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New bites

जिसे चाहा था उसी से शिकवा रहा, वो भी क्या दिन थे जब तन्हाई अपना घर नहीं लगती थी।

anisroshan324329

मांगने वाले तो, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा, पहचान, पैसा, अन्न, बेजान चीजें, और न जाने क्या क्या मांगते हैं, मैंने तो ये सब त्याग कर, बस एक यार ही तो मांगा था......!!

यकीन मानो दोस्त, मैं यार को पाने के लिए, फकीरी की हर हद को पार किया, फ़िर भी गवा बैठा

शुभ रात्री

anisroshan324329

🙏 विनम्र श्रद्धांजलि

dhirendra342gmailcom

Goodnight friends..sweet dreams

kattupayas.101947

मेरी कहानी का audio bookPocket fm par live hai ja kar suno।।।

raviranjan120346

🌻 The Sunflower Theory

Sunflowers don’t face the sun forever.
When sunset comes, they bow their heads —
not in surrender,
but in faith that light will return.

For Health:
Lowering your pace isn’t weakness.
Your body bends so it can heal,
rest so it can rise stronger again.

For Daily Routine:
Not every moment demands effort.
Some hours are meant to slow down,
to breathe, to simply exist.

For Career:
You won’t always be visible.
Some seasons ask you to wait, learn, and prepare.
What looks like stillness is often growth.

For Relationships:
When two people bow their heads to each other,
it isn’t surrender —
it’s respect, understanding, and love.
Sometimes love means softening your ego,
giving space, and staying connected without forcing light.

Bow when it’s time.
Rise when warmth returns.
Because even sunflowers rest —
and still bloom golden.

🌻— Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

🌻 सूरजमुखी का सिद्धांत

सूरजमुखी हमेशा सूरज की ओर नहीं रहते।
संध्या आते ही उनका सिर झुक जाता है —
यह हार नहीं,
बल्कि विश्वास है कि रोशनी फिर लौट आएगी।

**स्वास्थ्य के लिए:**
अपनी गति कम करना कमजोरी नहीं।
आपका शरीर झुकता है ताकि वह ठीक हो सके,
आराम करे ताकि फिर से मजबूती से उठ सके।

**दैनिक दिनचर्या के लिए:**
हर पल मेहनत का नहीं होता।
कुछ समय धीमा होने, साँस लेने,
और सिर्फ जीने के लिए भी होता है।

**करियर के लिए:**
आप हमेशा दिखाई नहीं देंगे।
कुछ समय इंतजार करने, सीखने और तैयार होने का होता है।
जो स्थिर दिखता है, अक्सर वही असली विकास है।

**रिश्तों के लिए:**
जब दो लोग एक-दूसरे के सामने सिर झुकाते हैं,
तो यह हार नहीं,
बल्कि सम्मान, समझ और प्यार है।
कभी-कभी प्यार का मतलब होता है
अपने अहंकार को नरम करना,
जगह देना, और बिना दबाव के जुड़ा रहना।
सिर झुकाना केवल झुकना नहीं, यह भी प्यार है।

झुको जब समय हो।
उठो जब रोशनी लौटे।
क्योंकि सूरजमुखी भी विश्राम करता है —
और फिर भी सुनहरी खिलती है।

🌻Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

✨ NEW STORY OUT NOW! ✨
December Lost in Quiet is finally live on Matrubharti 📖
A story of silence, love, loss, and the emotions we carry when words fail.
If you’ve ever felt deeply but spoken little — this one is for you. 🤍
👉 Read now : https://www.matrubharti.com/book/19985916/december-lost-in-quiet
— Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

सोचा था रोएँगे हम कंधे पर उसके सिर रखकर,उसने हमारे आँसुओं फ़ायदा उठाया ,शातिर बनकर
खूब दिल दुखाया उसने,खूब मजे लेकर।

archanalekhikha

हम अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करते हैं और उनको हल करने के विचार करते रहते हैं। परंतु कई बार मन में इतने विचार आने लगते हैं कि उन विचारों से चिंता होने लगती है, “अब आगे क्या होगा?, कैसे होगा?” तब प्रश्न यह होता है की भविष्य की कितनी प्लानिंग करें जिससे चिंता से मुक्ति पा सकें।

Watch here: https://youtu.be/fGMN0yPSSLw

#futureplanning #selfhelp #selfimprovement #worry #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

सभी धर्मों में कहां गया है कि ईश्वर परमदयालु है।

तो फिर परमात्मा के बने फिरते उपासकों द्वारा कि गई हत्याएं क्या परमात्मा, ख़ुदा या ईश्वर का आदेश था?

