The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
https://www.matrubharti.com/novels/52186/murder-in-malhotra-mansion-by-n-a
कोचिंग नगरी-सीकर सीकर शहर, नहीं कोई मामूली बात, यहाँ हर गली में चलता है पाठशालाओं का व्यापार। बैनर-बोर्ड चमकते जैसे नेता के वादे, IAS हो या हो REET, यहाँ हर कोचिंग सजाती है उम्मीदों की भीड़। मोटिवेशन क्लास में उड़ते जज़्बात, "तू कर सकता है", ये चलता दिन-रात। पर बैच में भीड़ ऐसी कि चेहरा दिखे ना साफ, डाउट पूछना हो तो, करनी पड़े क्लास के बाद तलाश। पीजी छोटा, फीस बड़ी, चाय की दुकान बनी यारी, गणित कम, चिंता ज़्यादा, हर कोचिंग कहे – "टॉपर हमारा", पर फेल हुए बच्चों का कोई ना सहारा। टेस्ट में नंबर आए जीरो, फिर भी होर्डिंग पर हीरो। शहर बना एजुकेशन की मंडी, जहाँ सपनों की लगती है बोली।
Good Morning
कोचिंग में मैं रोज़ ये सोचकर जाता हूँ कि एक दिन बड़ा आदमी बनूंगा… लेकिन क्लास में बैठते ही लगता है, शायद मैं वही बड़ा आदमी हूँ — जो हर साल कोचिंग बदलता है!😔 R.B.
आरव और सूरज छोटे से गाँव "रामपुर" में रहने वाला आरव एक बहुत ही जिज्ञासु और निडर लड़का था। बचपन से ही उसे घोड़ों का बहुत शौक था। जब भी वह खेतों में अपने बाबा के साथ काम पर जाता, दूर मैदान में दौड़ते हुए घोड़ों को देखकर उसकी आँखों में चमक आ जाती। उसके बाबा, श्रीधर काका, गाँव के इकलौते घुड़सवार थे। उनका सफेद घोड़ा "सुरज" पूरे गाँव में मशहूर था। परंतु बाबा ने आरव को कभी घुड़सवारी नहीं करने दी। उनका कहना था, "घोड़ा कोई खिलौना नहीं है, बेटा। जब तक तुम जिम्मेदारी नहीं समझोगे, तब तक उसकी पीठ पर चढ़ना तुम्हारे लिए खतरे से खाली नहीं।" लेकिन आरव ने हार नहीं मानी। उसने रोज़ सुरज की देखभाल करनी शुरू कर दी — उसे चारा देना, उसकी पीठ सहलाना, उसके खुर साफ़ करना। धीरे-धीरे सुरज भी आरव को पहचानने लगा। एक दिन, जब काका शहर गए हुए थे, गाँव में अचानक हड़कंप मच गया। पास के जंगल से एक तेंदुआ गाँव की ओर आ गया था। सभी लोग अपने घरों में छिप गए। एक किसान का छोटा बच्चा खेत में ही रह गया था, और तेंदुआ उसकी ओर बढ़ रहा था। आरव समझ गया कि समय बहुत कम है। उसने बिना किसी से पूछे, सुरज की पीठ पर कूदकर लगाम थामी और सीधा खेत की ओर दौड़ पड़ा। सुरज हवा से बातें करता हुआ दौड़ रहा था, और उतना ही तेज आरव का दिल धड़क रहा था लेकिन आँखों में डर नहीं, बस साहस था। ठीक समय पर आरव ने बच्चे को उठाकर सुरज की पीठ पर बैठा लिया और दौड़ता हुआ तेंदुए से दूर ले आया। गाँववालों ने जब यह दृश्य देखा तो तालियों और जयघोष से पूरा गाँव गूंज उठा। जैसे ही काका को यह खबर मिली, उनका सीना गर्व से तन गया। आँखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान लिए उन्होंने आरव को घुड़सवारी की इजाज़त दे दी। उस दिन के बाद आरव गाँव का सबसे युवा घुड़सवार बन गया, और सुरज उसका सबसे अच्छा दोस्त।
हर राह पर जब मन डोले, भविष्य की चिंता जब मन को तोले। एक आवाज़, जो भीतर से आए, 'तू कर सकता है', ये समझाए। गिरकर उठना, फिर से संभलना, हर मुश्किल से सीख है मिलना। भीतर की शक्ति को पहचानना, सपनों को अब है ठानना। - Rohan Beniwal
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser