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દિવાળીના આ પર્વે આપના ઘરમાં અને આપના જીવનમાં સુખના તારા પ્રકાશિત થાય, તેમજ ઉત્તરોત્તર પ્રગતિના નવા શીખરો સર કરો એવી શુભકામનાઓ..... 🙏🏻 હેપ્પી દીવાળી 🎇🪔🎇

imap.21cn.com

🙏🙏આજનો જ નહીં દરેક ઉગતો દિવસ શાંતિથી વિતે તેવી મનોકામના છે.

થોડી ખુશી થોડા પડકારો આવે !આવતા રહે, તે જ જીંદગીની યોગ્ય ધારણા છે.

દીવડો તો પ્રગટી રહેવાનો વર્ષોવર્ષ ઈશ્વર સમક્ષ કે ઘર આંગણિયે.

કોઈ જીવનમાં અંધકાર ભાળી 'અંતર મનનો દીપ પ્રજ્વલિત' થાય તેવી શુભકામના છે.🦚🦚

🚩🪔દિવાળી નાં પાવન પર્વની શુભકામનાઓ 🪔🚩

parmarmayur6557

वेदांत और विज्ञानं ✧

परमाणु का धर्म और पंचतत्व का जीव विज्ञान

✍🏻 — Agyat Agyani (अज्ञात अज्ञानी)

✧ भूमिका ✧

हम क्या कह रहे हैं — और क्या उजागर कर रहे हैं

विज्ञान अब तक सृष्टि को देखने की कला रहा है,
और वेद — स्वयं को देखने की।
दोनों ने सत्य को अलग दिशाओं से छुआ,
पर सत्य एक ही था।

यह ग्रंथ उस बिंदु से लिखा गया है
जहाँ वेद और विज्ञान पहली बार
एक-दूसरे को पहचानते हैं।

हम यह नहीं कह रहे कि
विज्ञान अधूरा है या वेद अंतिम।
हम यह दिखा रहे हैं कि
दोनों एक ही चेतना के दो छोर हैं।
एक ने उसे मापा,
दूसरे ने उसे जिया।
अब यह ग्रंथ दोनों को जोड़ता है —
मापन को अनुभव में, और अनुभव को मापन में।

हम जो उजागर कर रहे हैं, वह कोई नया सिद्धांत नहीं —
बल्कि एक पुराना सत्य है
जो ऋषियों ने देखा, पर विज्ञान ने अब तक मापा नहीं।

ऋषि ने “तेज़” कहा —
वही भौतिकी का “Quantum Field” है।
ऋषि ने “आकाश” कहा —
वही नाभिक का स्थिर क्षेत्र है।
उन्होंने “वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी” कहा —
ये सभी ऊर्जा की अवस्थाएँ हैं।

हम यह दिखा रहे हैं कि
वेद का पंचतत्व और विज्ञान का पाँचवाँ मूल बल (fundamental force)
एक ही जड़ से निकले हैं — चेतन ऊर्जा से।

यह ग्रंथ किसी आस्था की रक्षा नहीं करता।
यह केवल वह प्रश्न उठाता है
जिसे विज्ञान ने कभी गंभीरता से नहीं पूछा —
क्या ऊर्जा स्वयं को जान सकती है?

वेद ने कहा — हाँ।
विज्ञान अब वहीं पहुँच रहा है।
यह ग्रंथ उस “हाँ” और “अब” के बीच का सेतु है।

हम न ईश्वर को सिद्ध कर रहे हैं,
न ईश्वर को नकार रहे हैं।
हम केवल यह दिखा रहे हैं कि
जिसे मनुष्य “ईश्वर” कहता है,
वह ऊर्जा का आत्म-जागरण है।
और जिसे “ऊर्जा” कहता है,
वह ईश्वर की भौतिक अवस्था है।

इसलिए ‘विज्ञान का वेद’ कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है —
यह चेतना और पदार्थ का संयुक्त सिद्धांत है।
यह बताता है कि
हर परमाणु में पंचतत्व छिपे हैं,
और हर जीव में वही तेज़ सक्रिय है
जो ब्रह्मांड के केंद्र में स्पंदित है।