जो वह आदेश था तो फिर सर्वशक्तिमान ताकत दयालु कहां से मान ले?

मेरा मानना बस यही है कि कोई भी धर्म का कट्टरपंथी कभी भी जन्नत के द्वार के पास भी जा सकता नहीं है।

ईश्वरने जो कायनात हमें बक्सी है वहीं कायनात में सबको खुश रखनेवाले इंसान ही जिंदा रहकर भी स्वर्ग पा लेते हैं।

स्वर्ग मां के चरणों में हैं फिर किसी की भी मां रोनी नहीं चाहिए वरना हमारी सोच गलत दिशा में जा रही है।

parmarmayur6557

પ્રેમ નું આયુષ્ય
એના પર આધાર રાખે
છે કે એ
કરેલો છે કે થયેલો છે...!!

imap.21cn.com

अभी भी समय है, सुधर जाओ हिंदुओं,
वरना कहर बनकर दस्तक देगा भविष्य।
आज जो बांग्लादेश में जल रही आग है,
कल वही सीमा लांघकर आएगी—निर्दय, निष्ठुर।
एक-एक करके मरता जाएगा हिंदू,
और हम कहते रहेंगे—
“मैं बड़ा, तू छोटा,
मेरी जात ऊँची, तेरी नीची।”
अहम के सिंहासन पर बैठे हम,
एकता को ठुकराते रहे,
जात-पात की ज़ंजीरों में जकड़े रहे,
और दुश्मन हमें गिन-गिनकर काटते रहे।
दुश्मन ने कभी नहीं पूछा
तुम कौन सी जात के हो,
बस इतना देखा—
तुम हिंदू हो… और बस वही काफ़ी था।
तुम बने रहे “मैं” की भावना में,
“तू” और “वो” करते रहे,
और इसी बँटवारे की आग में
अपने ही लोग जलते रहे।
अगर अब भी नहीं जागे,
तो इतिहास यही लिखेगा—
हिंदू मारा गया हथियारों से नहीं,
बल्कि अपने ही अहंकार से।
अभी भी समय है—
जात नहीं, एकता चुनो।
मैं नहीं, हम बनो।
वरना याद रखना—
बँटा हुआ हिंदू,
हमेशा अकेला मरता है।

archanalekhikha

inko na sayri. na papa ki pari he. cut he. na koi line Marta he. na aapni tarif manjoor.he
ye to bus aapne desh ki tivar he

virdeepsinh

ના તારો વાંક ના મારો
વાંક
કારણ વગરનો શું કામ
કંકાસ…
-કામિની

kamini6601

नमस्कार-नवी कविता अभिप्रायसाठी-
दै.नवराष्ट्र -नागपूर- दि.२२-१२-२०२५
अंकात प्रकाशित
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कवी अरुण वि.देशपांडे
चंद्र
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वाट्यास आली काळी रात्र विरहाची
कोमेजे मुखचंद्र ,चांदणी दूर त्याची ।।

चंद्र प्रतिबिंब दिसे जळात साजरे
झोंबती एकट्यास शीतल ते वारे ।।

बिलगलेल्या जोड्या दिसे काठावरी
आठवण होता तिची कळ उठे अंतरी ।।

करिती जोडपी साजरी ही कोजागरी
त्याच्यासाठी मात्र एकांतरात्र अंधारी ।।

असतो म्हणे चंद्र प्रेमाचा साक्षीदार
का आले वाट्या क्षण विरह टोकदार ।।

बा चंद्रा, तू मित्र आहेस न त्याचा
संपवून टाक तूच वनवास त्याचा ।।
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कवी अरुण वि.देशपांडे-पुणे
९८५०१७७३४२
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arunvdeshpande

तोड़ा थोड़ी है,....✍️

jaiprakash413885

🫶imran 🫶

imaranagariya1797

🙏🙏सुप्रभात🙏🙏 ,
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

રાષ્ટ્રીય ગણિત દિવસની શુભેચ્છાઓ..

