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World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.
चल पड़ा हूं एक ऐसे सफर पर,
जहाँ कोई साया भी मेरा नहीं होता।
हर मोड़ पर बस ख़ामोशी मिलती है,
और हर कदम पर एक पुरानी याद रोती है।
ना कोई सवाल करता है,
ना कोई जवाब देता है,
बस दिल के अंदर एक शोर सा चलता है,
जो बाहर से बिल्कुल शांत दिखता है।
तन्हाई का ये रास्ता आसान नहीं,
पर कभी-कभी खुद से मिलने का यही ज़रिया बनता है।
हर रेखा की एक कहानी है, हर शेड में एक एहसास। क्या तुम बता सकते हो, मेरी रूह ने ये कैसे रचा?
शायद 2013 के आसपास मैंने इसे पेपर पर उकेरा था। तब मैं छोटा था। इसे बनाने में मुझे कई दिन लगे थे। कभी पूरा नहीं कर पाया...अभी भी त्रिशूल अधूरा है।
अगर आप एक लाइक, एक कमेंट करोगे, तो सच में आप मुझे वो खुशी दोगे जो दिल में अपनी छाप छोड़ जाएगी।
मुझे सच में खुशी होगी।
और बनेगी एक दोस्ती की मिसाल।
हो सके तो फॉलो भी कर लेना यहाँ भी और Instagram पर भी
ठिकाना है — @itsme_vishal_saini
दोस्ती का इंतज़ार रहेगा…
नेपोलियन बोनापार्ट - भाग 1
Nepoleon Bonaparte - Part 1| Written By Emil Ludwig | Audiobook By Amit Kumar
YouTube Video Link : https://youtu.be/nqId5gdW8wE?si=lDCdaUpJ7KHFuu8Q
“कभी हालात टूट जाते हैं, कभी भरोसे, और कभी सपने…”
पर हर कठिनाई के भीतर छुपा होता है एक नया अवसर।
“मन की हार, ज़िंदगी की जीत” सिर्फ़ एक किताब नहीं, एक जीवन दर्शन है — जो बताता है कि हर चुनौती हमें भीतर से कैसे मज़बूत बनाती है।
🎯 अगर आप या आपका कोई करीबी कठिन दौर से गुजर रहा है — ये किताब ज़रूर पढ़ें।
📚 अब उपलब्ध है: Amazon, Flipkart और Notion Press पर।
👇कमेंट में लिखिए — किसने आपकी ज़िंदगी की दिशा बदली?
#HindiMotivation #LifeChangingBooks #SelfHelpInHindi #DhirendraSinghBisht #मनकीहार #ZindagiKiJeet
मैं ब्रह्मांड हूं, अनंता और अथाहा। पण आज म्हारी नजर एक छोट्या सा गांव, तारागढ़ पर टिकी है। इण गांव में दो आत्मावां बिछड़ी हुई ही, जकां ने म्हे एक करणो चाहूं हो। एको हो मास्टर गोपाल, जो घणो शर्मीलो हो, अर दूजी ही डॉक्टर अंजना, जो अस्पताल में काम करती ही।
गोपाल, धोळा कुर्ता-पैजामा में, आंख्यां में एक अजीब सी चमक। वो शहर रो छोरो हो, पण गांव री माटी में उणरो मन रमण लागो हो। अंजना, शहर री पढ़ी-लिखी, सूट-बूट में, अर चेहरो पर एक अजीब सी गंभीरता। म्हें जाणूं हो, इण दोनां ने एक-दूजा री जरूरत है।
एक दिन, म्हें एक घटना रची। गोपाल स्कूल जावतो हो, अर उणरो पैर एक पत्थर सूं टकरा ग्यो। वो लंगड़ावतो-लंगड़ावतो अस्पताल पूग्यो। अंजना उण ने देख्यो, अर उणरी गंभीर आंख्यां में एक पल खातर हल्की सी मुस्कान आई। उणने गोपाल रो पैर देख्यो, अर मलहम लगायो। गोपाल बस उणने देखतो रह्यो। उणने पहली बार अंजना ने इतनो पास सूं देख्यो हो। उणरा बाल, उणरी आंख्यां री चमक, अर उणरा हाथ... वो सब उणने मोहित कर लियो।
