🦋...𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★__
ए लड़की.मुझमें तू कुछ इस तरह से
बसी है कि मुझमें मैं रहा ही नहीं,
लबों पर हर लफ़्ज़ तेरे नाम से साँसें
बे-पनाह तेरी खुशबू लिए हैं,
कितनी ही तो कोशिश की है मैंने तेरी
यादों से ज़मानत की’ मगर सच तो
दरअसल ये है कि मेरी आवारगी तेरे
दर पर मुलाज़िम है,
प्यासे की प्यास को जैसे उठी हो दुआ
तू हासिल मुझे खुदा की 'नज़र' थी,
मैं गंवार ना समझ कभी समझ ही न
सका अहलियत तेरी, तभी तो सोता
रहा हूँ आज़ तक लेकर आँखें भरी,
मैं रच भी दूँ नयी नदियां तेरी विरह
में क्या ये कीमत मुनासिब होगी
तुझे पाने को...🥀
──────────━❥
तुम लिक्खी जा चुकी हो लकीरों
में मेरे दर्द सा"
या अब भी बाक़ी है मेरे अंधेरों में
रौशनी कहीं,
मेरे ख्याल बे-लगाम तेरे ख्वाबों में
आज़ भी हैं"
उम्मीदों के समंदर में ये गुमशुदा
तैराक आज़ भी है,
आज़ भी चाँद मेरा लिए चांदनी
तेरी तलाश में है"
अधूरी ही सही मगर मेरी मोहब्बत
तू आज़ भी है..💔
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
╨─────────━❥