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अंदाज कर वक्त पर संभल तूफ़ां सामने फिर क्यों चल-विचल निर्झर सा झर दो पल ठहर चारो प्रहर बस चलता चल किंचित कठिन हैं मंज़िल की डगर तो क्या हुआ यहाँ कुछ नहीं अचल बढ़ तू बढ़ता चल #डॉ_अनामिका #हिंदी_शब्द #हिंदी_का_विस्तार #हिंदी_पंक्तियाँ #बज्म़
सभी चित्रगुप्त वंशजों को चित्रगुप्त पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ..
भारतवर्ष एक ऐसा नाम है जहाँ से स्वर्ग के सभी दरवाजे खुल जातें हैं.. फिर क्यों ना हो सबको प्यार हमारे देश से.. #डॉ_अनामिका #जय_हिंद_जय_भारत #हिंदी_का_विस्तार #हिंदी_शब्द #हिंदी_पंक्तियां
महज़ यूं ही गुल नहीं आते बहार में गुलिस्ताँ सदियों तड़पता है गुल के इंतजार में.. #डॉ_अनामिका #हिंदीशब्द #हिंदीकाविस्तार #हिंदीपंक्तियाँ #ऊर्दूअलफ़ाज़ #बज्म़
अरसा गुजर गया उसे ढूंढते हुए आंगन का कद भी बढ गया पर अंधेरा आज भी कायम है.. घरौंदा बनाते बनाते वो परदेशी हो गया.. शहर आबाद हुआ गांव सुनसान.. #डॉ_अनामिका
जगमगाने लगे हैं दीपक चहुंओर बरस रही कृपा लक्ष्मी की हर ओर --#डॉ_अनामिका -- #हिंदीशब्द #हिंदीकाविस्तार #हिंदीपंक्तियाँ #धनत्रयोदशी #धनतेरस_की_शुभकामनाएं
फा़ख़ता वादियों तक में मेरी बात पहुंचा आ कहतें हैं मालिक-ए-तख्त-ओ-ताज वहाँ बसते हैं --डॉ अनामिका-- #हिंदीकाविस्तार #हिंदीपंक्तियाँ #हिंदीशब्द #बज्म़ #ऊर्दूअलफ़ाज़
कभी खत्म नहीं होते कायनात के किस्से वरक़ पलट देखो, सब रो रहे अपने हिस्से. -डॉ अनामिका--
शब्दों के खेल से कई घर उजड़ गए वरक़ पलटो इतिहास के,कई साथी बिछड़ गए. #डॉ_अनामिका #हिंदी_का_विस्तार #हिंदी_शब्द #हिंदी_पंक्तियां #ऊर्दूअलफ़ाज़
फा़ख्ता़ उड़ कर संदेशा पहुंचा आना गुजरे वक़्त की बातें बता आना --- अबकी जो जाना कुछ नया लेकर जाना बदलते कायनात के रंग ढंग बता आना डॉ अनामिका
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