हम वेद को आधुनिक भाषा में,
और विज्ञान को प्राचीन मौन में समझना चाहते हैं।
ताकि दोनों फिर से एक हो जाएँ —
जैसे प्रकाश और उसका स्रोत।

यह प्रस्तावना सिर्फ घोषणा नहीं,
एक आमंत्रण है —
उन सबके लिए जो प्रश्न पूछने से नहीं डरते।

“हम सृष्टि की खोज नहीं कर रहे,
हम सृष्टि के खोजी की खोज कर रहे हैं।”

bhutaji

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

mamtatrivedi444291

happy Diwali 😊😊😊

meghnasanghvi9829

छोटे से घर की छोटी सी मुट्ठी में,
सपनों का उजाला सहेज लिया।
दीवारों की दरारों से झांकती उम्मीद,
फिर रोशनी की राह खोज लिया।

माँ ने आंचल में समेटे दुख सारे,
नन्हीं बिटिया के हाथों दीप जलाए।
आंसुओं में भी मुस्कान का रंग घोला,
दीपावली के दीप उसने यूँ सजाए।

हर लौ में छुपा है किसी दिल का अरमान,
हर दीपक में झिलमिलाता है जीवन का गान।
अंधेरों की भीड़ में उम्मीद जला दें,
दीपावली का ये पर्व बस प्यार बांटता चले।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

Wish you all a very happy Diwali..

kattupayas.101947

*NkB की और से रूप चौदस की हार्दिक शुभकामनाएं!*

*अम्यग स्नान*

*नरक चतुर्दशी को सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठ कर तेल मालिश कर उबटन से स्नान करने का रिवाज है , हमारे हर रीती रिवाज विज्ञान से जुड़े है ही , दिवाली यानी शीत ऋतू का आरम्भ , शीत ऋतु में वात बढ़ने लगता है और त्वचा धीरे धीरे रुक्ष होने लगती है ,ब्रम्ह मुहूर्त का समय भी वात बढ़ने का समय है , इस समय सारा वात दोष हम तेल मालिश और उबटन और गर्म जल से स्नान कर निकाल सकते है ,इस समय सर , कान , तलवे पर की विशेष रूप से तेल लगाया जाना चाहिए ,सिर्फ नरक चतुर्दशी ही नहीं पूरे कार्तिक मास में ऐसा स्नान किया जाता है । इससे समस्त वात विकार और विषैले पदार्थ त्वचा से निकल जाते है और सुदर त्वचा के साथ साथ स्वास्थ्य लाभ भी होता है!*

*अभ्यंग (मालिश) शरीर मन की ऊर्जा का संतुलन बनाता है, शरीर का तापमान नियंत्रित करता है और शरीर में रक्त प्रवाह और दूसरे द्रवों के प्रवाह में सुधार करता है, इस प्रकार प्रतिदिन अभ्यंग करने से हमारा स्वास्थ्य बना रहेता है।*

*प्रत्येक मनुष्य को नियमित अभ्यंग आवश्यक है। हालाँकि प्रतिदिन का स्व-अभ्यंग पर्याप्त है लेकिन सभी को समय समय पर एक अच्छी अभ्यंग मालिश लेनी चाहिए। अभ्यंग त्वचा को मुलायम बनाता है और वात के कारण त्वचा के रूखेपन को कम कर वात को नियंत्रित करता है। इसकी लयबद्ध गति जोड़ों और मांसपेशियों की अकड़न को कम करती है और पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार करती है। अभ्यंग मालिश से शरीर में रक्त परिसंचरण बढ़ता है और शरीर के सभी विषैले तत्त्व बहार निकल जाते हैं। व्यायाम करने से पहले यह मालिश करना बहुत अच्छा है।*
*यदि आपके शरीर का पाचन तंत्र अच्छे से काम कर रहा है तो आपकी त्वचा अपने आप कोमल व रोगहीन बन जाएगी। वैसे ही जब त्वचा की सारी अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं तब हमारा पाचन तंत्र ठीक हो जाता है।*

