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New bites

Yatharth satya kabhi badalta nhi
koi insaan siddha chalta nhi
Lagti hai thokar, tutata hai bharosa
Tab insaan chalna hai sikhtaa.

U hi logo ne sharafat ko badanaam nhi kar rakha
Zarur unhone bhi sharafat ka swaad liya hoga
Khayi hogi thokar itni ki apna rasta hi kaam se kaam bna liya
Shyad islea toh sharafat ko itna badnaam kr rhakha hai.

By Sanjana

sanjana1499

इन किताबो से मेरा ना कोई है नाता
गर पढ़ लिया कुछ समझ भी ना पाता,
हर अक्षर है उल्झे ख्यालो मे किसी के
अगर डूब जाऊ कभी किसी दिन इसमे
है मेरी मुश्किल मै निकल ही नही पाता .

mashaallhakhan600196

तीन बाण के धारी,
तीनो बाण चलाओना ।
मुश्किल मे है दास तेरा,
अब जल्दी आओना।
हारे के सहारे बाबा ,,,,,,,
मेरी हार हराओना।

🌹🙏हारे का सहारा श्री श्याम हमारा 🙏🌹
🙏 जय खाटू श्यामबाबा🙏

jighnasasolanki210025

💫 Flow of Blessings

God’s blessings are meant to flow, not stay still.
When you give with an open heart,
you create a circle of love that always returns to you. 🌷
The more you give, the more you receive. 🌿

nensivithalani.210365

Do you know that minds blossom with communication, not with fear?

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#fear #fearless #selfhelp #mindful #DadaBhagwanFoundation #facts

dadabhagwan1150

अध्याय 1: ऊर्जा देवी —
हृदय की दिव्य तरंगऊर्जा देवी कोई पौराणिक प्रतीक मात्र नहीं, बल्कि चेतना की सबसे सूक्ष्म और जीवित तरंग है।
वह मनुष्य के भीतर वही स्पंदन बनकर बहती है, जो जन्म, प्रेम, करुणा और सृजन का मूल है।जब मनुष्य ध्यान या मौन में उतरता है, वह इस अदृश्य तरंग को महसूस करता है—जो न आंखों से देखी जा सकती है, न मस्तिष्क से मापी जा सकती है। यही वह दिव्य स्त्री-ऊर्जा है।यह ऊर्जा पूर्णता का प्रतीक है, क्योंकि यह किसी बाहरी निर्भरता से परे है। लेकिन जब बुद्धि उससे कट जाती है, तब जीवन सूखा, यांत्रिक और बंजर बन जाता है।
यह अध्याय हमें याद दिलाता है कि हृदय में उतरना ही सृष्टि के मूल स्वर में लौटना है।

अध्याय 2: बुद्धि पुरुष —

यंत्र और तर्क का स्वामीबुद्धि पुरुष का कार्य है विश्लेषण करना, योजना बनाना, संरचना निर्मित करना। वही विज्ञान, तकनीक, शिक्षा और राजनीति का मूल उपकरण है।
किन्तु बुद्धि में ऊर्जा नहीं है। वह केवल संख्याओं, रासायनिक प्रक्रियाओं और तर्क की सीमित दुनिया में कार्य करती है।जब बुद्धि पुरुष, ऊर्जा देवी से पृथक हो जाता है, तो उसकी समस्त रचना नीरस हो जाती है।
वह व्यवस्था तो बना सकता है, पर जीवन नहीं दे सकता।यह अध्याय स्पष्ट करता है कि बुद्धि वाहन है—लेकिन चालक नहीं। उसका अधीन होना आवश्यक है हृदय की ऊर्जा के प्रति।

