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मिलेंगे हम किस सफर में अब?
#Lovepoetry
#दिलोंकादर्द
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★.. चैप्टर–03–मुहम्मद एक मानसिक रोगी (b)
सीजाईड और सीजोटाईपल विकृति
मुहम्मद संभवत: एक तरह के पागलपन (सिजाइड पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर) की बीमारी से ग्रस्त था। इस बीमारी में इंसान सामाजिक गतिविधियों से दूर भागता है और दूसरों के साथ बात-व्यवहार बनाने में हमेशा झेंपता है। इस विकार से पीड़ित मनुष्य सामान्यतः दूसरों के साथ खुद को जोड़ पाने और व्यक्तिगत संबंध बनाने में असमर्थ पाता है। यह स्थिति मुहम्मद के बचपन और युवावस्था के समय के चरित्र साथ सटीक बैठती है। जब उसने अपनी पैगम्बरी का कैरियर शुरू किया तो भी उसने दोस्त या बराबरी के लोगों को अपने इर्दगिर्द नहीं रखा, बल्कि चेलों और चापलूसों को रखा। मुहम्मद इसी स्थिति में खुद को सहज पाता था। जब तक उसने पैगम्बरी का चोला नहीं ओढ़ा था, वह उदासीन, सुस्त और नीरस था। अपने आसपास की सामाजिक व्यवस्था में अलग-थलग रहता था। जिस उप्र में इंसान के व्यक्तित्व का निर्माण होता है, उस समय मुहम्मद में संवेदनहीनता और भावहीनता जैसे लक्षण दिखते थे और वह अपने आसपास चल रही घटनाओं के प्रति उदासीन सा रहता था। इस उग्र में उसके भीतर अपने आसपास की दुनिया को लेकर भावनात्मक खालीपन, भावुकता और विश्रम बहुत अधिक था। सिजाइड पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर से ग्रस्त मनुष्य या तो दूसरे लोगों से व्यक्तिगत संबंध बनाने और निभा पाने में असमर्थ होता है, अथवा दूसरों की संगति में वह घुटन या बेचैनी महसूस करता है । इसलिए ऐसे लोग अपने में सिमट जाते हैं और सुरक्षा के लिए रिश्ते तलाशने लगते हैं /“ पैगम्बरी शुरू करने से पहले मुहम्मद नितांत अकेला रहता था। खदीजा से विवाह से पूर्व उसके पास बस एक काम था और वह था लड़कियों वाला काम अर्थात बकरियां चराना, जिसमें दूसरे लोगों के साथ मेलजोल न के बराबर होता था। एक बार जब वह सामान्य युवा की तरह व्यवहार करते हुए शादी के एक कार्यक्रम में घुसने का प्रयास किया तो उसे बेचैनी होने लगी, उबकाई आने लगी और उसकी आंतों में इतनी भयानक ऐंठन हुई कि दर्द से बिलबिलाने लगा। वृद्धावस्था में यौन पिपासु होने वाला यह वही मुहम्मद था जो युवावस्था में किसी लड॒की या औरत से सामान्य रिश्ता तक नहीं बना पाता था और खदीजा द्वारा शादी का प्रस्ताव दिए जाने तक उसे पता नहीं था कि यौन सुख क्या होता है। ये सब लक्षण सिजाइड पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर नामक बीमारी के तहत परिभाषित किए जा सकते हैं।
वैकनिन व्याख्या करते हैं, 'नाटकीय व्यवहार करने वाले लोग नार्सिसिस्टों से मिलते-जुलते लोग होते हैं-इन दोनों में अपनी ओर ध्यान आकर्षण की उत्कट इच्छा होती है और जब उन्हें लोगों की ओर से महत्व नहीं मिलता है तो वे दुखी और असहज महसूस करने लगते हैं ।'
ये दोनों चाहते हैं कि जिस समारोह में हों, वहां सबके केंद्र बिंदु हों । जब वे ध्यानाकर्षण प्राप्त करने में असफल होते हैं तो वे उन््मादी दृश्य पैदा करने की कोशिश करने लगते हैं अथवा कुछ ऐसी बात या काम करने लगते हैं, जिससे लोगों का ध्यान उन पर जाए।?”
