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New Formula of Health Number --------------------------- Before Transformation age: Root Number + Birth Day Number + Hour Health Number + Minute Health Number + Day of Birth Number After Transformation Age Destiny Number + Hour Health Number + Minute Health Number + Day Of Birth Number Now Example: Date :26/08/1993 Time : 7:12 pm Day : Thursday Before My Transformation ( Age 0 to 29) Root :8 Hour Number:2 Minute Number:9 Day of Birth: 3 ( Thursday) ------------------ Total: 4 ( Step :1) After My Transformation ( From Age 3o to lifelong) Destiny:2 + Hour :2 + minute :9 + Day : 3 --------------------- Total :7 ( Step :2) My Health Care Number= Step :1 + Step :2 = 4+7 = 2 So I have to be careful Regarding Health issues of 4 , 7 & 2 Health Code : 472 For Finding Hour & Munite Number Use This Table.
अंक शास्त्र में अवसाद ( Depression) के सूचक योग और उपाय।* नीचे दी गई अंक कुंडली के अनुसार, हम अवसाद के योग की चर्चा करेंगे। इस कुंडली में आप जन्म की शताब्दी नहीं लिखेंगे। आप केवल जन्म तारीख ,जन्म का महीना, और जन्म वर्ष के आखिरी दो अंक लिखेंगे, और यदि आपका जन्म दिनांक १ से ९ के बीच नहीं है, तो मूलांक और सभी किस्सों में भाग्यांक भी लिखेंगे। ३ १ ९ ६ ७ ५ २ ८ ४ इसका एक उदाहरण देता हूँ। जन्म तारीख: २५/११/१९९६ मूलांक : २+५= ७ भाग्यांक : २+५+१+१+१+९+९+६= ३४(३+४)=७ तो इनकी कुंडली हुई ( रिक्त अंक के स्थान पर ० लिखा है।) ०० ११ ९ ६ ७७ ५ २ ०० ०० अब इस तरह आप अपनी कुंडली भी बनाए, और नीचे दिए गए योग का विचार करे। (१) अगर आपकी जन्म अंक कुंडली में (२- ८) का योग है। (२) अगर आपकी जन्म अंक कुंडली में (२२- ८) का योग है। (३) अगर आपकी जन्म अंक कुंडली में (२२२- ८८) का योग है। (४) अगर आपकी जन्म अंक कुंडली में (२२/२२२/२२२२२) +.. का योग है। (५) अगर आपकी जन्म कुंडली में (२- ८- ४),(२,८,६) का योग है। अगर यह पांच योग में से कोई भी १ योग बनता है, तो यह योग अवसाद की संभावनाओं को दिखाता है। इस के अलावा यदि अंक महादशा और अंक अंतर्दशा के अनुसार भी थोड़े समय के लिए अवसाद का योग बन सकता है। अब अवसाद ( डिप्रेशन ) को समझे। (१) जब आपको निराशा महसूस हो, और वह खूब लंबे समय से हो। (२) जब आप खुद को असहाय महसूस करो, और वह भी लंबे समय तक। (३) आप खुद को कमतर या , लघुताग्रंथि में लंबे समय तक मेहसूस करे। आपको अकेले रहने का मन करे। आपको दिनचर्या का पालन करने का मन न हो, और यह सब १ महीने से ज्यादा समय आपको महसूस हो और लगातार महसूस हो, तो यह अवसाद के चिन्ह है। कभी कभी ३ से ६ महीने के अंदर यह ठीक भी हो जाए तो यह बस एक छोटा एपिसोड था । परन्तु इसे अवसाद या डिप्रेशन कहा जाएगा। उपाय (१) मनोचिकित्सक की सलाह ले। (२) ताजे फल , हरी सब्जियां खाए। (३) तेज रोशनी में बैठे। (४) प्रसन्नता दायक संगीत सुने। (५) आपके पैशन को फॉलो करे। (६) ध्यान ,प्राणायाम और योग को फॉलो करे। (७) अकेले बैठना छोड़ दे। किसी से बात करे, या फिर डायरी लिखे। सपोर्ट ग्रुप के संपर्क में रहे। यह सब उपाय एक साथ करे।
