🌙 खामोश हवेली की नई परछाई
रीया शर्मा, राहुल वर्मा और काव्या मिश्रा के कदम अब धीरे-धीरे उस हवेली की ओर बढ़ रहे थे, जहाँ से उनकी अधूरी किताब की गुत्थी शुरू हुई थी। हवेली का दरवाज़ा सदा की तरह जर्जर था, जैसे बरसों से किसी ने उसे खोलने की हिम्मत न की हो। अंधेरे में चारों तरफ़ चुप्पी और हल्की सिहरन थी। हर दीवार की दरारें, हर टूटा फर्श ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह उनसे कोई छुपा हुआ संदेश कहना चाहता हो।
काव्या ने फुसफुसाया –
“हवेली में अब बहुत समय से कोई नहीं आया। पर यहाँ की परछाइयाँ हर कदम पर हमारे साथ चल रही हैं।”
रीया का दिल लगातार धड़क रहा था। एक अजीब सा एहसास उसे घेर रहा था – जैसे हवेली उसके साथ साँस ले रही हो।
🚪 अनजानी आवाज़ें
जैसे ही उन्होंने हवेली के अंदर कदम रखा, अचानक एक धीमी सी आवाज गूँजी –
“आओ… देखो… देखो… जो छुपा है…”
तीनों रुक गए। काव्या ने तुरंत मोमबत्ती जलाई। धुंधलके में दीवारों पर कुछ अस्पष्ट चित्र उभरने लगे। दीवारें जैसे खुद ही बयाँ कर रही थीं – पुरानी बातों का किस्सा।
“यह आवाज कहाँ से आ रही है?” राहुल ने पूछते हुए अपने कान की ओर हाथ लगाया।
रीया के होंठ काँप रहे थे –
“यह… यह तो… हवेली की उन आवाज़ों में से एक है… जो अरविंद देव के समय से यहाँ गूंजती आई है।”
काव्या ने धीरे से कहा –
“इन्हें नजरअंदाज न करो। यह चेतावनी भी हो सकती है।”
🌌 भूतिया कक्ष की खोज
तीनों धीरे-धीरे हवेली के सबसे पुराने कक्ष की ओर बढ़े। वहाँ का दरवाज़ा भारी और लोहे का था। उस पर जालेदार धूल जम चुकी थी। रीया ने झिझकते हुए दरवाज़ा खोला। अंदर एक अजीब तरह का कमरा था – दीवारों पर अजीब चित्र बने थे, फर्श पर गहरे निशान थे, और एक पुराना पेंडुलम धीरे-धीरे झूल रहा था।
“यह वही कमरा है,” काव्या ने गंभीरता से कहा –
“जहाँ अरविंद देव ने अपने अंधे प्रयोग किए थे।”
कमरे में एक पुरानी किताब रखी थी, जो अभी तक बंद थी। पर उसके आस-पास हल्की-हल्की आवाजें गूंज रही थीं – मानो कोई उसके पन्नों से फुसफुसा रहा हो।
“यह… यह तो वही अधूरी किताब है!” रीया ने काँपते स्वर में कहा।
📚 किताब का रहस्य खुलता है
रीया ने किताब को उठाया। पन्ने धीरे-धीरे खुलने लगे। हर पन्ना ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो खुद-ब-खुद जीवित हो उठा हो।
तभी अचानक एक पन्ने पर लिखा था –
“जो भी इसे पढ़ेगा, उसके अंदर छुपे अंधेरे का बंधन खुलेगा।”
रीया की आँखें फटी की फटी रह गईं।
“काव्या जी, यह चेतावनी है। क्या हमें इसे पढ़ना चाहिए?” उसने डरते हुए पूछा।
काव्या ने एक लंबी साँस ली –
“सच जानने के लिए पढ़ना होगा।”
रीया ने धीरे से पहला पन्ना पलटा। पन्ने पर लिखा था –
“यह पुस्तक तुम्हें तुम्हारी सबसे बड़ी भूल से मिलवाएगी। वह भूल जिसे समय ने दबा दिया था।”
📖 आरंभिक भूतिया संकेत
जैसे ही रीया ने आगे पढ़ना शुरू किया, अचानक कमरे की रोशनी मंद हो गई। पेंडुलम की गति तेज हो गई।
“यह क्या हो रहा है?” राहुल ने घबराते हुए पूछा।
