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bhavnabhatt154654

bhavnabhatt154654

bhavnabhatt154654

ચલો આખરે આજે બધુ રાબેતા મુજબ થઈ ગયું. બાકી કાલે વુમન્સ ડે ની પોસ્ટ વાંચી વાંચીને તો હું વિચારે ચઢી ગઈ હતી કે જો પુરુષોનું કઈ કામ જ નથી તો એ પ્રજાતિ આ પૃથ્વી નામના પ્લેનેટ પર કરે છે શું!!! એમને કોઈ અલગ પ્લેનેટ પર મોકલીને પૃથ્વીને પુરુષ વિહોણી જ કરી નાખવી જોઈએ. અને પછી નવી ઉપાધિ.. એમના માટે પ્લેનેટ શોધવાની. પછી તો અચાનક મનમાં ખતરાની ઘંટી વાગી કે જિંદગીને સરળ બનાવવા દુનિયાભરની ટેકનોલોજીની શોધ કરનાર પુરુષોએ માણસના વસવાટ માટે બીજા કોઈ પ્લેનેટની શોધ જ નથી કરી. ધાર્યા કરતા પણ વધુ ચાલક નીકળી આ પ્રજાતિ તો! એમને પહેલેથી જ એમના મહત્વની ખબર હતી એટલે સ્ત્રીઓને કાયમ માટે પોતાના અસ્તિત્વનો ત્રાસ આપવા કોઈ નવા પ્લેનેટની શોધ જ ના કરી.

કહેવાનું તાત્પર્ય ફક્ત એટલું જ કે આપણે સ્ત્રીઓની મહત્તા ગાવામાં પુરુષોની મહત્તા પર અજાણતા જ વાર કરી નાખીએ છીએ. શું આ બિનજરૂરી નથી.!? એક સ્ત્રી મા, બહેન, પત્ની, દીકરી.. જેવા વિવિધ રોલ નિભાવે છે તો શું સામે પુરુષ પિતા, ભાઈ, પતિ, દીકરો.. જેવા વિવિધ રોલ નથી નિભાવતો!? અને એ પણ કોઈ ફરીયાદ કર્યા વગર. એક વખત દિલથી વિચારી જોજો તમને જવાબ જાતે જ મળી જશે.
©Shefali Shah

shefalishah

क्या तुम्हें याद है .................................



मज़बूत लकड़ी के पुल पर खड़ी कमज़ोर मैं,

और नदी की लहरों को पीछे ढ़कलते तुम,

खोई हुई थी मैं अपनी दुनिया में,

और अपनी दुनिया में गुम चप्पू चलाते तुम,

ऐ बिन देखें हमारी पहली मुलाकात थी,

क्या याद है तुम्हें नदी से ज़्यादा गहरी हम दोनों की आँख थी ........................................



हम दोनों वहां से चले गए मगर वो मंज़र वहीं थम गया,

पुल वहीं नदी वहीं हम दोनों का उस पहली मुलाकात में कुछ खो गया,

हम दोनों एक जैसे है मैं किनारा पर खड़ी हूँ और तुम किनारे पर छोड़ने वालो में खड़े हो,

सुना है बड़ा शौक है तुमको सफर करने का तुम निकल पड़ते हो राज़ाना नई मंज़िल की तलाश में,

और बांध जाते हो मुझे एक नए सफर के एहसास में,

क्या याद है तुम्हें हम आखिरी बार कब मिले थे,

जब बैठी थी में तुम्हारी नाव पर और तुम हमारी आखिरी सफर की दास्तान लिख रहे थे............................



खैर छोड़ो उस पुरानी कहानी को भूल जाते है,

मैं आज भी जाती हूँ उस मज़बूत पुल पर जो अब मुझे पहचानने लगा है,

बैठा लेते है मुझे अपने पास और नदी के साथ मिलकर तुम्हें याद करता है,

दिन ढ़लते ही घर वापसी की तैयारी होती है,

तुम शायद याद नहीं करते हमें,

मगर हमारी अक्सर तुमसे जुड़ी बात होती है,

क्या याद है तुम्हें कि कोई वादों का वादा नहीं हुआ था,

मगर ऐ भी सच है कि किनारे पर लोगों को छोड़ जाने के व्यवसाय बंद करने का वादा भी नहीं हुआ था..................





स्वरचित

राशी शर्मा

rashisharma.583103

ચાલી રહી છે જિંદગી સામે લડાઈ,
તો શું કરવા થાકી જવું જોઈએ?

એવું પણ બની શકે ને જિંદગી જ,
આપણી સામે લડતા થાકી જાય.

mukeshdhama1620

arjain131859

Why positive gives happiness and negative gives unhappiness?

