लेखनी मेरा विस्तार ..(3) पुसतकों का प्रकाशन.. "एक मुसाफिर ऐसा भी" बाल ठाकरे,"नस बंदी से नोट बंदी तक"काव्य संग्रह,"विकास पथ नरेन्द्र मोदी"Biography तीनों पुस्तकें"amazon" पर उपलब्ध हैं। ebook.."एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर".coming soon new ebook... गजल़

"कुछ ऐसा न करो, कि एहसास भी साथ छोड़ दे
घर के कोने में बचा हुआ, लम्हा भी हाथ छोड़ दे"
----- डॉ अनामिका ---

जय श्रीराम
समस्त देशवासियों को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

-डॉ अनामिका

"मुझे याद है वो गुजरा ज़माना
मेरे मन मस्तिष्क में संचित है
'नौ वर्ष की उम्र का अफसाना'
विद्यालय में आधे दिन की छुट्टी है
कहकर भाग आना..
'थर्मल पावर के ऑफिस' के हाते में..
लगे बैर के पेड़ों से.. बेर तोड़ना..
वहाँ के पहरेदारों द्वारा दौड़ा-दौड़ा कर
भगाया जाना..
मुझे आज भी याद है"
---डॉ अनामिका----

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"मुझे याद है,, आज भी वो गुजरा जमाना..
जिसमें संजो रखा है "बचपन का अफसाना"
छ: साल की उम्र,
'परीक्षा की उत्तर पुस्तिका को परचा सहित घर लाना'
माँ की डांट,दादी का समझाना
माँ के द्वारा तुंरत विद्यालय वापस जाना
हर साल परीक्षा में शिक्षकों द्वारा.
समझाया जाना...
बेटा परचा घर ले जातें हैं
उत्तर पुस्तिका नहीं और मेरा झेप जाना.. "
---डॉ अनामिका---

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तुम कांति हो मेरे, यह बता सकती नहीं
रश्मियाँ ज्यों अपनी आभा छिपा सकती नहीं..
दूर दूर तक यह नीलमणि सा फैला आकाश
ज्यों अपनी माणिक मुक्ता अपनी कीमत दिखा सकते नहीं "
----- #डॉ_अनामिका -----

-डॉ अनामिका

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"जज्बातों को रोक रखा है,कहीं दिख न जाए आंखों की नमीं..
देखना है!!कब तक इसे रोक पाती है सच्चाई की जमीं"--
---डॉअनामिका--

-डॉ अनामिका

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"कैसी विडम्बना है इस युग कि...बदलते देखना सब चाहतें हैं पर बदलना नहीं चाहते"
डॉ अनामिका

-डॉ अनामिका

"मन उसका पाकीज़ा था,लफ्ज़ उसके बहिश्त
जिंदगी भले देर से मिली,पर मिलीं उसकी अमानत"
---डॉ अनामिका---
#सरस_काव्य
#बज्म़
#काव्यकृति

-डॉ अनामिका

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"स्वच्छ शुभ्र किरणों ने भर दिया ओज
हर ओर स्पंदन बिखेर कर रहा शोर"
---डॉ अनामिका---

"वरक़ की गर्दिशों ने सिलवटों को सजाया..
तराशें हुए पत्थर को हीरा उसी ने बनाया...
वरना हम तो इतिहास बने बैठे थे ज़माने में
कल आज और कल के नज़राने में"...
डॉ अनामिका-

-डॉ अनामिका

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