सीजोजाइड पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर मानसिक विकृतियों के सीजोफ्रेनिक क्षेत्र का एक भाग माना जाता है। इसमें सीजोटाइपल पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर और सीजोफ्रीनिया सम्मिलित होते हैं । इन दोनों स्थितियों में लक्षण समान होते हैं, जैसे कि सामाजिक संबंध बना पाने में अक्षमता और भावनाओं की अभिव्यक्ति न कर पाना। मुख्य अंतर यह है कि सीजाइड पर्सनैलिटी डिस्वऑर्डर से ग्रस्त लोग सामान्यतः: सीजोटाइपल पर्सनैलिटी अथवा सीजोफ्रीनिया के मानसिक लक्षणों जैसे कि 24 घंटे विकार उत्पन्न होना, व्यामोह अथवा विश्रम का अनुभव नहीं करते हैं ।४
मुहम्मद अजीबोगरीब पारलौकिक वहम पाले रखता था। वह भूत, फरिश्ते, शैतान और जिन््नों को देखने के भ्रम में रहता था। वह जिन्नातों के शहर में जाकर उनके बीच रात बिताने का दावा करता था। वह पागलों जैसी हरकत करता था और कुरान के माध्यम से उसकी सनकभरी हरकतों का अंदाजा लगाया जा सकता है। किशोरावस्था में सीजोटाइपल पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर के लक्षण अकेले रहने की गतिविधि अथवा उच्च स्तर की सामाजिक चिंताओं के जाल में फंसा सकता है। ऐसा बच्चा नाकारा अथवा अपने हमउग्र बच्चों से सामाजिक रूप से पिछड़ सकता है। मुहम्मद के बारे में यह बिलकुल सच है कि वह कुलीन परिवार से होने के बावजूद निरक्षर रहा, जबकि उसके समाज में हर व्यक्ति लिखना व पढ़ना सीखता था। इस तथ्य के बावजूद कि मुहम्मद में सीजाइड के लक्षण और सीजोटाइपल पर्सनैलिटी डिस्आर्डर के संभावित लक्षण देखे जा सकते थे, उसमें सीजोफ्रेनिया अथवा मानसिक रोग के लक्षण ढूंढना भी मुश्किल नहीं है।
सीजोफ्रीनिया की बीमारी कई प्रकार की होती है। मुहम्मद के चरित्र पर सीजोफ्रेनिया का जो प्रकार सटीक बैठता है, वह है व्यामोह पैदा करने वाली सीजोफ्रेनिया (पैरानाइड सीजोफ्रेनिया) । पैरानाइड सीजोफ्रेनिया में रोजाना की जिंदगी में सोचने और कार्य करने की क्षमता दूसरी तरह की सीजोफ्रेनिया से बेहतर होती है। पैरानाइड सीजोफ्रेनिया में मरीज स्मृति, एकाग्रता अथवा उदास भावनाओं जैसी उतनी समस्याएं नहीं होती हैं। फिर भी पैरानाइड सीजोफ्रेनिया जीवनभर चलने वाली गंभीर स्थिति है, जो आत्मघाती व्यवहार के साथ ही तमाम तरह की जटिलताएं पैदा करती है।
ऐैरानाडड सीजोफ्रेनिया के लक्षण निम्न हैं:
श्रवण संबंधी दुःस्वप्र जैसे कि अज्ञात आवाज सुनने का भ्रम होना।
गलतफहमी होना, जैसे यह लगना कि साथ काम करने वाला मुझे जहर देना चाहता है।
घबराहट।
क्रोध।
दुराव होना अथवा अलग-थलग होना।
हिंसक व्यवहार।
जुबानी तू-तू मैं-मैं करना।
सबको अपने अधीन या संरक्षण में होने का भ्रम पाल लेना।
मन में आत्मघाती विचार आना या आत्मघाती कदम उठाना।
पैरानाइड सीजोफ्रेनिया की समस्या के साथ मिजाज खराब होने अथवा सोचने, एकाग्रता व ध्यान में दिक्कत महसूस होने जैसी समस्या होने की आशंका कम होती है । इसके बजाय इस बीमारी में आप उससे अधिक प्रभावित होते हैं, जो सकारात्मक लक्षण के रूप में जाने जाते हैं ।