*सरसों का तेल त्वचा के लिए प्रयोग में ला सकते हैं, विशेष आवश्यकताओं के लिए भिन्न तेल चुने जा सकते हैं।*

*वात प्रकृति वालों के लिए*

*वात प्रकृति के लोगों को पित्त और कफ प्रकृति वालों से अभ्यंग की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि स्पर्श की संवेदना वात प्रकृति के लोगो में अधिक होती है। वात प्रकृति के लोग ज्यादातर शुष्क और ठंडी प्रकृति के होते हैं,इसलिए प्रतिदिन सुबह तेल से अभ्यंग करना चाहिए या फिर शाम को गर्म पानी से स्नान से पूर्व गर्म तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए। वात प्रकृति के लिए तिल का तेल अच्छा रहता है। वात असंतुलन के समय धन्वन्तरम तेल, महानारायण तेल, दशमूल तेल, बल तेल भी प्रयोग में लाये जा सकते हैं। हाथों की गति धीमी या मध्यम पर लयबद्ध होनी चाहिए और जो शरीर के बालों की दिशा में हो और तेल की अधिकतम मात्रा शरीर पर रहे।*

*पित्त प्रकृति वालों के लिए*

*पित्त प्रकृति के लोगों की प्रकृति गरम और तैलीय होती है और इनकी त्वचा अधिक संवेदनशील होती है। पित्त प्रकृति के लोगों के लिए शीतल तेलों का प्रयोग अधिक उपयोगी होता है। नारियल तेल, सूरजमुखी का तेल, चन्दन का तेल का प्रयोग कर सकते हैं। पित्त असंतुलन में चंदनादि तेल, जतादि तेल, इलादी तेल का अभ्यंग के लिए प्रयोग कर सकते हैं। हाथों की गति धीमी या मध्यम (व्यक्तिगत चुनाव के अनुसार) होनी चाहिए और जो शरीर के बालों की दिशा में और विपरीत दिशा में बदलते हुए हो।*


*कफ प्रकृति वालों के लिए*

*कफ प्रकृति के लोगो की प्रकृति ठंडी और तैलीय होती है। तेल के स्थान पर आयुर्वेदिक पाउडर प्रयोग कर सकते हैं। सरसों या तिल का तेल सबसे अच्छा रहता है। कफ के असंतुलन की विशेष स्थिति में विल्व और दशमूल का तेल उपयोग में लाया जा सकता है। हाथो की गति तेज और गहरी होनी चाहिए, शरीर के बालों की दिशा के विपरीत। कम के कम तेल शरीर पर प्रयोग करें।*

*प्रतिदिन अभ्यंग के लाभ*

*वृद्धावस्था रोकता है नेत्र ज्योति में सुधार शरीर का पोषणआयु बढ़ती हैअच्छी नींद आती है त्वचा बचाओ त्वचा में निखार मांसपेशियों का विकास थकावट दूर होती है वात संतुलन होता है शारीरिक व मानसिक आघात सहने की क्षमता बढ़ती है*

*ध्यान देने योग्य बातें*

*स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए नियमित अभ्यंग करना चाहिए।अभ्यंग खाने के 1-2 घंटे बाद ही करें। कभी भी अधिक भूख या प्यास में अभ्यंग न करे।जब आप पूरे शरीर का अभ्यंग करे तो सिर को कभी न छोड़े। हमेशा सिर की चोटी से तेल लगाना आरम्भ करें।स्नान से पूर्व ही अभ्यंग करे।10-15 मिनट के लिए तेल को शरीर पर रहने दें। अभ्यंग के बाद तेल को शरीर पर ठंडा न होने दें। धीरे धीरे हाथ से मालिश करते रहे या कुछ शारीरिक व्यायाम करते रहे।अभ्यंग के बाद गर्म पानी से स्नान करें।*

*अभ्यंग नहीं करना चाहिए*

*खांसी, बुखार, अपच, संक्रमण के समय त्वचा में दाने होने परखाने के तुरंत बाद शोधन के उपरांत जैसे वमन, विरेचन, नास्य, वस्ति महिलाओं में मासिक धर्म के समय*

