Adhuri Kitaab - 29 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 29

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अधुरी खिताब - 29


🕯️ एपिसोड 29 — “रूह का अगला अध्याय”

(कहानी: अधूरी किताब)


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1. स्याही की वापसी

रियान कपूर गायब हुए तीन दिन बीत चुके थे।
उसका कमरा अब सील था — पुलिस ने कहा, “ये केस आत्महत्या जैसा लगता है।”
लेकिन पड़ोसियों ने उस रात कुछ और सुना था…

> “टिक... टिक... टिक...”



वही पुराना टाइपराइटर की आवाज़।
जब दरवाज़ा खोला गया — वहाँ कोई नहीं था,
बस एक नई किताब रखी थी —
कवर पर लिखा था —

> “The Forgotten Author – Part II”
By Riaan Kapoor



रियान तो कहीं था ही नहीं,
मगर उसकी लिखावट अब भी ज़िंदा थी।


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2. अन्वी का आगमन

अगले दिन, दिल्ली यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर अन्वी राठौर वहाँ पहुँची।
वो विक्रम राठौर की वंशज थी —
उसके परिवार में पीढ़ियों से यह किताब “मनहूस किताब” कहलाती थी।

उसने किताब को सावधानी से उठाया,
कवर पर हाथ रखा, और उसके होंठों से अनजाने में एक वाक्य निकला —

> “रूहें कभी मरती नहीं... बस लेखक बदलते हैं…”



जैसे ही उसने किताब खोली —
हवा में ठंडक फैल गई।
कमरे के कोने में वही स्याही की गंध लौट आई।

> “रियान...” उसने धीरे से कहा।



टाइपराइटर अपने आप चल पड़ा।
अक्षर खुद बनने लगे —

> “मैं खत्म नहीं हुआ… बस कहानी के अंदर हूँ।”




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3. किताब के भीतर

अन्वी ने पन्ना पलटा —
अंदर की तस्वीरें हिल रही थीं,
शब्द बह रहे थे, जैसे नदी की धारा।

अचानक उसके सामने रियान का चेहरा उभरा —
स्याही से बना, पर पूरी तरह जीवित।

> “मुझे बाहर निकालो…”



> “कैसे?”



> “आख़िरी अध्याय लिख दो।”



> “लेकिन वो तो तुमने ही लिखा था, रियान।”



> “नहीं, वो अधूरा था… क्योंकि अंत किसी ने नहीं जिया।”



अन्वी ने कलम उठाई,
स्याही खुद पन्ने पर उतर आई,
और कमरे की दीवारें अब किताब के पन्नों जैसी दिखने लगीं —
हर दीवार पर एक नई कहानी उभर रही थी।


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4. दीवारों के अंदर की रूहें

दीवार से आवाज़ आई —

> “हमें पूरा करो…”
“हमें बाहर निकालो…”



मीरा, अदिति और अनामिका की रूहें फिर दिखाई दीं,
लेकिन इस बार उनके चेहरे अधूरे नहीं थे —
उनकी आँखों में स्याही टपक रही थी।

अन्वी ने देखा —
हर रूह के हाथ में एक अधूरा पन्ना था,
और सबका अंत एक ही लाइन पर रुका था —

> “कहानी खत्म नहीं होती जब तक डर ज़िंदा है…”



अचानक रियान की आवाज़ आई —

> “अन्वी, अगर तुम डरोगी… तो तुम भी इस किताब का हिस्सा बन जाओगी।”




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5. दर्पण का शाप

अन्वी ने पीछे देखा —
कमरे के बीच में एक पुराना दर्पण उभरा था।
विक्रम राठौर की परछाई उसमें मुस्करा रही थी।

> “स्वागत है, मेरी वारिस…” उसने कहा।
“हर लेखक जिसने ये किताब छुई… उसी दर्पण में कैद हुआ।”



> “मैं यहाँ से निकलना चाहती हूँ।”



> “तो वो लिखो जो किसी ने नहीं लिखा —
सत्य। अपनी रूह का अंत।”



दर्पण में अब अन्वी की ही परछाई उभर आई थी।
उसकी आँखें धीरे-धीरे स्याह होने लगीं।
वो कलम गिरा नहीं पा रही थी —
जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसके हाथ पकड़ रखे हों।


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6. आख़िरी स्याही

अन्वी ने काँपते हाथों से लिखा —

> “हर लेखक के भीतर एक रूह होती है —
जो अपने ही शब्दों में कैद होती चली जाती है।”



लिखते ही कमरा काँप उठा।
टाइपराइटर टूट गया, काँच के टुकड़े हवा में तैरने लगे।
एक ज़ोरदार चीख़ सुनाई दी —
और फिर सब शांत।

जब पुलिस दोबारा कमरे में आई,
वो खाली था।
बस टेबल पर नई किताब रखी थी —

> “The Forgotten Author — Final Chapter”
By Anvi Rathore




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7. अंतिम पंक्ति

किताब का आख़िरी पन्ना फड़फड़ा रहा था,
जैसे हवा उसे पलट रही हो।

आख़िरी लाइन पर लिखा था —

> “हर कहानी तब खत्म होती है,
जब लेखक खुद कहानी बन जाए।”



और नीचे एक हल्की स्याही में शब्द उभरे —

> “Next: The Book Writes Again…”




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💀 एपिसोड 29 समाप्त
(ट्विस्ट एंड — कहानी अब एक नए लेखक के शिकार की ओर बढ़ेगी… किताब फिर किसी और को बुलाएगी।)


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