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New bites

आरंभिक संदेश ✧

जहाँ सत्य के शब्द और प्रवचन बिकते हैं — वहाँ सत्य नहीं होता।

सत्य किसी धर्म का व्यापार नहीं है।
जो उसे बेचते हैं, वे शब्द बेचते हैं —
जो उसे खरीदते हैं, वे भ्रम खरीदते हैं।

धर्म जब मंच बन जाता है,
तो मौन खो जाता है।
सत्य का कोई मूल्य नहीं,
क्योंकि उसे खरीदा नहीं जा सकता।

वह न किसी गुरु की देन है,
न किसी ग्रंथ की संपत्ति।
वह तब उतरता है,
जब भीतर का हृदय खुलता है —
बिना भय, बिना सौदे।

सत्य कभी बिकेगा नहीं,
क्योंकि वह मनुष्य की नहीं,
अस्तित्व की भाषा है।
*†*************
✧ मौन उपनिषद — दमन से परे ✧
✍🏻 — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

यह ग्रंथ उन लोगों के लिए है जो सत्य को पढ़ना नहीं, जीना चाहते हैं।
यह किसी धर्म, गुरु या परंपरा की पुनरावृत्ति नहीं —
बल्कि मौन की उस गहराई तक उतरने का आमंत्रण है
जहाँ साधना, प्रयास और नियंत्रण सब समाप्त हो जाते हैं।

“मौन उपनिषद — दमन से परे” बताता है कि
मौन कोई तपस्या का परिणाम नहीं,
बल्कि समझ की सहज परिणति है।
यह उपनिषद धर्म के बनावटी मौन से आगे जाकर
उस मौन की बात करता है जो हर श्वास में मौजूद है —
भोजन में, प्रेम में, श्रम में, श्वास में।

यह ग्रंथ दिखाता है कि
धर्म ने जहाँ मौन को नियम बनाया,
वहीं मौन ने धर्म को विसर्जित कर दिया।
यह साधक को तप से नहीं,
समझ से मुक्त करता है।

हर अध्याय भीतर के किसी द्वार को खोलता है —
दमन से समझ की ओर,
समझ से शून्य की ओर,
और शून्य से प्रेम की ओर।

यह ग्रंथ पढ़ा नहीं जाता —
सुना जाता है,
जैसे कोई अपने भीतर की निस्तब्धता को सुन रहा हो।
हर सूत्र एक ठहराव है,
हर शब्द एक सांस।

यदि तुम्हारे भीतर अब भी कोई बेचैनी बाकी है,
तो यह उपनिषद उसे मिटाएगा नहीं —
बल्कि उसे प्रकाश में बदल देगा।

मौन उपनिषद — दमन से परे
किसी धर्म की घोषणा नहीं,
बल्कि भीतर के मौन का दर्शन है —
जहाँ जीवन ही साधना है।

#MounUpanishad #AgyaTAgyaani #SpiritualWisdom #SilenceBeyondSuppression #InnerJourney #UpanishadicTruth

bhutaji

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

mamtatrivedi444291

દરરોજ એક નવી સવાર એક તક આપે છે,
કોઈને માફ કરવાની, કોઈને યાદ કરવાની
અને ખુદને વધુ શાંત બનાવવાની...!! ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

bharatahir7418

‌🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

Good morning friends

kattupayas.101947

Slow evenings, Are the Best

busybeemohangmail.com327910

New short story is out now, go read it

busybeemohangmail.com327910

The small moments of gratitude

busybeemohangmail.com327910

Sometimes the most happiest moments are the most peaceful ones with a clean house and a happy dog

busybeemohangmail.com327910

Is it just me or does the house feel a little empty after Diwali has ended? I mean, taking apart all the Rangoli all the Jhumka and everything going back in the cupboards 🩷

busybeemohangmail.com327910

Celebrating my 15th birthday on 21 October 2025, on the same day as Diwali! With my two favourites, my Dog and cake 🍰

busybeemohangmail.com327910

#quotes byHMahak#WhispersOfSoul

habeebamahakmahak702298

#quotes byHMahak#WhispersOfSoul

habeebamahakmahak702298

#quotes byHMahak#WhispersOfSoul

habeebamahakmahak702298

છઠ પૂજા તહેવાર સ્પેશિયલ...

આવતીકાલથી છઠ પૂજા પર્વ શરૂ થઈ રહ્યો છે, તો ચાલો જાણીએ એક એવા તહેવાર વિશે જેમાં આથમતા સૂર્યની પૂજા કરવામાં આવે છે.

વાંચવા અહીં ક્લિક કરો - https://vishakhainfo.wordpress.com/2025/10/24/chhath-puja/


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mothiyavgmail.com3309

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 लेखनी
https://youtu.be/QXTBfCavRIM?si=JHGHpmXVvUdXj9GC

mamtatrivedi444291

कपड़ों की तरह हो गया है इश्क़

कपड़ों की तरह हो गया है इश्क़,
मौसम के साथ बदल जाता है।
ठंड में लपेट लेते हैं एक-दूजे को,
गरमी में उतार फेंक दिया जाता है।

अब न नमी बची है न खुशबू,
बस "ब्रांड" का नाम रह गया है।
दिल की सिलाई उधड़ती भी नहीं,
बस नया "डिज़ाइन" चल गया है।

