
           करीब बुलाता हूँ,

तेरे नेत्रों में बसा मेरा ब्रह्मांड तुम्हारी
         हँसी में मोक्ष पाता हूँ,

मैं शमशान का वासी, विषधारी, पर
  तेरे प्रेम से ही अमृत बन जाता हूँ,

हर जनम की हो तुम मेरी अर्धांगिनी
   तुम्हें पाकर ही धन्य हो जाता हूँ,

आओ, ये प्रेम  की अमरकथा लिखें
मैं  तुम्हारा  महादेव, तुम  मेरी  गौरा
              बन जाओ..❤️
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
सावन का महीना, और ये बारिश
    की बौछार मध्यम मध्यम सी,

और उसमें जैसे फैलाए पंख नाच
              रही शिखा हो,

तेरे जुल्फों से उलझ कर" हर बूँद
                 जो गिरे,

मेरी रूह में इश्क़ की प्यास, बुझा
                 रहा हो,

वो  काली  घटाएं,  जो  छाई  हैं
               आसमाँ पे,

जैसे तेरे क़ाज़ल की लकीर फैला
                  रही हों,

हर बिजली की कड़क" दिल को
               यूँ छू जाए,

जैसे कोई खामोश इक़रार सुना
                रहा हो,

इस  रिमझिम  फुहार  में, तेरी
          आहट जो मिले,

हर  साँस  में तेरी  खुशबू समा
                 रहा हो,

कभी तेज़ हो बारिश, कभी धीमी
                पड़ जाए,

जैसे हमारी मोहब्बत के रंग दिखा
                 रहा हो,

हर  पत्ता जो भीगे, हर फूल जो
                   खिले,

तेरी यादों के  गुलशन  में महक
                  रहा हो,

सावन का महीना, और वो बारिश
                की बज़्म,

हर पल जैसे तेरी बाँहों में, गुज़र
                 रहा हो...❤️
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
उसकी आँखों में अक्स मेरा देखना
छोड़ दिया,

मैंने मोहब्बत का क़िताब पढ़ना
              छोड़ दिया,

जिन राहों से गुज़र कर मंज़िल
           मिली थी कभी,

उन राहों से मैंने, अब  गुज़रना
              छोड़ दिया,

वो वफ़ादारियाँ, वो  क़समें, वो
             वादे सभी,

दिल से अब हर एक दास्ताँ गढ़ना
छोड़ दिया,

थी कभी ज़िद कि पा लूँ उसे हर
                हाल में,

इस अधूरी हसरत में अब जलना
              छोड़ दिया,

क्या  मिला  हासिल-ए-इश्क़ से
   सिवाए तन्हाई के? ज़ख़्मी,

ख़्वाब-ए-रंगीं  में अब तो बसना
             छोड़ दिया,

जब जाना कि रौशनी उसकी कहीं
                और है,

मैंने अपने बुझते चराग़ों को भी,
       बलना छोड़ दिया..🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
मेरे जैसों से खुद को, मैं कोसों दूर
रखता हूँ,

हां, उम्रदराज आदमी हूँ, मैं बच्चों
से ताल्लुक़ात रखता हूँ,

जो दुनिया की रंजिश में फंसे हैं मैं
  उनसे परहेज़ करता हूँ,

अपनी सादगी में खुश हूँ, नफ़रत
        से इनकार करता हूँ,

मिली है उम्र भर की तजुर्बा मगर
      दिल बच्चा ही रखता हूँ,

बड़ों की बातें समझता हूँ पर खेल
        कूद से प्यार करता हूँ,

वो छोटी-छोटी खुशियाँ जो बच्चों
           में नज़र आती हैं,

उन्हीं में मेरा ठिकाना है, उन्हीं से
           इकरार करता हूँ,

ज़रूरी नहीं  हर कोई समझे मेरी
            इस फितरत को,

मैं अपने ही अंदाज़ में, हर लम्हा
          गुलज़ार करता हूँ,

नहीं परवाह  मुझे अब औरों  की
         बातों की "ज़ख़्मी"

बच्चों की हंसी में खोया हूँ, उनसे
        ही संसार करता हूँ..🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
नज़र रखते हुए भी, मैंने उसको
             रोका नहीं,

उसे पिंजरे से मेरे मैंने भी आज़ाद
              कर दिया,

थी रूह उसकी परेशान, मेरे पास
             रुककर भी,

सो  ख़ुद  ही मैंने  इक  ख़ामोश
        अलविदा कह दिया,

"मोहब्बत  थी,  या  आदत" ये
       समझना मुश्किल था,

बस एक फ़ैसला जो मैंने यूँ नाशाद
               कर दिया,

वो उड़ गया जहाँ को, जहाँ उसकी
               मंज़िल थी,

मेरे लिए तो बस इक वीरान सा घर
           आबाद कर दिया,

अब अक्सर  सोचता  हूँ, क्या ये
          फ़ैसला सही था.?

कि अपने दिल को मैंने क्यों इतना
          बरबाद कर दिया,

न कोई  शिकवा  अब है, न कोई
         शिकायत लबों पर,

बस  एक दर्द  है जो  सीने में मेरे
     मुस्तक़िल याद कर दिया,

हां नज़र रखते हुए भी, मैंने उसको
                रोका नहीं,

उसे पिंजरे से मेरे मैंने भी, आज़ाद
             कर दिया...🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
करम  स्याह  अपने  और,  स्टैट्स
              भगवान वाले,

ये दुनिया  क्या  कहेगी, हम  ज़रा
              अंजान  वाले,

फ़रेबों  में ही  जीते हैं, फ़क़त खुद
              को सँवारे हैं,

हक़ीक़त  ज़हर  सी  है,  नाम  पर
               ईमान  वाले,

दिलों  में ज़हर बोकर, बात करते हैं
               उल्फ़त  की,

"वजूद"  अब  बस  गए  हैं,  यहाँ
             शैतान  वाले,

नक़ाबों  की  तिजारत  है,  हरसू
            बाज़ार गर्म है,

कहाँ  अब  मिलते  हैं  वो, शख़्स
             इंसान वाले,

खुदा  के  घर  भी  अब  तो  चोर-
           बाज़ारी आम  है,

"खुदा  को  भी  बनाया  है, धंधा
           दुकान  वाले..🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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✤┈SuNo ┤_★_🦋
ज़िन्दगी की ज़द में हर रोज़
बिकती है,

एक स्त्री ही स्त्री को सर-ए-बाज़ार
बेचती है,

ये क्या मंज़र है मेरे शहर की
गलियों का,

जहाँ इंसानियत की हर दीवार
गिरती है,

कोई मजबूरी, कोई लालच की है
ज़ंजीर,

कोई अपने ही हाथ से अपनों को
गिरवी रखती है,

इज़्ज़त की बोली लगती है भरे
बाज़ारों में,

और हर निगाह बस जिस्म पर ही
टिकती है,

मर्द बनते हैं ग्राहक, देकर दाम
ज़रा सा,

मगर हर ज़मीर की कीमत यहां
चुकती है,

ये कैसा समाज है, कैसी है ये
दुनिया 'राही'

जहाँ हर आँख बस हवस की
प्यास पीती है,

कसूरवार कौन है, ये सवाल
उठाता है दिल,

जब जुल्म सहने वाली ही खुद
जुल्म करती है..🔥
╭─❀🥺⊰╯ 
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🦋... SuNo ┤_★_
दिल के ज़ख़्मों को दुनिया से छुपाना
                   चाहिए,

लोग पागल समझने लगेंगे तुम्हें, हर
     वक़्त मुस्कुराना नहीं चाहिए,

आँसुओं को पीकर, होंठों पे हँसी
             लानी पड़ती है,

हर दर्द को अब दुनिया को दिखाना
               नहीं चाहिए,

जो राहें ले जाती हैं ‘मंज़िल से दूर
                उन राहों पे,

भूल से भी अब कदम बढ़ाना नहीं
                  चाहिए,

तन्हाई का सफ़र है ये तन्हा ही तय
                 करना है,

किसी और को अब इसमें बुलाना
              नहीं चाहिए,

ग़मों  की  रात है  लंबी, मगर कट
          जाएगी ऐ 'मुसाफ़िर'

उम्मीद  का  दिया  अब  बुझाना
             नहीं चाहिए...🔥
╭─❀💔༻ 
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🦋... SuNo ┤_★_
मौसम-ए-गर्मी का नज़ारा, जामुनी
               सौगात है,

हर नज़र में इसकी रंगत, क्या हसीं
                रुबाब है,

बाग़ में जब ये पके तो, दिल मचल
               उठता है यूँ,

मीठा-कसैला   ज़ायका,  कैसी
            अनोखी बात है,

होंठों  पे  इसकी  लाली  रूह  में
              ठंडक घुले,

याद आता बचपन का वो सावन
          और बरसात है,

पेड़ पर लटके हुए ये, जैसे मोती
                हों सजे,

देखकर  इनको  सुकूँ  मिलता
    अजब-सी ये हयात है,

फ़ायदों का इसमें दरिया, सेहतों
              का राज़ है,

जामुन की हर इक ख़ुूबी, रब की
         करामात है..😍😇
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जे लो सभी के लिए है ये काली
काली जामुन खाओ..😋

हां वरना फिर कोई ये मत कहना
कि मैंने दिया नहीं है ठीक है ना,

नहीं तो कहने लग जाओ अकेला
ही खा लिया हमको पूछा भी नहीं,
🫣😂😁😅
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