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Niyas KN’s legacy is written in the lives he’s touched.

niyaskn

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arkan1905

अध्याय : माया और मनुष्य की विडम्बना ✧

1. प्रस्तावना : दो छोर, एक ही खालीपन

आज का मनुष्य दो विपरीत रास्तों पर खड़ा दिखाई देता है।
एक ओर वह धन, साधन और भोग की दौड़ में है;
दूसरी ओर त्याग, धर्म और संन्यास की ओर भाग रहा है।
पर आश्चर्य यह है कि दोनों ही दिशाओं में
उसका भीतर का रिक्तपन नहीं मिटता।

भोगी भोग नहीं पा रहा,
संन्यासी सत्य तक नहीं पहुँच पा रहा।
धनवान धन से असंतुष्ट है,
धर्मगुरु अपनी भीड़ और संस्था से बंधा हुआ है।
स्त्री के पास सौंदर्य है,
पर वह भी प्रेम के बजाय
प्रतिष्ठा और सुरक्षा की माया में उलझ गई है।

---

2. भोगी का संकट : साधन है, अनुभव नहीं

मनुष्य ने प्रगति के नाम पर धन, साधन और तकनीक का अम्बार खड़ा कर लिया है।
परंतु उसे उनका सही उपयोग करना नहीं आता।

वह भोजन करता है,
पर स्वाद का रस नहीं लेता —
क्योंकि मन तुलना और चिंता में उलझा है।

वह घर बनाता है,
पर उसमें ठहरकर शांति का स्पर्श नहीं करता।

वह संबंध बनाता है,
पर उनमें प्रेम के बजाय स्वामित्व भर देता है।

इसलिए साधनों का मालिक होकर भी
वह भीतर से गरीब है।
उसका जीवन केवल प्रदर्शन में फँसा है।

---

3. सौंदर्य का संकट : प्रेम की आँख अनुपस्थित

यदि धन पुरुष का प्रतीक है,
तो सौंदर्य स्त्री का प्रतीक है।
सौंदर्य का उद्देश्य था प्रेम जगाना,
हृदय को कोमल और समर्पित बनाना।

लेकिन सौंदर्य अब प्रेम का द्वार न रहकर
साधन और प्रतिष्ठा का वस्त्र बन गया है।
स्त्री अपनी सुंदरता का प्रदर्शन कर रही है,
और समाज ने भी इसे ‘सामान’ बना दिया है।

यदि यही सौंदर्य राधा की भक्ति
या मीरा की तन्मयता में बदलता,
तो अनंत आनंद मिलता।
पर जहाँ प्रेम खिलना था,
वहाँ बाज़ार सज गया।

---

4. धनवान का संकट : तृप्ति नहीं, भूख का विस्तार

धनवान के पास वस्तुओं का अंबार है,
फिर भी भीतर कमी का अनुभव है।

जितना मिलता है, उतना और चाहिए।
वह सोचता है —
“सबसे बड़ा घर होगा,
सबसे ऊँचा पद होगा,
सबसे बड़ा धन होगा —
तब मैं शांत हो जाऊँगा।”

पर यह क्षण कभी नहीं आता।
मृत्यु जब आती है,
वह सिकंदर की तरह खाली हाथ चला जाता है।

---

5. संन्यासी और धर्मगुरु का संकट : सत्य से दूरी

यह मानना भूल है कि केवल भोगी ही वंचित है।
धर्म और संन्यास का मार्ग भी
माया से मुक्त नहीं है।

आज का धर्मगुरु चाहता है —
अधिक भक्त, अधिक भीड़, अधिक संस्था।
वह सोचता है —
“मेरे त्याग से मुझे स्वर्ग मिलेगा।”

पर क्या यह भी माया की एक और तस्वीर नहीं है?
जिस प्रकार भोगी धन में संतोष खोज रहा है,
उसी प्रकार संन्यासी उपवास और प्रवचन में शांति ढूँढ रहा है।

पर दोनों का अंत एक ही अज्ञान में होता है।

सत्य और प्रेम जब मिलते हैं,
तो न गुरु बचता है, न शिष्य।
वहाँ केवल अनुभव बचता है।

---

6. समान विडम्बना : तीनों की स्थिति एक
शेष आगामी 📚 में

bhutaji

Ae aankh muqaddam hai shab-e-hijr ki hurmat,
Ae soz-e-nahaan, shaam-e-ghareeban ko amr kar 🕊️

Dard aur hijr ki gehraiyon ko yeh shaayari bayan karti hai.