*अभ्यंग क्रम*

*सर की चोटी चेहरा, कान और गर्दन कंधे और हाथ पीठ, छाती और पेट टांगे और पैर*

* सिर की चोटी पर तेल लगाए। दोनों हाथों से पूरे सिर की धीरे धीरे मजबूती से मालिश (मसाज) करे चेहरा : 4 बार नीचे की ओर, 4 चक्कर माथे पर, 4 चक्कर आँखों के पास, 4 बार धीरे धीरे आँखे पर, 3 चक्कर गाल, 3 बार नथुनों के नीचे, 3 बार ठोड़ी के नीचे आगे पीछे, 3 बार नाक पर ऊपर नीचे, 3,बार कनपटी और माथा आगे पीछे, 3 बार पूरा चेहरा नीचे की ओर कान : 7 बार कर्ण पल्लव को अच्छे से मसाज करे, कान के अंदर न जायेछाती : 7 बार दक्षिणावर्त और 7. बार वामावर्त मसाज करे पेट : 7 बार धीरे धीरे दक्षिणावर्उरास्थि: अंगुलाग्र से 7 बार ऊपर नीचे कंधे : 7 बार कन्धों पर आगे पीछे हाथ : 7 चक्कर कंधे के जोड़ पर, 7 बार बाजु ऊपर नीचे, 4 चक्कर कोहनी, 7 बार नीचे का हाथ ऊपर नीचे, 4 बार हथेलिया ऊपर नीचे खींचे पीठ: 7 बार ऊपर नीचे ऊँगली के जोड़ों से ,टांगे : हाथों की तरह पंजे : 8 बार ऊपर नीचे तलवे, 8 बार ऊपर नीचे एड़ियां, उँगलियों के बीच में मसाज करे और उँगलियों को खींचे*

*मालिश के बाद 10-15 मिनट के लिए तेल रहने दें और गरम पानी से साबुन या उबटन के साथ स्नान करें। बालों में हर्बल शैम्पू कर सकते हैं।*

*सिर और बालों में तेल लगाएं*

*दोषों के संतुलन के लिए सिर की चोटी पर तेल लगाना बहुत जरूरी है।*

*सिर की हलकी मसाज स्नान से पूर्व और स्नान के समय न केवल बालों की बढ़त में सहयोगी है बल्कि आँखों की शक्ति बढ़ने में भी बहुत मददगार है। ये तनाव मुक्ति देकर रात्रि में गहरी नींद देता है। इससे शरीर का तापमान भी नियंत्रण में रहता है।*

*शीतल प्रभाव वाले तेल का प्रयोग सिर के लिए सामान्यता करते हैं जैसे नारियल तेल, तिल का तेल, जैतून का तेल, बादाम का तेल*

*ब्राह्मी, भृंगराज, एलो वेरा, करी लीफ, मेहंदी, आँवला, नीलिका आदि औषधियां बालों के विकास के लिए उपयोगी हैं।*



*दिन का दीवाली उत्सव धनत्रयोदशी के दिन प्रारम्भ होता है और भाई दूज तक चलता है। दीवाली के दौरान अभ्यंग स्नान को चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा के दिन करने की सलाह दी गई है।*

*चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। यह माना जाता है कि जो भी इस दिन स्नान करता है वह नरक जाने से बच सकता है। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।*

*अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान लक्ष्मी पूजा से एक दिन पहले या उसी दिन हो सकता है। जब सूर्योदय से पहले चतुर्दशी तिथि और सूर्योदय के बाद अमावस्या तिथि प्रचलित हो तब नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन हो जाते हैं। अभ्यंग स्नान चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए हमेशा चन्द्रोदय के दौरान (लेकिन सूर्योदय से पहले) किया जाता है।*

