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New bites

कुछ पुरुष कहते है –
“पत्नी तो पैसों की भूखी होती है,
प्रेमिका निस्वार्थ प्रेम करती हैं…”
और प्रेमिका भी कहती हैं ____

तो सुनो प्रेमिका ,

तुमने अपने प्रेमी के घर झाड़ू–पोछा किया?
उसके माता–पिता की सेवा की?
उसके स्कूल या कॉलेज की फीस भरी?
उसके लिए ज़मीन–जायदाद खरीदी?

क्या तुमने ताने–बातें झेली?
क्या तुमने अपने ही प्रेमी की नई प्रेमिका को बर्दाश्त किया?

नहीं ना…
क्योंकि घर चलाना, सबकी सेवा करना,
दिन–रात जिम्मेदारियाँ उठाना,
बिना आवाज़ उठाए अपमान सहना,
ये सब “संघर्ष” कहलाता है।

प्रेमी के साथ होटल या OYO जाना,
दो–चार प्रेमभरी बातें करना
संघर्ष नहीं होता —
वह तो बस चटपटा स्वाद है,
जिसके बाद असली जीवन की आँच सामने आती है।

सच तो यह है कि पत्नी निस्वार्थ देती रहती है
और उसी में उसका सम्मान है।
उसे नीचा दिखाकर
कोई भी खुद ऊँचा नहीं हो जाता।

archanalekhikha

it's hard but that's the truth

kattupayas.101947

Iam Fine

kattupayas.101947

Good morning friends

kattupayas.101947

जो कह दूँ मन की बात
व्यथा बन जाती है
गर ना कहूँ किसी से
रहस्यमयी कथा बन जाती है.
डॉ अनामिका-

rsinha9090gmailcom

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

mamtatrivedi444291

मनाओ जश्न दो उपहार..
आज का दिन हैं खास
जनाब मेरे लिए भी कर दो दुआ
काश कह दो मुबारक हो
आज जन्म दिन हैं आपका....

bita

“कुछ ज़ख़्म दवा से नहीं भरते,
वो सिर्फ़ दुआ और मोहब्बत से भरते हैं… 💔”

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? 🥀
Comment 💌 अगर आप भी इस दर्द को महसूस करते हैं…

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dhirendra342gmailcom

जिन्दागी मुकद्दर कर काटी है हमने
हर एक रात ऐसे ही गुजारी है हमने
सोचा पासे बदल कर जीत जायेंगे इस दफा
मगर हर बाजी ऐसे ही हारी है हमने.

mashaallhakhan600196

jaldi padhe

kumar00

Goodnight friends sweet dreams

kattupayas.101947

10 orders in just one day thank you so much for your unconditional love and support my dear Tamil book lovers ❤️❤️❤️❤️❤️❤️

surya1991

રાધે ક્રિશ્ન 🙏🙏

jighnasasolanki210025

🌹 सात जन्म तुझ पर कुर्बान 🌹

वो कहता है —
बहुत प्यार करता हूँ तुझसे,
तुझसे बिछड़ जाऊँ तो जी न पाऊँ।

पाऊँ अगर तेरा साथ तो ज़िन्दगी सँवर जाए,
जाए तो भी साँसें तेरे बिना थम जाएँ।

जाएँ अगर लम्हे तेरे बिन तो अधूरे लगते हैं,
हैं सभी ख्वाब मेरे बस तुझी में सिमटते।

सिमटते हैं जब अरमान तेरी धड़कन में,
मैं ही नहीं — सात जन्म भी तुझ पर कुर्बान कर दूँ।

कर दूँ इश्क़ ऐसा कि दुनिया मिसाल दे,
दे अपना सब कुछ, तेरे बिना सवाल ही क्या।

क्या है ख़ुशी, अगर तू पास न हो मेरे,
मेरे लिए तो खुदा भी तू, और इबादत भी तू।

saraswagi

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✨ अधूरे सपनों की चादर ✨

हम सबकी ज़िंदगी में कुछ न कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं।
कभी हालात, कभी रिश्ते और कभी वक्त उन्हें पूरा नहीं होने देता।

मेरे लिखे उपन्यास “अधूरे सपनों की चादर” इन्हीं अधूरे ख्वाबों और अनकहे जज़्बातों की दास्तान है।
यह कहानी सिर्फ मेरी नहीं, हर उस दिल की है जिसने कभी चुपचाप अपने सपनों को तह करके रख दिया।

📖 अगर आपने भी अपनी ज़िंदगी में ऐसे पल महसूस किए हैं, तो यह उपन्यास आपके दिल को ज़रूर छुएगा।

👉 पढ़ें – अधूरे सपनों की चादर
क्योंकि हर अधूरा सपना, किसी न किसी आत्मा की पूरी कहानी कहता है।

💌 आपका समय और प्रतिक्रिया मेरे लिए अनमोल है।

umabhatia #umaroshnika #"अधूरे सपनों की चादर "उपन्यास
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-Matrubharti पर आप पढ़ सकते हैं फ्री

umabhatiaumaroshnika941412

Niyas KN is the reminder that one person can ignite a thousand paths.

niyaskn

The Future Is Bionic: What’s Next for Eye Care & Vision Tech?

