तेरी यादों को मैं कितना भुलाऊं,
बेझिझक चली आती है चाहे मैं बुलाऊं या न बुलाऊं
और हाल दिल का तुझे मैं क्या बताऊं
अब रहा नहीं जाता, तुझसे मिलने का बेसब्री से दिल चाहता
छोड़ हठ अपनी, आ अब मिलते है, गुल बनकर खिलते है
जो उजाड़ा था चमन हमने,
आ फिर से उसमें प्रेम के रंग भरते है
कहानी अधूरी है हमारी,आ उसे पूरी करते है
आ उसे पूरी करते है।
Rosha