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New bites

सही है...

monaghelani79gmailco

so here is the result of poll, I have decided to write both of them for respecting each voter.....

new project coming soon......

lk2433554gmail.com182641

ज़िंदगी की राहों में, ये दर्द अकेला रह जाता है,
किसी का साथ न भी हो, तो ये दिल और भी तन्हा लगता है......
कुछ दुरियां मजबूरियों के हाथों बिक जाती है,
सुनसान रातों में शाम का ढालना किसे नजर आता है.....

बेखौफ मिटने को राज़ी हर दर्द रहता है पर
आंसुओं को छुपा कर मुस्कुराना हर किसी को कहां आता है........

Manshi K

manshik094934

dr.bhairavsinhraol9051

dr.bhairavsinhraol9051

એક ઝલક જોવા
તારી
તરસી આંખો
વરસી…
-કામિની

kamini6601

Jay shree Krishna 🌹

dr.bhairavsinhraol9051

कुछ पुरुषों का
स्त्री के नजदीक आने का मतलब
यह नहीं होता कि
वो उनसे देह सुख पाना चाहते हैं ।
हाँ यह सच जरूर होता है कि
उनको अच्छी स्त्री का साथ पसन्द होता है,
परन्तु जरूरी नहीं कि
यह साथ देह की तरफ ले कर जाये ।
बहुत से पुरुष अपने एकाकीपन की वजह से,
या फिर मन की भावनाओं को
साझा करने के उद्देश्य से,
या फिर एक ऐसी मित्रता के लिये
स्त्री से सम्बन्ध रखना चाहते हैं
जिस रिश्ते में स्त्री पुरुष का मतभेद ही न हो ।
बस वो अपने ह्रदय को
किसी के आगे खोल कर रख देना चाहते हैं ।
और एक खास बात यह भी है कि
ऐसे साफ दिल के ज़्यादातर पुरुषों का
मित्रता निवेदन
स्त्रियों द्वारा स्वीकार भी नहीं होता है ।

क्योंकि
इन पुरुषों के निवेदन में चतुराई नहीं होती,
फरेब नहीं होता और
आजकल बिना इन संसाधनों के
स्त्री के मन पर कब्जा नहीं किया जा सकता ।
चतुर व फ़रेबी पुरुष
किसी न किसी तरीके से स्त्रियों को
अपने मकड़जाल में अवश्य फँसा लेते हैं ।
वो किसी एक स्त्री का
इतना इन्तेज़ार भी नहीं करते
क्योंकि उनको उनसे
कोई ह्रदय सम्बन्धित जुड़ाव नहीं होता ।
जिस पुरूष का किसी स्त्री से जुड़ाव
यदि ह्रदय तल से हुआ है तो
वो उसके लिये इन्तज़ार करता है ।
कितना इन्तज़ार ?
यह तो किसी को मालूम नहीं...

GOOD MORNING
MY DEAR PRAHET

chirag1768

क्या मैं गलत थी....??
_______________



आख़िरी तोहफ़ा समझकर बहुत खुश हुई थी मैं
जाने क्यों दिल में एक दर्द सा दबा था?
थोड़ी घबराहट बाकी आंखों में नमी पसरा था
क्या मैं गलत थी ?
खामोश होठों ने भी चुप्पी आहिस्ता से तोड़ा था......

जब बाकी कुछ नहीं रहा तो
खुद के सवालों का जवाब कहां से लाऊं ?
बन जाऊं मैं खुद तन्हाई की चादर
आंखों में आई नमी को कैसे छुपाऊं
क्या मैं गलत थी ?
खामोश होठों ने भी चुप्पी आहिस्ता से तोड़ा था......

चुप मैं रह भी लूं पर आंसुओं के दाग को कैसे मिटाऊं
मैं क्यों चुप्पी तोड़ने लगी खाली किताब बनकर
जिंदगी के पन्नों पर अधूरा किस्सा सजा जरूर था
मतलबी दुनियां में किसी को अपना मान ली थी
क्या मैं गलत थी ?
खामोश होठों ने भी चुप्पी आहिस्ता से तोड़ा था......

Manshi K

manshik094934

ઞુડ નાઇટ
પઞ માં પડવા તૈયાર છું જો તું માની જાય તો

chirag1768

gautam0218

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gautam0218

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anitagupta2216gmail.com141342

રાષ્ટ્રીય રમત દિવસ
થાકતાં ન બાળકો રમતો રમતાં,
કબડ્ડી, ક્રિકેટ ને ગીલ્લી દંડા!
હૉકી ફૂટબૉલ તો ફટફટ રમાય,
ને બાસ્કેટ બોલમાં કેટલાં પાવરધા!
ચેસમાં તો જીતે દરેક મેચ,
ને લ્યૂડો સૌનો વ્હાલો.
રમી રમીને રમતો આટલી બધી,
ઉતરે નહીં વજન બાળકનું!
વાત નવાઈની સૌને લાગે,
કેમ ન ઉતરે વજન એનું?
જુઓ ધ્યાનથી તો ખબર પડે,
રમે આજનું બાળક આ રમતો,
લઈને હાથમાં મોબાઈલ નામનું રમકડું!
મળે કસરત માત્ર એની આંગળીઓને,
રમી રમીને થાકે આંખો એની,
ને થાકે બેટરી મોબાઈલની!
ખૂટવા લાગે શ્વાસ જ્યારે બેટરીનાં,
થાય રમવાનું બંધ ત્યારે.
રમતાં જે બાળકો મોબાઈલ પર,
શુભેચ્છાઓ આજે એમને,
આજનાં રાષ્ટ્રીય રમત દિવસની.
ઉજવાય આજનો દિવસ,
હૉકીનાં જાદુગર ભારતીય,
મેજર ધ્યાનચંદની સ્મૃતિમાં!

s13jyahoo.co.uk3258

तुम आए तो बहारों ने लुटाई ख़ुश्बू
फूल तो फूल थे यारो,,
काँटों से भी आई ख़ुश्बू,,

Spandan,,

chirageulfatgmail.com145156

*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*पीहर, भादों, कजरी, बदरी, पपीहा*

सावन भादों में सजन, जाना *पीहर*-देश।
भूली-बिसरी याद कर, दूर हटेंगे क्लेश।।

*भादों* की बरसात में, त्यौहारों की धूम।
सखियाँ झूला झूलतीं, नीले-नभ को चूम।।

पीहर में सखियाँ मिलीं, गातीं *कजरी* गीत।
बचपन की यादें भली, मिले पुराने मीत।।

*बदरी* बन कर छा गए, राह देखती द्वार।
भादों गुजरा जा रहा, यौवन लगता भार।।

प्रेम *पपीहा* गा रहा, प्रिय बिन निकले जान।
आम्र कुंज में जा छिपा, छेड़ रहा मृदु तान।

मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*

manojkumarshukla2029

कई बार किसी को समझने के लिए रुकना पड़ता है
और दिक्कत ये है कि हम रुकना नहीं चाहते
वक्त में कुछ तो जादू है जो हमें ऊंचाइयों पर तो ले आता है
पर दूरियां भी देता है .......

ritu5403