अध्याय 3: हृदय-ऊर्जा और रासायनिक बुद्धि का

द्वंद्वहृदय ऊर्जा का केंद्र है—जहाँ प्रेम, करुणा, सौंदर्य और कृपा का निवास है।
वहीं बुद्धि रसायन पर आधारित यांत्रिक क्रिया है—वह केवल प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है, अनुभूति नहीं।आज का युग बुद्धि-प्रधान है, इसलिए जीवन से रस गया है।
मनुष्य विज्ञान-प्रधान सभ्यता में सुविधा तो पा गया, पर शांति खो बैठा।
एलोपैथिक उपचार वहाँ असफल होते हैं जहाँ हृदय की ऊर्जा दब जाती है, क्योंकि वास्तविक उपचार उर्जा-संतुलन में ही है।यह अध्याय चेतावनी है कि आधुनिक सभ्यता की दिशा केवल रसायन के स्तर पर जीवन खोज रही है, जबकि जीवन स्वयं हृदय की कंपन में स्थित है।

अध्याय 4: स्त्री ऊर्जा का दमन और सभ्यता का पतनयह

भाग सामाजिक और सांस्कृतिक विवेचन है।
यह बताता है कि कैसे “बराबरी” की आड़ में स्त्री की ऊर्जा, उसकी मौलिकता और सहजता को बुद्धि-प्रधान ढाँचे में बंद कर दिया गया।स्त्री स्वतंत्र तो कही गई, पर उसे उस स्थिति से ही वंचित किया गया जो उसकी आत्मा की जड़ है — उसका हृदय।
वह संवेदना और पालन की प्रतिनिधि थी, किंतु अब यंत्रवत् भागीदार बना दी गई।लेखक का आक्रोश यहीं सबसे अधिक प्रकट होता है—क्योंकि यह दमन केवल सामाजिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक पतन है।
यह अध्याय कहता है: वास्तविक समानता तब होती है जब स्त्री अपनी ऊर्जा रूपी पहचान में पुनः प्रतिष्ठित होती है।

अध्याय 5: जीवन का सूत्र —

बुद्धि को पार करनावेदा का सार है — बुद्धि का द्वार पार करना और हृदय में ठहरना।
जब मनुष्य केवल तर्क, राजनीति, या व्यापार में उलझा रहता है, तो वह दिव्यता से दूर हो जाता है।यह अध्याय बताता है: जीवन की बोध यात्रा जरूरतों के पार जाने में है।
कर्मकांड, धर्माचार, या गणना से आत्मा नहीं मिलती; आत्मा का निवास केवल हृदय के केंद्र में है।यह बुद्धि और हृदय के बीच रूपांतरण का अध्याय है — जहाँ मानव अपने भीतर के देवत्व की पहचान करता है।

अध्याय 6: शरीर का लय-सूत्र और चैतन्य की

यात्रामनुष्य शरीर में पाँच इन्द्रियाँ और पाँच कर्मेन्द्रियाँ एक दिव्य लय में चलती हैं।
बुद्धि सिर में स्थित है – वह सबसे कठोर और स्थूल केंद्र है।
ऊर्जा मूलाधार में स्थित है – वहाँ जीवन प्रवाहित होता है।जब चेतना नीचे के मूलाधार से उठकर हृदय में ठहरती है, तब ऊर्ध्वगमन होता है — प्रेम, सौंदर्य और चैतन्य का जागरण।
बुद्धि के तल पर कामना बाहरी है; हृदय के तल पर वही शक्ति प्रेम बन जाती है।यह अध्याय वेदान्त की साधना-दृष्टि हैं — जहाँ पुरुष (बुद्धि) और स्त्री (ऊर्जा) का योग ही परम सत्य है।

उपसंहार:

Vedānta 2.0 का संदेशVedānta 2.0 केवल दर्शन नहीं, एक आंतरिक क्रांति का घोष है।

यह मनुष्य को आमंत्रण देता है कि वह सिर से हृदय में उतरे, यांत्रिकता से जीवंतता की ओर लौटे।
जहाँ बुद्धि दिशा है और हृदय मूल, वहाँ ही संतुलन और सृजन का नया युग आरंभ होता है।

