Quotes by Hemant Parmar in Bitesapp read free

Hemant Parmar

Hemant Parmar

@hemantparmar9337


બાથરૂમમાં ન્હાવા માટે અંદર જાઉં એ પહેલા

ટીવી પર સમાચાર જોયા ઠંડીને કારણે ૩નાં મૃત્યુ

પાછા કપડા પહેરી લીધા

જીવતા હશું તો ઉનાળામાં પણ નાહી લેશું ..



બરાબર ને ? 😁


*ત્યાં હાથ માં આવ્યું સ્નાન સુત્ર*

નિત્યે ન્હાય એ નરકે જાય,

માસે ન્હાય તો મહાપદ પાય,

વર્ષે ન્હાય એ તો વૈકુંઠ જાય,

કદી ન ન્હાય એને ઘેર જમ પણ ના જાય.


🤣🤣🤪🤪🤪

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तेरे पैरो को मोहब्बत की निशानी से सजा दू
बहुत हुआ तड़पना आ अब तुझे अपना बना लूं
रख इन हसी कदमों को मेरे बाजुओं में दिलबर
आ तुझको अपने हाथों से एक पायल पहना दू...💞

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पहन ही लो तुम मेरी मोहब्बत का
स्वेटर,,,
कही मेरे ख्वाबों को ठंड ना लग जाए...
बहक ना जाए कहीं, कमबख्त इस चाय की नीयत,,,
तुम बार बार, यूं देर तक,,,
भाप बन कर मुझे यूं गले से ना लगाया करो...!!❤️❤️

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वो जाना चाहता था,
तो उसे जाने दिया।

न वजह पूछी
न एक बार फिर से
सोचने को कहा
और न फिर कभी
लौटने के इरादे को लेकर
उसका मन टटोला,

बगैर किसी आस के
बगैर किसी उम्मीद के
उसे जाने दिया ।

अपनी सोच से,
यादों की खोज से
सुनहरे ख्वाब से
अपनेपन के अहसास से
बातों की मिठास से
वादों के हिसाब से,
जीवन की किताब से
मिटा कर जाने दिया।

क्योंकि उसने जाना चाहा
और उसकी चाहना ही तो
मायने रखती
चली आई सदा से
तो जाने दिया।

उसके जाने से
रीत जाएगा जीवन
उसके जाने से
भीग जाएगा
उदास मन
फिर भी जाने दिया।

उसके जाने के बाद
रातें मर जाएंगी
दिन डूब जाएंगे
घड़ी की याद्दाश्त
चली जाएगी
समय के नाम पर
बचेगा केवल शून्य,
बावजूद इसके
जाने दिया!

किसी से सलाह
मशविरा नहीं लिया
बिना मन मैला किए
बस
धड़कनों को काबू रख
उसे जाने दिया ।

वह जाकर रहेगा
लगा ही था
जो सच हुआ
तो जाने दिया।

एक वही तो था सदा से
उसके सिवा कोई और कभी
आ नहीं पाएगा
यह जानते हुए भी
उसे जाने दिया।

न जाने क्यों दिल को
तसल्ली है कि
ठीक ही किया जो
उसे जाने दिया
आखिर उसकी
अपनी दुनिया में
मेरे सिवा भी तो
लाखों खुशियां
हजारों गम हैं,

तो मलाल क्या
बस जी पक्का कर
उसे जाने दिया।

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छूने से पहले
शुरू हो जाती है छूने की प्रकिया
हृदय में
लहरों का आगमन रक्त में ऊपर से नीचे नीचे से ऊपर गति पकड़ता
रंग बिरंगी तितलियों का नाभि पर उड़ना
जुगनुओं का आंखों में उमडना
बेताबी और फ़िर लंबा इन्तेज़ार
छूने से पहले छू जाती है
छूने की प्रकिया...💞

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अगर कोई मित्र या बहुत
करीबी आपका अपमान
कर दे तो उसे मिटटी पर
लिखिए ताकि कुछ समय
बाद मिट जाए,पर यदि कोई
मित्र या आपका बहुत करीबी
बुरे समय में आपके काम आ
जाए तो उसे पत्थर में अंकित
करे ताकि हर वक्त वो आपको
याद रहे।।

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शाम घर आकर जब मैंने
खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती
कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी
कुछ कॉलर में अटकी थी
कुछ उलझी थी बालों में
गर्दन के पीछे चिपकी मिली
कुछ उंगलियों में पोरों में
कुछ नशीली कुछ रसीली
कोई बेशर्मी से भरी हुई
ये आंखें ऐसी क्यों हैं?
उनकी हमारी सी आंखें
पर इतना अंतर क्यों है?
मैं रोज़ प्रार्थना करती हूँ
कुछ न चिपका मिले मुझ पर
जैसी मैं सुबह जाती हूँ घर से
वैसे साफ सुथरी आऊं वापस
मगर ऐसा हो पाता नहीं
बोझ उठाये नजरों का हरदम
चलते रहना नियति है मेरी, शायद..!

