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🌙 एपिसोड 9 : "भूतिया हवेली का खौफनाक सच"
⏳ भयावह संकेत और गहरे रहस्य
रीया, काव्या, और राहुल ने अधूरी किताब को सील कर सुरक्षित स्थान पर रखा। लेकिन जैसे ही उन्होंने कदम बढ़ाया, हवेली का वातावरण अचानक बदल गया। चारों ओर हल्की ठंडी हवा बहने लगी, मानो हवेली खुद उन्हें रोकने की कोशिश कर रही हो। दीवारों से सिहरन भरती आवाजें आ रही थीं – अनजानी फुसफुसाहटें, पुरानी चीखें, और अस्पष्ट संगीत की गूँज।
“क्या तुमने सुनी?” काव्या ने फुसफुसाते हुए पूछा।
रीया ने सिर हिलाया – “यह… यह कोई सामान्य हवा नहीं है।”
राहुल ने अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलायी और धीरे-धीरे आगे बढ़े। हर कदम पर हवेली की दीवारें एक अजीब सी छाया में बदलती जा रही थीं, मानो किसी ने उन्हें देख रहा हो। रीया की धड़कनें तेज हो गईं, पर वह खुद को रोक रही थी।
🚪 अंधकारमय कमरे की खोज
तीनों ने हवेली का एक नया, बंद कमरा खोज निकाला, जिसकी चाबी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी। दरवाज़े पर जंग लगी ताम्बे की छोटी सी पट्टी पर कुछ शब्द उकेरे थे –
> “सत्य की परीक्षा यहाँ से शुरू होगी।”
रीया ने हिम्मत बटोरी और दरवाज़ा खोला। कमरे में घुसते ही चारों ओर धुंध का घेरा फैल गया। दीवारों पर अजीब तरह की पुरानी तस्वीरें टंगी थीं – वे तस्वीरें जिनमें लोगों के चेहरे धुंधले और अस्पष्ट थे। जैसे हर तस्वीर की आंखें उनके भीतर झांक रही हों।
काव्या ने धीमे स्वर में कहा –
“यह कमरे तो बिलकुल समय से परे लग रहा है।”
राहुल ने जवाब दिया –
“हमें हर तस्वीर को ध्यान से देखना होगा। कोई सुराग छुपा हो सकता है।”
रीया धीरे-धीरे एक तस्वीर के करीब गई। उसमें एक महिला थी, जिसकी आँखें खाली-स्पष्ट होकर उन्हें घूर रही थीं। तस्वीर के नीचे लिखा था –
> “नेहा वर्मा, 1921 – 1943।”
रीया के हाथ कांपने लगे। यह नाम उसके परिवार के अतीत से कहीं गहरा जुड़ा लग रहा था। उसकी दादी ने कभी नेहा वर्मा का जिक्र किया था, परंतु अधूरा रह गया था।
🌫️ पुरानी डायरी की खोज
अचानक, कमरे के एक कोने में एक पुरानी लकड़ी की अलमारी खड़ी थी। काव्या ने धूल भरे ताले को खोलकर धीरे-धीरे अलमारी के दरवाज़े खोले। उसके भीतर एक जर्जर डायरी रखी थी। उसके पन्ने पीले और बेजान थे, परन्तु शब्द आज भी स्पष्ट थे।
रीया ने डायरी उठाई और पढ़ना शुरू किया –
> “आज का दिन भयानक था। मेरे पति ने फिर से मुझसे दुर्व्यवहार किया। मैंने हवेली के तहखाने में एक पुराना मंत्र खोज लिया था। मुझे लगा कि यह हमारी मुसीबतों से मुक्ति का रास्ता है। परंतु… अब मुझे डर है कि मैंने जो खोल दिया है, वह अंधकार का अटूट हिस्सा बन गया है।”
रीया की सांसें थम गईं। डायरी का लेखन नेहा वर्मा का था। यह स्पष्ट था – नेहा वर्मा ने अपनी मुसीबत का हल खोजने के बजाय अंधकार को बुला लिया था।
👁️ अंधकार की परछाई का सामना
जैसे ही रीया ने आगे पढ़ा, कमरे की दीवारें फिर से हल्की धुंध में डूबने लगीं। एक ठंडी फुसफुसाहट गूँजने लगी –
> “हमसे बच नहीं पाओगी… नेहा की आत्मा आज भी इस हवेली में बसी है।”
तभी अचानक, अलमारी का दरवाजा अपने आप बंद हो गया। रीया ने झट से कदम पीछे हटाए। उसकी उंगलियाँ कंपकंपा रही थीं, पर मन में एक अजीब तरह की जिज्ञासा भी जाग रही थी।
राहुल ने हिम्मत बढ़ाते हुए कहा –
“हमें संयम रखना होगा। हो सकता है यह नेहा वर्मा की आत्मा हमें रास्ता दिखाए।”
काव्या ने थपकी देते हुए कहा –
“रीया, हमें डरना नहीं है। हम साथ हैं।”
🚶♀️ नेहा वर्मा की आत्मा से संवाद
रीया ने धीरे-धीरे मंत्र पढ़ना शुरू किया –
> “आत्मा जो इस हवेली में बसी है, हम तुम्हारी पीड़ा को समझना चाहते हैं। बताओ… क्या तुम हमसे संपर्क करोगी?”