bhutaji

अज्ञात अज्ञानी (Agyat Agyani) एक आधुनिक भारतीय आध्यात्मिक लेखक, चिंतक और शोधकर्ता हैं, जिनकी रचनाएँ आत्मा, चेतना, अनुभव और जीवन के मौलिक सत्य पर केंद्रित हैं। वे धर्म, विज्ञान और चेतना के समन्वय से जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने का प्रयास करते हैं और प्रत्यक्ष अनुभव तथा मौन की साधना को जीवन की जड़ मानते हैं।
उनका मानना है कि मनुष्य जीवन को केवल समझने की कोशिश करता है, जबकि जीवन को जीना और अनुभव करना ही सच्चा बोध है। उनके अनुसार, जीवन कोई सिद्धांत या तर्क नहीं — बल्कि स्वयं में मौलिक, अनिवार्य और स्वतःप्रकट है।

अज्ञात अज्ञानी कहते हैं कि धर्म ने ईश्वर की खोज की, विज्ञान ने पदार्थ की — पर जीवन को अनदेखा किया गया। मनुष्य यदि स्वयं को जाने बिना ईश्वर को पा भी ले, तब भी वह सच्चे अर्थों में अज्ञानी ही रहता है।

उनके विचारों में न्याय, धर्म और व्यवस्था तब तक अधूरी हैं जब तक मनुष्य अपने भीतर संतुलन और मौन को नहीं पाता। जो स्वयं को जान लेता है, वही सच्चा धार्मिक होता है — उसे किसी बाहरी व्यवस्था, आस्था या नियंत्रण की आवश्यकता नहीं रहती।

वे बताते हैं कि जीवन अनुभव से खुलता है; प्रश्न और उत्तर के बीच जो मौन है, वहीं से सच्चा जीवन जन्म लेता है। जब जीवन और भगवान अनुभव के रूप में एक हो जाते हैं — न कि केवल विचार या धारणा के रूप में — तब मनुष्य जागृत होता है।

अज्ञात अज्ञानी जीवन के अनुभव, संवेदना, बोध और आंतरिक यात्रा पर बल देते हैं। वे सफलता और उपलब्धि से आगे बढ़कर जीवन की गहराई में उतरने का आमंत्रण देते हैं।

उनकी प्रमुख कृति “अज्ञात गीता” जीवन, धर्म और मौन की खोज पर आधारित है — जहाँ शब्द नहीं, अनुभव बोलते हैं।

संक्षेप में, अज्ञात अज्ञानी एक ऐसे आध्यात्मिक दार्शनिक हैं जो धर्म और विज्ञान दोनों से परे जाकर मौन, अनुभव और चेतना की प्रत्यक्ष यात्रा का मार्ग दिखाते हैं — यह बताते हुए कि जीवन को समझना नहीं, जीना ही ज्ञान है।

bhutaji

जयश्रीकृष्णा जयश्रीकृष्णा
जयश्रीकृष्णा जयश्रीकृष्णा जयश्रीकृष्णा

rsinha9090gmailcom

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

mamta Girish Trivedi

mamtatrivedi444291

ફિલ્ટરવાળું પ્રેમ ચાલે છે.
ચહેરા કરતાં ફ્રેમ, આત્મા કરતાં એન્ગલ, અને વાત કરતાં “સ્ટોરી વ્યૂ” વધુ મહત્વનું.
એટલે ઘણા લોકો અંધ બની જાય છે… ખોટી ચમકથી.
જુએ તો બધા છે,
સમજે બહુ ઓછા છે.
પ્રેમ ત્યાં છે જ્યાં
મન સામે મન બેસે,
ચહેરા નહિ.

truptirami4589

एक झलक दिखला गया
आसमां भी इतरा गया
हमे कभी तमन्ना ना थी तेरी
फिर भी हमे अपना बना गया .

mashaallhakhan600196

The Future of LASIK is Touchless — and it’s here at Netram Eye Foundation!

Under the leadership of Dr. Anchal Gupta, we’ve introduced the revolutionary SmartSurfACE + CustomEyes Foresight 7D Laser System — a breakthrough in vision correction that offers zero-touch precision and exceptional comfort.

