Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

Do You Know that if you give troubles to others you will have troubles and if you give happiness to others then you will get happiness?

Read more on: https://dbf.adalaj.org/UhoKM0bF

#happiness #facts #doyouknow #lifelessons #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

ગામની વચ્ચે મંદિર.
મસ્જિદ બન્ને હતાં.

અરે સ્કૂલ હતી. મદરેસા પણ હતા.

ઘણું હતું ચર્ચ, હોસ્પિટલ,
જિમ,મેદાન ઘણું જ હતું.
ગામની વચોવચ.

હા સ્મશાન અને કબ્રસ્તાન ગામ બહાર દૂર હતું

તો પણ પરસ્પર બધા જ લડતાં ઝઘડતાં રહેતાં.

કેમ????

હશે પોત પોતાનો અહમ્ , અહંકાર.
તો જ લડાઈ સંભવે.

કાશ,
ગામની વચ્ચે સ્મશાન અને કબ્રસ્તાન બન્ને સાથે હોત તો કેટલું સારું!

બસ એક દિવસ થઈ જવાનું.

માટી અને રાખ.

ગામની વચ્ચોવચ હોત તો 'રોજે-રોજ સમજાતું

ખરેખર કંઈ ના હોત બસ ગામની વચ્ચે રાખ અને માટીનો સમન્વય હોત.

ખરેખર શાંતિ હોત.🦚🦚

parmarmayur6557

कभी आपकी लाइफ में ऐसा हुआ कि ना घरवाली समझ पाए और ना हम बाहर वाले🦋🦋🦋

gulaboo22

🙏🙏જાણીતા પર્યાવરણવાદી અને સંશોધક સોનમ વાંગ ચૂંકની દેશદ્રોહ નાં આરોપમાં ધરપકડ કરવામાં આવી છે.

ધરપકડ થી નિરાશ વાંક ચૂંકને કોઈએ કાનમાં કહ્યું નિરાશ ના થશો.

અંગ્રેજોની દૃષ્ટિમાં અને તેમના માટે ભગતસિંહ અને સુભાષચંદ્ર બોઝ આતંકવાદી અને દેશદ્રોહી હતા. (સત્ય તકલીફમાં છે સાથ આપવો પડે.જયહિન્દ 🦚🦚

parmarmayur6557

स्त्री और पुरुष – जाल और संस्कार का भ्रम

सदियों से समाज में यह धारणा रही है कि औरत का काम है सहन करना, चुप रहना, कष्ट झेलना।
लेकिन जो कष्ट सहना आज “संस्कार” कहा जाता है, वह वास्तव में पीढ़ी-दर-पीढ़ी बुनी गई जंजीरें हैं।

पुरुष ने अपने वर्चस्व और सोच के अनुसार नियम बनाए,
और कहा — “भाई, बेटियों और पत्नियों के लिए यही सही है।”
साथ ही, स्त्री ने भी – माँ, सास, बहन –
अपने बेटियों, बहुओं और बहनों के लिए वही जाल बुनना जारी रखा,
जो उन्होंने खुद पीढ़ियों तक सहा था।

माँ कहती है – “हमने सहा, तुम्हें भी सहना होगा।”
सास कहती है – “हमने झेला, अब तुम्हारी बारी है।”
बहन कहती है – “संस्कार यही हैं, चुप रहो।”

इस तरह स्त्री ने भी स्त्री के लिए जाल बुन दिया,
और पुरुष ने भी अपनी बेटियों, बहुओं और पत्नियों के लिए वही सोच बनाई।
इस जाल में फँसकर
बहू, बेटी और पत्नी हमेशा सहन करने वाली बनकर रह गई।

आज भी जब कोई पुरुष दूसरी शादी करता है, या गलत दिशा में जाता है,
तो परिवार के लोग कहते हैं —
"अरे, खाने-पीने को तो मिल रहा है, इतनी बड़ी बात नहीं।"
और यही सोच संस्कार का नाम ले लेती है।

लेकिन सवाल उठता है —
क्या सच में कष्ट सहना संस्कार है?
क्या चुप रहना और अन्याय सह लेना ही बहु या स्त्री को संस्कारी बनाता है?

