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रेशम के पावन धागे से बंधा भाई-बहन का प्यार मुबारक हो आपको रक्षाबंधन का ये त्योहार। । मीरा सिंह
सूखे पत्तों से बिखरे है जज्बात तुम होते तो इन्हें सम्हाल लेते। । मीरा सिंह
इन खामोशियों को जरा पढ़ लो इन बेचैन निगाहों को तुम्हारी ही तलाश है।। मीरा सिंह
तुम्हें आवाज देते-देते ये जुबान भी थक सी गई है तुमने कितने अपनेपन से कहा था मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूंगा। । मीरा सिंह
जब मुझमें ऐसी बात नही मैं उसके जैसी खास नही तो फिर क्यों तुमने अपनाया था जीने की राह दिखाया था तू ऐसी थी तू वैसी थी तू तब न जाने कैसी थी तुमने मुझको बतलाया था तुमने आंखों में स्वप्न दिए जो मिट न सके वो जख्म दिए तुमने लड़ना सिखलाया था अपनी ताकत समझाया था फिर क्यों तू हताश खड़ा चल कदम उठा और पाँव बढ़ा जीने का मकसद तू पा जाएगा तुझको जीना आ जाएगा।। मीरा सिंह
मैनें तेरे ख्वाबों से यूँ अपनी मांग सजाई है जैसे आज कृष्ण और मीरा की सगाई है तू मुझमें मेरी सांसों से ज्यादा है इस लिए मैं तुझ बिन अधूरी और तू किसी दूसरे का साया है।। मीरा सिंह
तू मुझसे दूर रहकर गर खुश है तो ये दूरियाँ सारी उमर के लिए मुझे मंजूर है।। मीरा सिंह
आज हवाओं की ये खुशबू खुद बयाॅ कर रही है कि ये तेरी गली से होकर गुजरी है मेरे साथी।। मीरा सिंह
शत-शत नमन🙏
राम वरने चले है सीता मइया जनकपुर में शोर हो गया राम वरने चले है सीता मिया जनकपुर में शोर हो गया सावर-सावर है जिनकी सुरतिया जनकपुर में शोर हो गया राम वरने चले है सीता मिया जनकपुर में शोर हो गया हाथी भी आए , घोड़े भी आए आई आई अवध से बरतियाँ जनकपुर में शोर हो गया राम वरने चले है सीता मिया जनकपुर में शोर हो गया हाथों मेें बाण लिए माथे पर टीका भइया लक्ष्मण गये है मुस्काए जनकपुर में शोर हो गया राम वरने चले है सीता मइया जनकपुर में शोर हो गया।। मीरा सिंह
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