अधुरी खिताब

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एक भयानक खोज दिल्ली की पुरानी लाइब्रेरी, जहां धूल से भरे शेल्फ़ और पन्नों की हल्की महक थी, रिया का पसंदीदा ठिकाना था। 22 साल की रिया, इतिहास की छात्रा थी, और उसे लगता था कि हर पुरानी किताब में एक नई दुनिया छिपी होती है। वह अक्सर घंटों तक यहाँ बैठकर किताबें पढ़ती, कभी-कभी तो दिनभर बाहर भी नहीं निकलती। लाइब्रेरी की शांत और पुरानी हवा उसे सुकून देती थी, खासकर जब शहर का शोर उसके दिमाग पर हावी होने लगता था।

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अधुरी खिताब - 1

कहानी: “अधूरी किताब” - भाग 1: एक भयानक खोजदिल्ली की पुरानी लाइब्रेरी, जहां धूल से भरे शेल्फ़ और पन्नों हल्की महक थी, रिया का पसंदीदा ठिकाना था। 22 साल की रिया, इतिहास की छात्रा थी, और उसे लगता था कि हर पुरानी किताब में एक नई दुनिया छिपी होती है। वह अक्सर घंटों तक यहाँ बैठकर किताबें पढ़ती, कभी-कभी तो दिनभर बाहर भी नहीं निकलती। लाइब्रेरी की शांत और पुरानी हवा उसे सुकून देती थी, खासकर जब शहर का शोर उसके दिमाग पर हावी होने लगता था।एक दिन, रिया लाइब्रेरी के सबसे पुराने और सबसे कम इस्तेमाल होने ...Read More

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अधुरी खिताब - 2

रीया की नई बेचैनीरिया शर्मा का जीवन पूरी तरह बदल चुका था। अस्पताल से वापस आने के बाद वह जैसी नहीं रही थी। लाइब्रेरी की खामोशी में डूबी वह अब अपने कमरे में बैठकर अजीब-अजीब सपनों में खो जाती थी। हर रात उसे वही किताब दिखाई देती थी – पुरानी, धूल से ढकी, और अधूरी कहानी का पन्ना खुला हुआ। रिया ने कई बार खुद से पूछा – क्या सच में कुछ हुआ था? या यह सब उसके मन का भ्रम था?एक शाम रिया खिड़की के पास खड़ी थी। बाहर हल्की बारिश हो रही थी। बूंदें जैसे उसकी ...Read More

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अधुरी खिताब - 3

️ कहानी: “अधूरी किताब” – भाग 3: अनसुलझे रहस्य और नई खोज---️ अस्पष्ट परछाइयाँ और अनजाना डररीया शर्मा के में आने के बाद भी उसके दिल में उस किताब का प्रभाव कुछ कम नहीं हुआ था। उसके सपनों में वह किताब बार-बार उसकी आँखों के सामने आती थी – जैसे वह किसी गहरे रहस्य की पुकार हो। हर बार किताब का आखिरी पन्ना चमकता और फिर एक नाम उभरता – “राहुल वर्मा।”रीया के भीतर सवाल उठने लगे – क्या राहुल सचमुच अगला शिकार बनने वाला था? लेकिन राहुल ने खुद को पूरी तरह साहसी दिखाया। “मैं डरता नहीं हूँ,” ...Read More

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अधुरी खिताब - 4

️ कहानी: “अधूरी किताब” – भाग 4: अधूरी यादें और नए खतरे रहस्यमयी रात का अलामरीया शर्मा, राहुल वर्मा काव्या मिश्रा ने किताब को सुरक्षित बक्से में बंद करके लाइब्रेरी के सबसे गहरे कोने में रख दिया था। लेकिन उस रात, रीया की नींद चैन से नहीं थी। उसका मन बार-बार उसी प्राचीन दृश्य में उलझता जा रहा था। उसकी आँखें खुलीं और वह अपने कमरे की खिड़की से बाहर झाँकने लगी। हवेली की अंधेरी परछाईयाँ धीरे-धीरे उसकी सोच में समा रही थीं।“क्या सच में यह खत्म हो गया?” उसने खुद से पूछा।पर जवाब था… एक अनजानी चुप्पी।उसके पास ...Read More

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अधुरी खिताब - 5

खामोश हवेली की नई परछाईरीया शर्मा, राहुल वर्मा और काव्या मिश्रा के कदम अब धीरे-धीरे उस हवेली की ओर रहे थे, जहाँ से उनकी अधूरी किताब की गुत्थी शुरू हुई थी। हवेली का दरवाज़ा सदा की तरह जर्जर था, जैसे बरसों से किसी ने उसे खोलने की हिम्मत न की हो। अंधेरे में चारों तरफ़ चुप्पी और हल्की सिहरन थी। हर दीवार की दरारें, हर टूटा फर्श ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह उनसे कोई छुपा हुआ संदेश कहना चाहता हो।काव्या ने फुसफुसाया –“हवेली में अब बहुत समय से कोई नहीं आया। पर यहाँ की परछाइयाँ हर ...Read More