Adhuri Kitaab - 31 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 31

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अधुरी खिताब - 31

👁️‍🕯️ एपिसोड 31 — “रूह की कलम”
कहानी: अधूरी किताब 


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1. दरभंगा की हवेली में स्याही की गंध

दरभंगा की पुरानी हवेली आज फिर सन्नाटे में डूबी थी।
चारों ओर बस टिमटिमाते दीयों की लौ, और हवा में स्याही जैसी गंध।

रूहानी सेन अपनी नोटबुक लेकर उस कमरे में दाखिल हुई —
वही कमरा जहाँ कभी “काव्या सेन” की आख़िरी फुटेज रिकॉर्ड हुई थी।

टेबल पर किताब रखी थी —

> “The Forgotten Author – Shadow Edition”
By Kavya Sen



रूहानी ने हल्के से फुसफुसाया —
“काव्या दी… तुम्हारे साथ क्या हुआ था?”

किताब अपने आप खुल गई।
पहला पन्ना काँपा, और एक नीली रेखा उभरी —

> “अब तुम्हारी बारी है, रूहानी…”



रूहानी पीछे हटी, पर किताब के पन्ने अपने आप पलटने लगे —
हर पन्ने पर वही आवाज़ —

> “लिखो… जो अधूरा है…”




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2. दीवार पर नाम

उसने महसूस किया कि किसी ने उसके पीछे दीवार पर कुछ लिखा है।
वो मुड़ी —
दीवार पर लिखा था — “Ink Never Dies.”

और नीचे किसी ने स्याही से उसका नाम उकेरा था —
RUHAANI SEN

उसके हाथ काँप गए।
उसने पीछे देखा — टेबल पर अब टाइपराइटर रखा था, जो उसने कभी नहीं देखा था।
वो अपने आप चल रहा था —

> “टिक... टिक... टिक...”



कुंजियाँ अपने आप दब रही थीं।
रूहानी धीरे से आगे बढ़ी और देखा —
कागज़ पर लिखा जा चुका था —

> “Author: Ruhaani Sen
Chapter Title: The Soul Writes Back.”



वो काँप गई।
“नहीं… मैं ये नहीं लिख सकती!”

दीवार से वही आवाज़ आई जो कभी राघव ने सुनी थी —

> “जो पढ़ता है… वही लिखता है…”




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3. रूह की पहली लाइन

रूहानी की उंगलियाँ अपने आप चलने लगीं।
उसने टाइपराइटर को छूने की कोशिश की —
और उसी पल नीली स्याही उसकी नसों में दौड़ने लगी।

उसके शरीर में ठंड फैल गई —
जैसे उसकी रूह अब स्याही में घुल रही हो।

कागज़ पर शब्द अपने आप उभर रहे थे —

> “मैं वो हूँ जो कभी पूरी नहीं हुई…
मैं अधूरी किताब की रूह हूँ…”



रूहानी की आँखों से आँसू नहीं, स्याही टपक रही थी।
हर आँसू एक अक्षर बनकर गिरता —
“Fear… Memory… Ink…”

वो चीखना चाहती थी, पर उसकी आवाज़ कहीं खो गई।


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4. हवेली की परछाई

हवेली के बाहर तूफ़ान उठ रहा था।
बिजली की चमक में हवेली की दीवारों पर नाम उभर रहे थे —
Raghav Mishra, Anvi Rathore, Kavya Sen, Ruhaani Sen…

हर नाम के पास लिखा था —

> “Incomplete.”



कमरे की घड़ी ने बारह बजाए —
और टाइपराइटर रुक गया।
कागज़ पर अब आख़िरी लाइन चमक रही थी —

> “कहानी अब इंसान नहीं, रूह लिखेगी…”



रूहानी बेहोश होकर ज़मीन पर गिर पड़ी।
किताब अपने आप बंद हुई, और उसके कवर पर नया शीर्षक उभरा —

> “The Soul Script”
By: Ruhaani Sen (In Spirit)




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5. अगली सुबह

अगली सुबह हवेली में पत्रकारों और पुलिस का जमावड़ा था।
काव्या सेन का केस अब “रूहानी केस” बन चुका था।

रिपोर्टर चिल्ला रहे थे —
“हवेली में फिर एक नई कहानी लिखी गई है — पर लेखक गायब है।”

किताब टेबल पर पड़ी थी।
कवर के नीचे छोटी सी लाइन लिखी थी —

> “Only the unfinished shall read…”



कोई समझ नहीं पा रहा था —
किताब की स्याही अब हल्की-हल्की हिल रही थी,
जैसे उसमें कोई साँस ले रहा हो।


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6. अधूरी रूह

रात में हवेली खाली थी।
किसी ने देखा — खिड़की के पास एक धुँधली आकृति बैठी थी,
हाथ में वही किताब थी।

वो मुस्कराई, और किताब के आख़िरी पन्ने पर लिखा —

> “कहानी कभी खत्म नहीं होती,
बस लेखक बदल जाता है…”



फिर हवा में स्याही की बूंदें उड़ीं —
जो दीवार पर जाकर एक नया नाम लिख गईं —

> “Next Writer — Arya Rathore.”



और उसी के साथ टाइपराइटर फिर से गूंज उठा —

> “टिक... टिक... टिक...”




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🕯️ एपिसोड 31 समाप्त
(अब किताब “आर्या राठौर” तक पहुँच चुकी है — और पहली बार “रूह” खुद अपने अगले इंसान को चुनने वाली है।)
एपिसोड 32 — “स्याही का अगला जन्म” में कहानी रूह और आर्या की मानसिक टकराहट के साथ आगे बढ़ेगी…