बिल्कुल नहीं।
संस्कार वह है जब इंसान सही के लिए खड़ा होता है,
जब वह अन्याय रोकता है,
और समाज में समानता और न्याय बनाए।

हमारी पीढ़ियाँ यह जाल और यह भ्रम छोड़ सकती हैं।
अगर स्त्रियाँ अपनी बेटियों, बहुओं और बहनों के लिए ढाल बनें,
अगर पुरुष भी अपनी बेटियों, पत्नियों और बहनों के लिए सही का समर्थन करें,
तो यह जाल टूट सकता है।

तब यह कहावत बदलेगी —
“स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है” नहीं,
बल्कि स्त्री ही स्त्री की ताक़त है।
और संस्कार का असली मतलब समझ में आएगा –
कष्ट सहना नहीं, कष्ट रोकना।

archanalekhikha

કોને ખબર કઈ શ્વાસ છેલ્લી હશે? માટે જયા જેવીરીતે જયા જીવવા મળે, મળેલી પળ ને મન ભરી માણી જીવી લો કોઈને કનડ્યા વીના, કાલ કેવી હશે કે આપણા માટે આજજ છેલ્લી હશે શું ખબર? તમને ખબર છે?
તો પછી ખોટા ઉછાટ ખોટી ચીંતા, ખોટા ઘજાગરા , ખોટા અભીમાન ખોટી અકડ , અને ખાસ કરીને દુનીયાએ બનાવેલા જડ નીયમો જે માણસને બાંધી પાંજરા માં પુરીને રાખ્યા છે, એને છોડી ઈશ્વરે આપેલ ખુલ્લા આકાશમાં મુક્ત બનીને જીવો હૈયે કરૂણા રાખી, બાકી બધું શીવ શીવ..

hemantchayayahoo.com134011

🙏🙏જે કોઈની લાગણીઓ નો અનુવાદ કરી શકે છે અનુભવી શકે, સમજી શકે છે.

તેનાં માટે ગુજરાતી, મરાઠી કે અંગ્રેજી ભાષા કરતાં પણ માણસ અને તેની સંવેદનાઓ મહત્વની હોય છે.🦚🦚

🗓️World translation day 🗒️

parmarmayur6557

मातृभारती पर मुझे फॉलो करें,

https://www.matrubharti.com

भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!

rajukumarchaudhary502010

हम भी भाभियों संग हंसी-ठिठोली के मौसम में रहे,
आज ससुराल आकर किसी की बहू, किसी की भाभी बने।

सम्मान को सीने में रखा, हर काम में हाथ बढ़ाया,
न सोचा “सब भाभी ही करेगी”, न खुद को बड़ा बताया।

भाभी भी तो किसी की बेटी, यह मन में सँजोए रहे,
मिल-बैठ कर सीख लिया, घर-रिश्ता दोनों संजोए रहे।

भैया-भाभी के झगड़ों में कभी कान नहीं भरे,
प्यार से समझाया, मनुहार से ही सब ग़महरे।

यही सोच, यही सलीका, यही निभाई रीत,
रिश्तों में न आई कड़वाहट, बनी रही सदा प्रीत।

archanalekhikha

✧ भारतीय नारीत्व और पश्चिम की हवा ✧


1. पश्चिम का रिश्ता कॉन्ट्रैक्ट है, भारत का रिश्ता संस्कार।

2. पश्चिम कहता है: समानता मतलब दोनों एक जैसे दिखें, काम करें, पैसे कमाएँ।
भारत कहता है: समानता मतलब दो का मिलकर एक होना।

3. पश्चिम में मज़ा है, पर गहराई नहीं।
भारत में प्रतीक्षा है, और वही प्रतीक्षा प्रेम की जड़ है।

4. पश्चिम में संबंध कॉफ़ी डेट है।
भारत में संबंध अग्नि साक्षी है।

5. भारतीय नारी का सबसे बड़ा धन प्रतीक्षा है।
वह भीतर ही भीतर पुरुष को धारण कर लेती है।

6. पुरुष जल्दी बह जाता है, स्त्री देर से खोलती है।
यही अंतर प्रेम को रहस्य देता है।

7. जब स्त्री अपनी प्रतीक्षा खो देती है, तो उसकी मौलिकता भी खो जाती है।

8. आत्मनिर्भरता का अर्थ है अपने स्त्रीत्व में निर्भीक होना,
न कि पुरुष की नकल करना।