काव्या ने पन्नों को और अधिक ध्यान से पढ़ना शुरू किया –
“‘जो आत्मा इसमें बंद है, उसकी पुकार अनंतकाल से गूँजती आ रही है। केवल वही जो सच्चाई का सामना करने की हिम्मत रखता है, उसे यह रहस्य दिखेगा।’”
एक अचानक चीख की आवाज कमरे में गूंज उठी। रीया का शरीर काँप उठा। वह अपने आप से कह रही थी –
“यह आवाज… यह तो… मेरी यादों की गहराई से निकल रही थी।”
👻 भूतिया दृश्य का सामना
तभी कमरे के एक कोने से एक धुंधली परछाई प्रकट हुई। उस परछाई का चेहरा धुंधला था, पर उसकी आँखें गहराई से रीया की आँखों में गूँज रही थीं।
“तुम… तुम ही हो…” परछाई ने फुसफुसाया –
“तुमने हमें बंधा था… पर हमें मुक्त करना तुम्हारा कर्म है।”
रीया के मन में आँधी सी उठी। वह धीरे-धीरे याद करने लगी –
“एक दिन, मैंने अरविंद देव की आत्मा से मिलने की कोशिश की थी… उस दिन क्या हुआ था?”
उसने अचानक स्मृतियों के अंधकार में झाँकते हुए देखा –
– वह छोटी रीया थी, किताब को छू रही थी।
– मंत्र पढ़ते समय उसके हाथ से कुछ ऊर्जा फूट रही थी।
– अरविंद देव की आत्मा उसके सामने प्रकट हो रही थी।
“मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रही थी…” रीया ने आंसू बहाते हुए कहा।
🌟 आत्मा की शांति
काव्या ने एक शक्तिशाली मंत्र पढ़ा –
“प्राचीन आत्मा, तुम्हें अब मुक्त किया जाता है। अधूरी किताब के पन्ने अब बंद हो रहे हैं।”
परछाई ने धीरे-धीरे आँखें बंद कीं। उसके होंठों से एक आखिरी फुसफुसाहट निकली –
“धन्यवाद… अब मैं शांति से जा सकती हूँ।”
कमरे की रोशनी वापस आ गई। पेंडुलम की गति शांत हो गई। किताब के पन्ने स्थिर हो गए।
🚪 नई शुरुआत की ओर कदम
रीया, राहुल और काव्या ने धीरे-धीरे किताब को लोहे के बक्से में फिर से सुरक्षित रखा। पर इस बार, उन्होंने उसे पूरी तरह सील कर दिया।
रीया ने खुद से कहा –
“अब मैं अपनी गलती से सीख चुकी हूँ। अतीत के अंधेरे को अपनी ताकत बना लूंगी।”
काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा –
“अब तुम्हारे पास वह शक्ति है, जो सिर्फ साहस और सच्चाई से मिलती है।”
राहुल ने गर्व से कहा –
“हमने मिलकर अधूरी किताब के भुतिया पन्नों को बंद कर दिया है। पर यह याद रखो – सच की खोज कभी खत्म नहीं होती।”
🌅 भविष्य का संकेत
तीनों ने हवेली से बाहर कदम बढ़ाए। बाहर की ठंडी हवा ने उन्हें जैसे नए जीवन की ओर बुलाया।
रीया के मन में अब डर नहीं था। बस एक नई उम्मीद थी –
"अधूरी किताब का सच अब अधूरा नहीं रहा। पर यह केवल एक अध्याय का अंत था। नये रहस्य कहीं और छुपे हैं।"
काव्या ने गंभीर स्वर में चेतावनी दी –
“अगला खतरा हमेशा करीब होता है। सतर्क रहना।”
रीया ने अपने दोस्तों की ओर मुस्कुराते हुए कहा –
“हम तैयार हैं।”
🔔 अधूरी किताब की गुत्थी अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है…
👉 क्या कोई नई आत्मा इसे फिर से खोलने की कोशिश करेगी?
👉 क्या यह किताब भविष्य में नए रहस्यों को जन्म देगी?
🌫️ अधूरी किताब – अगला अध्याय जल्द ही…