Eye care is no longer limited to glasses and simple surgeries. With the rise of cutting-edge technologies, the way we treat and protect vision is evolving faster than ever. Here’s a glimpse into what the future holds:

Smart Contact Lenses – Soon, lenses won’t just correct vision, they’ll monitor health and display data in real-time.

Bionic Eye Implants – Advanced implants are being developed to restore partial sight to people with blindness, opening new hope for millions.
AI & Robotics in Surgery – Artificial Intelligence and robotic systems are making eye surgeries safer, faster, and more precise.

Gene Therapy – Instead of managing symptoms, doctors may soon cure genetic eye diseases at their root through DNA-level treatments.

The future of vision is bionic, digital, and smarter than ever before. At Netram Eye Foundation, we are committed to staying ahead in adopting innovations that bring the best eye care to you.

📍 Visit us at E-98, GK-2, New Delhi – because your eyes deserve the future of sight!
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netrameyecentre

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है ज्ञान का उजाला

mamtatrivedi444291

કોઈ નાદાન વ્યકિતએ નાદાન પ્રશ્ન કર્યો.

લખવાથી શું મળે છે?
બસ ખુબજ નાનો પ્રશ્ન?

કિંતુ મનમાં અનેક પ્રશ્નાર્થ નાં વમળો નું સર્જન.
લખવાથી શું મળે?

મેં પુછ્યું પુછવાથી શું મળ્યું?

કંઈ નહીં બસ જવાબ મળે તો શાંતિ મળે.

શાંતિ લખાણના પાયામાં પણ હતી જ તો પણ વિસ્તાર થી કહ્યું.

કોઈ એક જ કારણથી થોડા લખતાં હોઈ છે.

લખાણ તો અઢળક કારણો ને કારણે સર્જાયેલું સમાધાન રહ્યું.

કોઈ માટે લખાણ અર્થ ઉપાર્જન નું ફક્ત માધ્યમ બની રહેતું હોય છે.

કોઈ માટે ખુદનાં ટમ ટમી રહેલા તારલાઓ જેવા વિચારોને વિશાળ નભના ફલક પર ફેલાવાની અને જાળવવાની આકાંક્ષાઓ થી પ્રેરિત હોય છે.

લખાણ એમ જ થોડું લખાય છે.
મનને કેટલો વલોપાત કરવો પડે છે ત્યારે નવનીત મળે છે.

મનનાં વિચારો નો આવેગ કાગળ પર પેનથી લખાય છે ત્યારે ખરેખર કેટલી રાહત થાય છે.

અદભુત ક્ષણો નો સંયોગ બને છે.

કોઈ તુટેલું હૈયું પણ ખુબજ ચીવટ થી પોતાની વ્યથા શબ્દોમાં આલેખીને જમાના સમક્ષ રજૂ કરતું હોય છે.

તેના દર્દને તે સમયે આ લખાણ જ દર્દ નિવારક મલમ નું કામ આપતું હોય છે.

કોઈ વાંચનાર હંમેશા લખનારનો આભારી રહે છે.

લખનાર પણ કોઇના લખેલાં લખાણોને વાંચીને લખવા માટે કાર્યરત બનતો હોય છે કે બનેલો હોય છે.

જીંદગીમાં જ્યારે લખવાનું અટકી જશે ત્યારે સ્મરણ રાખવું કે સ્મરણમાં ના રહેલી ઘણી જ ઘટનાઓનો ઇતિહાસ ઈતિહાસ બની જશે.

કોઈનાં માટે લખવું એ નિજાનંદ આનંદ છે.
નિજાનંદ આનંદ એટલે શું?
એ પણ પ્રશ્ન રહ્યોં

જેને જેમાં રુચિ છે તેને તેમાં બસ અનુભવ્યો આનંદ તે જ નિજાનંદ.

આપણો નિજાનંદ કલમ અને કાગળ સાથે નો સથવારો.

parmarmayur6557

ધંધામાં દેણ-લેણનો પ્રશ્ન દરેકને આવે છે…
તમારી દૃષ્ટિએ સારો વ્યવહાર કઈ રીતે રાખવો જોઈએ?
👇 વિચારો લખો
🔗 માર્ગદર્શન માટે ક્લિક કરો: https://dbf.adalaj.org/pFs2fBfv

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dadabhagwan1150

कलियुग के रिश्ते

आजकल का युग बड़ा खतरनाक हो चला है।
रिश्तों में धोखे का खेल खुलकर खेला जा रहा है।

बेटा प्रेमिका पर मरता है,
मां बेटे पर इस कारण बैर करती है,
बहु या पत्नी पूरा परिवार झेलता है।

