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Gajendra Kudmate

Gajendra Kudmate

@kudmate.gaju78gmail.com202313
(173)

मेरी बेरुखी सी जिन्दगी का
एक बेहतरीन लम्हा हो तुम
तुमसे दूर जाऊ तो कैसे मै
मेरे जीने की वजह हो तुम

गजेन्द्र

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लिखता आया हूँ जिन्दगी को
मै खुन की स्याही से बार बार
एक तेरी यादों का पन्ना बस
खाली रहा जाता है हरबार

गजेन्द्र

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मचल उठता है दिल मेरा भी
खुबसूरत हसीनाओं को देखकर
फिर थाम लेता हूँ जज्बातों को
खुदको मैं आईने में झांककर

गजेन्द्र

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खूबसूरती के मायने क्या है
यह तो बस एक अहसास है।
आंख मूंदकर गर सोचोगे तो
यह खुद तुम्हारे भी पास है

गजेन्द्र

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बुझे हुए चिराग भी यूँ ही
कभी खत्म नहीं होते है
किसी न किसी लौ की तपन
वह ताउम्र सहते रहते है

गजेन्द्र

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पहनकर चोला प्यार का
मै तो बन गया हूँ फ़क़ीर
अब दिल पर उसके बनानी है
अपने मोहोब्बत की लकीर

गजेन्द्र

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अभी आग कहा लगी है।
बस थोडा सा धूआ ही उठा है।
थोड़ा सब्र करो ऐ दुनीयावालो
मेरे अरमान जलने अभी बाकी है।

गजेन्द्र

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कभी हुआ करते थे हम
किसीके जिन्दगी का हिस्सा
भुला दिया है उसने हमें
समझकर एक पुराना किस्सा


गजेन्द्र

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जिन्दगी को खोने का मलाल
मुझे पहली दफ़ा तब हुआ
चाहे अनजाने में ही सही उसने
मेरे जनाजे को जब छुआ


गजेन्द्र

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शीशे की तरह रखा था बुलंद
आजतक मैंने अपने जमीर को
एक तेरी सोहबत में आकर
वह भी टूटकर बिखर गया


गजेन्द्र

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