✨ एपिसोड 50 — “जब रूह ने नाम पुकारा… और समय रुक गया”
दरभंगा की हवेली की रात, नीली और सुनहरी रोशनी से भरी, अब एक नए रहस्य को जन्म देने वाली थी।
हवेली की दीवारों पर बने पुरानी रूहों के निशान जैसे अचानक जागने लगे थे—
मानो उन्हें पता हो कि आज… कोई सच बाहर आने वाला है।
🌙 1. अलीशा की धड़कनें और हवेली की फुसफुसाहट
अलीशा आँगन में खड़ी थी।
नीली हवा उसके चेहरे को छूते हुए जैसे कोई संदेश दे रही थी।
“तुम अकेली नहीं हो… तुम्हें याद किया गया है…”
एक धीमी, गहरी आवाज़ उसके कानों में उतरती है।
अलीशा एक पल के लिए जम जाती है।
“कौन है?”
उसकी आवाज़ काँपती है।
सन्नाटा।
फिर… हवेली की सबसे पुरानी खिड़की अपने-आप खुल जाती है।
और उसी खिड़की से एक परछाई, बहुत धीरे… जैसे हवा के साथ चलती हुई नीचे उतरती है।
रूहानी पीछे से चीखी—
“दीदी, पीछे हटो!”
लेकिन अलीशा ने खुद को पीछे नहीं हटाया।
क्योंकि उस परछाई ने उसका नाम ऐसे पुकारा… जैसे कोई बहुत अपना:
“अ…ली…शा…”
वो आवाज़ अजीब थी—
ना इंसानी, ना पूरी रूहानी…
जैसे दोनों के बीच फँसी हुई।
🌒 2. शौर्य का बदला हुआ चेहरा
उसी वक्त शौर्य अंदर से निकलकर आँगन में आता है।
उसकी आँखें लाल थीं…
सिर्फ गुस्से से नहीं—
जैसे कुछ बुझी हुई याद अचानक जल उठी हो।
शौर्य ने अलीशा को अपनी ओर खींचा और गरजकर बोला—
“किसने बुलाया तुम्हें?! किस रूह ने नाम लिया?!”
अलीशा उसकी आँखों में देखती है।
“शौर्य… यह आवाज़… मुझे जानती है। शायद मेरे पिछले जन—”
“चुप!”
शौर्य ने काँपती आवाज़ में कहा,
“पिछले जन्म की बात तुम नहीं करोगी… मैं नहीं सुन सकता इसे।”
अलीशा घबराई—
“तुम क्यों डर रहे हो?”
शौर्य ने नीचे नजर झुकाई।
उसकी उँगलियाँ काँप रही थीं।
“क्योंकि मुझे याद नहीं कि मैं तुमसे कैसे जुड़ा हूँ…
लेकिन ये हवेली मुझे याद दिलाने की कोशिश कर रही है।
और मैं डरता हूँ कि कहीं ये सच… मुझे तुमसे दूर न कर दे।”
🌑 3. काली गूँज — अंधकार की वापसी
अचानक हवेली के बीच से एक काली लहर उठी।
जमीन मानो साँस ले रही हो।
रूहानी चीख पड़ी—
“फिर से वही काली धड़कन… दीदी, ये आज पहले भी उठी थी!”
ठीक उसी समय राज मल्होत्रा अंदर से दौड़ते हुए आया।
उसके हाथ में एक पुरानी, फटी हुई डायरी थी।
“ये मिल गई है!
इसमें… हवेली की पहली रूहों का जिक्र है।”
अलीशा ने डायरी पकड़ते ही महसूस किया—
जैसे किसी ने उसके दिल को खींच लिया हो।
शौर्य ने डायरी दूर फेंक दी।
“ये चीज़ें तुम्हें नुकसान पहुँचाएँगी!”
राज ने गुस्से से कहा—
“नहीं शौर्य! अलीशा को यह जानना पड़ेगा।
क्योंकि इस डायरी में उसकी रूह का नाम लिखा है।”
सन्नाटा।
अलीशा ने भारी साँस लेते हुए पूछा—
“क्या… क्या नाम है मेरा?”
राज ने काँपते हुए बोला—
“तुम्हारा नहीं…
तुम्हारी रूह का नाम है —
आर्या।”
जैसे किसी ने बिजली गिरा दी हो।
शौर्य पीछे हट गया।
उसकी साँसें अचानक भारी हो गईं।
“आर्या…”
वह नाम दोहराते ही उसकी आँखों में कुछ चमका—
शायद कोई पुरानी, बहुत दर्दनाक याद।
🌕 4. हवेली का सच — पहला संकेत
डायरी की पहली लाइन थी—
“आर्या की रूह वापस आएगी…
उसी रात जब नीली और सुनहरी रोशनी मिलेगी।”
और आज वही रात थी।
हवेली की दीवारें अचानक नीले-सुनहरे रंग में जल उठीं।
अलीशा की कलाई पर जली हुई एक पुरानी निशानी… अचानक चमकने लगी।
शौर्य ने वो चमक देखी और स्तब्ध रह गया।
“ये निशान…
ये तो उसी रूह का है जिसने… जिसने मुझे…”
वह आगे बोल नहीं पाया।
उसकी आवाज़ टूट गई।
अलीशा धीरे से उसके पास आई।
“शौर्य, क्या तुम किसी आर्या को जानते थे?”
शौर्य की आँखें भर आईं।
“हाँ…
लेकिन वो मेरी…
मेरी मौत की वजह बनी थी।”
अलीशा डर गई।
“क्या?! किसकी मौत?”
शौर्य ने काँपती आवाज़ में कहा—
“मेरी पिछले जन्म की मौत।”
और उसी क्षण—
हवेली का सारा प्रकाश बुझ गया।
एक काली रूह हवा में उभरी—
सिर्फ एक वाक्य बोलते हुए—
“आर्या वापस आ चुकी है…
और अपनी किस्मत लेने आई है।”
अलीशा की साँस रुक गई।
शौर्य ने उसे अपनी बाहों में कस लिया।
काली रूह ने फिर कहा—
“आज रात… सच सामने आएगा।”
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🌙 ए
पिसोड 50 का हुक / क्लिफहैंगर:
आज रात… अलीशा को पता चलेगा कि वह किसकी मौत की वजह बनी थी।
और शौर्य को पता चलेगा कि उसका सबसे बड़ा दुश्मन…
उसी से मोहब्बत कर बैठा है।