पितृ दोष : मेरे दृष्टिकोण से। पारम्परिक ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष के नाम पर विधि विधान का प्रावधान है, सनातन विचारधारा बरसों से पूर्व जन्म और आने वाले जन्मों में विश्वास रखती है, मृत्यु के बाद व्यक्ति आत्मा के रूप में पितृ लोक ,नाग लोक , वैकुंठ में निवास करता है, ऐसी विचारधारा है, पहले पितृ दोष के कारण जान ले। यह कहा जाता है, कि आपकी कुंडली में अगर ९, १२वे घर में शनि और सूर्य का योग हो, या राहु और सूर्य का योग हो, अथवा ९,१२ वे घर में बैठे सूर्य को शनि या राहु देखते हो ,तो आपकी कुंडली में पितृ दोष हो सकता है। अब इस के लक्षण जान ले। यदि आपके घर में बरसो से आर्थिक संकट हो, बिना किसी भी कारण बीमारियां लगी रहती हो, बार बार घर की मरम्मत करवानी पड़ती हो, घर में लगाए पौधे जल्दी सुख जाते हो, घर में निरंतर अशांति और क्लेश रहता हो, आपके घर के कमाने वाले सदस्य के ऊपर ऋण हो, घर की स्त्री या बच्चे असाध्य बीमारी से ग्रस्त हो, और अक्सर घर के बाहर कुत्ते रोते हो, बिल्ली और बिल्ला झगड़ते रहते हो, तुलसी आप के घर में लगने पर बार बार जल जाती हो, गाय या कुत्ते आपके घर की रोटी खाना बंद कर दे, तो यह सब पितृ दोष के लक्षण है। ऐसा क्यों होता है? जब यह सवाल पूछा जाए तो ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते है कि आपके मरे हुए स्वजन आप से नाराज है, उनकी इच्छा अधूरी है, इसी लिए वह लोग आपको तंग कर रहे है। आइए इस के उपाय भी जाने, १.पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाए।२.नारायण बलि की पूजा करवाए ३. विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करे। ४. साल में एक बार सत्यनारायण की कथा करे , ब्राह्मणों को भोजन दे। ५. कौओं की सेवा करे। ६. नारायण विधान का पूजन करवाए। ७. पितृ स्त्रोत्र का पाठ करे। ७. जगन्नाथ पुरी, द्वारिका, तिरुपति बालाजी या बद्रीनाथ में से किसी भी एक मंदिर में पितरों के नाम का पूजन करवाए। ८. वृद्धाश्रम में दान पुण्य करे। ९. घर के मटके के पास घी का दिया जलाए और प्रार्थना करे। अब इस को तार्किक दृष्टि से भी समझे, सूर्य १ राशि में १ महीना रहता है, इस तरह १ साल में वह १२ राशि का चक्र पूर्ण करता है। हमारे पास १२ लग्न है, तो हर साल में १ महीना ऐसा होगा जब किसी की कुंडली में सूर्य १२ वे घर में होगा, ही होगा। अब रोज भारत में ६०००० से ६९००० के बीच में बच्चे जन्म लेते है, यानी कि १ महीने में मान ले कि १८००००० बच्चे पैदा हुए, अब शनि की ३,७,१० और राहु की ५,९ दृष्टि है, तो ५/१२ घर पर शनि या राहु का प्रभाव होगा। जो ४२% संभावना है, तो हर साल १ महीने में ७,५६००० बच्चे पितृ दोष ले कर पैदा होंगे। और क्या सभी के पितृ उन से नाराज रहेंगे? क्या सभी दरिद्र होंगे? यह बात समझ से बहार है।
मंगल दोष : क्या सही क्या गलत। जब लड़का और लड़की की शादी की बात होती है, तो मंगल दोष के नाम पर लोग ज्योतिषी के पास जाते है, ज्योतिष शास्त्र के जानकार से अक्सर यह सुनने को मिलता है” मंगल भारी है” , “पगड़ी पर मंगल है,” , “चुनरी पर मंगल है”, “ आंशिक मंगल दोष है”। और इनके निवारण के लिए कभी कभी पेड़ या घड़े से शादी करवाई जाती है, हनुमानजी को चोला चढ़ाना और हनुमान चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है, कभी केसरिया गणपति की पूजा करवाई जाती है। ज्योतिषी अक्सर यह कहते है, कि मंगल दोष का निवारण २८ वर्ष की आयु के बाद स्वयं हो जाता है, पर कभी भी जातक या उसके माता पिता को यह नहीं बताते कि मंगल दोष कैसे बनता है, या ऐसा कुछ होता भी है या नहीं। पहले पारंपरिक मान्यता देखते है। किसी की भी कुंडली में १,४,७,८,१२ घर में मंगल हो, तो मंगल दोष कहा जाता है, यदि इन घरों में गुरु से दृष्ट हो तो आंशिक मंगल दोष कहा जाता है। और यह भी मान्यता है, की गुरु से दृष्ट हो कर मंगल दोष नष्ट हो जाता है। कुछ लोग २ और १० वे घर में भी मंगल दोष मानते है, और यह कहा जाता है, की अगर वर को मंगल दोष हो, तो वधू की कुंडली में १,४,७,८,१२ वे घर में शनि होना चाहिए, क्योंकि