“सुरासम्पूर्ण कलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
वन्दे वांछित कामार्थे, चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा, कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥”
आदि शक्ति के चतुर्थ विग्रह “मां कूष्मांडा” के नाम से विख्यात देवी, हम सभी को अपनी जीवनदायिनी ऊर्जा और शक्ति से सभी प्रकार के संकटों, रोग-शोक का समूल नाश कर, आयु, यश-कीर्ति एवं सुबुद्धि प्रदान करें।