💙 No blade
💙 No flap
💙 No contact — just pure laser precision

With Touchless LASIK, patients experience faster healing, greater safety, and clearer vision — all without any physical contact.

Today, Dr. Anchal Gupta and her team successfully completed four Touchless LASIK surgeries, including one for a patient who travelled all the way from Washington, USA, to experience this world-class, blade-free technology. 🌍

At Netram, we continue to redefine excellence in eye care — combining advanced technology, compassionate care, and global trust. 👁️✨

#DrAnchalGupta #NetramEyeFoundation #TouchlessLASIK #SmartSurfACE #FutureOfVision #EyeCareInnovation #Delhi

netrameyecentre

દેશની શાન દેશનો ત્રિરંગો,
રાષ્ટ્રગીત અને રાષ્ટ્રગાન.
થયું રાષ્ટ્રગાન આજે
150 વર્ષનું!
થયાં વર્ષ 150 દેશનાં સ્વાભિમાનનાં.
આપીએ સન્માન દેશને,
ગાઈ એકવાર આજે,
વંદે માતરમ્
થયું જે 150 વર્ષનું આજે!
કરીએ યાદ એનાં રચયિતા,
શ્રી બંકિમચંદ્ર ચટ્ટોપાધ્યાયને🙏

s13jyahoo.co.uk3258

"ब्लैक होल ग्रह — क्या ये हमारी आख़िरी दुनिया हो सकती है?"

सोचो...
अगर सूरज बुझ जाए, सारे तारे ख़त्म हो जाएँ 🌑
तो क्या इंसान के पास जीने की कोई जगह बचेगी?

वैज्ञानिक कहते हैं — हाँ!
वो जगह होगी ब्लैक होल के पास 😳

हाँ, वही ब्लैक होल — जो सबकुछ निगल जाता है!
लेकिन सोचो, अगर किसी ब्लैक होल के चारों ओर कोई ग्रह घूम रहा हो,
तो वो ग्रह कैसा दिखेगा?

वहाँ सूरज नहीं, बल्कि ब्लैक होल की आग जैसी चमक दिन बनाती है।
रात में, आसमान में ऑरोरा जैसे नाचते हुए प्रकाश दिखते हैं।
कभी गर्मी से सब पिघल जाता है,
तो कभी ठंड से पूरा ग्रह जम जाता है ❄️🔥

वैज्ञानिकों का कहना है —
जब सारे तारे बुझ जाएँगे,
ब्लैक होल ही ब्रह्मांड की आख़िरी ऊर्जा का स्रोत बन जाएगा।
और शायद, इंसान का आख़िरी घर भी... 💫

अगर तुम्हें मौका मिले — क्या तुम ऐसे ब्लैक होल ग्रह पर जाना चाहोगे?
Comment में बताओ! 👇
#BlackHole #SpaceMystery #UniverseFacts #ScienceReels #SpaceExplained #FBReelsIndia

rajukumarchaudhary502010

Quote of the Day

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dadabhagwan1150

સૂરજ ઉગે ને રાતનો પડદો ખસે છે,
આશાનું કિરણ લઈ પ્રભાત હસે છે... ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

bharatahir7418

আজ থেকে শুরু হচ্ছে বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায় রচিত বন্দে মাতরম মহামন্ত্রের সার্ধশত বর্ষ উদযাপন। এই দুটি শব্দ শুধু গান নয়, শুধু সাহিত্য নয়, এটি ভারতের আত্মার শাশ্বত আহ্বান। একটা জাতির মহাজাগরণের গভীরে যে আগুন প্রথম জ্বলে উঠেছিল — সেই আগুনের নাম ছিল বন্দে মাতরম।

যখন দেশ স্বাধীন ছিল না, যখন আশা ছিল না, যখন মানুষের বুকের মধ্যে কেবল ক্ষোভ আর অন্ধকার, তখন এই দুটি শব্দ কোটি কোটি ভারতবাসীর কণ্ঠে পরিণত হয়েছিল মুক্তি যুদ্ধের ধ্বনি হিসেবে। এই গান ছিল সাহস, আত্মমর্যাদা, আর বীরত্ব নিয়ে রুখে দাঁড়ানোর এক অদম্য শক্তির নাম।