कभी धूप में फीका पड़ जाता है,
कभी बारिश में सिमट जाता है,
कभी किसी की नज़रों में अच्छा लगे तो,
वो भी अलमारी से निकल आता है।

अब प्यार नहीं, "फैशन" है मोहब्बत,
हर चेहरे पर नया लिबास चढ़ा है।
कपड़ों की तरह हो गया है इश्क़ —
नाप का भी, और मौक़े का भी बना है।

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

Goodnight friends

kattupayas.101947

मैं आजाद नहीं - मुझे आजादी दो
मुझे अनाज मत दो -मैं भिखारी नहीं
मैं शारीरिक लाचार नहीं -मुझे रोजगार दो

stdmaurya.392853

बौद्धिक भीड़ और आध्यात्मिक पाखंड ✧
✍🏻 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

आज जो “आध्यात्मिकता” मंचों और वीडियो क्लिपों में दिखाई देती है —
वह उतनी ही सजावटी है, जितनी खोखली।
लोग समझते हैं कि किसी ज्ञानी के पास जाकर आशीर्वाद ले लेना,
किसी पुस्तक पर हस्ताक्षर करवा लेना,
या किसी प्रवचन में भीड़ का हिस्सा बन जाना — यही साधना है।

पर यह वही पुराना खेल है, बस रूप बदल गया है।
पहले लोग मंदिरों और मठों में झुकते थे,
अब “आचार्यों” और “लाइव सेशन्स” में झुकते हैं।
पहले मूर्तियों के चरण छूते थे,
अब किसी गुरु के हाथों की तस्वीरें साझा करते हैं।

बदल केवल मंच का है — मानसिकता वही है।
लोग अब भी “किसी और” के माध्यम से मुक्ति चाहते हैं।
वे स्वयं में झाँकने से डरते हैं, क्योंकि वहाँ कोई भीड़ नहीं, कोई ताली नहीं।

ओशो ने कभी कहा था —
“मैं औषधि नहीं, दर्पण हूँ।”
पर लोग दर्पण से भी दवा माँगते हैं।
वे अपने भीतर झाँकने की बजाय यह सोचते हैं कि
“गुरु के हाथ का पानी पी लेने से” उनका रोग मिट जाएगा।
यह वही मूर्खता है जो कभी धर्मों को अंधा बना गई थी।

आज का “आध्यात्मिक उद्योग” बस शब्दों और मंचों का नया कारोबार है।
यह बौद्धिकता की भीड़ है — जहाँ जिज्ञासा है, पर तप नहीं;
जहाँ ज्ञान की बातें हैं, पर मौन का स्वाद नहीं।

सच्ची आध्यात्मिकता किसी सभा में नहीं,
बल्कि उस क्षण में जन्म लेती है —
जब इंसान अपने भीतर की भीड़ से उतरकर
एकदम अकेला रह जाता है।
जहाँ न कोई गुरु बचता है, न शिष्य।
बस एक मौन साक्षी — जो देखता है,
और उसी देखने में मुक्त हो जाता है।

भीड़ में आस्था आसान है —
मौन में सत्य कठिन।

bhutaji

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 यादों के रंग
https://youtu.be/NQAu7EXJU1A?si=3_3SlYPlqMTD5XqE

mamtatrivedi444291

*अध्यास* (Adhyasa) - एक दिलचस्प दार्शनिक शब्द! 😄

संस्कृत में, "अध्यास" का मतलब है **"आरोपण" या "भ्रांति"**। इसका उपयोग मुख्य रूप से *अद्वैत वेदांत* में होता है, जहाँ यह *मिथ्या ज्ञान* (गलत समझ) को दर्शाता है - जैसे रस्सी को सांप समझ लेना। यहाँ, एक चीज़ पर दूसरी चीज़ का आरोपण हो जाता है, जबकि वास्तविकता अलग होती है।

सरल भाषा में:
- आप किसी चीज़ को गलत समझते हैं, जबकि वो असल में कुछ और है।
- उदाहरण: अंधेरे में रस्सी को सांप समझना → भ्रांति! 😬
- अध्यास का खेल है - *"दिखता कुछ, है कुछ और!"*

क्या आप इसे किसी खास संदर्भ में जानना चाहते हैं, या फिर आध्यात्मिक चर्चा करनी है? 😊

अध्यास से दूर रहने के *5 सरल तरीके* 😊:

1. *विवेक (Discrimination)*
- *क्या है असल? क्या है दिखावा?* समझें। रस्सी vs सांप वाली भ्रांति को पहचानें! 🔍

2. *ज्ञान (Knowledge)*
- *सच्चाई जानें!* आत्म-ज्ञान, वेदांत पढ़ाई, या गुरुओं से सीखें। "मैं कौन हूँ?" पूछें। 🧘‍♂️

3. *ध्यान (Meditation)*
- मन शांत करें, *अभी और यहीं (present)* रहें। भटकाव कम होगा, अध्यास घटेगा! 🌟

4. *संयम (Self-control)*
- इंद्रियों को काबू में रखें। *देखा ≠ सच* — जांचें, कूदें नहीं! 😎

5. *सत्संग (Good Company)*
- *सच्चे लोगों* के साथ रहें, चर्चा करें। अध्यास की धुंध छंटेगी! 👫

मूल मंत्र:
"देखो, सोचो, परखो — भ्रम न पालो!"😄

yashibc123gmail.com135615