#urdupoetry #karbala #hijr #gham #urduquotes #shaam_e_ghareeban #ghazal #dard

aqeelahashmi836624

Kya kya kis dil se lagaai thi ronqein...
Kaise ujr gayi tabiyat, na poochhiye 💔

Kabhi kabhi zindagi ke rang aur khushi bohot jald khatam ho jati hai.

#urdupoetry #dil #udasi #shayari #urduquotes #ghazal #love #heart

aqeelahashmi836624

Nukta jaata hai seene se dil mera Shahid,
Yeh raaz daari janaan ko kis ne chhed diya 💔

Kabhi dil ke raaz bhi zabaan par aa jaate hain, aur raaz, raaz nahi rehta.
#urdupoetry #dil #raaz #urduquotes #love #ishq #shayari

aqeelahashmi836624

Bekaar utha rakha hai mekhane ko sar par,
Ek jaam ka jhagra hai, pila kyon nahi dete 🍷

Zindagi aur mohabbat ke rang aksar chhote hote hain,
aur har chhoti khwahish poori nahi hoti.


#urdupoetry #shayari #ghazal #urduquotes #love #mehfil #ishq

aqeelahashmi836624

✨📖 New Story Alert! 📖✨



I’m so happy to share that my new story “Living Life with AI” is now published on Matrubharti! 🌸



🚀 Gen Z is Living with AI 🤖✨

For us, AI isn’t science fiction — it’s daily life.

From study hacks to shopping, creativity to career choices, AI has become that invisible friend we can’t live without. 🌐💡



Read here :

👉 Living Life with AI : https://www.matrubharti.com/book/19980731/living-life-with-ai



– Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

Good afternoon friends

kattupayas.101947

बुद्ध ही बुद्ध है...!

avinash27

Today Something New ✨



"Every sunrise is an unopened gift,

every step a hidden possibility.

Today is not a repeat of yesterday,

it is a brand-new chapter waiting for your touch."



– Nensi Vithalani

nensivithalani.210365

Self realization quotes

kattupayas.101947

Wasl ki do ghadi ke baad hi
Phir hijr ka intezaar hota hai...

Mohabbat mein khushi ke lamhat bohot mukhtasir hote hain, magar judai ka intezaar taweel aur karbnaak.

محبت میں خوشی کے لمحات بہت مختصر ہوتے ہیں، مگر جدائی کا انتظار طویل اور کربناک۔

#urdupoetry #shayari #ishq #hijr #lovequotes #urdu

aqeelahashmi836624

archana kumari

archanalekhikha

Radhey Radhey...💞

gautamsuthar129584

Radhey Radhey...💞

gautamsuthar129584

यहाँ हर कोई दुखी है, हर दिल में उलझनें हैं,
असल में वजह यही है—विचार अलग-अलग धड़कनें हैं।

ना कोई सुन पाता है, ना कोई समझ पाता है,
यही दूरी रिश्तों को दिन-ब-दिन तोड़ जाता है।

दुख का सबसे बड़ा कारण यही माना जाए,
जब मन मिले न मन से, तो साथ कहाँ निभाए।

अगर समझने की आदत इंसान में आ जाए,
तो शायद ये दुनिया भी जन्नत नज़र आए।

archanalekhikha

🌹 imran 🌹

imaranagariya1797

🌺ड्राय फ्रूट मोदक 🌺
घरच्या गौरी गणपतीचे विसर्जन
आजचा नेवेद्य
🌺काजू,बदाम, पिस्ता,अक्रोड.काळी मनुका. बेदाणे
हव्या त्या आकारात चिरून घ्या
काळा खजुर, लाल खजुर बिया काढून बारीक तुकडे करा
हे सर्व तुपावर थोडं परतून घ्या

