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Naaz Zehra लिखित उपन्यास "My Devil Hubby Rebirth Love" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/novels/46948/my-devil-hubby-rebirth-love-by-naaz-zehra
Naaz Zehra लिखित उपन्यास "मेरा भाई" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/novels/46976/mera-bhai-by-naaz-zehra
उसकी हांसी बड़ी क़तील है ए -मुर्शद क्योंकि हमें रोता हुआ। देखकर जो खुब हंसते हैं, उसका वही हंसना हमें क़माल का लगता है। उसको हंसता हुआ। देखकर ये दिल और रोता है।
तेरी बेवफाई देखकर तुझसे कुछ क्या कहने लगी। ए -मुर्शद मैं पागल हो गई यह कहकर मुझे खामोश कर देता है। तेरी बेवफाई देखते ,देखते टूट कर इस तरह खामोश हो गई हूं अब तो मुझे देखकर हर कोई पागल कह देता है। देखी तूने मेरी बेइंतहा मोहब्बत तेरे कहते ही मैंने तेरी बात सच करके दिखाइए अब मैं हर किसी से बेचारी पागल कहलाई।
तेरी इन मासूम आंखों से बड़े धोखे खाएं, हमने ए -मुर्शद क्योंकि तेरे बेवफाई करने के बाद तेरी मासूम आंखें तुझे , बेगुनाह जो बड़ी कमाल से करती है। और कमबख्त हम भी तुम्हारी इन मासूम आंखों के जाल में बड़ी आसानी से आ जाते हैं। Naaz
रूठ कर हमें क्या दिखाना चाहते हो। बेकसूर हो ,या यह बताना चाहते हो। मेरी हर बात ग़लत अपनी हर, बात सच्ची बताना चाहते हो। देते आए हमें हर कदम पर धोखे। क्या इस बात को ठुकराने चाहते हो। मेरे साथ बेवफ़ाई नहीं वफ़ा करते आए हो। मैं पागल हूं। तुम समझदार या यह मनवाना चाहते हो।
रूठे रूठे रहने लगे है। आजकल वो" क्योंकि जान गए हैं। वो की" पहचान गए। हम धोखेबाजी उनकी जो" डरते हैं। नजरे मिलाने से हमसे वो " इसलिए रूठे रूठे रहने लगे है। आजकल वो "
कई दफा का विश्वास तोड़ने के बाद" विश्वास दिलाते जाओगे हम विश्वास करते जाएंगे। तुम झूठे होने के बाद सच्चा बताओगे। हम तुम्हें सच्चा मानते जाएंगे। दिल भार जाने के बाद जिस" दिन तुम हमारे पास लौट कर आओगे। उसे दिन तुमसे इतनी दूर चले जाएंगे। अगर बुलाओगे भी तो कभी लौटकर नहीं आएंगे।
एक थी लड़की नादान सी " थी' इस दुनिया से अनजान वो " बड़ी नजर एक धोखेबाज़ कि उस पर " चली चाल अपने इश्क उस पर " मासूम थी' नादान थी ' पहचान ना सकीं धोखेबाज़ हैं वो " फंस गई 'चाल में धोखेबाज़ की वो" दिलाया यकीन धोखेबाज़ ने इतना" लगने लगे थे 'अपने भी पराए उसको_ अपने थे' जानते थे' पहचानते थे इस दुनिया को वो " समझाने लगे 'उस नादान को वो" छोड़ दो आ जाओ लौट कर "धोखेबाज है वो " ना समझ सकी अपनों को वो" छोड़ा अपनों को हो गई 'धोखेबाज की वो " रूठे अपने तोड़ा रिश्ता हो गई 'तन्हा वो " जब दिल भर गया 'धोखेबाज का उससे " छोड़ गया' रोता तड़पता उस नादान को वो " रोती रही बुलाती रही' वापस ना आया' धोखेबाज वो " टूट यकीन हो गई 'नफरत इस दुनिया से उसको" डरने लगी थी ' अब रोशनी से वो " हो गई थी "दोस्ती अंधेरे से उसकी " रोती चिल्लाती तड़पती अंधेरे में वो" जिसे सुनने वाला था ना कोई अब अपना उसको " थक गई थी' हार गई थी' दुःख तकलीफों से वो " चाहती थी' सोना सुकून से वो " एक दिन हो गई आजाद इस दुनिया से वो " छोड़ गई' चीखें अंधेरे में अपनी वो " जिसे सुनने वाला था ना कोई अब अपना उसको "
ऊपर वाले ने इंसान को दिल भी खुब दिया ,, जब किसी के साथ वफ़ा करो तो,,, कमबख्त बेवफाई जरूर खाता है,, और नहीं दिल टूटने की आवाज आती है ,, इसलिए बेवफा इस दिल को और तड़पता है,,
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