शनि मंगल को शांत करता है। अब व्यहवारिक दृष्टि से देखे, आप सोचिए, कुंडली के १२ घर होते है, उसमें से ५ घरों में मंगल दोष कहा है , यानी कि दुनिया के ४२% लोग मांगलिक है, यानी कि विश्व की अंदाजित जन संख्या ८०० करोड़ है, तो ३३६ करोड़ लोग मांगलिक है। इस तर्क से यह साबित होता है, की मंगल दोष के नाम पर जो भी डर या वहम फैलाया है, वह लोगों के अज्ञान से बढ़ा हुआ है। ज्योतिष में मंगल को प्राकृतिक आवेग जैसे क्रोध और सेक्स का कारक कहा गया है, यह पौरुष और काम इच्छा में वृद्धि को दर्शाता है, “मंगल दोष” यानी व्यक्ति में क्रोध और काम वृत्ति की अधिकता ,ऐसा भी कहा जाता है। अब अपने आवेग को शांत करना या न करना व्यक्ति और उसकी इच्छा पर निर्भर करता है, अगर दांपत्य में तालमेल और प्रेम हो, तो कभी समस्या नहीं होगी। साथी अगर समझदार हो,तो कोई परेशानी नहीं होती। अब रही पूजा पाठ की बात, तो पूजा पाठ हमेशा श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए, किसी दोष या वहम की शांति के लिए भय पूर्वक पूजा करवाने से मन को थोड़े वक्त के लिए राहत मिलती है, इस लिए अंधश्रद्धा से मुक्त हो कर उचित ज्ञान प्राप्त करे। इस बात पर दूसरे का दृष्टिकोण भिन्न हो सकता है, सभी के मत का स्वागत है।
ज्योतिषी सेवा और शुल्क। पुराने दिनों में ज्योतिष और पुजारी एक हुआ करते थे। पुजारी का भी दक्षिणा पर अधिकार होता था। कुंडली दिखा कर प्रश्न पूछने पर जातक ज्योतिष को दक्षिणा देता था। परन्तु ज्योतिष उस समय पर किसी पीड़ा या दोष के निवारण हेतु दिखाया जाता था। पहले के समय में शादी बचपन में होती थी, पढ़ाई का व्याप इतना ज्यादा नहीं था, और बेटा बाप के काम को ही ज्यादातर आगे बढ़ाता था। खेती,पशुपालन और व्यापार जैसे व्यवसाय के क्षेत्र निश्चित थे। उचित समय पर बच्चे भी हो जाते थे। उस समय व्यापक तरीके से ज्योतिष केवल नामकरण,वर वधू गुण मिलान, मुहूर्त, रोग, आयु, ग्रहों की पीड़ा और दोष के उपाय के रूप में पूजा पाठ करवाने के लिए होता था। धीरे धीरे ज्योतिषी से शिक्षा,व्यवसाय,नौकरी,पद, व्यापार,विदेश यात्रा, विवाह , बच्चे आदि के बारे में भी पूछा जाने लगा। अब अवैध संबंध और तलाक के बारे में, कोर्ट केस के विजय और पराजय एवं प्रॉपर्टी और वाहन की खरीद बैच और शेयर बाजार, राजनीति आदि विषयों में भी ज्योतिष की सलाह ली जाती है।, ज्योतिष पढ़ने के लिए समय और शुल्क दोनों देना ही पड़ता है, इसी लिए ज्योतिषी और अंकशास्त्र के जानकार को उनके समय और ज्ञान का मूल्य देना ही चाहिए। बदलते समय के अनुसार नए प्रश्न और उत्तर ज्योतिष देने के लिए सक्षम हो और निरंतर अभ्यास इव संशोधन में सफल हो इसके लिए पैसा एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा। ज्योतिष से आज हम देश ,काल और परिस्थिति को ध्यान में रख कर बहुत सारे नवीन प्रश्नों का उत्तर दे पा रहे है, जैसे कोई बच्चा टेस्ट ट्यूब से पैदा होगा या नहीं, बच्चा आगे जा कर कौनसे क्षेत्र में नाम कमाएगा? अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ज्योतिष के रिपोर्ट बनाए जाते है, जिसमें पैसा खर्च होता ही है, इस क्षेत्र में अब सेवा करने वाली कंपनिया आपने ज्योतिषी को एक एक मिनिट का पैसा देती है। आज कल ज्योतिष एक आय का साधन बना हुआ है। यूट्यूब,इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम पर इसका व्याप बढ़ा है।विश्व के किसी भी व्यक्ति के साथ अब ज्योतिष अपने ज्ञान को साझा कर सकता है, इस सेवा का शुल्क देने से ज्योतिषी और उसके समय का आप सम्मान करते है, और ज्योतिषी की सलाह को गांभीर्य से सुनते है।
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