रात ने, गोपाल छत पर तारां ने देख रह्यो हो। उणने अचानक एक आवाज सुणी। "अरे! मास्टर सा'ब?" आवाज अस्पताल री तरफ सूं आवे ही। अंजना अस्पताल री छत पर, मोमबत्ती री रोशनी में, बैठी ही। म्हें एक मंद हवा चलाई, अर गोपाल रे पास पड़ा एक कागज रो टुकड़ो, जको उणने कविता लिखी ही, अंजना री तरफ उड्यो। अंजना ने कविता पढ़ी, अर उणरा होंठा पर एक हल्की सी मुस्कान आई। उणने उपर देख्यो, अर गोपाल ने देख्यो, जको घबरायोड़ो उणने देख रह्यो हो। वो रात, तारां रे नीचे, दो अजनबी आत्मावां एक-दूजा सूं बात करती रही।
धीरे-धीरे दिन बीतता गया। गोपाल अर अंजना रे बीच एक अजीब सा संबंध बण ग्यो। होली आयो। गोपाल ने अंजना ने होली खेलण खातर बुलायो। अंजना ने एक मुट्ठी गुलाल लियो, अर गोपाल रे गाल पर प्यार सूं लगायो। "हैप्पी होली, मास्टर सा'ब," वो बोली, उणरी आवाज में एक अजीब सी मिठास हो। गोपाल हक्को-बक्को रह ग्यो। उणने अंजना ने देख्यो। उणरी आंख्यां में प्रेम साफ दिख्यो।
तारागढ़ रो मेला आयो। गोपाल अर अंजना मेला देखण गया। वो दोनां एक-दूजा रे हाथ पकड़कर मेला में घूम्या। रात हुई, अर मेला में रोशनी हो गई। आकाश में तारा चमकीला हो गया। अंजना अर गोपाल एक झूले पर बैठा हा।
"डॉक्टर साहिबा," गोपाल बोल्यो। "म्हाने लागे, थे म्हारे वास्ते ही बण्या हो।"
अंजना ने गोपाल ने देख्यो। उणरी आंख्यां में आंसू आ गया। "मास्टर सा'ब," वो बोली। "म्हाने भी ए ही लागे है।"
गोपाल ने हिम्मत करी, अर अंजना रो हाथ पकड़ लियो। "डॉक्टर साहिबा... म्हे थाने प्रेम करूं हूं," गोपाल बोल्यो।
अंजना ने गोपाल ने देख्यो, अर मुस्कुराई। "म्हे भी थाने प्रेम करूं हूं, मास्टर सा'ब," वो बोली।
मैं ब्रह्मांड हूं, अर म्हें आज इण प्रेम री जीत देखूं हूं। म्हारी हर एक रचना रो एक मकसद है, अर इण दो आत्मावां ने एक करणो, म्हारा वास्ते आज सब सूं बड़ो मकसद हो। तारागढ़ रो मेला, आज दो दिलां रो मेल बण ग्यो। तारां री साक्षी में, इण दोनां ने एक दूजा ने अपना प्रेम स्वीकार कियो।
अंजना अर गोपाल ने शादी करण रो फैसला कियो। विवाह रे दिन, वो दोनां घणा सुंदर लाग रिया हा। मैं, ब्रह्मांड, आकाश सूं इण दृश्य ने देखूं हूं। म्हारी आंख्यां में आंसू आ गया। म्हारी हर एक रचना रो एक मकसद है, अर इण दो आत्मावां ने एक करणो, म्हारा वास्ते एक बड़ो मकसद हो।
ચાય પત્તી પાણીને સંગ
ઊકળે ત્યારે જામે જંગ
કેસરધાગા એક બે નંગ
લીલી ચા સંગ નિખરે રંગ
ઊકળે દૂધ ને મીસરી સંગ
આદૂ ફૂદીનો થઈ જાય તંગ
લવિંગ તજ નો રાતો રંગ
સૂંઠ ગંઠોડા મરીને સંગ
સોડમ પ્રસરે એલચી સંગ
તરોતાજા રેલાય સુગંધ
નિખરી નિખરી ખૂબ સજે
વરાળ બની પાણી ત્યજે
ચા અને ચાહતને સંગ
સ્ફૂર્તિ પ્રસરે અંગે અંગ..