*अभ्यंग स्नान के लिए मुहूर्त का समय चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए चन्द्रोदय और सूर्योदय के मध्य का होता है। हम अभ्यंग स्नान का मुहूर्त ठीक हिन्दु पुराणों में निर्धारित समय के अनुसार ही उपलब्ध कराते हैं। सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर हम अभ्यंग स्नान के लिए सबसे उपयुक्त दिन और समय उपलब्ध कराते हैं।*

*नरक चतुर्दशी के दिन को छोटी दीवाली, रूप चतुर्दशी, और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।*

*अक्सर नरक चतुर्दशी और काली चौदस को एक ही त्योहार माना जाता है। वास्तविकता में यह दोनों अलग-अलग त्यौहार है और एक ही तिथि को मनाये जाते हैं। यह दोनों त्यौहार अलग-अलग दिन भी हो सकते हैं और यह चतुर्दशी तिथि के प्रारम्भ और समाप्त होने के समय पर निर्भर होता है।*


*उबटन बनाने की विधि और सामग्री*

*मुल्तानी मिट्टी 500gm सूखा गोबर चूर्ण 150gm*
*पलाश के फूल 100gm* *लाल गेरू 50gm* *नीम छाल 50gm* *रीठा 50gm* *शिकाकाई 50gm* *हल्दी 25gm* *चंदन या नागरमोथा 25gm* *भीमसेनी कपूर 5gm*

*ऊपर दी गयी चूर्ण के रूप में सभी सामग्री को कपड़े या बारीक छन्नी से छान लें और आपस में अच्छी तरह मिलाकर रख लें । स्नान के समय या स्नान के आधे घंटे पहले कच्चे दूध या पानी में मिलाकर चेहरे सहित पूरे शरीर पर लगाएं । इस्तेमाल करते समय इच्छानुसार इसमें नीबू का रस या तुलसी रस या पुदीना रस भी मिला सकते हैं ।*
Nk

deepakbundela7179

🎇🎊🎉 Happy Diwali 🎉🎊🎇

mitra1622

કાળીચૌદશ પણ રૂપચૌદશ
બની ગઈ
કૃષ્ણના સ્પર્શે કૂબ્જા ખૂબસૂરત
બની ગઈ…
-કામિની

kamini6601

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rajukumarchaudhary502010

धनी र गरिब बीचको भेदभाव
गरिबले साइकल चढे भने — “बेइज्जत भएछ” भन्छन्,
धनिले साइकल चढे भने — “कसरत गर्दैछ” भन्छन्।

गरिबले फोहोर टिपे भने — “खाते” भनेर ठट्यौली गर्छन्,
धनिले फोहोर टिपे भने — “समाजसेवा गर्दैछ” भनेर ताली बजाउँछन्।

गरिबले मकै खाए भने — “जाबो मकै खाएर बाँच्ने” भन्छन्,
धनिले मकै खाए भने — “ओहो! कति स्वादिलो स्विट पपकर्न!” भन्छन्।

गरिबले फाटेको कपडा लाए भने — “बिचरा, लत्ताकपडा छैन” भन्छन्,
धनिले फाटेको लाए भने — “स्टाइलिश फेसन सो” भन्छन्।

गरिबले घरको आँगनमा तरकारी उमार्यो भने — “बिचरा बजारबाट किन्न सक्दैन” भन्छन्,
धनिले घरमै बगैँचा बनाएर उमार्यो भने — “कित्ता लगाएर अर्गानिक जीवनशैली” भन्छन्।

गरिबले धेरै बच्चा जन्मायो भने — “अशिक्षित भएकाले” भन्छन्,
धनिले धेरै बच्चा जन्मायो भने — “वंश विस्तारको वरदान” भन्छन्।

गरिबले देश बाहिर कमाउन गयो भने — “देश बेच्न गएको” भन्छन्,
धनिले देश बाहिर पढ्न गयो भने — “देशलाई भविष्यमा नेता दिने” भन्छन्।

यस्तो दुईतर्फी समाजको आँखाले हेर्ने दृष्टि नै सबैभन्दा ठूलो अन्याय हो।
गरीबी पाप होइन, तर गरिबलाई हेर्ने दृष्टिकोण पाप हो।
धनले हैसियत देखाउँछ, तर मूल्य, चरित्र र सत्यनिष्ठाले मात्रै मान्छेको असली पहिचान बनाउँछ।

