Most popular trending quotes in Hindi, Gujarati , English

World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.

New bites

स्वर्ग की अप्सरा तुम, दिव्य रूप धारी
नृत्य करतीं स्वर्ग में, अप्सरा तुम्हारी
गंधर्वों के साथ में, सुरों की ताल पर
नाचतीं तुम स्वर्ग में, अद्भुत सौंदर्य धार

तुम्हारे बालों में, फूलों की माला
तुम्हारे चेहरे पर, मुस्कान की लहर
तुम्हारे नृत्य में, स्वर्ग की झलक
तुम्हारी सुंदरता, हृदय को छू ले

स्वर्ग की अप्सरा, तुम्हारी कहानी
एक अद्भुत कथा, जो हृदय को छू जाए
तुम्हारी सुंदरता, स्वर्ग की शोभा
तुम्हारा नृत्य, हृदय को मोह ले।

rajukumarchaudhary502010

It's a delightful evening. Everyone enjoyed their duties were completed. Welcome home

kattupayas.101947

Good evening friends

kattupayas.101947

ভালোবাসা

bubai.159930

My new story

kajalthakur

it's time for nap

kattupayas.101947

It's time for lunch

kattupayas.101947

"From our first patient to our latest breakthrough —
Every moment has been about healing, growing, and serving.
Here’s to 12 years of purpose-driven vision care!"
From healing eyes to touching countless lives — Netram Eye Foundation thanks you for being a part of this incredible journey. 💚
Let’s continue making the world a clearer, brighter place — together! 👁️✨
#NetramTurns12 #EyeCareWithHeart #VisionForAll #12YearsOfService

netrameyecentre

आएगा तेरे नाम के साथ
मेरा नाम मैं इसी गुमान में थीं ,

सजी थी महफिल मेरे नाम की,
पर जाम किसी और के नाम की थी।

देखा जब गौर से तेरे हाथों में हाथ
गैरो का और मैं गुमनाम सी थीं ।

bita

" મળી જો કાંધ માફક "

વીંધાતો રહ્યો, માછલીની આંખ માફક.
આવી નહીં ઊડવાય, કોઈ પાંખ માફક.

સળગતો રહ્યો છું સદા ચિંતાની ભઠ્ઠીમાં,
અંતે તો ઊડી ગયો છું સૂકી રાખ માફક.

સમજદાર કહીને બધાં સમજાવતાં રહ્યાં,
ગુજારી છે જિંદગી બસ એક વાંક માફક.

બોજ હતો જીવનભર બસ આ શ્વાસનો,
લગભગ તરી ગયો છું હું એક લાશ માફક.

મુબારક હો તમને, તમારા હજારો મિત્રો,
મારો હર એક મિત્ર છે એક લાખ માફક.

બીજું તો કંઈ નહીં પણ થઈ ગયો છું ધન્ય,
અંતિમ પડાવે મળી જો "વ્યોમ" કાંધ માફક.

✍:- વિનોદ મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર

omjay818

Thank god someone bring samosa.a true entertainer

kattupayas.101947

Good afternoon friends

kattupayas.101947

life quotes

kajaljethava017830

I need some tea badly. Since I am a tea addict, I have to prepare myself.so bad.

kattupayas.101947

Do you know that ego is not egoism? Ego means I. Not knowing our true Self and remaining outside of its domain means egoism.

To know more visit here: https://dbf.adalaj.org/P3MJVQR8

#doyouknow #spirituality #facts #spiritualknowledge #dadabhagwanfoundation

dadabhagwan1150

“अवघड ...

तसे भेटत होतो आपण नेहेमीच इकडे तिकडे
एकमेकांच्या आवडी निवडी पण माहिती होत्या खूप जवळून ..
वेव्हलेंग्थ ज्याला म्हणतात ना तीही जुळायची बरीच ..!!!!
आणी अचानक एके दिवशी .
तु येवून माझे डोळे झाकलेस
आणी पटकन म्हणालास ..ए प्रेमात पडलोय मी तुझ्या ..
मी तुझे माझ्या डोळ्यावरच डोळ्या वरचे हात दूर केले
आणी चकित होवून तुझ्या कडे पाहिले ..
तुझ्या डोळ्यात एक वेगळीच “चमक “दिसली मला .
करशील ना माझ्या प्रेमाचा स्वीकार ..”..?
मी स्तब्ध झाले तुझ्या या प्रश्नावर ..
आयुष्याच्या या वळणावर ..तुझा “अनपेक्षित “,प्रश्न
उत्तर देणे पण माझ्या साठी “अवघड होवून बसलेय ..!!

वृषाली **

jayvrishaligmailcom

Good Morning Everyone
🌻☕🌻
હર હર મહાદેવ 🙏

jighnasasolanki210025

अर्जुन धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उसके पास आया।

“आप यहाँ बैठी हैं — ये जगह सबसे ज्यादा ओपन है। कोई भी हमला यहाँ से सबसे आसान है।”



“क्या आपको लगता है कोई मुझे रंगोली बनाते वक्त मार देगा?”

