Quotes by Nirbhay Shukla (Na shukla) in Bitesapp read free

Nirbhay Shukla (Na shukla)

Nirbhay Shukla (Na shukla)

@nirbhayshuklanashukla.146950
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कभी लगता है शोर हू मैं....

कभी लगता है मौन हू मैं ,,,

ये समझ नही आ रहा आखिर कौन हूं मैं..?

कभी लगता है मुस्कुराहट हूं...
मैं कभी लगता है घबराहट हूं मैं खुद को रोज तलाशू आखिर कौन हूं मैं....

कभी लगता है मंजिल को पाने की राह हूं मै ...

कभी लगता है आसमान को छूने की चाह हूं ...मैं जिंदगी के सफर में ये नही समझ आ रहा आखिर कौन हूं मैं...!!

–निर्भय शुक्ला....

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मां ने आज बालों को फेरा है पापा ने भी कहा तू सवेरा है

पर देखकर इनकी बढ़ती उम्र को अब मुझ पर जिम्मेदारियों ने डाला डेरा है!

अब मेरे शौक भी मझसे मिला नही करते मैं वो निर्जीव विटप हूं जिसके पत्ते भी हिला नहीं करते

अब पैसा कमाने लगा हूँ, दोस्त नहीं जो दोस्त हैं, वो मुझसे गिला नहीं करते.....

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Mai jeevan likhun to

Tum apna sath samjhna...

Mai sukun likhu to

Tum apne hatho me Mera hath samjhna

Mai raat likhu to...

Tumhi ho mera har khwab smjhna

Aur mai mohabbat likhu to

Tum mere dil par apna Raaz samjhna...💓

पाया तुझें तो सपने भी सच लगने लगे.....

तुम अज़नबी से आज मेंरे अपने लगने लगे...💖

होता नहीं यकीन अपने खुद के किस्मत पर
तुम मेरी धड़कन में कुछ इस तरह बसने लगे...❤️❤️

–निर्भय शुक्ला....

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बिछड़े हुए लोग कहाँ लौटते हैं?
तारों की रौशनी
कब दोबारा ज़मीं पे उतरती है,
फूल खिले हों जो कभी,
वो दोबारा नहीं महकते हैं।

साँसें तो चलती हैं,
मगर कोई आवाज़ नहीं देती,
जो एक बार दिल से उतर जाए,
वो यादों में ही बसती है।

"बिछड़े हुए"
मिलते हैं,
बस ख़ामोशी की गहराइयों में..!!

–निर्भय शुक्ला....

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गुज़रे हुए लोग कहाँ लौटते हैं?
बचपन की रेतें नहीं लौटती,
वो टूटी हुई पेटियाँ नहीं बजतीं।
आंधियाँ लौट के कब आई हैं,
जो शाखें झुकीं, फिर नहीं सजतीं।

जो बिछड़ गए, वो बस यादों में हैं,
ना वो बातें, ना वो वादों में हैं।
"गुज़रे हुए" लौटते हैं कहाँ,
बस नींदों में या फ़रियादों में हैं...!!

–निर्भय शुक्ला....

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