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थोड़े से बदले थोडे-थोडे उदास से रहते है आजकल हम थोडे हिसाब से रहते है। उसे तो मिल गया साथी मगर फिर भी हम उसी की तलाश मे रहते है।। मीरा सिंह
बहुत रोना चाहती हूँ
कहाँ सुरक्षित है नारी तुम कहो अब क्या कहते हो। ममता से सींचा जिसने तुमको तुम उसी की अस्मिता लूटते हो।। माँ के आँचल में बड़े हुए आँचल को मार गिराते हो। अब कहाँ सुरक्षित है नारी तुम कहो अब क्या कहते हो।। निर्ममता से जिसके अरमानों को कुचलने हो तुम नर हो या दानव स्वरूप जो निर्मम हत्या करते हो।। क्यों शान्त खड़ी हो तुम नारी तुम शक्ति का अवतार हो। नही आएंगे कृष्ण कोई स्त्री की लाज बचाने को।। कहाँ सुरक्षित है नारी तुम कहो अब क्या कहते है। चहुंओर है गुमनामी हर ओर अंधेरा छाया है। तुम कहो शान्त क्यों बैठे हो मुजरिम बन वर्दीधारी आया है।। नही कोई कानून यहाँ न संविधान के नियम है। कहाँ सुरक्षित है नारी तुम कहो अब क्या कहते हो।। कोलकता हत्याकांड को समर्पित भावभीनी श्रद्धांजली
written by myself
हे सरस्वती माँ वीणा वादिनी विद्या का हमको वर दे दूर करो माँ फैला तम है जगमग जग कर दे माँ जगमग जग कर दे। हे स्वर प्रदायिनी हंस आहनी ज्ञान की ज्योति जला दे दूर करो माँ फैला तम है जगमग जग कर दे जगमग जग कर दे। हम बच्चें है भोले -भाले ज्ञान की शक्ति से अनजाने बुद्धि का हमको वर दे दूर करो माँ फैला तम है जगमग जग कर दे। हे सरस्वती माँ वीणा वादिनी विद्या का हमको वर दे दूर करो माँ फैला तम है जगमग जग कर दे जगमग जग कर दे।। माँ सरस्वती के चरणों में समर्पित मीरा सिंह - Meera Singh
मैं चुप हूँ या उदास हूँ मैं इस बात से ही हैरान हूँ मैं अकेली हूँ या मुझको ही मेरा साथ है मैं इस बात से ही परेशान हूँ मैं हूँ या खुद की एक पहचान हूँ इन आँखों में बरसात है फिर भी मैं समुन्द्र की तरह शान्त हूँ मैं चुप हूँ या उदास हूँ मैं इस बात से ही हैरान हूँ।। मीरा सिंह
मैनें हँसकर छोड़ दिया उसे भी जिसे पाने के लिए मैं बहुत रोई थी।। मीरा सिंह
आंखो में समंदर है मगर ये बह नही सकता। ये दिल अकेला है किसी से कह नही सकता।। ये धरती आसमाँ गर मिल जाए तो फिर भी क्या जो तेरी कमी है कोई पूरी कर नही सकता।। मीरा सिंह
बहुत रोना चाहती हूँ मैं मगर मैं रो नही सकती। मेरे सामने जिम्मेदारियों कई दीवार बहुत है।। टूट चुकी हूँ मै मगर मैं बिखर नही सकती । क्योंकि सब कहते है तुम मजबूत बहुत हो।। आंखो मेें आंसू आ जाए तो नज़र को झूका लेती हूं। गर पड़ जाए किसी की नजर मुझपर तो धीरे से मुस्कुरा देती हूँ। । सारे काम होते है पापा आपके बगैर फकत जिन्दगी का गुजारा नही होता। एक घुटन सी है जिन्दगी मे कैसे कहूँ पापा कि मैं आपके बगैर जी लेती हूँ आपके बगैर जी लेती हूँ। । मीरा सिंह
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