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Pawan Kumar Saini

Pawan Kumar Saini

@pawansainiktp392gmail.com190227
(2)

अल्फाज़ ढूंढ रहा हूँ दूसरों को बयां करने का
ना जाने अल्फाज़ो में मेरे कुछ कमी सी है

घर की जरूरतों के लिए निकल पड़ते है कमाने
खुद की आरजूओं की तो बस एक गमी सी है

मा को वो ला के दूंगा भैया के लिए वो करूँगा
जहन में सबके इनके ख्यालों की जमीं सी है

बुरा मतलबी बेमान कहती है दुनिया किसको
मैं कहता हूँ दिल की खूबसूरती सबकी हमी सी है

ख्यालों - ध्यान रखना

Pawan kumar saini

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नज़्म

किसी के हिस्से में जुदाई
किसी के हिस्से में मोहब्बत आ गयी,
हम अलग थे थोड़े हमारे
हिस्से में जिम्मेदारी आ गयी।

सुना हमने भी की आज महफिल
सजने वाली हैँ इश्क़ वालो की वहाँ,
देखने पहुंच गये उनको हम भी वहाँ
देखा तो मुझको थोड़ी हसीं आ गयी।

सब जिक्र कर रहे अपनी अपनी
मोहब्बत की बड़े शौक से,
और हमें उनकी बातें सुनकर
पता नहीं कब नींद आ गयी।

Pawan kumar saini

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।। 18 से 22 साल के लड़को के लिए।।

आशमान इनके ख्वाब में
ही रहजायेगे
अगर ये परिंदे डर के
जमीं के दायरे में ही रह जायेंगे

जिसके भी सपनो के एक बार
पर निकल आएंगे ,
वो खुले आशमान में
एक दिन उड़ ही जाएंगे।

पवन कुमार सैनी

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कौन कहता हैँ कोई सपना हक़ीक़त
नहीं होता इस तरह,
कोशिश करो ढल के देखो
सोचो भी उसी तरह।

इस दुनिया में छोटे बड़े
सभी किरदार हैँ तरह तरह के,
ढल जाओगे उसी किरदार में
सोचोगे जिस तरह के।

हर किरदार बुलाता तो हैँ सबको,
डर कर कोशिश नहीं करता
तो ढालेगा किसको।
तजुर्बे मायने उसी तरह के अपनाके
ढल जाओगे देखो
उसी तरह का माहौल बनाके,
सपना हक़ीक़त होता हैँ
देखो एक बार कदम बढा के।

पवन कुमार सैनी

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सुन्दर कविता

सूरज की पहली किरण से,
आशा का नया सवेरा होता है।
शब की ख्वाब ए सहर के बाद,
फिर अपने काम का फेरा होता है।

आबताब की सफ़क़ को ,
कोहसारों ने घेरा होता है।
पंछी जरस से जगाते है ,
किसी नहीं बेरा होता है।

चल पड़े है गुजर में मुसाफिर ,
नहीं पता कहाँ अगला डेरा होता है ।
छोड़ चुके है बशर पंछी अपना कदा ,
सबका दाना पानी का झेरा होता है।

आबताब के क्षितिज में डलते ही ,
कोई जल्दी में कोई काम में शैदा ।
सभी लौट रहे है अपने अपने कदे में,
कोई मुसाफिर गुजर में ही ठेरा होता है।

Pawan kumar saini

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सब अपने अपने हिसाब से देखते दुनिया को,
कोई संघर्ष कोई सागर कोई खेल कह जाता है।

दुनिया के खेल बाजार में बेहतर खेल रचा है,
बोले तो मीट्टी बीके न बोले सोना रह जाता है।

किसी को तरका किसी को तख़्त हासिल हो जाता है,
किसी का ख्वाब जिंदगी भर मजदूरी में बह जाता है

कोई समय की जदों से बस जियाँ हो जाता है,
कोई पत्थर दिल बनकर हर जद सह जाता है।

Pawan kumar saini


#emotion

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अधूरी ग़ज़ल

सब अपने अपने हिसाब से देखते दुनिया को,
कोई संघर्ष कोई सागर कोई खेल कह जाता है।

दुनिया के खेल बाजार में बेहतर खेल रचा है,
बोले तो मीट्टी बीके न बोले सोना रह जाता है।

किसी को तरका किसी को तख़्त हासिल हो जाता है,
किसी का ख्वाब जिंदगी भर मजदूरी में बह जाता है

कोई समय की जदों से बस जियाँ हो जाता है,
कोई पत्थर दिल बनकर हर जद सह जाता है।

Pawan kumar saini

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कविता

जीवन समय की राह पर चलता मुसाफिर है ,
खुशी की चाहत लिए हसरतो में भटक जाये ।

आँखों में सपने हैं दिल में अरमान सजाए ,
निशात बड़ा कर अपना कहाँ कहँ पर जाये ।

कभी सफर कठिन लगे ,कभी अनजान राहें ,
कभी समय का खेल नये इम्तिहान पर लाये ।

अलम में खोसता खुदको खुशी में शैदा होता,
देख मुश्किल हालातों को राह में डर जाये

उम्मीदों की शमा जलाकर राह तीरगी मिटाना चाहे,
कभी दिल कहा न करें कभी दिल चाहे जों कर जाये।

जीवन खेल हसरतो का समय के राह पर ले जाये ,
हर मोड़ पर नया सबक नई सिख सिखाये ।

Pawan kumar saini

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दिल तोड़कर दिलेज़ार कर गयी वो बेवफा,
इश्क में किसकी खता , बेमूरव्वत निकली मेरी ही वफ़ा।

शैदा माशूक दिल में अपनी तस्वीर छोड़कर तू खूब गयी,
शायद कांच की थी टूटकर अब दिल में चुभ गयी ।

जैसे तेरी याद मेरे ख्यालों में आती है चुभ जाती है अंदर ,
पूछती है कहाँ है गुलपोश,यहाँ तो तिरगी है और जला कंदर।

हाथ पकड़ कर ,साथ जीने मरने की कसमें खाई,
जिंदगी भर साथ निभावुगी कहती थी वा रे हरजाई ।

क्या हुआ ऐसा इतने मसाईब के चलते चलते,
सोचकर रों पड़ा अचानक से एक दम से चलते चलते।

पवन कुमार सैनी
#Pain

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जीवन की परेशानीयों और कठनाइयों में,
दिल को बहलाना भी कोई किसे सिखाता है।

कोई गर्दिशों की जद से रों पड़ता है आखिर ,
कोई खेल समझकर कुछ भी कर गुजर जाता है।

किसी को न्याय नहीं मिलेगा पैसा तख़्त जुखाता है,
अंदा है कानून कोई गीता की झूठी कसमें खाता है।

कोई देख ज़माने की बंदिशों को वहसत में आ गया,
अब तो जों जी में आता है वो ही कर जाता है।

जीस्त के कुचों में जुल्मत तो कभी रोशन चलता है ,
जुल्मत के वक्त अगियार क्या मूसाफत बदल जाता है ।

जीवन की परेशानीयों और कठनाइयों में,
दिल को बहलाना भी कोई किसे सिखाता है।

पवन कुमार सैनी

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