चाय और ' तुम ' ☕
शायद अब बन चुकी हैं आदत,
गुजारने की अपनी शामें,
चाय के साथ।
नहीं कारण कि मुझे,
चाय से अधिक मोह हैं,
बल्कि सिर्फ़ इतना कि,
ये देती हैं मुझे कुछ वक्त,
जो मैं गुजार सकूं तुम्हारे साथ।।
अक्सर चाय का कप अपने हाथ में लेना,
मुझे दिलाता हैं याद,
तुम्हारे हाथों का मेरे हाथों में होने की।
चाय के कप को लेके घूमना पसंद हैं मुझे,
शायद इसलिए,
क्योंकि की हैं हमनें,
कई लंबी यात्राएं साथ में।।
अक्सर पसंद करता हूं पीना,
चाय बिना शक्कर वाली,
नहीं इसलिए कि,
मुझे पसंद हैं या कुछ अन्य,
सिर्फ़ इतना क्योंकि,
तुम्हारी यादें भर देती हैं मिठास,
फीकी चाय में।
अदरक का अधिक हों जाना रोक देता हैं मुझे,
आने से तुम्हारी ओर,
क्योंकि अधिकता नैसर्गिक रूप से,
बन जाती हैं कारण
समाप्त होने का,
बहुत सी चीजों के।।
लौंग इलायची का संतुलन,
दिलाता हैं याद,
तुम्हारे साथ बिताए मसालेदार क्षण।
शायद अब बन चुकी हैं आदत,
कप में चाय छोड़ने की,
क्योंकि सीखा हैं मैंने तुमसे कि,
कैसे छोड़ा जाता हैं? अधूरा।।
प्रमाण हैं मेरा महीने में,
एक चाय का कप जान बूझकर तोड़ना,
इस बात का कि,
निश्चित रूप से मैंने सीखा हैं,
बहुत कुछ तुमसे।
खेर! बावजूद सबके अक्सर,
नहीं बनाता मैं चाय अच्छी,
नहीं कारण कि बना नहीं सकता,
अपितु सिर्फ़ इसलिए,
क्योंकि अच्छी चाय नहीं दिलाती मुझे,
कभी तुम्हारी याद, क्योंकि
शायद "तुम अच्छी थी ही नहीं।।"