To know the answer visit here: https://dbf.adalaj.org/fD1MrTmA

#positive #happiness #positivity #bepositive #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

navyajaiswal6866

GOOD MORNING EVERYONE
☕🌻🌻🌻🌻

jighnasasolanki210025

विचारों की उदगम और प्रभाव के प्रमुख कारण

मंगल भवन है अमंगल हारी

पेपर गिरोह पर नेता भारी

किसी ने चार सलेक्ट करारी,

कोई कोई कम अस्सी असवारी

मोटा पेट माईन घोटाला धारी,

ट्रान्सफर व्यापार परचेजा हारी

राम नाम सनातन दुविधासारी,

जमीन बंदरबाट चहुओर करारी

क्रिकेट बेट में खेल पसरारी

राजतिलक राजकुमारा हारी

गांधी छाप गांधीगिरी बिखरावे

आठवी फेल जब दरोगा बनआवे

छोटा मुंह और बड़ी इन बाता

कुनबा सेट नैतिकता फुल जाता

हे उत्तर कुछ सवाल इस परीक्षा तेरे को छोड़ जाउगा

परीक्षा में पास भले न होउ मै कहानी जरूर बताउगा

जॉब आहे भरेगा

पेपरों मुस्कान सजेगा

उत्तर की बात चली

गांधी काम करेगा

बैगेरत है अभी कुर्सी पे जमे बैठे है

नगें हो कर एसी आफिस में लेटै है

कुछ कमाल है नेताजी पूरा सेट कुनबा पास है

मॉ बहिन भाई जीजा मुह उगला मांगा प्रसाद है

किसे याद रखू किसे जोड़ दू ऐ परीक्षा तेरे लिए

कुछ नदारद कुछ फेल दम तो बहुत मरे हुए

मोहब्बत की दुकान में साल्व किये पेपर

लौ झमाझम नौकरी तुरन्त जोइनिग लेटर

ये बेइन्तजामिया कानून कर क्या रहा है ’’भूखे के भूख की रखवाली’’ बदहजमी के शिकार के बदहजमी’’पेपर चोर के पेपर की’’ लूटेरो के लूट के माल की’’ प्रसाद के इन्तजार में शायद क्या सही क्या गलत

अराजकता के मायने क्या है प्रशासनिक अराजकता समाज प्रभाव डाल सकती है और यह किस प्रकार से उपजी जाती है ।

jugalkishoresharma

सुविचार 🌻

dilipyadav.999174

Ancient Ideas in the Maelstrom of Evolution and Transformation"

In the vast continuum of intellectual exploration, this section endeavors to unravel the intricate dance of ancient ideas as they persistently influence and evolve in the crucible of new knowledge. We embark on a journey through the annals of history, exploring the transmission and transformation of ancient ideas, the seismic shift brought about by the Scientific Revolution, and the enduring legacy of these concepts in contemporary debates on ethics, politics, and the nature of reality.

विचारों की उदगम और प्रभाव के प्रमुख कारण

मंगल भवन है अमंगल हारी

पेपर गिरोह पर नेता भारी

किसी ने चार सलेक्ट करारी,

कोई कोई कम अस्सी असवारी

मोटा पेट माईन घोटाला धारी,

ट्रान्सफर व्यापार परचेजा हारी

राम नाम सनातन दुविधासारी,

जमीन बंदरबाट चहुओर करारी

क्रिकेट बेट में खेल पसरारी

राजतिलक राजकुमारा हारी

गांधी छाप गांधीगिरी बिखरावे

आठवी फेल जब दरोगा बनआवे

छोटा मुंह और बड़ी इन बाता

कुनबा सेट नैतिकता फुल जाता

हे उत्तर कुछ सवाल इस परीक्षा तेरे को छोड़ जाउगा

परीक्षा में पास भले न होउ मै कहानी जरूर बताउगा

jugalkishoresharma

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
विश्व की सभी महिलाओं के लिए 💖

संवेदन के तट पर-मैं
(नारी )

मैं जिधर भी चल पड़ी हूँ मार्ग खिल खिल से गए हैं

जाने कितने बंध मुझको पवन से खुलते लगे हैं

मैं पथिक हूँ इस धरा की चल रही कितने युगों से

पाँव में छाले पड़े तो क्या हुआ विचलित नहीं हूँ------

हृदय की जिजीविषा कुंदन बनी है, तप रही है

श्वाँस की तपती धरा है जिसमें बाती जल रही है

और मैं उजले सहर की एक उजली किरण बनकर

सब अँधेरों को सिरहाने रख खड़ी मुस्का रही हूँ

काल से कवलित नहीं हूँ - - - - -

शेष सपने हैं तो क्या है
किसके सब पूरे हुए हैं

पर्वतों पर दृष्टि डालें लक्ष्य तो अब भी तने हैं

चाँदनी की ओट लेकर आवरण में वे पले हैं

मैं धरा की तीर्थ सी
मन की परीक्षा कर रही हूँ

सच कहूँ, विगलित नहीं हूँ-----

डॉ.प्रणव भारती

pranavabharti5156