प्काशात्मक लक्षण सकारात्मक लक्षण वो होते हैं, जो उन असामान्य विचारों का बोध पहले ही कराने लगते हैं और जिससे अक्सर
वास्तविकता से संपर्क समाप्त होने लगता है। भ्रम और विश्रम पैरानाइड सीजोफ्रेनिया के सकारात्मक लक्षण माने
जाते हैं ।
७ भ्रम: पेरानाइड सीजोफ्रेनिया में ऐसा भ्रम होने लगता है कि आपको नुकसान पहुंचाने के लिए अलग-थलग किया जा रहा है और आपका ध्यान इसी पर बना रहता है । आपका मस्तिष्क घटनाओं की गलत ढंग से व्याख्या करने लगता है और आप इन धारणाओं के झूठे होने के साक्ष्य होने के बावजूद इन पर विश्वास करने लगते हैं । उदाहरण के लिए, आपको लग सकता है कि सरकार आपकी हर गतिविधि पर नजर रख रही है अथवा आपका सहकर्मी आपको खाने में जहर दे रहा है। आपको अपने रौब अथवा क्षमताओं को लेकर भ्रम हो सकता हैउदाहरण के लिए जैसे कि आप उड़ सकते हैं, आप बहुत प्रसिद्ध हैं, या आपका संबंध किसी प्रख्यात व्यक्ति के साथ है। यदि आपको भ्रम हो जाता है कि लोग आपको नुकसान पहुंचाना चाहते हैं तो यह आपके मन में आत्मरक्षार्थ कदम उठाने का विचार पैदा करते हुए आपको हिंसक या आक्रामक बना सकता है।
श्रवण संबंधी विभ्रम: श्रवण संबंधी विभ्रम किसी ध्वनि का बोध होना है, जो कि सामान्यत: आवाज होती है और आपको ऐसी आवाज होने का भ्रम होता है, जिसे कोई और नहीं सुन सकता है। यह ध्वनि कोई एक हो सकती है अथवा कई आवाजें हो सकती हैं । ये आवाजें या तो आपसे बात करती हैं या आपस में बात करती हैं। ये आवाजें सामान्यतः अच्छी नहीं होती हैं । इस विभ्रम के वशीभूत होने पर हो सकता है कि आप जो कर रहे हैं या सोच रहे हैं, इन आवाजों में उसकी निंदा की जा रही है । अथवा ये आवाजें आपको किसी सच्ची या किसी काल्पनिक गलती के लिए परेशान कर रही हों । आपको यह भी विश्रम हो सकता है कि ये आवाजें आपको कुछ ऐसा करने का आदेश दे रही हैं, जो आपके लिए या दूसरों के लिए हानिकारक है। जब आप पैरानाइड सीजोफ्रेनिया से पीडित होते हैं तो ये काल्पनिक आवाजें आपको वास्तविक प्रतीत होती हैं। इस बीमारी के प्रभाव के कारण आप इन आवाजों से बात कर सकते हैं अथवा इन पर चिल्लाने लगते हैं ॥“ अपने आपको लेकर काल्पनिक बातों को झूठा ठहराने वाले साक्ष्यों या तर्कों को स्वीकार करने के बजाय उन्हें
सच मानने लगना, विश्रम, ऊलजुलूल विचार आना, बेचैनी होना, आक्रामक या हिंसक व्यवहार होने के अलावा एक
और विशेष प्रकार का सिंड्रोम होता है, जो सीजोफ्रेनिया का लक्षण होता है और वह है कैटेटोनिक व्यवहार। इसमें इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति का शरीर अकड़ सकता है और व्यक्ति निष्क्रिय सा हो सकता है कुरान के माध्यम से मुहम्मद के ऊलजुलूल विचारों का परीक्षण किया जा सकता है। हालांकि कुरान
किसी संपादक के लिए भयावह सपने से कम नहीं होगा। वह खुद भी हिंसक और बेचैन इंसान था। महज
दस सालों में उसने सत्तर से अधिक जंग छेड़ी और इन सब जंगों में वह हमलावर रहा। मांसपेशियों की कठोरता और मानसिक जड़ता दर्शाने वाले कई लक्षणों के आधार पर उसके कैयटोनिक व्यवहार को समझने के लिए अली का यह कथन पर्याप्त है। अली कहता है, 'जब वह (मुहम्मद) चलते थे तो अपने पैर ताकत लगाकर उठाते थे, मानो वे किसी ढलान पर चढ़ रहे हों । जब उन्हें किसी व्यक्ति की ओर मुखातिब होना होता था तो अपने पूरे शरीर को घुमाते थे।'” मुहम्मद के बचपन की कई कहानियों, खासकर उसके अजीबोगरीब वहम, आवाजें सुनने और अपने ऊपर विचित्र कार्य करते हुए व्यक्तियों को देखना आदि संकेत करते हैं कि उसे बचपन से बाल सीजोफ्रेनिया नामक बीमारी थी। यह ऐसी पुरानी मानसिक बीमारी होती है, जिसमें बच्चा वास्तविकता को असामान्य तरीके से (पागलपन) देखता है और इससे बच्चे के सामान्य रूप से कामकाज करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। बाल सीजोफ्रेनिया में मतिभ्रम, भ्रम, अतार्किक व्यवहार और सोच शामिल होती है।
थक गई हूँ सबको दिखाते–दिखाते कि मैं मज़बूत हूँ,
मुस्कुराते–मुस्कुराते दिल का बोझ और भारी हो सा गया।
ये जो ख़ामोशी है न मेरी…
काश कोई इसे भी पढ़ पाता।
सबको लगता है मैं खुश हूँ,
हँसती हूँ, बोलती हूँ, लड़ती हूं , झगड़ती हूं
मगर कोई ये नहीं देखता कि
रातों को मेरी आँखें क्यों भीग जाती हैं?
परेशान होकर क्यों आंसू मुझसे ही रूठ जाती है?
काश कोई होता…
जो मेरी उलझी बातों में छुपे दर्द को सुन पाता,
जो पूछे बिना ही समझ लेता,
कि मेरी ख़ामोश रातें कितनी तन्हा होती हैं....
बस कोई ऐसा…
जो कहता — “रूठ जाया कर मुझसे, थक जाया कर इस दुनिया से,
मगर लौट आना मेरी बाहों में…
क्योंकि मैं समझता हूँ तुझे… तुम जैसी हो, वैसी ही…”
काश… कोई होता,
जिसकी आँखों में मैं अपना सुकून ढूँढ पाती,
जो मेरी कमज़ोरियों से भी मोहब्बत करता,
और बिना कुछ कहे…
मुझे अपना सा कर लेता,
पर हकीकत कुछ और ही नजर आता है!!!!
_Manshi K
"देवाक काळजी रे माझ्या, देवाक काळजी रे…" हे गाणं म्हणजे केवळ एक संगीत तुकडा नाही, तर मनाला उभारी देणारं, काळजाला स्पर्श करणारं एक जीवनगीत आहे.
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देवाक काळजी रे – एका आत्मिक प्रेरणेचं स्वरूप
कोकणचं नितळ आकाश, लाल मातीचा गंध, डोंगरामागून उगवणारा सूर्य, आणि त्याच्या अंगणात उभा आहे एक शेतकरी – डोळ्यांत चिंता, पण चेहऱ्यावर श्रद्धा. आणि मग पार्श्वभूमीवर वाजतं...
"देवाक काळजी रे माझ्या, देवाक काळजी रे…"
हा सूर कोणत्याही शब्दांच्या पलिकडचा आहे.
हा सूर म्हणजे जणू आईच्या उबदार पदराचा ओलावा,
हा सूर म्हणजे विश्वासाचा नवा झरा.
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संगीत आणि गायकी
गायक
त्यांच्या आवाजात जी आत्मीयता आहे, ती ऐकणाऱ्याला अश्रूंनी भिजवून टाकते. आवाजात कोकणचा बाज, मातीचा गंध, आणि अंतःकरणातील श्रद्धा – सगळं ऐकताना दिसतं.
संगीतकारांनी कोकणी मातीतील धून, हलकीशी मृदंगाची साथ, आणि शब्दांमधील भाव खोलवर उलगडले आहेत.
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दृश्य मांडणी – एक जीवनगाथा
प्रत्येक फ्रेम... म्हणजे एक चित्रकथा.
आई पाणवठ्यावर भिजवलेला पदर,
लहान मुलगी देवासमोर हात जोडून उभी,
आणि वडील धान्य मोजताना नजरेने आकाशाकडे पाहतात…
हा सगळा संघर्ष, श्रद्धा आणि आशा यांचा जिवंत कोलाज आहे.
