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मैनें तुमको है चाहा तुम्हारे बिना मैनें जीवन बिताया तुम्हारे बिना। खुश रहे तुम हमेशा गैरो के संग मैनें गमों को है पाया तुम्हारे बिना।। मीरा सिंह
प्रेम दिवस के शुभ अवसर पर मैंने तुम्हें प्रेम से पत्र लिखा । समझ सको तो पढ़ लेना तुम मैंने दिन को रात लिखा।। बैचैनी सी छाई है कलियाँ भी मुरझाई है। तेरे प्रेम में खोकर मैंने तुझे प्रेम का सार लिखा। । प्रेम दिवस के शुभ अवसर पर मैंने तुम्हें प्रेम से पत्र लिखा। तेरी कमी से प्रियवर मेरे मन मेरा आकुल सा है।। एक दिवस में नही भरेगा ये सरिता के जल सा है। प्रीत के मोती चुनकर मैने तुझे मनोहर गीत लिखा।। प्रेम दिवस के शुभ अवसर पर मैंने तुम्हें प्रेम से गीत लिखा। ।
इंकलाब का नारा पूरे देश में गूँज जाएगा चारों तरफ हिन्द का परचम लहराएगा। तुम्हारी कुर्बानी यूँ बर्बाद न जाएगी हर तरफ जब भारत का बेटा अभिनन्दन सा छाजाएगा।। तिरंगे में तुम्हारा सम्मान लहराएगा धरती की सौंधी खुशबू से। मां का आँचल लहराएगा ये गंगा की लहरों में खुशबू सा घुल जाएगा अभिनन्दन सा छाजाएगा।। पुलवामा हमले में शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏
थोड़ी चुप हूँ थोड़ी उदास हूँ इस बात से परेशान हूँ क्योकि मैं इंसान हूँ किसी का हाथ थामना और फिर छोड़ देना क्या मैं इतने उलझे अल्फाज हूँ हाँ मैं ये सोचकर परेशान हूँ। । मीरा सिंह
मैं तेरी याद में कुछ इस तरह से खोई हूँ। जैसे सागर में नदी का कोई वजूद नही।। मीरा सिंह
तेरे हर अल्फाज पर ऐतबार किया हमने। इस दुनिया में सबसे ज्यादा तुझे प्यार किया हमने।। जिन्दगी यूँ सूखे पत्तों की तरह बिखर गई। पर तेरे नाम न कोई इल्ज़ाम किया हमने।। मीरा सिंह
मैं टूट के बिखर जाऊँ तो क्या मलाल होगा तेरे जहन में भी तो क्या सवाल होगा अगर मैं कहूँ प्रेम बस जज्बात नही तो क्या तुम्हें मुझपर ऐतबार होगा।। मीरा सिंह
मैनें तुमको सुनाया तुम्हारे बिना मैनें जीवन गवाया तुम्हारे बिना। सदा खुश रहो तुम दुआ है मेरी मैनें खुद को मिटाया तुम्हारे बिना।। मीरा सिंह
खुद को खुद में खोकर मैनें तुम्हें कुछ यूँ पाया है। जैसे मेरी आँखों मे इक सागर समाया है।। मेरे आंखों की नमी के कुछ किस्से निराले है। मैं तुझे देख के रोई तू मुझ बिन मुस्कुराया है।। मीरा सिंह
गंगा की निर्मल धारा पूछे कहाँ गया तो मधु का मधुमास भोले के मस्तक पर है शोभित फैला शशि का प्रलय प्रपात। धौला वल्कल उज्जवल शोभित करती मानव का परित्राण काशी में कलकल ध्वनि बिखेर करती भोले का सुलभ श्रंगार। । मीरा सिंह - Meera Singh
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