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kumar00

Life meaning

kattupayas.101947

This quote is obvious

kattupayas.101947

Take a break

kattupayas.101947

All are cordially invited to Pujyashree Deepakbhai's Spiritual Discourse and Self-Realization ceremony, organized in Adalaj, India.

Get the detailed schedule here: https://dbf.adalaj.org/s76u4Vaj

#Spirituality #spiritualawakening #spiritualknowledge #dadabhagwanfoundation

dadabhagwan1150

ik bagal

kattupayas.101947

🫸 इश्क की दास्तां🫷


पल भर है इश्क़ की दास्तां,
पल भर में कोई मिल जाए। (2x)
पल भर में दिल फिर अपना,
उनके संग खिल जाए।
पल भर है इश्क़ की दास्तां,
पल भर में कोई मिल जाए।

क्यों उदास खड़ा है तू इतना,
देखो आया कोई और ख़त लेकर।
इशारा वो करना चाहे,
तुझको अपना दिल देकर।
तुम पल में दिल दे देना,
सारे ग़म पीछे के भूल जाना।
पल भर में बदल जाती है दुनिया,
फिर क्यों बैठा तू उदास होकर।
क्यों रात भर तू रोता है,
सो जाना तुम भी मदहोश होकर।

पल भर है इश्क़ की दास्तां,
पल भर में कोई मिल जाए। (2x)
पल भर में दिल फिर अपना,
उनके संग खिल जाए।
पल भर है इश्क़ की दास्तां,
पल भर में कोई मिल जाए।

उनके नज़रिए से देखो,
उनकी भी होंगी मजबूरियां।
यूँ ही दिल लगाके कोई,
बनाता नहीं रे दूरियां।

दिल भी तू अब से उनसे लगा,
जिनके संग सदा ही रह जाए।
दास्तां उनको बना अपनी,
उनके संग दिल खिल जाए।
रास्ता उनको बना अपना,
जिनपे चलके मंज़िल मिल जाए।
हो हो हो हो हो हो,
हो हो हो हो हो हो हो।

पल भर है इश्क़ की दास्तां,
पल भर में कोई मिल जाए। (2x)
पल भर में दिल फिर अपना,
उनके संग खिल जाए।
पल भर है इश्क़ की दास्तां,
पल भर में कोई मिल जाए।


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उम्मीद है आपको यह पसंद आएगा!


________लेखक_mayur pokale

mayurpokale921810

It's lunch time enjoy friends..

kattupayas.101947

International prisoner's justice day.

jighnasasolanki210025

कहानी – भानगढ़ का रहस्य

साल 1971 का एक सर्द दिसंबर महीना था। सूरज ढलते ही अंधेरा जैसे ज़मीन को निगलने लगता था। तीन दोस्त अर्जुन, रमेश और दीपक दिल्ली से घूमने निकले थे। लोककथाओं में सुनी थी उन्होंने भानगढ़ की कहानियाँ… लेकिन युवावस्था की बेफिक्री में उन्हें ये सब सिर्फ अफवाहें लगीं।

"कौन सा भूत! सब बकवास है," रमेश ने हँसते हुए कहा, जब वो भानगढ़ के खंडहरों में दाखिल हुए।

गेट पर लगे बोर्ड को सबने नजरअंदाज कर दिया –
"सूर्यास्त के बाद प्रवेश वर्जित है। Archeological Survey of India"

धीरे-धीरे अंधेरा गहराता गया। खंडहरों में गूंजती हवाओं की आवाज़ जैसे किसी के रोने की आह बन गई थी। वो तीनों एक पुराने मंदिर के पास रुके, जहां एक टूटा-फूटा झूला लटक रहा था। दीपक ने झूले को हिला दिया मज़ाक में। लेकिन तभी..झूला खुद-ब-खुद ज़ोर से झूलने लगा। हवा पूरी तरह थमी हुई थी… पर वो झूला ऐसे हिल रहा था जैसे कोई अदृश्य बच्चा उस पर बैठा हो।

"तुमने देखा?" अर्जुन फुसफुसाया।

तभी मंदिर के अंदर से एक औरत के रोने की धीमी सी आवाज़ आने लगी। वो तीनों डर के मारे वहीं पत्थर की तरह खड़े हो गए। दीपक ने टॉर्च निकाली, लेकिन जैसे ही उसने मंदिर की ओर रोशनी की… एक कटी गर्दन वाली औरत सामने खड़ी थी। उसकी आँखें नहीं थीं… बस दो काले गड्ढे… और होंठों से खून बह रहा था।

"मुझे मेरा बच्चा दो..." वो फुसफुसाई।

और तभी रमेश ज़ोर से चिल्लाया, "भागो!"

