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Rohan Beniwal

Rohan Beniwal

@rohanbeniwal113677

हम भारतीयों ने दुनिया को दिखा दिया कि कैसे बिना कुछ सीखे, ग्रेजुएशन की डिग्री ली जाती है।
यहाँ शिक्षा एक रेस है – कौन ज़्यादा किताबें रट सकता है, बिना समझे।
स्कूल से लेकर कॉलेज तक बस एक ही मंत्र है:
"रटो, लिखो, भूल जाओ।"

Skills? किस किताब में हैं वो?

कोई बच्चा अगर पूछ ले कि "ये हम क्यों पढ़ रहे हैं?" तो जवाब मिलता है:
"बस पढ़ लो, नंबर अच्छे आ जाएं।"
हमने सोचने की आदत खो दी है, सवाल पूछना गुनाह मान लिया गया है।

और इसका परिणाम क्या है ?
हमारे पास लाखों ग्रेजुएट्स हैं – जो सीवी में "Team Player", "Hardworking", "Quick Learner" लिखते हैं,
लेकिन असल में ना टीम चला सकते हैं, ना खुद से कुछ सीख सकते हैं।
जब इनसे
Job इंटरव्यू में पूछा जाता है: "What can you do?"
तब जवाब आता है: "मैंने B.Tech किया है।"
और कंपनी बोलती है : "Skill लाओ, Degree नहीं चाहिए!"
हमारे देश में Youth की भीड़ है, Talent की नहीं।

कड़वा है पर सच तो यही है कि
India produces more graduates than skilled professionals.
और यही वजह है कि डिग्री के बावजूद लोग बेरोज़गार हैं।

अब वक्त है सोचने का:
डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी है Skill।
Google कर लेना, आजकल companies "degree optional" लिख रही हैं – और हम अब भी "topper" बनने की रेस में लगे हैं।
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पोस्ट हमारी देखते हो, दिल भी लगाते हो,
स्क्रॉल करके खामोशी से निकल जाते हो।
फॉलो का बटन क्या नागिन है जो डस लेगी?
इतना भी क्या डरना, हम भूत नहीं जो चिपक जाएँ!
थोड़ा प्यार तो दिखाओ, बिन फॉलो मोहब्बत कैसी?

- Rohan Beniwal

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दोस्ती वह अनमोल रिश्ता है, जिसमें शब्दों से ज्यादा समझ और साथ की अहमियत होती है।"
- Rohan Beniwal

भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ज्ञान नहीं, याददाश्त का टेस्ट होता है। यहाँ बच्चों से ये नहीं पूछा जाता कि उन्होंने सीखा क्या, बल्कि ये पूछा जाता है – 'NCERT की लाइन वही थी ना?' "

चाहें भौतिकी का नियम हो या इतिहास की तारीखें, अगर शब्दशः याद नहीं, तो "गलत जवाब"!
विचारों की उड़ान नहीं चाहिए, बस वही घिसी-पिटी पंक्तियाँ दोहरानी हैं – बिना समझे, बिना सवाल किए।
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We all have that one friend
share it with him or her
- Rohan Beniwal

डिग्री मिल रही है, लेकिन दिमाग बंद है।

हम भारतीयों ने दुनिया को दिखा दिया कि कैसे बिना कुछ सीखे, ग्रेजुएशन की डिग्री ली जाती है।
यहाँ शिक्षा एक रेस है – कौन ज़्यादा किताबें रट सकता है, बिना समझे।
स्कूल से लेकर कॉलेज तक बस एक ही मंत्र है:
"रटो, लिखो, भूल जाओ।"

Skills? किस किताब में हैं वो?

कोई बच्चा अगर पूछ ले कि "ये हम क्यों पढ़ रहे हैं?" तो जवाब मिलता है:
"बस पढ़ लो, नंबर अच्छे आ जाएं।"
हमने सोचने की आदत खो दी है, सवाल पूछना गुनाह मान लिया गया है।

और इसका परिणाम क्या है ?
हमारे पास लाखों ग्रेजुएट्स हैं – जो सीवी में "Team Player", "Hardworking", "Quick Learner" लिखते हैं,
लेकिन असल में ना टीम चला सकते हैं, ना खुद से कुछ सीख सकते हैं।
जब इनसे
Job इंटरव्यू में पूछा जाता है: "What can you do?"
तब जवाब आता है: "मैंने B.Tech किया है।"
और कंपनी बोलती है : "Skill लाओ, Degree नहीं चाहिए!"
हमारे देश में Youth की भीड़ है, Talent की नहीं।

कड़वा है पर सच तो यही है कि
India produces more graduates than skilled professionals.
और यही वजह है कि डिग्री के बावजूद लोग बेरोज़गार हैं।

अब वक्त है सोचने का:
डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी है Skill।
Google कर लेना, आजकल companies "degree optional" लिख रही हैं – और हम अब भी "topper" बनने की रेस में लगे हैं।

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