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कलाकार व अभिनय
स्थानिक कलाकारांना संधी देऊन, त्यांच्या चेहऱ्यावरचे खरे भाव टिपले गेले. त्यांच्या संवादात कोकणी भाषेचा सुगंध आहे – नटून मांडलेली नाही, तर खऱ्या आयुष्याला स्पर्श करणारी.
कोकणी भाषेचा वापर गाण्याला एक नैसर्गिक गोडवा देतो.
.. देवाक काळजी असतेच!"
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कोरोना काळातील उमाळा
कोरोनाच्या काळात जेव्हा सर्वत्र निराशा, वेदना, आणि अनिश्चितता होती,
तेव्हा हे गाणं म्हणजे मानसिक उपचारासारखं वाटत होतं.
" देवाक काळजी रे…"
या एका वाक्याने कित्येक हृदयांना उभारी दिली, डोळ्यातलं पाणी थोपवलं, आणि नव्यानं चालायला शिकवलं.
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एक कालातीत प्रेरणा
ही केवळ कला नाही, ही श्रद्धेची कविता आहे.
हे गाणं मराठी सांस्कृतिक अमृताचा एक थेंब आहे,
जे काळाला गवसणी घालणारं आहे.
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समाप्ती
"देवाक काळजी रे माझ्या…" हे केवळ गाणं नाही.
ते आपल्या आईसारखं आपल्याला मिठी मारणारं आहे.
ते आपल्या दुःखांवर शांततेचं औषध लावणारं आहे.
आणि ते आपल्या अंतर्मनातील देवाशी पुन्हा एकदा संवाद घडवणारं आहे.
#कभी -कभी लोगों को दवाइयों की ज़रूरत नहीं होती, उन्हें बस कोई चाहिए होता है जो उनका दर्द सुन सके, उनकी बाते समझ सकें।।
Aaj Ka Samaj
Title: Gareeb Sirf Gareeb Nahi Hota
उसके पास ब्रांडेड जूते नहीं थे,
पर हर दिन नंगे पाँव मेहनत की राह चलता था।
उसके पास स्मार्टफोन नहीं था,
पर माँ-बाप की दवा और बहन की फीस समय पर देता था।
वो ग़रीब था… पर उसका दिल अमीर था।
दुनिया ने उसकी हालत देखी,
पर किसी ने उसकी मेहनत और ईमानदारी नहीं देखी।
✍️ Pawan, Ek Gareeb Ki Kahani Se,
सोचिए… क्या ग़रीबी सिर्फ पैसों की कमी है या इंसानियत की भी?
#Garibi #Truth #Mehnat #Respect #Inspiration #Emotional #Society
जग की अनोखी प्रथम प्रेम कहानी,
श्मशान के राजा के लिए
महलों को छोड़कर आई एक रानी।
सावन में आई उनके मिलन की घड़ी,
शादी का दिन कहलाया शिवरात्रि।
अगर करो मोहब्बत तो करो शिव जैसी,
आदि शक्ति सती हर रूप में स्वीकार थी पार्वती।
नियति को मंजूर थी शिव शक्ति की भी जुदाई,
तांडव किया फिर शिव ने तीनों लोकों में प्रलय आई।
ഓർമ്മയിലെ പൂവ് 🌸
പൂർണ്ണമായി വിരിഞ്ഞു നിന്നൊരു കാലം
മധുരം നുകർന്ന് പൂമ്പാറ്റകൾ പറന്നു വന്നൊരു കാലം
പുഞ്ചിരി തൂകി തലയാട്ടി നിന്നൊരു കാലം
എന്നോ മറഞ്ഞൊരു ഓർമ്മ മാത്രമായ് മാഞ്ഞുപോയി.
വർണ്ണങ്ങൾ മാഞ്ഞു, സുഗന്ധം വറ്റിവരണ്ടു
കാറ്റിൽ ഒരു ഇലപോലെ പറന്നുപോയി
ആയിരം സ്വപ്നങ്ങൾ ബാക്കിയാക്കി
ഓർമ്മകൾ മാത്രം ബാക്കിയാക്കി.
ഇടനെഞ്ചിൽ ഒരു നോവായി നീ മാറിയാലും
നിന്റെ സൗന്ദര്യവും സൗരഭ്യവും ഒരിക്കലും മാഞ്ഞുപോകില്ല
എന്റെ ഹൃദയത്തിൽ നീ എന്നും ജീവിക്കും
അങ്ങനെ നീ എന്റെ ഹൃദയത്തിലെ രാജകുമാരിയായി മാറും.
