Adhuri Kitaab - 43 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 43

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अधुरी खिताब - 43

🌑 एपिसोड 43 — “अधूरी आत्माएँ”
(सीरीज़: अधूरी किताब)



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1. किताब का फिर खुलना

रात फिर से नीली थी।
दरभंगा की हवेली, जो कुछ घंटों पहले तक शांत थी,
अब जैसे साँस ले रही थी।

टेबल पर रखी “रूह की कलम — Written by Neha Sharma”
अपने आप खुली।
पन्ने अपने आप पलटने लगे,
और हवा में एक जानी-पहचानी आवाज़ गूँजी —

> “कहानी कभी खत्म नहीं होती…
बस रूप बदलती है।”



पन्ने के बीचों-बीच एक स्याही की बूंद टपकी —
जो धीरे-धीरे आकार लेने लगी।
वो बूंद अब एक चेहरा बन चुकी थी।

> “मैं तन्वी हूँ… फिर लौट आई हूँ।”



नेहा की लिखी किताब से तन्वी की रूह अब जीवित थी।
वो मुस्कुरा रही थी —
लेकिन उसकी आँखों में वो पुराना दर्द था,
जो हवेली ने कभी भुलाया नहीं था।


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2. नेहा का डर

नेहा अब दिल्ली लौट चुकी थी।
लेकिन उस रात से उसके सपने वही कहानी दोहराने लगे थे।
हर बार, वो देखती —
किताब खुलती है, और स्याही उससे कुछ लिखवा रही है।

एक सुबह, उसके फोन पर मैसेज आया —

> “नेहा, क्या तुम हवेली में वापस आओगी?
कहानी अभी अधूरी है।”
(प्रेषक: Tanvi Soul)



नेहा का चेहरा पीला पड़ गया।
उसने फोन फेंक दिया,
पर कमरे के कोने से वही नीली गंध आने लगी —
स्याही और सन्नाटे की।

टेबल पर किताब रखी थी,
और उस पर खुद-ब-खुद शब्द उभर रहे थे —

> “Chapter 16 — अधूरी आत्माएँ जाग चुकी हैं।”



नेहा का दिल धड़क उठा।
वो जानती थी,
अब हवेली उसे बुला रही है।


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3. हवेली में परछाइयाँ

दरभंगा की हवेली में उस रात हवा अजीब थी।
नीली स्याही दीवारों से टपक रही थी —
और हर बूंद से एक चेहरा उभरता,
फिर गायब हो जाता।

तन्वी खिड़की पर खड़ी थी।
उसकी आँखों में बेचैनी थी।

> “हर लेखक जो यहाँ लिखता है,
उसकी आत्मा का टुकड़ा स्याही में घुल जाता है।”



वो धीमे स्वर में बोली।
और तभी, दीवार पर दूसरा नाम उभरा —

> “आरव वर्मा — The Lost Writer.”



नीली स्याही से एक परछाई निकली।
वो आदमी पहले इंसान-सा लगा,
फिर धीरे-धीरे धुंध में बदल गया।

> “मैं वो हूँ जिसने इस हवेली की पहली कहानी लिखी थी…
पर अब मैं खुद कहानी बन गया।”



तन्वी और आरव की रूहें अब एक-दूसरे को पहचान रही थीं।
दोनों कभी लेखक और पाठक थे,
अब हवेली की स्याही में कैद दो आत्माएँ।


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4. नेहा की वापसी

नेहा ट्रेन से उतरी।
दरभंगा स्टेशन पर सन्नाटा था।
हवेली की दिशा में हवा नीली थी,
जैसे वहाँ कोई अदृश्य प्रकाश जल रहा हो।

वो कदम दर कदम हवेली तक पहुँची।
दरवाज़ा अपने आप खुला —
अंदर वही पुराना कमरा था, वही टेबल,
और उसके ऊपर खुली किताब।

पर इस बार किताब के पन्नों पर लिखा था —

> “स्वागत है नेहा शर्मा,
अब तू सिर्फ़ लेखक नहीं, आत्मा की दूत है।”