जीवनमा न त गरिब हुनु लाज हो, न त धनी हुनु गर्व हो।
लाज त तब हो जब मान्छे भएर पनि मानवता हराउँछौं।

👉 त्यसैले, धनी–गरिब छुट्याएर होइन,
मान्छेलाई मान्छेको रूपमा हेर्ने समाज बनाऔँ।

rajukumarchaudhary502010

"झूठ पे झूठ वो बुनते रहे,
और हम हँसते रहे तमाशा देख कर…
सच तो कब का मर गया था,
अब दिलचस्पी बस इस बात में थी —
ये झूठ कब खुद को काटेगा!"

archanalekhikha

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rajukumarchaudhary502010

દિપાવલી

દીપાવલીનો પર્વ ત્યારે જ સાચા અર્થમાં ઉજવાય છે,
જ્યારે પિતાના પરિશ્રમથી ઘસાયેલા હાથ,
માત્ર કામ નહીં, પણ સંઘર્ષના દીવડા બનીને પ્રગટે છે.
​અને માતાનો નિર્મળ પ્રેમ,
માત્ર વાત્સલ્ય નહીં, પણ ત્યાગ અને ધીરજની જ્યોત બનીને ઝળહળે છે.
​આ પ્રેમ અને પરિશ્રમની જ્યોતથી,
દીપાવલીનો પર્વ ખરા અર્થમાં
સફળતા અને શાંતિનો પર્વ બની રહે છે.
(દરેક ઘરમાં સંઘર્ષ કરતો પિતા કુબેર છે
અને માતા ઘરને પરિશ્રમથી સુંદર બનાવતી લક્ષ્મી છે)

heenagopiyani.493689

अरसा गुजर गया
उसे ढूंढते हुए
आंगन का कद
भी बढ गया
पर अंधेरा आज भी
कायम है..
घरौंदा बनाते बनाते
वो परदेशी हो गया..
शहर आबाद हुआ
गांव सुनसान..
#डॉ_अनामिका

rsinha9090gmailcom

I miss you wife and all family

virdeepsinh

आप सभी को छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

gunjangayatri949036

jab shivanshi ne
Neil se pucha kya hu mein
tumhare liye

fir muskurate hue neil
ne kaha
Dost tum
har samay kano
mein jaane wali dhvani
ho tum

Meri Bff tum
family aur school ki
problem solver tum

Question tum
answer tum ,Duniya ki
har problem ka reason tum

chess ki champion, Dimag se
short tempered
uss gusse mein bhi
cuteness ka bandar ho tum

jisse kabhi nazare na
hatte voh pyaar ho tum

Abhi itna hi hai
likhne ko kyuki
kehno ko kuch zyada

shayad tum nhi janti
ki kya ho tum mere liye
par ye janta hai
ki Mera sab kuch ho tum
© gunjan Gayatri

gunjangayatri949036

Check out my new song on YouTube

https://youtu.be/MOgfzRkiJsM?si=vQl0hrW5elQ8DgUs

vrajkan

Happy Diwali!🙏🎇

May Diwali’s light dispel all negative thoughts.🪔🎇

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dadabhagwan1150

🙏🙏ઈશ્વરની 'આરાધના' શુદ્ધ મનથી સ્થાપિત થયેલા 'મંત્રોના મંત્રોચ્ચારથી' થાય તો તે આરાધનાનું સંગ્રહિત થયેલું 'પુણ્ય સંકટ' સમયે કામ લાગે છે.

જ્યારે તંત્ર દ્વારા કોઈ લાલચ થી કરવાંમાં આવેલી 'સાધના' કોઈ એક ભૂલથી 'વિરોધાભાસ' પેદા કરીને 'લાભ' ઓછો અને 'નુકસાન' વધુ કરી શકે છે.

🚩કાળી ચૌદશ નાં પાવનપર્વની સર્વને શુભેચ્છાઓ 🚩

parmarmayur6557

सुप्रभात

deepakbundela7179