देश भक्ति पर दोहे"
रक्षा करना धर्म हुआ, मेरी माटी मेरा देश।
वीरों के बलिदान का, सबको दो संदेश।।
मातृभूमि की धूलि को, चन्दन जैसा मान।
बलिदानी रज धूलि का, करना है सम्मान ।।
चन्दन तिलक लगाइए, मस्तक का श्रृंगार।
नित नित प्रातः काल में, मस्तक तिलक उभार।।
खाईं जिसने गोलियां, फाँसी पर चढ़ पाय।
ऐसे वीरों को सदा, दिल से पूजा जाय।।
भारत की माटी करे, उस माँ का सम्मान।
जिसने मेरी आन में, भेजी निज संतान।।
दोहे सृजनकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" किरतपुरी
राजस्व एवं कर निरीक्षक