मां को डर है, कहीं बहु उसे बेटे से अलग न कर दे।
हर रोज बहु को नए–नए जाल में फंसाया जाता है,
उसकी गलती न होते हुए भी उसे गलत ठहराया जाता है।

मां बेटे के सामने खुद को अच्छा दिखाती,
बहु की कमियां गिनाती,
इसीलिए पति पत्नी को गलत समझता है।

पति प्रेमिका को देवी समझता है,
मां को भगवान।
लेकिन इन मीठे चेहरों के पीछे छुपे असली रूपों की पहचान
कैसे हो?
प्रेमिका और मां मीठी–मीठी बातें कर,
उसके सामने खुद को अच्छा दिखाती है।

पत्नी जाल में फस जाती है,
बचने के लिए पति को बताती है,
तो उल्टा उसी से झगड़ा होता है,
क्योंकि विश्वास तो मां पर है,
पत्नी पर कैसे करे?
पत्नी को झूठ बोलना नहीं आता,
शायद इसलिए उसे बुरा कहा जाता है।

कलियुग में रिश्तों में क्लेश का कारण
पति की प्रेमिका, पत्नी का प्रेमी
या किसी तीसरे की चाल भी हो सकता है।
रिश्ता कमजोर होता है,
झगड़े का कारण बन जाता है।

हाँ, सब पति–पत्नी ऐसे नहीं होते।
जो सच्चे होते हैं, वे मौज में रहते हैं।
पवित्र रिश्तों का हिस्सा,
प्रेम ही प्रेम में बदल जाता है।

सच कहूँ,
यदि पति–पत्नी में कोई एक
दूसरे को न समझे,
पति पत्नी की इज़्ज़त न करे,
तुम सही हो यह जानते हुए भी
अपने लोगों का साथ दे
और तुम्हें गलत ठहराए—
तो ऐसा घर नहीं चलता।

एक बचाने पर लगा है,
तो दूसरा तोड़ने पर।
तोड़ने वाला ही बड़ा खिलाड़ी बनता है।
जरूरी नहीं कि पत्नी ही घर तोड़ रही हो।
अक्सर जो मीठा बोलकर
पति–पत्नी में जहर घोलता है,
वही असली कारण होता है
रिश्तों के टूटने का।

इसीलिए,
कलियुग में पति पत्नी का रिश्ता जल्दी टूटता हैं।


---लेकिन यह बात सभी सास–मां पर लागू नहीं होती।
कई सास–माएं तो बहु को बेटी जैसा मानकर
घर को संभालने और जोड़ने में लग जाती हैं।

archanalekhikha

✦ My Contract Marriage ✦


शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।



अध्याय 1 – सौदा

आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।

उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।

एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”

आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।

कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।

आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”

कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।



अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत

शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।

दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।

शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।

आरव काम में व्यस्त रहता।

कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।

दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।


अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।

लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।



अध्याय 3 – बदलते रिश्ते

धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।

एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”

आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।

इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।



अध्याय 4 – दिल की धड़कनें

समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।

एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।

दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।


अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।

दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”



अध्याय 5 – तूफ़ान

लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।

आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।

दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?

गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”

दोनों अलग हो गए।


अध्याय 6 – सच्चाई

कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।

वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”

कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”




अध्याय 7 – नया सफ़र

दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।

आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।

विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।


उपसंहार

कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी

rajukumarchaudhary502010

चुप्पी

हज़ारों लफ़्ज़ उमड़ते हैं,
पर होंठों तक आते ही ठहर जाते हैं,
दिल की गलियों में गूंजते सुर,
दुनिया के शोर में खो जाते हैं।

नज़रों में चमक, चेहरे पे हंसी,
पर भीतर कहीं तूफ़ान छिपा होता है,
जो कह न सका, वही बोझ बनकर,
रातों की नींद चुरा लेता है।

कितनी बार चाहा बोल पड़ें,
कितनी बार चाहा हाथ थाम लें,
पर डर है—कहीं ठुकरा दिए गए तो?
यही सोचकर फिर से चुप रह लें।

लोग समझते हैं—ये खामोश हैं,
पर ये खामोशी भी एक कहानी है,
दिल की गहराई से निकली पुकार,
जो कभी किसी तक नहीं पहुँच पाती है।

यूँ ही हज़ारों चेहरे के बीच,
अपना ही साया बनकर रह जाते हैं,
जो कह न सके दिल की बातें,
वो ज़िंदगी भर चुपचाप जी जाते हैं।

पर एक सच ये भी है—
जो दिल की बात कहने का साहस कर लेता है,
वो अपने अकेलेपन को तोड़ देता है।
हर खामोशी के पीछे एक रिश्ता छिपा होता है,
बस ज़रूरत है पहला शब्द कह देने की।

क्योंकि अक्सर सामने वाला भी
यही सोचता रह जाता है—
काश… वो कह देता!

DB-ARYMOULIK

deepakbundela7179

Good morning friends.. have a great day

kattupayas.101947