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"अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हर्षण योग ---- जन्मे हरि मधुर सुहावन बेला रजनी --- सुंदर सब लड्डू गोपाल का स्वागत है --- सुंदर मुख दधि युक्त चेहरा त्रिलोक पूरा --- जन मानस मना रहे त्यौहार खुश गोपाल. --डॉ अनामिका-- --विधा हाइकु-- --दिनांक २६/०८/२०२४
"लोग अक्सर सुधरे इंसान को सुधारते हैं -- अभद्र लोग उनके फेहरिस्त के चाटूकार हैं -- बाजार वाद के हमाम में सब नि:वस्त्र हैं " --डॉ अनामिका-- विधा हाइकु दिनांक २४-०८-२०२४
पैदा होते ही मारने को तैयार कैसा व्यापार -- आसमां छूती उम्मीद से आगे ख्वाहिश है -- खुद मिटकर जगाती संसार को जननी है वो --- होती शिकार बलात्कारी संसार लिंग काट दो -- जिन हाथों से मर्यादा को मरोड़ा काटो उनको ---- सजा देने का अधिकार हमे दो मसला हल. --डॉ अनामिका-- --विधा -- हाइकु-- दिनांक २३-०८-२०२५
"अजीब कुछ माहौल बना यहाँ हौसले टूटे ---- बेजार से वो जिम्मेदारी ओढे तथ्यहीन ------ सुरक्षित है कैसे लोग यहाँ भी बताओ तुम" ------- ---डॉ अनामिका--- दिनांक २३/०८/२४ (विधा हाइकु)
" बेटी सुरक्षा पर असुरक्षित सवाल छाया" ----- "सहमे लोग अस्मिता घायल बेकार तंत्र" --- "उठो तुम तो प्रचंड जोश भर अकेले लडो़" --- "समाजिकता का आवरण फेंको करो फैसला" विधा---हाइकु हाइकु --डॉ अनामिका--- दिनांक २१/०८/२०२४
जगत देख रोया मन मेरा भी बेचैन मन --- तलाश जारी बढा पीर मन में आजादी नहीं --- इस कदर हताशा के विस्मृत क्षण करीब " --डॉ अनामिका -- -- विधा---हाइकु -- दिनांक-२१/०८/२०१४
"वक्त गुजरा सावन की तरह पंख विहीन ---- बरसात में खेत सूख गए तलैया बगै़र पानी, " (विधा-- हाइकु) डॉ अनामिका दिनांक २०-०८-२०२४
कुछ तो बोलो स्पंदन है बाकी चले जाना है ---- छोड़ संसार जीवन की कहानी बस इतनी. --डॉ अनामिका-- (विधा - हाइकु) १७/०८/२०२४
"देश के खातिर तत्पर रहना, हम सभी का काम है संस्कृति,सभ्यता,व सनातन हमसब का अभिमान है" हर घर तिरंगा घर घर तिरंगा --डॉ अनामिका--
वक्त की सिलवटें आज भी पुकार रही हैं
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