“खतरे टाइम देखकर नहीं आते,



"हां और न ही आप।”सिया फुसफुसाई।अर्जुन ने उसकी साड़ी का पल्लू हल्के से उठाया —

“ये कोना ज़मीन से घिस रहा था, आप गिर सकती थीं।”सिया ने अर्जुन को देखा ,जो उसे ही एकटक देख रहा था,सिया को काव्या की बात याद आई। उसकी नजर काव्या के मुस्कुराते चेहरे पर पड़ी मानो कह रही हो"देखा ?" सिया ने अपना सिर झटका ।

"थैंक यू!"💕



तभी.....

एक रंग की प्लेट खिसककर दूर जा गिरी।

सिया ने उसे उठाने के लिए झुकना चाहा —

लेकिन उससे पहले अर्जुन ने वो प्लेट उठाई… और गलती से उसकी उँगलियाँ सिया की उँगलियों से टकरा गईं।💗





वो पल… धीमा, गर्म, और कुछ कहता हुआ।

एक पल को सब कुछ ठहर गया।✨



सिया ने उसकी उँगलियों की पकड़ महसूस की — मज़बूत, मगर निडर हुई।💕✨



“छोड़िए...”सिया ने हल्की आवाज में कहा।

“गिर जातीं आप।”



#hukmaurhasrat

जल्द ही 🔥🔥

#अध्याय5

~diksha

dikshaparashar.699046

लबों पे ख़ामोशी का असर है, दिल में तूफ़ान बाकी है,
जो कहना था सब कह चुके, अब सुनना कुछ भी नहीं है।
ये फ़ितूर ही तो है जो रूह से लिपटा हुआ है,
वरना इस दुनिया में अब अपना रहना कुछ भी नहीं है।

सबने नकाब ओढ़ रखे हैं सलीकों के नाम पर,
सच कहो तो लगता है कि सच कहना कुछ भी नहीं है।
हमने भी दिल में दर्द को फूलों सा पाल रखा है,
जो दिखता है मुस्कराना है, मगर खिलना कुछ भी नहीं है।

हर बात को तोड़ते हैं हम ख़ामोशी के साए में,
चेहरों पे रौशनी है मगर उजाला कुछ भी नहीं है।
लफ़्ज़ों के मेले में भी तन्हा सा रहता है दिल,
भीड़ में हैं सब मगर कोई अपना कुछ भी नहीं है।.....✍️

ritu5403

महल के प्रांगण में हलचल थी। आज “जयगढ़ रंगोत्सव” था — जिसमें महल के सदस्य रंगोली बनाते थे, मिठाइयाँ तैयार होती थीं और मेहमानों का स्वागत होता था।💕✨





सिया सफेद अनारकली में सीढ़ियों से उतरी तो महल की सादगी में जैसे चाँद उतर आया हो।✨



उसके लंबे, खुले बाल लहरों की तरह बह रहे थे। बड़ी-बड़ी बादामी आँखें — जिनमें चंचलता भी थी और चुनौती भी। उसकी मुस्कान… जैसे किसी बंद बगीचे में अचानक खिला फूल।💕



और जब वो चलती, तो यूँ लगता जैसे हवा उसकी चाल से दिशा बदलती हो।



अर्जुन ने उसे देखते हुए नजरें मोड़ लीं —😑

लेकिन उसके अंदर कुछ चुभा। वो ठंडी आँखों वाला रक्षक, एक पल के लिए... देखना भूल गया कि वो किसे बचा रहा है, और क्यों।



महल के आँगन में रंगोली प्रतियोगिता रखी गई थी।

सिया ज़िद करके खुद भी बैठ गई — रंग बिखेरते हुए।

"आप रंगोली बनाएंगी?”

काव्या ने पूछा।



“हाँ,” सिया ने मुस्कराकर कहा, “मैं रंगों से डरती नहीं। चाहे उनमें ज़हर भी छिपा हो।😏”सिया ने तिरछी निगाहों से अर्जुन को देखा।

#hukmaurhasrat

जल्द ही🔥

dikshaparashar.699046

જે માણસ પોતાની નિંદા સાંભળીને પણ શાંત રહે છે, તે દુનિયામાં બધું કરી શકે છે...

mukeshdhama1620

I remember the moment that my first novel, "Iravuku Aayiram Kaigal", was published. I was pretty nervous after one year and people were still reading the novel. Thank you readers and Matrubharti

kattupayas.101947

जब मैं कहीं ना मिलूं
समझ लेना मैं शब्दों में खो गयी हूँ
अर्सों से पड़े वरक़ के धूलकणों को
क़रीने से अलमारी में सजाते हुए
वक्त के अतीत में दबे पाँव जाकर
रखें दराजों के किताबों से कुछ
यादें बटोर लायी हूँ..
मैं यहीं हूँ कहाँ जाऊंगी
शब्दों की दौलत छोड़ कर..
सुनो' मैं उन शब्दों से जन्मों
का नाता जोड़ आयी हूँ.
--डॉ अनामिका--
उर्दूअल्फ़ाज़ हिंदीशब्द हिंदीपंक्ति हिंदीकाविस्तार

rsinha9090gmailcom