पर भागना इतना आसान नहीं था। पूरी हवेली जैसे ज़िंदा हो गई थी। दीवारों से खून बह रहा था, ज़मीन पर अजीब से मंत्र खुद-ब-खुद उभरने लगे थे, और मंदिर के बाहर की मूर्तियाँ रोने लगी थीं। किसी तरह जान बचाकर अर्जुन भाग सका… सिर्फ अर्जुन। आज 50 साल बाद भी अर्जुन पागलखाने में बंद है। उसकी जुबान से सिर्फ एक ही बात निकलती है—

"उसने कहा था… मुझे मेरा बच्चा दो… और रमेश को वो ले गई…"

पर कहते हैं… आज भी अगर कोई सूरज ढलने के बाद भानगढ़ जाता है… तो एक झूला अपने आप झूलने लगता है… और मंदिर से किसी औरत की चीखें सुनाई देती हैं।

vedantkana527861

Wednesday quotes

kattupayas.101947

So it's Wednesday, half the week crossed weekend is not so far.

kattupayas.101947

" દિલની વાત "

ક્યાં કોઈ 'દી, કોઈનું પણ કૈં મેં લીધું છે?
કાયમ બધાંને કંઇક ને કંઇક મેં દીધું છે;

એણે કહ્યું હતું કે પ્રેમ નથી તારાથી તો,
ત્યાર પછી તો ક્યાં મેં કાંઈ પણ કીધું છે?

જોયાં વરસો બાદ આંસુ ભરેલી આંખે,
તો, વિચારું છું કે એ છે કે કોઇ બીજું છે;

ચડ ઊતાર જીવનનાં થયા એક સમાન,
જુવો દિલ આજે ધબકી જ રહ્યું સીધું છે;

ઊડી જાશે ક્યારે કોને એ ખબર? "વ્યોમ"
જીવન એ બીજું કૈં નૈ બસ ઝાકળ બીંદુ છે;

✍:- વિનોદ મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર

omjay818

Good afternoon friends

kattupayas.101947

ને એક ઘરડો આખલો બોલ્યો થોડુંક વેતન વધારો,
સત્તા ગયા પછી અમને ઓછો પડે છે ખાવા ચારો.

હરેક જગ્યા પર એમના નામના ઝંડા છે જોવો તો,
આ શહેરની ઘણી ભૂમિ પર રહ્યો છે તેમનો ઈજારો.

અનેક માસ્તરો કમી વર્તાઈ છે સરકારી શાળાઓમાં,
જો કહીએ ભરતીનું તો નેતાજી ની ઊંચો થાય પારો.

મોંઘવારી સોશિયલ મીડિયા પ્રમાણે છે નહી ક્યાંય,
તો પછી કેમ માગી રહ્યા છે નેતાજી વેતનમાં વધારો?

આઝાદી પછી તો છૂટા સાંઢ ની માફક ચર્યા છો તમે,
છતાં પણ હંમેશા "અમે ભૂખ્યા છીએ" એક જ નારો.

લૂંટી સંપત્તિ જગની, સાદગીના આવરણો પહેરી ફરે,
જમીન લીધી, દરિયો લીધો અને નથી છોડ્યો કિનારો.

તૂટેલા ચંપલ પહેરી ફરતા, આજે અબજોમાં રમે છે,
મનોજ રાજનીતિમાં ઈમાનદારીનું મૂલ્ય તમે વિચારો.

મનોજ સંતોકી માનસ

manojsantokigmailcom

Yesterday I read an amazing quote by Josh Billings:

"Be like a postage stamp — stick to one thing until you get there." ✨📮



That means… in life, when you haven’t yet reached your destination, don’t quit.

Stay committed to your word, your dream, your promise.

Because success doesn’t come from speed—it comes from sticking until the end. 🚀💪



No matter how long the journey feels, remember:

🌟 A postage stamp never leaves its letter until it’s delivered.

Be that stamp.



