क्या हुआ हार गए इतनी जल्दी,
तुमने तो कहा था उचाईयों को छुओगे
मा बाप को सम्मान दिलाओगे
उनका कर्ज उतारोगे,
तो बस इतना ही हौसला था तुम में,
की दो बातों को दिल से लगाकर,
दो चार ठोकरे खाकर,
यूं खुदको छुपाकर बैठ गए जा कर,
माना कि तुमने यह भी सोच लिया होगा
ना हो सकेगा मुझसे जो वादा किया था
लेकिन क्या कभी सोचा है,
खुद ना खाकर कभी तुम्हे खिलाया होगा,
खुद नंगे पैर तुम्हे कंधे पर बिठाया होगा,
आँचल से ढककर तुम्हे, हर मुसीबत से बचाया होगा,
अपने सपनो को तुम्हारे आँखो में सजाया होगा,
चलो कोई बात नही ना कर सको उनके सपने पूरे,
तो बस चल देना साथ उनके,
हौसला ना हारना , उम्मीद ना छोड़ना,
ठोकरे खाकर ही तो मजबूत बनोगे
अपने माँ बाप का मान बढाओगे,
बूढ़ी आँखो का शान बन पाओगे,
Shweta✍️