9. पुरुष शक्ति है, स्त्री शांति है।
पुरुष बहाव है, स्त्री गहराई है।
दोनों साथ हैं तो पूर्णता है।

10. सनातन कहता है: नारी और पुरुष विरोध नहीं, दो ध्रुव हैं।
साथ हों तो धर्म है, प्रेम है, मुक्ति है।

11. पश्चिम का कॉन्ट्रैक्ट सुविधा देता है,
पर आत्मा को खो देता है।

12. भारतीय विवाह जीवन का सौदा नहीं,
जीवन का समर्पण है।

13. पश्चिम कहता है—"आज साथ, कल अलग।"
भारत कहता है—"सात जन्म तक साथ।"

14. अगर पश्चिम श्रेष्ठ है, तो भारतीय प्रेम झूठा है।
अगर भारतीय प्रेम सत्य है, तो पश्चिमी समानता छलावा है।

15. आने वाली पीढ़ियों की असली कसौटी यही है—
क्या वे प्रतीक्षा और गहराई बचाएँगे,
या सब कुछ कॉन्ट्रैक्ट और उपभोग में बदल जाएगा?

---

🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

bhutaji

😭😭😭😭😭

ajit3539

ಧರ್ಮದ ಮಹತ್ವ
ಧರ್ಮ ಅಂದರೆ ಕೇವಲ ಪೂಜೆ, ಪ್ರಾರ್ಥನೆ ಅಥವಾ ಕೆಲವು ವಿಧಿ-ವಿಧಾನಗಳನ್ನು ಪಾಲಿಸುವುದಲ್ಲ. ಇದು ನಮ್ಮ ಬದುಕಿನ ಒಂದು ಅಡಿಪಾಯ. ನಮ್ಮನ್ನು ಉತ್ತಮ ಮನುಷ್ಯರನ್ನಾಗಿ ರೂಪಿಸುವ ಶಕ್ತಿ ಧರ್ಮಕ್ಕಿದೆ. ಧರ್ಮವು ನಮಗೆ ಸತ್ಯ, ನ್ಯಾಯ, ಪ್ರೀತಿ ಮತ್ತು ಸಹಾನುಭೂತಿಯ ಪಾಠಗಳನ್ನು ಕಲಿಸುತ್ತದೆ.

ನೈತಿಕ ಮಾರ್ಗದರ್ಶನ: ​ಧರ್ಮವು ನಮಗೆ ನೈತಿಕ ಮಾರ್ಗದರ್ಶನ ನೀಡುತ್ತದೆ. ಯಾವುದು ಸರಿ, ಯಾವುದು ತಪ್ಪು ಎಂಬುದನ್ನು ಅರಿತು ನಡೆಯಲು ಪ್ರೇರೇಪಿಸುತ್ತದೆ. ಇದು ನಮ್ಮಲ್ಲಿ ಸದಾಚಾರ ಮತ್ತು ಒಳ್ಳೆಯ ಗುಣಗಳನ್ನು ಬೆಳೆಸುತ್ತದೆ. ಇದರಿಂದ ಸಮಾಜದಲ್ಲಿ ಶಾಂತಿ ಮತ್ತು ಸುವ್ಯವಸ್ಥೆ ನೆಲೆಸುತ್ತದೆ. ಉದಾಹರಣೆಗೆ, ಎಲ್ಲಾ ಧರ್ಮಗಳು ಸುಳ್ಳು ಹೇಳಬಾರದು, ಕದಿಯಬಾರದು ಎಂದು ಹೇಳುತ್ತವೆ.

​ಮನಸ್ಸಿನ ಶಾಂತಿ ಮತ್ತು ನೆಮ್ಮದಿ: ​ಸಂಕಷ್ಟದ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಧರ್ಮವು ನಮಗೆ ಆತ್ಮಸ್ಥೈರ್ಯ ಮತ್ತು ಸಮಾಧಾನ ನೀಡುತ್ತದೆ. ನಂಬಿಕೆ ಮತ್ತು ಆಧ್ಯಾತ್ಮಿಕ ಅಭ್ಯಾಸಗಳು ಮನಸ್ಸಿನ ಆತಂಕವನ್ನು ಕಡಿಮೆ ಮಾಡಿ, ಮಾನಸಿಕ ಶಾಂತಿಯನ್ನು ತಂದುಕೊಡುತ್ತವೆ. ನಾವು ಒಬ್ಬಂಟಿಯಲ್ಲ, ಒಂದು ದೊಡ್ಡ ಶಕ್ತಿ ನಮ್ಮ ಜೊತೆಗಿದೆ ಎಂಬ ಭಾವನೆ ಬಲಗೊಳ್ಳುತ್ತದೆ.