#StayCommitted #Focus #Matrubharti

nensivithalani.210365

🕉 नम: शिवाय
ઓમ નમઃ શિવાય
Om Namh Shivay

shaileshjoshi0106gma

BENEATH THE SMOKE, I RISE

They thought the fire would bury me.
They forgot I don’t suffocate, I adapt.
When the flames ate the world, I danced.
They left me in ruins.
I rebuilt with rage.
Now the skyline knows my name.
I rise not clean, not holy but whole.
The smoke doesn’t choke me.
It follows me like a shadow.

By Abdullah khan

rehankhan141852

#श्रावण
#गोडधोड

🔴श्रावण शुक्रवारी देवाच्या नेवेद्याच्या निमित्ताने गोड धोड केले जाते
एका शुक्रवारी पुरण तर नक्कीच असतें
पहिल्या शुक्रवारी मी केलेले रताळ्याचे गुलाबजाम
कोणताही पदार्थ करताना गृहिणीच्या मनात हे आपल्या व्यक्ती साठी आपण करीत आहोत ही भावना असतेच
यामुळेच तो पदार्थ वठतो
त्याची चव रुचकर बनते
असे म्हणतात कोणताही पदार्थ ओठांनी किंवा जिभेने खाण्या आधी तो डोळ्यांनी खाल्ला जातो
वासाचेही गारूड असतेच मनावर
आणि मगच तो मनपसंत वाटून
चवीने खाल्ला जातो
हा गुलाबजाम असाच डोळ्या सोबत जिभेचे पारणे फेडेल असा जमला आहे

🔴साहित्य

दोन मध्यम लाल रताळी उकडून
तीन ते चार मोठे चमचे तांदळाची पिठी भाजुन घेतली आहे
काजू पिस्ता बदाम बारीक चुरा सजावटी साठी ..
मैदा बिलकुल वापरला नाही
दोन वाटया साखरेचा वेलदोडे पावडर घालून थोडा पातळ सर पाक केला
🔴कृती
रताळी सालासकट पावभाजीच्या मॅशर ने बारीक करून घेतली
त्यात भाजलेले तांदळाचे पीठ हळूहळू घालत
त्याचा गोळा होईल असे मळून घेतले
जास्त वेळ न ठेवता पाचच मिनिटात
गोळे करून मंद आचेवर तुपात तळून घेतलें
साखरेच्या कोमट पाकात हे गुलाबजाम तास भर मुरायला ठेवलें
गुलाबजामचा घमघमाट घरभर पसरला होता
तासाभरात त्याच्या मूळ आकाराच्या दुप्पट फुलून
आले हे गुलाबजाम
(सोडा ना वापरता सुद्धा)

त्यावर फक्त ड्राय फ्रूट बारीक पुड पखरण केली
आणि याचा फोटो घेतला 😊
देवाला नेवेद्य दाखवून..
आता हे खायला तयार झाले

jayvrishaligmailcom

भीती ..!

कधीपासून पाहतोय “एकटक “तुझ्याकडे ..
तुझे मात्र मुळी लक्षच नाहीये ..माझ्याकडे .
वाऱ्याने आणल्यात बटा..साऱ्या कपाळभर ..
भीती कीती दाटून राहिलेय बघ तुझ्या डोळाभर
असे अनामिक भाव तुझ्या डोळ्यात पाहतोय ..
काय आहे ग संशय जो तुझ्या मनात राहतोय ..??
जगात तर असणार कायमच “आणीबाणी “..
सांग मग असे भिवून चालेलं का राणी !?
............................... वृषाली**

jayvrishaligmailcom

Now available

kumar00

અઢળક અવઢવ નો ખુલાસો આપે છે બે કપ ચા,
મનમાં થતાં અનેક ઉત્પાત નું શમણ છે બે કપ ચા.

જીંદગી ની એકલતામાં ઉમંગ આપે છે બે કપ ચા.
ખરાં સમયે સંબંધ સાચવી જાય છે બે કપ ચા.

દુશ્મનને પણ આમંત્રણે દોસ્તીનો પૈગામ આપે છે બે કપ ચા.
મનની કડવાશ મટાડી જીવનમાં મીઠાશ ભરી આપે છે બે કપ ચા.

જીંદગીની ભાગદોડમાં વિસામો આપે છે બે કપ ચા
એકલતાનું રહે એકાંત તો સાથ આપે છે એક કપ ચા.

parmarmayur6557