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Hemant Parmar

Hemant Parmar

@hemantparmar9337


कुछ प्रेम मिलने के लिए नहीं होते…

वे नहीं होते
साथ चलने के लिए।
वे वनवास काटते हुए
अनकहे और अनसुने रहने के लिए होते हैं।

वे एक दूसरे के पूरक होते हुए भी
अधूरे रहने के लिए होते हैं।

वे मात्र यही संतोष कर पाते हैं…
कि वे किसी के हृदय में हैं
कि वे किसी के मस्तिष्क में हैं
कि कोई उनकी सुधियाँ बुनता है
कि कोई उनके लिए अनायास मुस्कुराता है
या नम आँखें फेर लेता है।

कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते,
पर वे उपवास रखते हैं
………
और दो घूँट प्रेम उन्हें जीवित रखता है

प्रेम एक जुनून ...💞

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रूठे हुए साथी को मनाया जा सकता है...छोड़कर जा चुके साथी को भी रो-धो कर वापस बुला सकते हैं....मगर जिसने साथ छोड़ने की जिद बना रखी हो उसे आपके आँसू...आपके दर्द...आपकी तकलीफें...आपका प्यार...आपका समर्पण...आपका पागलपन...आपकी याचना-अनुनय-विनय...आर्त पुकार...आपकी चीखें...आपकी यादें...आपकी बेबसी...आपकी पुकार...आपकी कोई भी कोशिश वापस नहीं बुला सकती ....!
इसलिए जाने वाले को दरवाजे तक छोड़ कर आओ और गले लगा कर अलविदा करो...रिश्तों में जबरदस्ती अच्छी बात नहीं होती ....

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मियां बीवी दोनों एक ही फील्ड में काम कर रहे थे, बीवी पायलट थी और शौहर कंट्रोल टावर इंस्ट्रक्टर
पायलट बीवी : हेलो कंट्रोल टावर यह फ्लाइट 358 है, यहां कुछ प्रॉब्लम है
कंट्रोल टावर से हसबैंड : आपकी आवाज ठीक से नहीं आ रही है, क्या आप दोबारा अपनी प्रॉब्लम बता सकती हैं ??
बीवी : कुछ नहीं, जाने दो... तुम्हें मेरी आवाज आती ही कब है ?
हसबैंड :बराए मेहरबानी अपनी प्रॉब्लम बताइए
बीबी :अब तो रहने ही दो
हसबैंड : प्लीज बताएं
बीवी : कुछ नहीं मैं ठीक हूं, तुम रहने दो
हसबैंड : अरे बोलिए क्या प्रॉब्लम है ?
बीबी :तुम्हें मेरी प्रॉब्लम से क्या मतलब ?
हसबैंड : बेवकूफ औरत ! इस फ्लाइट में 200 पैसेंजर भी हैं, प्रॉब्लम बता ?
बीवी : तुम्हें कभी मेरी परवाह नहीं रही, अभी भी 200 मुसाफिरों की परवाह है बस मुझे नहीं करनी बात...
नतीजा
जो आप देख रहे हो
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔

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_दरवाज़े प्रैक्टिकल होतें हैं_
_और खिड़कियाँ भावुक,_

_दरवाज़े सिर्फ समझते हैं_
_सांकल की बोली_
_पैरों की आहटें,_

_खिड़कियां पहचानती हैं_
_दबे पाँव पुरवाई का_
_चुपके से अंदर आ जाना,_
_सवेरे की किरणों का_
_भीतर तक उतर जाना,_

_परिंदों का राग,_
_मौसमों का वैराग,_
_बादल की आवारगी,_
_बूंदो की सिसकियाँ,_
_घटते बढ़ते चाँद की_
_ लम्बी-छोटी रातें,_
_चांदनी के सज़दे,_
_और टूट जाना किसी तारे का,_
_खिड़कियाँ सब जान जाती हैं;_

_दरवाज़े होते हैं सख्त,_
_मजबूत_
_नींबू-मिर्ची से सजे धजे_
_अक्खड़ किसी दरबान से,_

_खिड़कियाँ होती है_
_अल्हड़,_
_नादान और सहज;_
_उनपर नही लिखना पड़ता,_
_"स्वागतम्"!

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jindgi ak avi kavita che,
jaine lakhya pachi bhusva mate ruber na badle potani jaut gashvi pade che...

एक धागे की बात रखने के लिए,
मोम का रोम रोम जलता हैं...💔

होती है कुछ लड़किया 🙋‍♀️
जो नही छोड़ना चाहती खुली दो लट
लेकिन हड़बड़ी मे कलिप लगाना भूल जाती है!

जो भरने मे मदद करती है उस घर की किस्त
जो कुछ महीने, सालों के बाद मायका हो जाना है!

रखती है राशन, बिजली, खर्चे जमा पूंजी का पूरा
लेखा-जोखा, जबकि एक दिन कट जाना है उसी
राशनकार्ड से नाम अपना!

10 रुपये को बचाने, कई कदमों के फुथपाथ को नाप देती है
घर से जिम्मेदारी‍ को लेकर निकली, भीड़ के महासागर को पार करने के लिए कोने मे दुबक कर जाती है!

अंतर्मन मे संघर्ष‍, चेहरे पर मुस्कराहट लिए जीती है
माँ की दवाई, पापा के चहरे पर खुशी लाने हमेशा आगे खड़ी रहती है!

दुनिया से तालमेल मे चुकने पर खुद पर चिल्ला पड़ती है
चलते हुए दुपट्टे को मुख मे दबा चीख मार रोना जानती है!

अपनों की खुशी के लिए हर रोज अपनी ख्वाहिशो का गला
गोट देने का एकतरफा हुनर को बखूबी निभाती है!
वो लड़किया फिर भी हर रोज पराये घर की कहलाती है

तकिये को सुनाती है उनकी आँखे अपना हाल-ए -दिल
बिना करवट बदले, वो कल के दिन की जंग की तैयारी करती है!

मिले कभी कोई मुझे ऐसी लड़की तो सुन लेना चाहूंगा
तश्लि संग उसका दिल ए हाल, वो सारी बातें जो हर रोज उसे कचोटती है, रो लेने दूंगा अपने कांधे पर टिकवा कर सर

खलल न पड़े इसलिए हो जाना चाहूंगा निर्जीव इंसान
जाते हुए एकटक देखूंगा उसकी वो मुस्कान, जो दबी हुई थी
सालों-साल,

सुनो जहाँ कही भी हो, मै सुन रहा हु
जितना कहोगी उससे ज्यादा महसूस कर रहा हूँ....!!!

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