तभी कमरे में एक हल्की रोशनी चमकी। फुसफुसाहटें स्पष्ट शब्दों में बदलने लगीं –
> “नेहा वर्मा… मेरी कथा अधूरी रह गई। मेरा पति… मेरा विश्वासघात… और मेरी आत्मा… आज भी इसी हवेली में भटकती है।”
रीया ने साहस से पूछा –
“नेहा दी… हमें बताइए, आपके साथ क्या हुआ था?”
परछाई की आवाज़ भारी हो गई –
> “मेरे पति ने मेरी आत्मा को कैद कर दिया। उसने किताब के पन्नों में मेरे दर्द को छुपा दिया ताकि मैं कभी नहीं मुक्त हो सकूं। केवल एक सच्चा दिल ही इस बंदिश को तोड़ सकता है।”
🌠 सच्चाई का सामना
रीया ने एक गहरी सांस ली और सवाल किया –
“क्या हम आपकी आत्मा को मुक्ति दिला सकते हैं?”
परछाई की स्वर में थोड़ी नरमी आई –
> “तुम्हें मेरे पति का नाम और उस मंत्र को पुनः पढ़ना होगा… जो मेरे बंधन का कारण बना था।”
डायरी के पन्नों में नेहा वर्मा का पति लिखा था – अरविंद देव। रीया को समझ आ गया था – वही व्यक्ति, जिसकी बातें उसे अतीत में अजीब लगी थीं।
📜 मंत्र का उद्घाटन
रीया ने पुरानी डायरी के एक पन्ने को ध्यान से पढ़ना शुरू किया –
> “प्राचीन शब्दों का संयोग, अंधकार से परे प्रकाश की खोज। मैं अरविंद देव के विरुद्ध अपनी आत्मा की मुक्ति का संकल्प करती हूं।”
जैसे ही उसने यह मंत्र उच्चारित किया, कमरे में तेज़ रोशनी फैल गई। दीवारें कम्पने लगीं और फुसफुसाहटें धीरे-धीरे शांत हो गईं। परछाई ने कहा –
> “अब मैं मुक्त हूँ… धन्यवाद।”
धीरे-धीरे, नेहा वर्मा की परछाई उजाले में विलीन हो गई। कमरे का वातावरण सामान्य हो गया। आलमारी के पन्ने खुद-ब-खुद बंद हो गए।
🚀 नया अध्याय, नया विश्वास
रीया, काव्या, और राहुल ने राहत की साँस ली। अब उनकी आत्मा में नया आत्मविश्वास जाग उठा था। रीया ने किताब को पुनः सील करते हुए कहा –
“हमने केवल एक रहस्य को हल किया है। अधूरी किताब के कई पन्ने अभी भी बाकी हैं।”
काव्या ने मुस्कान के साथ कहा –
“यह कहानी खत्म नहीं हुई, रीया। असली सच्चाई अब खुलने वाली है।”
राहुल ने गंभीर स्वर में कहा –
“हमने नेहा वर्मा की आत्मा को मुक्त किया, परंतु हवेली में छुपे अन्य भूतिया राज अब हमारे सामने आने वाले हैं।”
🌄 भविष्य की नई चुनौती
तीनों ने हवेली से बाहर निकलते हुए एक नयी ठान ली थी –
“हर रहस्य का पर्दाफाश करेंगे। अतीत की गलियों से गुजरकर हम उस अंतिम सत्य तक पहुँचेंगे।”
रीया ने अपने मन में फुसफुसाया –
“अधूरी किताब का अगला अध्याय… हमें कहाँ ले जाएगा? क्या सच का सामना करने की हमारी हिम्मत कभी कमजोर पड़ेगी?”
🔔 अगला अध्याय जल्द ही…
👉 कौन सी नई परछाई उन तीनों को फिर से डराएगी?
👉 क्या अरविंद देव की सच्चाई सामने आएगी, या कोई और भूतिया रहस्य छुपा रहेगा?
🌫️ अधूरी किताब – एक नया अध्याय, नए खौफ के साथ…