बूंद बूंद करके.............
मैं मिट्टी की प्यास हूँ,
मैं हर पत्ते का ख्वाब हूँ,
मैं हूँ तो हरियाली में भी खुमार,
पेड़़ भी हंस कर कहता है,
तेरे होने से ही तो मैं भी सदाबहार हूँ,
लोगों के बहते आँसूओं को मैं खुद में छिपा लेता हूँ,
हथेली पर गिरता हूँ तो हंसी को रोशन कर देता हूँ,
मुझसे कोई नाराज़गी नहीं, ना ही किसी से नफरत हैं,
मैं हूँ मित्र सबका, हर एक का गम़ ऐ खास हूँ मैं,
फिक्र हूँ सबकी, सबकी फिक्र करता हूँ मैं,
खूबसूरती हूँ इस दुनिया की, सबको खुश रखता हूँ मैं,
कीचड़ मेरे पहचान की कहानी बखूबी कहता हैं,
ओस तो मुझे अपना साथी कहता हैं,
धरती का स्वर्ग हूँ मैं, हर आंख की तलाश हूँ,
चाहे कहो बारिश, बूंद या ओस मैं हर रुप में बेमिसाल हूँ.