-કામિની
গভীর নির্জন দুপুর।
হিমালয়ের পাদদেশে বসে আছে এক তরুণ – সুজন। তার চোখে কোনও কামনা নেই, কেবল প্রার্থনা আর নিষ্কাম ভালোবাসা।
সামনে এক প্রাচীন শিবলিঙ্গ।
পাশে দাঁড়িয়ে আছে নন্দী— নীরব, সজাগ।
সুজন চোখ বুজে বলে—
“হে মহাদেব,
আজ আমি কিছু চাই না।
শুধু তোমার চরণে বসে থাকতে চাই।
যতক্ষণ না আমার মন স্থির হয়, ততক্ষণ আমি উঠব না।”
শান্ত বাতাসে এক অদৃশ্য প্রশ্রয় মেলে।
শিব যেন নীরবে আশীর্বাদ করেন।
নন্দী মাথা নিচু করে ফিসফিস করে—
“তুমি ভক্ত, আমি সেবক।
আমরা দু’জনেই তাঁর ছায়ায়,
তাঁর চরণেই চির আশ্রিত।”
আকাশে বৃষ্টির ঘনঘটা।
ভক্তি আর নিবেদন মিলে গড়ে ওঠে এক অদৃশ্য সম্পর্ক,
যেখানে সুজন আর শিব—
একটা আত্মিক বন্ধনে বাঁধা।
Do You Know that if you understand that whatever happens is the result of your own mistakes, there will be no suffering?
Read more on: https://dbf.adalaj.org/ltASBpFR
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पाली गांव री एक सरकारी स्कूल में, एक गणित री मास्साब री नियुक्ति हुवी — नाम हतो चम्पा देवी। चम्पा देवी बहोत घणी शांत स्वभाव री, अपने काम में डूबी रहने वाली मास्साब हती। बोलणो कम, काम ज्यादा। स्कूल री दुनिया में आवण-पावण तो चालतो रहतो, पण चम्पा देवी तो जैसे एक कोणो पकड़ के बैठी होवे।
स्कूल रो हेडमास्टर हतो भीमसिंह जी राठौड़ — सजीला, पढ़ेलिख्यो, अणे सदा मुस्करावणो। स्कूल रो हर कोणी में इन रो मान हतो। भीमसिंह जी जब स्कूल में पधारता, तो सब स्टाफ सजग हो जाय। पण चम्पा देवी रो मन तो अलगे धड़कण लाग जाय। पर ऊ तो घणी संकोची, घणी शर्मीली — जुवां खोलणो तो जैसे गुनाह लागे।
भीमसिंह जी कई बार कोशिश करी चम्पा देवी स्यूं बात करण री — "चम्पा जी, आप रो पढ़ावण को ढंग बहोत नीक लागे", पण चम्पा देवी बस मुस्करावण री ओट में छुप जावै।
एक दिन स्कूल में शिक्षक दिवस को आयोजन हतो। सब मास्साब-सरस्वती मिलके कुछ न कुछ प्रस्तुति दे रह्या। भीमसिंह जी नी इच्छा हती के चम्पा देवी भी कुछ कहे — आखिर मास्साब होके, ऊ मंच से दूर क्यूं?
आखिर में, ऊ खुद चम्पा देवी स्यूं कह बैठा:
"आप को मन रो आदर ह — थाने देखके लागे के शांति भी एक शक्ति है। एक दिन थारो भाषण सुनणो चाहूं।"
चम्पा देवी रो मन रो दरवाजो हौले हौले खुलण लाग्यो। ऊ रात भर सोचती रही, अगले दिन ऊ एक कविता लिखी — स्कूल रो, बालकां रो, अणे...भीमसिंह जी रो लेके।
शिक्षक दिवस पर मंच पर ऊ पहली बार बोल्या — कांपती आवाज, पण आंखां में चमक।
कविता को अंत पंक्ति हती:
"कदाचित शब्द कम पड़े, पर भावना री भाषा समझण वाला माणस मिल जावे, तो मौन भी प्रेम कर लेवे।"
भीमसिंह जी समझ गया — ऊ मौन को अर्थ।
फेर क्या? प्रेम तो कबूल हो गयो, चुप्पी रा परदा हट गिया। आज भी पाली री स्कूल में लोक गीत में गाया जावै —
"मास्साब चम्पा अणे हेडमास्टर भीम, प्रेम करिया चुपचाप, ज्यूं मृदंग में राग भीनी बिन बोले बाजै।"
This is my first creation in my mother tongue. Although I can't take full credit—since my Marwadi isn't very strong and my friends helped me with the translation—it's still my first attempt in my native language. I would really appreciate it if you could share your thoughts on it. Please let me know if there are any issues or how I can make it more interesting. Your feedback would mean a lot to me.
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