​ಸಮಾಜದ ಬಂಧ: ​ಧರ್ಮವು ಜನರನ್ನು ಒಗ್ಗೂಡಿಸುತ್ತದೆ. ಹಬ್ಬಗಳು, ಆಚರಣೆಗಳು ಮತ್ತು ಧಾರ್ಮಿಕ ಕೇಂದ್ರಗಳು ಸಾಮಾಜಿಕ ಬಂಧವನ್ನು ಗಟ್ಟಿಗೊಳಿಸುತ್ತವೆ. ಪರಸ್ಪರ ಸಹಕಾರ ಮತ್ತು ಸಹಾಯ ಮಾಡುವ ಮನೋಭಾವವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುತ್ತವೆ.

​ಕೊನೆಯಲ್ಲಿ, ಧರ್ಮವು ನಮ್ಮ ಜೀವನಕ್ಕೆ ಒಂದು ಅರ್ಥ ಮತ್ತು ಉದ್ದೇಶವನ್ನು ನೀಡುತ್ತದೆ. ಉತ್ತಮ ಮೌಲ್ಯಗಳೊಂದಿಗೆ ಸಂತೋಷದ ಮತ್ತು ನೆಮ್ಮದಿಯ ಬದುಕನ್ನು ನಡೆಸಲು ಧರ್ಮವು ಒಂದು ದಾರಿದೀಪದಂತೆ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತದೆ.

sandeepjoshi.840664

त्य और माया का दर्शन

1. सत्य और विज्ञान का भेद

– विज्ञान की पद्धति: पहले कल्पना, ढांचा, फिर प्राण।
– सत्य की प्रक्रिया: पहले चेतना का अंकुरण, फिर ढांचा।
– यह अंतर क्यों निर्णायक है।

2. मन और उसकी कल्पना
– मन स्वयं कल्पना है।
– देवता, भगवान, ईश्वर—मन की रचना।
– सत्य से इनका कोई सम्बन्ध नहीं।

3. मुक्ति का भ्रम
– मुक्ति का असली अर्थ: कल्पना का अंत।
– लेकिन मन मुक्ति की भी छवि गढ़ लेता है।
– इससे मन और मजबूत होता है।

4. सत्य का स्वरूप
– हवा, पानी, वृक्ष, जीव, पहाड़, बादल, झील, अन्न, हरियाली।
– ये सब सत्य की उपज हैं, इन्हें प्रेम करना है।
– इन्हें कल्पना से सजाना या गढ़ना आवश्यक नहीं।

5. कल्पना का पोषण और धर्म का व्यापार
– मनुष्य को सत्य से प्रेम कठिन लगता है क्योंकि उसका भोजन कल्पना है।
– धर्म सबसे बड़ा कल्पना-बाजार है।
– आत्मा, देवता, मुक्ति—सब बिकाऊ कल्पनाएँ।
– यही माया है।

6. नास्तिकता का भ्रम
– नास्तिक जड़ और भोग में अटक जाता है।
– भोग और नशा तोड़े जा सकते हैं,
पर कल्पना के जाल को देख पाना कठिन है।

7. धर्म का पाखंड
– जब मनुष्य के पास काम/व्यवसाय न हो,
तो धर्म-व्यापार में लगकर आर्थिक स्थिति सुधार लेता है।
– यही वर्तमान धार्मिक पाखंड है।

परिशिष्ट : शास्त्र, विज्ञान और दर्शन में प्रतिध्वनि

अध्याय 1 : सत्य और विज्ञान का भेद

तैत्तिरीय उपनिषद : “सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म” — सत्य का स्वरूप कल्पना या ढांचे से नहीं, चेतना से प्रकट है।

बुद्ध का प्रतित्यसमुत्पाद : सब कुछ सह-उद्भव है, कोई अलग से योजना और फिर प्राण डालने की प्रक्रिया नहीं।