বন্দে মাতরম — মা মাটির প্রতি এক অনড় অর্পণ। মাটি মানে শুধু ভূমি নয়, মাটি মানে স্মৃতি, ইতিহাস, সভ্যতা, শিকড়, অস্তিত্ব, স্বর। যে গান গত দেড় শতাব্দী ধরে ভারতকে বাঁচিয়ে রেখেছে — আজ সেই গানের ১৫০ তম জন্মদিন। এই গান আমাদের নতুন প্রজন্মকে স্মরণ করিয়ে দেয়: স্বাধীনতা কখনো তৈরি জিনিস ছিল না — এটা অর্জিত জিনিস। এটা বিলাস নয় — এটা কর্তব্য।

আজকের দিনে আমরা যখন বিভক্ত, ক্লান্ত, দিশাহারা; তখন আবারও এই মহামন্ত্র আমাদের মনে করিয়ে দেয়— আমরা এক অদ্বৈত চেতনার সন্তান। আমরা সেই মাটির মানুষ, যে মাটি একদিন পৃথিবীর মানচিত্র পাল্টে দিয়েছিল। বন্দে মাতরম শুধু অতীত নয়, আগামীকেও তৈরি করার শপথ।

আজ এই সার্ধশত বর্ষ উদযাপনের লগ্নে আমরা প্রণাম জানাই বঙ্কিমচন্দ্রকে — যিনি এই মন্ত্রের মধ্য দিয়ে ভারতকে চিরজাগরণের শপথ দিয়েছিলেন। আজ আমরা সবাই অন্তর থেকে একবার অন্তত বলি— বন্দে মাতরম। 🙏🌼🙏

krishnadebnath709104

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

सहर की आभा दुनिया को जगा रही
हल्की-हल्की धुंध सरदियान को बुला रही
#डॉअनामिका #हिंदीकाविस्तार #हिंदीपंक्तियाँ #हिंदीशब्द #ऊर्दूअलफ़ाज़ #बज्म़

rsinha9090gmailcom

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 जीवन के मेले
https://www.instagram.com/reel/DQviQ5CEgJd/?igsh=MTVpcmU4eDY3Y3NhOA==

mamtatrivedi444291

ढोल की थाप पर झूमता माहौल,
नाचती भीड़ के बीच एक पल —
जब कश्यप ने संभाली वीरा… और नज़रे थम गईं। 💫

वहीं दूसरी तरफ,
अद्वितीय ने यशी को जिस अंदाज़ में ठुकराया —
वो पल जैसे उसके दिल पर वार कर गया। 😤💔

और तभी…
मंच पर आते हैं तरुण और आरोही —
संगीत, लाइट्स, और उनकी कैमिस्ट्री से सजी
वो परफेक्ट सगाई एंट्री! 🎶💃

हर कदम पर चमक,
हर नज़र में प्यार —
और हर चेहरे पर एक ही दुआ…
“ये रिश्ता सदा सलामत रहे।” 💖

पर इन तालियों के बीच,
एक दिल था जो खामोशी में टूट रहा था…
किसका?



Bandhan (uljhe rishton Ka)

mayahanchate855175

વીતી ગયો સમય ને હવે સ્મરણ રહી ગયા . છૂટી ગયા વ્યક્તિને લાગણીઓ રહી ગઈ વિખુટા પડીને પણ હૃદયમાં રહી ગયા
છેટા રહીને પણ અંતરમાં રહી ગયા
સાથે નથી તમે તો શું થયું ?
ભુલાય ના એવી અમીછાપ મુકતા ગયા
ચાહીને પણ વિસરી શકાય એમ નથી
કારણ સાથે હોવાનો અહેસાસ મુકતા ગયા સંભારણું તમારું એવું તો કેવું મુક્તા ગયા?
કે યાદ કર્યા તમને ને આંસુ વહી ગયા

hinachauhan.661227