कपड़ों की तरह हो गया है इश्क़
कपड़ों की तरह हो गया है इश्क़,
मौसम के साथ बदल जाता है।
ठंड में लपेट लेते हैं एक-दूजे को,
गरमी में उतार फेंक दिया जाता है।
अब न नमी बची है न खुशबू,
बस "ब्रांड" का नाम रह गया है।
दिल की सिलाई उधड़ती भी नहीं,
बस नया "डिज़ाइन" चल गया है।
कभी धूप में फीका पड़ जाता है,
कभी बारिश में सिमट जाता है,
कभी किसी की नज़रों में अच्छा लगे तो,
वो भी अलमारी से निकल आता है।
अब प्यार नहीं, "फैशन" है मोहब्बत,
हर चेहरे पर नया लिबास चढ़ा है।
कपड़ों की तरह हो गया है इश्क़ —
नाप का भी, और मौक़े का भी बना है।
आर्यमौलिक