പൂവേ, നീ പോയതറിയുന്നു ഞാൻ
നിനക്കായ് ഞാൻ എൻ്റെ ഹൃദയം തുറന്നിടുന്നു
ഇവിടെ നീ എന്നെന്നും ജീവിക്കുമെന്നറിയുന്നു
നിൻ്റെ ഓർമ്മകൾ എന്നെന്നും മായാതെ നിലനിൽക്കും.
വിധിയുടെ ക്രൂരമായ കൈകളാൽ നീ മരിച്ചുവെങ്കിലും
നിൻ്റെ സ്നേഹം എന്നെന്നും നിലനിൽക്കും
നിൻ്റെ പുഞ്ചിരി എൻ്റെ മനസ്സിനെ എപ്പോഴും ആശ്വസിപ്പിക്കും
പ്രിയപ്പെട്ട പൂവേ, നിനക്ക് വിട!
✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്
मेरे चेहरे पे तेरी तो चमक है,
तेरे इश्क़ का आलम ये नक्श है।
नज़र तुझसे मिली, दिल को सुकून,
तेरी हर बात में रब की झलक है।
हवा में बस तेरा ज़िक्र बिखरता,
मेरे लफ्ज़ों में तेरा ही रक्श है।
तेरे बिन जिंदगी सूनी लगे अब,
तेरी यादों में बस रंग-ए-शफक है।
नहीं मुझको कोई गम की ख़बर अब,
तेरे प्यार में ये दिल बेकलक है।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Glimpses of Pujyashree Deepakbhai's Toronto Satsang Tour 2025
To watch more photos, visit: https://dbf.adalaj.org/qPTyhxxc
#photooftheday #picoftheday #Photogallery #PujyashreeDeepakbhai #DadaBhagwanFoundation
*तू क्यों गया?*
सुनसान गली, रस्ता अनजान,
चाहत से भरे थे पत्थर, बेईमान।
ना कोई दरिया, ना सावन की बूंद,
फिर भी आंखें भर आईं, चुपचाप, बेजुबान।
क्या रुकना, क्या थम जाना,
हर सांस में तेरी कमी का बस जाना।
हर मोड़ पे दर्द, हर गली सदा दे,
"तू कहां है?" दिल यही दुआ दे।
मेरी रूह को तू छू क्यों गया?
फिर अगले ही दिन, रूठ क्यों गया?
_Mohiniwrites
📚✨ “एक किताब जो पहाड़ की खामोशियों को आवाज़ देगी…”
#ComingSoon
“जब पहाड़ रो पड़े” — धीरेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा
कुछ किताबें पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं।
यह कहानी नहीं, एक पीड़ा है जो सदियों से चुप थी — अब शब्दों में ढल रही है।
यह किताब उनके लिए है:
🌿 जो अपने गाँव की मिट्टी को आज भी दिल में बसाए हुए हैं,
🌄 जो शहर की चकाचौंध में खोकर भी पहाड़ की सादगी नहीं भूले,
👵 जिनकी यादों में दादी की कहानियाँ, माँ की थाली, और पापा की चुप्पी आज भी जिंदा है।
“जब पहाड़ रो पड़े” सिर्फ एक शीर्षक नहीं,
यह एक पुकार है उन गांवों की, जिन्हें हमने पीछे छोड़ दिया —
पर उन्होंने आज तक हमें छोड़ा नहीं।
📖 इसमें हैं —
• माँ की अधूरी पुकार
• पिता की खामोश मेहनत
• वीरान गांवों की आवाज
• और एक सवाल — क्या हम कभी लौटेंगे?
🌸 अगर आपने कभी गाँव छोड़ा है,
तो इस किताब में आप अपना ही चेहरा पाएंगे —
एक ऐसा प्रतिबिंब जो आपको भीतर तक छू जाएगा।
💌 “बुक लवर्स, यह सिर्फ किताब नहीं, एक वादा है — लौटने का, समझने का, और जोड़ने का।”
🕊️ Coming Soon… Stay Tuned
#जब_पहाड़_रो_पड़े #BookLoversIndia #HindiLiterature #DhirendraSinghBisht #ComingSoon #गांवकीकहानी
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