Adhuri Kitaab - 36 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 36

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अधुरी खिताब - 36

🌘 एपिसोड 36 — “स्याही में कैद रूहें”
(सीरीज़: अधूरी किताब)


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1. स्याही की साँसें



दरभंगा की हवेली में अब कोई इंसान नहीं था —
पर सन्नाटे में भी कुछ जीवित था।
हर दीवार, हर शीशे, हर पन्ने में साँसें भरी हुई थीं…
नीली, लाल और काली — तीन रंगों की रूहें, जो एक-दूसरे में उलझ चुकी थीं।

टेबल पर रखी दोनों किताबें हल्की-हल्की कांप रही थीं,
जैसे कोई भीतर से उन्हें पलटने की कोशिश कर रहा हो।

और तभी —
दरवाज़े पर दस्तक हुई।

> ठक… ठक… ठक…



बाहर खड़ा था एक लड़का —
आरव चतुर्वेदी,
दिल्ली का यूट्यूबर, जो “Haunted Tales of India” चैनल चलाता था।

वो मुस्कुराया, कैमरा ऑन किया और बोला —
“दोस्तों, आज हम एक ऐसे स्थान पर आए हैं जहाँ कहा जाता है
कि किताबें खुद लिखती हैं और रूहें स्याही बन जाती हैं…”

उसे नहीं पता था —
आज वो किसी वीडियो में नहीं, एक कहानी में दाखिल होने वाला है।


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2. दरवाज़े के भीतर



जैसे ही उसने गेट खोला,
हवा में लोहे और पुराने खून की गंध फैल गई।

कैमरे की स्क्रीन पर नीला धुआँ उभरा —
फिर एक आवाज़ आई —

> “स्वागत है… पाठक।”



आरव हँस पड़ा —
“Nice effect! लगता है किसी ने इसे haunted दिखाने के लिए सब सेटअप किया है।”

पर अगली ही पल,
कैमरे की लाइट अपने आप ऑफ हो गई।

चारों ओर बस अंधेरा था,
और किसी ने उसके कान में फुसफुसाया —

> “किताब को मत छूना…”



वो मुड़ा — कोई नहीं।
बस टेबल पर The Soul Script — Reader’s Copy रखी थी।


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3. अनन्या की परछाई



आरव ने किताब उठाई,
पहला पन्ना खोला —

> “Chapter 1: The Blood Reader.”



पन्ने से नीली लौ निकली —
और उसके सामने अनन्या मेहरा की आकृति उभरी।

उसकी आँखें गहरी, पर खाली थीं।
वो बोली —

> “तुम देर से आए हो…”



आरव पीछे हटा, “क-कौन हो तुम?”

> “वो जो कहानी में फँस चुकी है…
अब मेरी जगह तुम्हें लेना होगा।”



अचानक उसके हाथ पर कुछ गर्म गिरा —
वो खून था, जो किताब के पन्नों से टपक रहा था।

> “अब तुम्हारा नाम लिखा जाएगा।”




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4. किताब का निर्णय



कमरे की दीवारें हिलने लगीं।
आईनों में अब आरव के कई चेहरे दिखने लगे —
एक डरता हुआ, एक मुस्कराता, और एक जो कहानी में कैद हो चुका था।

किताब के पन्ने अपने आप खुलते गए।
अंदर लिखा था —

> “Reader Connected: Aarav Chaturvedi
Story Mode: Active.”



वो चीखा, “कौन है वहाँ? ये मज़ाक है क्या?”

> “मज़ाक नहीं… अधूरापन है।”
आवाज़ अंशुमान की थी।



फिर आर्या राठौर की आवाज़ गूँजी —

> “हर पाठक सोचता है कि वो हमें पढ़ रहा है,
पर सच्चाई ये है — हम उसे पढ़ रहे हैं।”




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5. स्याही का जाल



आरव के चारों ओर स्याही की धाराएँ उठीं —
काली, लाल और नीली।
वो हवेली की दीवारों से बहने लगीं,
और उसके पैरों को जकड़ लिया।

कैमरा अब खुद बोल रहा था —

> “Recording: The Last Reader.”



वो गिर पड़ा।
किताब के पन्ने हवा में उड़ने लगे,
हर पन्ने पर उसका चेहरा उभर रहा था —
धीरे-धीरे मिटता हुआ, स्याही में बदलता हुआ।

अनन्या की रूह पास आई, फुसफुसाई —

> “तुम्हें डर नहीं लगा?”



“थोड़ा… पर अब कुछ महसूस नहीं हो रहा।”

> “यही तो होता है जब कोई कहानी तुम्हें निगल लेती है।”




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6. अंतिम दृश्य — स्याही में कैद रूहें



सुबह के पाँच बजे गाँव वाले फिर से हवेली के पास पहुँचे।
दरवाज़ा खुला था, अंदर बस एक कैमरा पड़ा था —
और उसके बगल में तीन किताबें।

1️⃣ The Soul Script — Blood Edition
2️⃣ The Reader’s Copy
3️⃣ The Last Reader

तीनों के नीचे एक ही पंक्ति चमक रही थी —

> “By: Arya Rathore, Anshuman Shukla, Ananya Mehra & Aarav Chaturvedi
(The Four Who Became Ink).”



और दीवार पर खून से लिखा था —

> “हर कहानी, अपना रीडर चुनती है।
और हर रीडर… एक दिन कहानी बन जाता है।”




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🩸 एपिसोड 36 समाप्त

🕯️ आगामी एपिसोड 37 — “पन्नों में दफ़्न चीख़ें”
जहाँ हवेली की किताब अब खुद को बंद नहीं रख पा रही —
हर रात उसके पन्नों से किसी के चीख़ने की आवाज़ आती है —

> “हमें मिटाओ… या हमें पूरा करो…”