नेहा काँप गई।
उसने देखा — हर पन्ने से धुआँ उठ रहा है,
और उस धुएँ से चेहरे बन रहे हैं।

> “हम वो आत्माएँ हैं,
जो कभी इस किताब में बंद थीं।
तूने हमें लिखा — अब हमें मुक्त कर।”



नेहा ने आँखे बंद कीं।
उसकी उँगलियाँ फिर से “रूह की कलम” की ओर बढ़ीं।
कलम ने खुद उसके हाथ को पकड़ लिया।


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5. आत्माओं का पुनर्जन्म

नेहा ने लिखना शुरू किया।
हर शब्द के साथ हवेली कांपने लगी।
दीवारों से नीली रोशनी उठी,
और हवा में वो आवाज़ गूँजने लगी —

> “हर आत्मा एक कहानी है,
हर कहानी एक अधूरा वादा।”



वो लिखती गई —
“तन्वी अब शांति पाएगी…”
“आरव की स्याही अब मौन होगी…”
“आदित्य की रूह अब लौटेगी…”

हर पंक्ति के साथ हवेली की स्याही फीकी पड़ती गई।
जैसे कोई बोझ उतर रहा हो।

पर तभी किताब ने खुद से नया वाक्य लिखा —

> “पर एक आत्मा अब भी अधूरी है।”



नेहा ने चौंककर पूछा,
“कौन?”

टेबल की सतह पर धीरे-धीरे एक नाम उभरा —

> “Neha Sharma.”



उसका दिल रुक गया।
उसने कलम गिरा दी।
नीली लहरें उसके चारों ओर घूमने लगीं।

> “तूने हमें लिखा…
अब तेरी रूह भी कहानी का हिस्सा बनेगी।”




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6. स्याही और खून का मिलन

नेहा ने खुद को बचाने की कोशिश की।
पर स्याही अब हवा में नहीं — उसकी रगों में बह रही थी।
उसकी आँखें नीली हो गईं,
आवाज़ गूंजने लगी —

> “रूह की कलम ने अब नया लेखक पा लिया है।”



उसके हाथ अपने आप चलने लगे।
वो लिख रही थी,
लेकिन उसे पता नहीं था क्या।

टेबल पर नए शब्द उभर रहे थे —

> “अधूरी किताब — Volume II
Written by The Soul Itself.”



हर अक्षर उसके खून से बन रहा था,
और स्याही के साथ मिलकर नीली रोशनी फैलाने लगा।

हवेली का पूरा हॉल उजाला बन चुका था।
और उसमें हर रूह अब मुस्कुरा रही थी।

तन्वी ने कहा —

> “धन्यवाद, नेहा। तूने हमें जीवन दिया।”



पर उसी क्षण, नेहा की परछाई धुंधली होने लगी।
वो खुद अब उस किताब का हिस्सा बन चुकी थी।


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7. हवेली का अंत या शुरुआत?

सुबह के समय गाँव वालों ने देखा —
दरभंगा हवेली फिर शांत थी।
टेबल पर एक नई किताब रखी थी,
जिसका नाम था —

> “अधूरी आत्माएँ — Written by Neha Sharma.”



नीचे एक पंक्ति में लिखा था —

> “हर लेखक जो इसे पढ़ेगा,
उसकी आत्मा एक नई कहानी लिखेगी।”



लोगों ने डरकर हवेली के दरवाज़े बंद कर दिए।
लेकिन हवा में अब भी वो नीला धुआँ घूम रहा था,
जैसे कह रहा हो —

> “स्याही फिर जागेगी… जब कोई इसे पढ़ेगा।”




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🌙 एपिसोड 43 समाप्त

🕯️ आगामी एपिसोड 44 — “कलम जो खुद लिखने लगी”
जहाँ अधूरी आत्माएँ हवेली से निकलकर
दुनिया के हर लेखक तक पहुँचेंगी —
और “रूह की कलम” पहली बार अपने आप लिखेगी।

> “कभी-कभी कहानी सिर्फ़ लिखी नहीं जाती,
वो खुद लेखक चुन लेती है…”