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उसने जिंदगी ही क्या जिया ...
जिसने चाय न कभी पिया ...
Lovely Morning Everyone ...💞☕

नाराज़ होने से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है
किसी रिश्ते से निराश हो जाना ...

नाराज़ होने में ही छुपा है
कि नाराज़ होने वाले का, नाराज़ होने वाले से
अभी भी कुछ वास्ता है,
निराश हो जाना रिश्ते से अलग होने का,
पहला क़दम, पहला रास्ता है,
नाराज़गी देती है रास्ता रिश्तों को रफ़ू करने का,
निराशा करती है निर्णय रास्ता बदलने का 🖤

नाराज़गी, तेज़ आँच पर चढ़ा उफ़नता दूध है,
जो पल भर में बर्तन से बाहर, मगर अगले ही पल मनुहार का पानी पाकर
बर्तन की तली में होता है,
मगर उबलते हुए या तली से मिलते हुए
जो अपना असल रूप नहीं खोता है
रिश्ते की निराशा,
धीमी आँच पर उबलता दूध है,
जो आहिस्ता आहिस्ता, ख़ामोशी से
बर्तन के अंदर मचलता है,
कई दफ़ा अपने मन की कहने को
ढक्कन की तरफ़ भी चलता है,
मगर उसकी जलन जब सुनी नहीं जाती
और हारने लगती हैं कोशिशें उसकी,
तो ख़ुद को स्वाहा कर लेता है वो,
बर्तन, चूल्हे, ढकने से निराश होकर
ख़ुद का चेहरा बदल लेता है वो,
और फिर कभी दूध के रूप में वापस नहीं लौटता।🖤

इसलिए
नाराज़ होने से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है
किसी रिश्ते से निराश हो जाना

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.
आप स्त्री पर कुछ भी लिखिए, ✍️
सब पढ़ेंगे. ☺️
आप प्रेम पर कुछ भी लिखिए,
सब पढ़ेंगे. ☺️

मगर स्त्री और प्रेम को जोड़ता हुआ
अपनी संवेदनाएं और अपनी उम्मीदें
सिर्फ अपने हृदय में रखने वाला
'पुरुष' 😞

उसके हिस्से में कविताएं नहीं आतीं,
उसके हिस्से आते हैं , तो सिर्फ 'आरोप'
आरोप ~ वासना के, आरोप ~ हिंसा के
आरोप ~ कुछ ज़्यादा ही
स्वच्छन्द होने के.

मगर याद रहे, स्त्री और प्रेम अकेले
एक दूसरे के पूरक नहीं हो सकते.

माँ का फटा आँचल सबको दिखता है,
बाप के शॉल की पैबंद
किसी को नहीं दिखती.
बहन की राखी सबको दिखती है,
मगर ... उस राखी के उपहार हेतु
बहाया हुआ भाई का पसीना
किसी को नहीं दिखता.
😢
किसी की प्रेमिका का
किसी और से विवाह
इसमें स्त्री आगे बढ़ जाये, तो वो मजबूर
अगर प्रेमी किसी और से विवाह करे,
और आगे बढ़ जाये, तो वो मतलबी.

जहाँ सच्चा प्रेम है , वहाँ आपको
एक पुरुष मिलेगा ☞ प्रेमी के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ पति के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ भाई के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ पिता के रूप में
एक पुरुष मिलेगा ☞ बेटे के रूप में

जो हर जगह, हर परिस्थिति में
एक स्त्री के साथ खड़ा है.

मगर उस पर ... कोई कुछ नहीं लिखेगा.
क्योंकि स्त्री पर कविता लिखकर
किसी स्त्री को रिझाया जा सकता है,
उस पर तालियाँ बटोरी जा सकतीं हैं.
उसकी पुस्तकें लिख कर
बेची जा सकती हैं.
क्योंकि पुरुष पर कविता
कोई नहीं खरीदेगा.
क्योंकि पुरुष पर कविता
बिकती नहीं है.

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