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उसके आँशुओ का कहा कोई घर था..!
नयन मे समाया हुआ उमड़ता समंदर था ,
बाहर तकिया भीगने का डर था ,
.
उसके आँशुओ का कहा कोई घर था ,
दिल उसका बहलने को बड़ा ही बेसबर था ,
मगर कोई सब्री सुनने वाला सब्र नहीं था
.
हर कोई उस शख्स के दर्द से बेखबर था ,
खामोश मुस्कान और आँशु ही जैसे उसका स्वर था
उसके आँशुओ का कहा कोई घर था..!