वो लम्हे मिलें तो सब से पहले तुम्हें मिलेंगे
वो बिछड़ता हुआ सूरज जिसे हम शाम कहते है
वहीं हम पहली बार जफॅ के साथ मिलेंगे
फिर होगी चार बाते थोड़ा तुमसे लड़ेंगे
ऐसा भी क्या हुआ जो तुम रूठ गए
अब इस बार सारा बंदोबस्त करके मिलेंगे
वो लम्हे मिलें तो सब से पहले तुम्हें मिलेंगे ...
सुलझा देंगे वो सारे सवाल
हर सवालों के जवाब साथ ही में मिलेंगे
गर देखो खटखटा कर जब भी घर को मेरे
देखना तुम्हारे सारे चेहरे ही चिपके मिलेंगे
सब कुछ रखा हुआ है तेरे स्वागत में
बारिशें,पतझड़, तारे,चांद , सब एक साथ मिलेंगे
वो लम्हे मिलें तो सब से पहले तुम्हें मिलेंगे ...
आंख बंद हुई तो वहा भी ख्वाब में मिलेंगे
वो लम्हे भी बड़े ग़ज़ब होंगे
जो हमे एक मौका दे रहे होंगे
मिलने को मिलन होगा वसंत का मौसम होगा
गर बिछड़ना हुआ तब पतझड़ बनेंगे
सुबह की वो चाय की मिठास के साथ मिलेंगे
सुबह की वो पक्षियों की आवाजों के साथ मिलेंगे
वो सीडियां जहा से तुम्हारा उतरना होता था
वहा हम हर पल पल बैठे मिलेंगे
वो नीम का पेड़ जहा तुम छांव खाने को बैठते थे
वहा कहीं हम भी पेड़ की डालिया बने मिलेंगे
तुम जो हर सवाल के जवाब दिया करते थे
हम इसबार हमारे उस सवाल के चिह्न में मिलेंगे
वो गुलाब का फूल जो तुम तोड़ दिया करते थे
उसमे कहीं कहीं खुशबूदार हवाओ में मिलेंगे
तुम्हारा जहा सोचना होता है उस हर एक एक सोच के साथ साथ हम मिलेंगे
नई सोच के साथ हर बार rajdip बने मिलेंगे
वो लम्हे मिलें तो सब से पहले तुम्हें मिलेंगे ...
वो लम्हे मिलें तो सब से पहले तुम्हें मिलेंगे ...
वो लम्हे मिलें तो सब से पहले तुम्हें मिलेंगे ...