आधुनिक विज्ञान : वैज्ञानिक पद्धति पहले परिकल्पना बनाती है, फिर ढांचा और प्रयोग — यही तुम्हारे कहे "कल्पना-आधारित विज्ञान" से मेल खाता है।

---

अध्याय 2 : मन और उसकी कल्पना

पतंजलि योगसूत्र : “वृत्तिसारूप्यमितरत्र” — मन की वृत्तियाँ ही कल्पना बनाती हैं।

धम्मपद : “चित्तमेव पापं च चित्तमेव पवित्रं” — मन ही सब भ्रम और सत्य का स्रोत माना गया।

प्लेटो की गुफा की उपमा : मन छाया को सत्य समझ लेता है, जैसे तुमने कहा—मन स्वयं माया है।

---

अध्याय 3 : मुक्ति का भ्रम

कठोपनिषद : “यदा सर्वे प्रमुच्यन्ते कामा येऽस्य हृदि श्रिताः…” — जब सभी कामनाएँ मिटती हैं तभी मुक्ति है।

बुद्ध : निर्वाण का अर्थ तृष्णा और कल्पना की लौ बुझ जाना है, न कि कोई और गढ़ा हुआ लक्ष्य।

नागार्जुन : मुक्ति कोई वस्तु नहीं, शून्यता का बोध है।

---

अध्याय 4 : सत्य का स्वरूप

ईशोपनिषद : “ईशावास्यमिदं सर्वं” — जो कुछ प्रकट है वही सत्य है।

धम्मपद : “पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश—ये ही मूल सत्य हैं।”

आधुनिक विज्ञान : प्राकृतिक नियम और तत्व स्वयंभू हैं, मन की परिकल्पना से नहीं बने।

---

अध्याय 5 : कल्पना का पोषण और धर्म का व्यापार

गीता : “कामैस्तैस्तैर्हृतज्ञानाः” — इच्छाओं से विवेक हर लिया जाता है, धर्म भी व्यापार बन जाता है।

बुद्ध : “अप्प दीपो भव” — दूसरों की कल्पनाओं पर मत चलो।

समाजशास्त्र : धर्म को प्रतीकों और आस्थाओं का बाज़ार कहा गया है।

---

अध्याय 6 : नास्तिकता का भ्रम

बुद्ध : न आस्तिक, न नास्तिक — केवल “प्रतित्यसमुत्पाद” की शिक्षा।

चार्वाक : जड़ भोग पर जोर दिया, पर कल्पना से पूरी तरह मुक्त न हो पाए।

नीत्शे : “ईश्वर मर चुका है” कहा, पर उसी स्थान पर नई कल्पना (Übermensch) रख दी।

---

अध्याय 7 : धर्म का पाखंड

गीता : “वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीतिवादिनः” — जो लोग धर्म को साधन बनाते हैं, वे भ्रमित हैं।

बुद्ध : “धम्मवणिज्जा न हत्था” — धर्म का व्यापार सबसे बड़ा पाप है।

इतिहास : हर युग में धर्म को जीविका का साधन बनाया गया, यही पाखंड है।

bhutaji

Treat everyone equal

kattupayas.101947

Things to do

kattupayas.101947

Happy Sunday evening

kattupayas.101947

Think positive

kattupayas.101947

bhudda the great

kattupayas.101947

Just one step

kattupayas.101947

Good evening friends

kattupayas.101947

"इच्छा से वासना तक — जीवन ऊर्जा का रहस्य"
🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

इच्छा – यह जीवन की पहली चिंगारी है। भीतर का पहला जागरण। जन्म लेने के साथ ही आँख खुलती है, भूख-प्यास उठती है, जिज्ञासा जन्म लेती है। यही मूल गति है — सृजन का बीज। इच्छा कभी स्वप्न बनती है, कभी हक़ीक़त को आकार देती है।

काम – इच्छा की शाखाएँ। इच्छा जब गति पकड़ती है तो काम बन जाती है। काम के कई रूप हैं — भोजन की खोज, भूख-प्यास का तृप्ति, स्पर्श-सुख, दृष्टि का आनन्द। यह सब शरीर और जीवन की बुनियादी गतियाँ हैं। काम भीतर से भी उठ सकता है (ऊर्जा, स्वप्न, कल्पना), और बाहर भी प्रकट हो सकता है (स्त्री-संबंध, रचना, आनंद)।

