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Hemant Parmar

Hemant Parmar

@hemantparmar9337


संगीत
अनंत है,
हर जगह है,
दिल की धड़कन में भी,
झरने के कल कल में भी,
कोयल की कूक में भी,
पपीहे की हूक में भी,
पत्तों की सरसराहट में भी,
झींगुर की झनझनाहट में भी,
रात के सन्नाटे में भी,
भोर के उजाले में भी,
अनंत रूप संगीत के,
हर हृदय में विद्यमान है।

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फिर से मैं छोटा हो जाऊं
गोदी में थककर सो जाऊं
छोड़ जहां की चिंता सारी
मां रोने का मन करता है।।
मां मेरा भी मन करता है।।

मोटा काजल मैं लगवाऊं
माथे पर टीका बनवाऊं
तेरे आंचल की छाया में
मां खोने का मन करता है।।
मां मेरा भी मन करता है।।

गुड्डे गुड़िया और खिलौने
मोटू पतलू लंम्बू बौने
सिक्के वाला पेड़ जमीं में
मां बोने का मन करता है।।
मां मेरा भी मन करता है।।

छोड़ जवानी के अफसाने
तोड़ सभी कानून पुराने
बड़े से छोटे बच्चे जैसा
मां होने का मन करता है।।
मां मेरा भी मन करता है।।

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मोहब्बत कभी अतीत का हिस्सा नही बनती,
यह होती है और रहती है।

आप शहर बदल ले या देश छोड़ दें,
जिंदगी में बड़े से बड़ा बदलाव ले आए,
स्वयं को व्यस्त कर लें,
लेकिन मोहब्बत अपनी जगह से जर्रा बराबर भी नही हटती।

मोहब्बत और MOVEON का आपस में कोई रिश्ता नही है,
आप चाय या कॉफी पीते हुए किसी कहानी या फिल्म में किरदारों को देखकर
कोई अधूरा गाना सुन के और यहाँ तक की राह चलते हुए
किसी पुराने कागज के टुकड़े पर भी
सिर्फ मोहब्बत शब्द लिखा हुआ पढ़ लें तो
आपके दिमाग में उसका चेहरा आ जाएगा..!

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" जब कोई स्त्री
किसी पुरुष को गले लगाती हैं
तो वो अपने अंदर की सारी कठिनाइयों को
आँसू में बहाकर
सहजता से

अपने अंदर जीने की एक नई उम्मीद
जगा लेती हैं
यही खूबसूरत ज़िंदगी हैं ।।

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valantine spacial poem

मुझसे मिलने आये, तो इतना श्रृंगार ना रख।
इक बिंदी, दो चूड़ी, इक नथ बस पा के रख।
आज मिली तो कल बिछड़ने का भी दस्तूर होगा,
ये लाली, काजल, पायल, सनम के लिए संभाल के रख।

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जाने की जल्दी में लोग
अक्सर भूल जाते हैं
सब कुछ कहाँ , ठीक से बंद कर पाते हैं

कभी कोई खिड़की उम्मीद की
तो कभी कोई दरवाज़ा इंतज़ार का
ज़रा सा खुला छोड़ ही जाते हैं ।

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उन्हें पुकारा गया
शहर या गाँव के नाम से
बहराइच वाली, सहारनपुर वाली, बनारस वाली, मेरठ वाली...
कभी बच्चों के नाम से
रानू की माँ, शिवम की माँ, रेखा की माँ...
पति के पेशे से भी हुई इनकी पहचान
मास्टरनी, डाक्टरनी, मील वाली, भट्टा वाली...
तो किसी ने कहा
विधवा, बाँझ, बदचलन, बेहूदा या ख़राब औरत।

औरतें जो खपती रहीं
मकान को घर बनाने में
जिम्मेदारियाँ निभाने में
पति के नख़रे उठाने में
बच्चों को लायक बनाने में

ताउम्र कोई नहीं जान पाया
उनका असली नाम
सिवाय घर की एक दीवार के...

यहाँ लटकी हुई तस्वीर में वो साथ झूलता है।

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"बेटे,

गर्व से जीने वाला इंसान कभी दूसरे के मेज़ से मुफ्त में नहीं खाता।

अगर तुमने योगदान नहीं दिया, तो उपभोग मत करो।
अगर तुमने इसे कमाया नहीं, तो इसे लेने की कोशिश मत करो।

जीवन में कुछ भी बिना कीमत के नहीं मिलता—तुम्हारी गरिमा इतनी कीमती है कि उसे एक मुफ्त भोजन के बदले नहीं बेचा जा सकता।

अपने पैरों पर खड़े होओ। वह आदमी बनो जो दूसरों को खिलाता है, न कि वह जो खिलाए जाने का इंतज़ार करता है।"

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मैं तुमसे प्रेम करती हूं!

मेरे इस शब्द में नहीं समाता मेरा प्रेम!
मेरे इस प्रेम में मैं तुमसे कुछ नहीं चाहती सिवाय तुम्हारे प्रेम और स्नेह के !
तुमसे तुम्हारा ध्यान, थोड़ी सी फिक्र और थोड़ी सी अपनी भावनाओं को कदर चाहती हूं..!

जानती हूं पुरुष सब कुछ समझ सकता है लेकिन वो कहीं ना कहीं स्त्री के भीतर छुपे उसके बाल मन को नहीं समझ पाता है, उसका पौरुष शायद उसको समझने की अनुमति नहीं देता..! लेकिन तुम प्रेम में जरा सी स्त्री बन के देखो,फिर तुम पहचान पाओगे उस डर को, जो खो देने के भय से कितना क्लांत हो के अधीर हो उठता है..!
छोटी छोटी खुशियों को जीने वाली स्त्रियां इस अकारण भय से कितनी सहम जाती हैं !

बहुत दूर हैं हम..पांव के नीचे कोई ठोस धरातल नहीं है न, सिवाय विश्वास और प्रेम के.! इस विश्वास और प्रेम के सहारे तुम संग लम्बा सफर तय करना चाहती हूं....बस तुम अपने बढ़े हुए हाथ को कभी पीछे मत खींचना

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