🌺 मोदकासाठी एक वाटी कणीक व एक चमचा डाळीचे पीठ घेऊन
त्यात चवी पुरते मीठ घालून
कडकडीत तेलाचे मोहन घाला
मोहन पिठात चांगले मिसळून
कणीक घट्ट भिजवावी

🌺तासाभराने वरील ड्राय फ्रुट सारण भरुन मंद आचेवर तळून घेणे

🌺हे ड्राय फ्रूट सारण जरी कोरडे वाटले तरी खजुर तुकड्यांमुळे चांगलें मिळून येते

jayvrishaligmailcom

Good morning friends have a great day

kattupayas.101947

🌸 — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲

कोई युवा, कोई वृद्ध, कोई भी वास्तव में जी नहीं रहा है।
सब भाग रहे हैं—कभी भविष्य की ओर, कभी भूत की यादों में।

जिन वही है, जो जीता है।
जीना मतलब—
ठहरना, देखना, बोध करना,
आनन्द महसूस करना,
प्रेम और प्रसन्नता में रहना।
गंभीरता से मुक्त रहना।

आज का मनुष्य या तो
स्वप्न की दौड़ में है,
या धार्मिक भूतकाल की कहानियों में उलझा है।
कोई भविष्य के स्वर्ग का सपना बुन रहा है,
कोई धन को जीवन मान बैठा है।
कोई दुर्ग-सा शहर रच रहा है,
कोई चींटी-सा संग्रह कर रहा है।

लेकिन जीवन न तो केवल भविष्य है, न केवल भूत।
जीवन तभी है, जब ऊर्जा भीतर सुरक्षित रहे।
ऊर्जा ही आनन्द है,
ऊर्जा ही सुख है,
ऊर्जा ही प्राण और तेज है।

धन की आवश्यकता है—पर केवल सुविधा के लिए।
जीवन का रस तो भोग में नहीं,
बल्कि भोग में छिपे प्राण और तेज को पहचानने में है।

पंचतत्व में ईश्वर विराजमान है।
असल में, मनुष्य की हर वासना
ईश्वर तक पहुँचने की तड़प है।
पर जब तक यह समझ नहीं आती,
वासना भटकाती रहती है।

जैसे ही यह बोध हो जाता है कि
वासना का लक्ष्य मूल तत्व है—आनन्द, आत्मा, तेज—
तब वासना शांति में बदल जाती है।

👉 जीना ही पूजा है, जीना ही ईश्वर है।
जीवन का असली धर्म है —
ऊर्जा को भीतर बचाकर,
क्षण को बोधपूर्वक जीना,
पंचतत्व और प्राण से जुड़कर रहना।

✧ जीने के 11 सूत्र ✧

(वेद, गीता, उपनिषद और बुद्ध-वाणी पर आधारित, पर आज के जीवन के लिए व्याख्यायित)

१. आत्मा अजन्मा है — वही जीवन है।

उपनिषद: "न जायते म्रियते वा कदाचित्।"
👉 आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है।
व्याख्या: जीना मतलब इस सत्य को अनुभव करना कि मैं केवल शरीर या स्मृति नहीं हूँ। जब पहचान शरीर से हटती है, तब जीवन में मृत्यु का भय नहीं रहता।

२. कर्म ही धर्म है।

गीता: "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"
👉 अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं।
व्याख्या: जीना मतलब वर्तमान क्षण में पूर्ण कर्म करना।
अधिक पढ़ना है तब
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bhutaji

ईश्वर — रूप या तत्व ✧

✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

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✧ प्रस्तावना ✧

मनुष्य का सबसे बड़ा भ्रम यह रहा है कि उसने ईश्वर को अपने जैसा समझा।
उसने ईश्वर को मानव रूप दिया, मूर्तियों में बाँधा, चित्रों में कैद किया और फिर उसी कल्पना को सत्य मान लिया।
परंतु सत्य रूप में नहीं है, सत्य तत्व में है।

वेद, उपनिषद, गीता, कबीर, बुद्ध — सभी ने एक स्वर से कहा कि ईश्वर निराकार है, तत्वस्वरूप है।
आधुनिक विज्ञान भी इसी सत्य की पुष्टि करता है।
भौतिकी का नियम कहता है कि ऊर्जा और पदार्थ कभी नष्ट नहीं होते, केवल रूप बदलते हैं।
यही वेदांत का उद्घोष है — रूप विनाशी है, तत्व अविनाशी।