#shabdone_sarname__
#shandone_sarname_

shefalishah

🤎imran 🤎

imaranagariya1797

शाम का वक़्त था। नदी बिल्कुल शांत थी, जैसे उसने दिनभर की सारी बातें अपने भीतर समेट ली हों। पानी की सतह पर आसमान झुका हुआ दिख रहा था—नीला, हल्का-सा गुलाबी, और कहीं-कहीं सुनहरी लकीरों से भरा। उसी किनारे बैठी थी मीरा, हाथ में एक पुरानी डायरी और आँखों में ढेर सारे अनकहे सवाल।
मीरा को लगता था कि ज़िंदगी भी नदी जैसी है—बहती रहती है, बिना रुके, बिना पूछे। कभी तेज़, कभी ठहरी हुई। आज वह ठहरी हुई थी। शहर की भागदौड़, लोगों की राय, और “क्या सही है, क्या गलत”—इन सब से दूर, वह बस अपने होने के एहसास को सुनना चाहती थी।
नदी के उस पार एक नाव धीरे-धीरे सरक रही थी। नाविक की चाल में अजीब-सी तसल्ली थी, जैसे उसे मंज़िल की जल्दी ही न हो। मीरा ने सोचा—कितना सुकून होगा, अगर इंसान भी ऐसे ही बिना हड़बड़ी के आगे बढ़ सके।
उसी पल हवा ने उसके बालों को छुआ, और डायरी के पन्ने खुद-ब-खुद पलटने लगे। एक पन्ने पर लिखा था—
“अगर दुनिया तुम्हें समझ न पाए, तो क्या हुआ? खुद से समझौता मत करना।”
मीरा मुस्कुरा दी। यह पंक्ति उसने बरसों पहले लिखी थी, जब उसे लगता था कि उसकी आवाज़ कहीं खो जाती है। आज वही आवाज़ नदी के शोर में भी साफ़ सुनाई दे रही थी।
अचानक पास ही एक छोटी-सी लड़की आई, हाथ में काग़ज़ की नाव। उसने नाव को पानी में छोड़ा और बोली, “दीदी, देखो! मेरी नाव दूर जाएगी न?”
मीरा ने कहा, “ज़रूर जाएगी, अगर उसे बहने दिया जाए।”
काग़ज़ की नाव लहरों के साथ आगे बढ़ गई—कभी डगमगाती, कभी सीधी। मीरा ने महसूस किया कि उसकी ज़िंदगी की तरह ही है। डर तो हर मोड़ पर है, पर रुक जाना समाधान नहीं।
सूरज धीरे-धीरे पानी में उतरने लगा। आसमान का रंग बदल गया, और नदी एक बड़े आईने की तरह चमकने लगी। उस आईने में मीरा ने खुद को देखा—थोड़ी थकी हुई, पर पहले से ज़्यादा सच्ची। उसे समझ आ गया कि शांति बाहर नहीं, भीतर होती है; और हिम्मत शोर नहीं करती, बस साथ चलती है।
मीरा ने डायरी बंद की, गहरी साँस ली, और उठ खड़ी हुई। अब उसे जवाब नहीं चाहिए थे, बस भरोसा चाहिए था—खुद पर। नदी पीछे रह गई, लेकिन उसका बहाव मीरा के कदमों में उतर चुका था।
और उस शाम, पानी के आईने में आसमान के साथ-साथ
मीरा ने अपना भविष्य भी साफ़ देखा—खुला, बेख़ौफ़, और बहता हुआ।

amreen5656

Do You Know that if you analyze the nature of suffering, then it will not feel like suffering? If you do precise and exact pratikraman (the process of recalling mistakes, asking for apology and resolving never to repeat it) for your suffering, it will not feel like suffering anymore.

Read more on: https://dbf.adalaj.org/WrlT6Asq

#suffering #forgiveness #spirituality #doyouknow #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150