रात का वक्त था , मौसम भी सुहाना था ,
चांद भी आ गया , चांदनी लाया साथ ,
चांद की चांदनी , आई मेरी खिड़की पर ,
चांद हुआ बेनूर तो हो गया वो खफा ,
बदलो में वो जा छुपा , चांदनी थी बेखबर ,
चांद झांकता बादलो से , चांदनी से हुआ नाराज ,
चांद की नाराजगी से हुआ चांदनी का बुरा हाल ,
कैसे मनाऊं अब उसको मैं , जा चुका वो होकर खफा ,
प्यार से लगा कर गले , बोल दो हो गई खता ,
माफ कर दो प्यारे चांद , दे दो गलती की सजा ,
यूं न फेरो हमसे मूंह , चांदनी की हो तुम जान !!
चांदनी को पाकर पास , चांद हो गया फिदा ,
अब न जाना छोड़ कर , जायेगी फिर मेरी जान !!
ना बोलो ऐसा प्यारे चांद , चांदनी की हो तुम जान ,
चांद चांदनी का हुआ मिलन , हो गई अब सुबह ,
जा चुका अब चांद तो , चांदनी भी गई साथ|
चांदनी की बाहों में , चांद भी अब गया सो |
आंचल गुप्ता....