इस ग्रंथ का उद्देश्य है —
रूप की भ्रांति से परे हटकर तत्व का दर्शन कराना।
यहाँ शास्त्र की दृष्टि भी है, विज्ञान की दृष्टि भी है,
वेदांत का बोध भी है और आत्मानुभव की सीधी झलक भी।

जो seeker (साधक) ईश्वर को सच में खोजना चाहता है,
उसे चाहिए कि वह मूर्तियों से आगे बढ़े और तत्व में ईश्वर को देखे।
क्योंकि ईश्वर मंदिर में नहीं, प्रकृति और चेतना में है।

“रूप से परे — तत्व का सत्य”

1. ईश्वर को मनुष्य-रूप में समझना ही सबसे बड़ा भ्रम है।
जब तक ईश्वर को मानव जैसा माना जाएगा, तब तक उसकी सत्यता नहीं समझी जा सकती।

2. ईश्वर तत्व में है, रूप में नहीं।
अग्नि, जल, वायु, आकाश, पृथ्वी — ये उसके प्रतीक नहीं, ये उसका सीधा प्रकट रूप हैं।

3. विज्ञान से ईश्वर को समझना सरल है।
क्योंकि विज्ञान तत्व को देखता है,
जबकि धर्म-संप्रदाय मानव रूप और कथा में उलझे रहते हैं।

4. श्रद्धा, आस्था, विश्वास केवल पड़ाव हैं।
लेकिन जो इनसे भी ऊपर उठ सके,
वही ईश्वर को तत्व-रूप में समझ सकता है।

5. धारणा और रूप में अटका हुआ धर्म, ईश्वर को ढक देता है।
तत्व की दृष्टि ही ईश्वर की सच्ची स्मृति है।

🔥
अर्थात् —
ईश्वर को मानव रूप में मानना,
मनुष्य की स्मृति का खेल है।
लेकिन ईश्वर को तत्व-स्वरूप में देखना,
विज्ञान और सत्य की अंतिम साधना है

वेदांत दृष्टि १

ईश्वर मानव रूप नहीं, तत्व स्वरूप है।
"न तस्य प्रतिमा अस्ति" (यजुर्वेद ३२.३)

व्याख्यान:
वेदांत का पहला उद्घोष है कि ईश्वर का कोई रूप, प्रतिमा या आकृति नहीं है।
मनुष्य अपने अनुभव की सीमाओं में ईश्वर को अपने जैसा देखना चाहता है, पर यह भ्रांति है।
ईश्वर का स्वरूप रूपरहित है, और वह केवल तत्व में ही जाना जा सकता है।
रूप बदलता है, तत्व स्थिर रहता है — इसीलिए सत्य केवल तत्व है।

---

बोध दृष्टि २

पंच तत्व ही ईश्वर का प्रथम प्रकट स्वरूप है।
अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश — यही ब्रह्म की चेतना के पाँच द्वार हैं।

व्याख्यान:
यदि ईश्वर को अनुभव करना है तो हमें प्रकृति के मूल में उतरना होगा।
अग्नि में उसकी ऊर्जा है, वायु में उसका जीवन है, जल में उसकी पवित्रता है,
पृथ्वी में उसका स्थायित्व है ।

शेष आगामी 📚 में

bhutaji

✨ “दिल टूटे तो क्या हुआ… मोहब्बत की लहरों में तैरना अब भी हिम्मत है मेरी।” ✨
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dhirendra342gmailcom

kya pyar hai

Jab neil ne
shivanshi se
pucha ki kya
pyar karti ho tum
mujhse

uske dil ne
kaha
jab aakhe khuli
toh saamne tujhe paaya
jab dukhi hoti
tune manaya

jab tu roya
toh mera dil roya
tere liye ladi(fight)
tere liye sahi

jab saath chaha
toh tu dikha.....

Check out complete Poem on Writco by Gunjan Gayatri
https://writco.in/Poem/P97909012025211219

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gunjangayatri949036