सेक्स – काम का एक विशिष्ट रूप, जो शरीर और प्रजनन से जुड़ा है। सही जगह और सही दृष्टि से यह प्रेम और रचनात्मकता में बदल सकता है, लेकिन केवल भोग की दृष्टि से यह सीमित और गिरा हुआ रूप है।

वासना – जब इच्छा या काम को अनुचित, अनीतिगत या दमनकारी ढंग से पकड़ लिया जाता है। जैसे स्त्री को केवल भोग की वस्तु मानना, या धन/विषय/पद को पाना किसी भी कीमत पर। वासना का केंद्र असंतुलन और स्वार्थ है।

इच्छा — पहली गति

शास्त्र प्रमाण: ब्रह्मसूत्र कहता है – “लोकवत्तु लीला कैवल्यम्” — सृष्टि ब्रह्म की लीला है, इच्छा की पहली लहर है।

सूक्ष्म रहस्य: इच्छा जीवन की आँख है। जब शिशु जन्म लेता है, उसका पहला रोना भीतर उठी इच्छा की ध्वनि है। यही "मैं होना चाहता हूँ" की घोषणा है।

---

2. काम — मूल प्रवृत्ति

शास्त्र प्रमाण: कामसूत्र और ऋग्वेद में "काम" को सृष्टि का प्रथम देवता कहा गया — “कामस्तदग्रे समवर्तताधि” (ऋग्वेद 10.129.4)।

सूक्ष्म रहस्य: काम सिर्फ़ यौन ऊर्जा नहीं है, यह मूल आकर्षण है जिससे जीवन बहता है — अन्न की ओर आकर्षण, संगीत की ओर आकर्षण, साथी की ओर आकर्षण।

---

3. सेक्स — काम का विशेष रूप

शास्त्र प्रमाण: उपनिषद कहते हैं — “स योषित्संगो लोको वै स लोकः” — स्त्री-पुरुष का संग प्रजनन और जीवन की निरंतरता का साधन है।

सूक्ष्म रहस्य: सेक्स ऊर्जा के बहिर्मुख रूप में है। यदि इसे प्रेम और ध्यान में बदला जाए, तो यही ऊर्जा भीतर उठकर समाधि का द्वार बनती है।

---

4. वासना — विकृति

शास्त्र प्रमाण: गीता कहती है — “कामेष क्रोधेष रजोगुणसमुद्भवाः महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्” (गीता 3.37) — काम जब वासना बन जाता है, तो वही महापाप और वैरी है।

सूक्ष्म रहस्य: वासना वह जगह है जहाँ ऊर्जा दबी या विकृत होकर निकलती है। इच्छा का निष्कपट बीज यहाँ तृष्णा और स्वार्थ में बदल जाता है।

---

5. सीढ़ी का रहस्य

इच्छा → काम (मूल लहर)

काम → सेक्स (एक शाखा)

सेक्स → प्रेम (अगर चेतना है)

प्रेम → समाधि (ऊर्जा का आरोहण)

सेक्स → वासना (अगर अनीति है)

वासना → बंधन (लत और पीड़ा)

👉 इसलिए शास्त्र कहते हैं:

वेद: काम सृष्टि की जड़ है।

गीता: वासना बंधन है।

उपनिषद: सेक्स भी ध्यान का द्वार बन सकता है।

तंत्र: काम ही समाधि का पुल है।

🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

bhutaji

मुश्किलें चाहे जितनी आएं, हौसला मत खोना,
अंधेरा चाहे गहरा हो, सुबह जरूर होना।

ganeshkumar6818

આપ શ્રી કોઈને પણ કોઈ હેલ્પ ની જરૂર હોય તો આ શ્રીમાન નો contact કરવો એેમને...એમનો નંબર સામેલ કરેલ છે..જી.. કોઈ ખોટી ધારણા નાં રાખવી ખૂબ સારી નિયત થી જસ્ટ ladies ની હેલ્પ કરવા જ આગળ વધે છે... 🙏

nikitavinzuda6548

निन्द आये या ना आये
पर ख्वाब कभी आना बन्द नही होते .

mashaallhakhan600196